प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से शुरू हो रहा है। 45 करोड़ लोगों के लिए शहर तैयार है। मगर 10 दिन से प्रयागराज में अचानक बंदरों की संख्या बढ़ गई है। बंदरों के झुंड लोगों पर हमला भी कर रहे हैं। 7 दिन में 90 से ज्यादा लोगों को बंदरों ने काटा है। सबसे ज्यादा मामले प्रीमतनगर, बैरहना, अबूबकरपुर, कंधईपुर, सूबेदारगंज, मीरापुर इलाको में सामने आए हैं। बंदरों को भगाने के लिए लोग 2 से 3 घंटे पर पटाखे जला रहे हैं, ताकि तेज धमाका की आवाज से डरकर बंदर भाग जाएं। ऐसे लोगों को राहत है, जिन्होंने अपने घर के छज्जों पर लोहे के जाल लगवा लिए हैं। बंदरों के हमले से यात्रियों के चोटिल होने के बाद रेलवे ने प्रयागराज के छवकी और नैनी स्टेशनों पर लंगूरों के बड़े-बड़े होर्डिंग लगवा दिए हैं। पुलिस चौकियों पर भी लंगूरों की तस्वीरें दिखने लगी हैं। बंदरों का आतंक जिन इलाकों में सबसे ज्यादा बढ़ा है, ऐसे 3 इलाकों में दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… इलाका 1. अबूबकरपुर बंदरों के हमले के बाद एडमिट तक होना पड़ा
भास्कर की टीम सबसे पहले अबूबकरपुर एरिया में पहुंची। यहां बंदरों के हमले में घायल स्वालिहा के परिजनों से बातचीत की। उन्होंने कहा- स्वालिहा घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी। अचानक 2 बंदरों ने हमला कर दिया। उसने बचने की कोशिश की, मगर बंदर ने उसकी कलाई पर जोर से काट लिया। स्वालिहा ने दूसरे हाथ से बंदर को मारकर भगाने की कोशिश की तो उस हाथ पर भी झपट्टा मार दिया। इससे उसकी उंगली कट कर लटक गई। यहां से कुछ दूर पर रहने वाली अर्शी ने कहा- मेरी बहन घर के दरवाजे पर खड़ी थी। अचानक बंदर आ गया। वह भागी, तो हमला कर दिया। उसके कंधे और हाथ पर काट लिया है। इस तरह के हमलों से पूरे मोहल्ले में लोग डरे हुए हैं। यहां लोगों से बातचीत करके समझ आया कि कंधईपुर, प्रीतमनगर, सूबेदारगंज, मीरापुर, बलुआघाट में अब तक 60 से ज्यादा लोगों को बंदर काट चुके हैं। कुछ लोग इतना घायल हो गए कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इलाका 2. कंधईपुर
सोनू बोले- मुझे 3 बार बंदर काट चुके
इसके बाद भास्कर टीम कंधईपुर इलाके में पहुंची। यहां सबसे पहले हमारी मुलाकात सोनू से हुई। वह कहते हैं- एक बार नहीं, 3 बार बंदर हमला कर चुके हैं। जांघ और पैर के जख्म दिखाते हुए कहते हैं कि जितनी बार भी बचने का प्रयास किया, उतनी ज्यादा चोट आई। इरफान ने कहा- मेरे मिस्त्री, लेबर काम छोड़कर भागे
इसी इलाके में रहने वाले मो. इरफान कहते हैं- मैं सुबह से लेकर रात तक 2 पैकेट पटाखा जलाता हूं। धमाका होता है तो आस-पास के बंदर भाग जाते हैं। मेरे मकान में निर्माण चल रहा है। हमारे मिस्त्री को बंदर काट चुका है। लेबर पर हमला हो चुका है। वो काम छोड़कर चले गए थे। अब नए कारीगर काम कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि इनके साथ भी कुछ ऐसा हो। ऐसे में पटाखों के जरिए काम चला रहे हैं। इलाका 3. बैरहना लोग घरों में कैद, दहशत में महिलाएं बैरहना इलाके में भी बंदरों से लोग डरे हुए हैं। यहां घरों पर छज्जों और छतों को लोहे के जाल से कवर किया हुआ है। घरों को देखने से पिजड़े जैसा एहसास होता है, मगर लोग इन्हीं में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यहां इंद्रपुरी में रहने वाली पलक तिवारी ने कहा- बंदर बहुत परेशान कर रहे हैं। ठंड के दिन हैं, लोग छत पर धूप सेंकने के लिए पहुंच रहे हैं, मगर उन पर हमले का डर बना रहता है। बच्चे खेल नहीं सकते हैं, नगर निगम की तरफ से भी कभी बंदरों को पकड़ने की कोशिश नहीं हो रही है। संध्या गिरी ने कहा- छत और छज्जों पर जा नहीं सकते हैं, बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है। कभी भी बंदर हमलावर हो जाते हैं। छतों पर खाने का सामान नहीं सुखा सकते हैं, वरना बंदर बर्बाद कर देंगे। बच्चों को अकेले बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। छिवकी और नैनी स्टेशनों पर रेलवे ने लंगूरों के कट-आउट लगवाए
बंदरों से सिर्फ शहर के लोग ही नहीं, रेलवे भी परेशान है। नैनी और छिवकी स्टेशनों पर बंदरों के झुंड के अटैक से यात्रियों के चोटिल होने के बाद यहां लंगूरों के कट-आउट लगा दिए गए हैं। इन स्टेशनों पर दौड़कर ट्रेन पकड़ने की कोशिश करने वाले यात्रियों को बंदरों से भी बचना पड़ रहा है। रेलवे इसलिए भी परेशान है, क्योंकि प्रयागराज में कुछ ही दिनों में बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगने लगेगा। भास्कर टीम नैनी रेलवे स्टेशन पहुंची। लोग बोले- पोस्टर के करीब नहीं आते बंदर
यहां बिजली के खंभों, प्लेटफार्म के शेड, पानी की टंकी, एंट्री गेट, ऑफिस के गेट पर लंगूर के होर्डिंग लगे थे। लकड़ी के बड़े-बड़े कट-आउट दिख रहे थे। दांत दिखाते, चिंघाड़ते लंगूरों की फोटो जगह-जगह यूं लटकाई गई है कि बंदरों को ऐसा लगे कि लंगूर उनकी ताक में हैं। यहां लोगों ने बताया कि लंगूरों के पोस्टरों से कुछ असर तो हुआ है। बंदर पोस्टर वाली जगह नहीं जा रहे हैं, लेकिन बाकी पूरे रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म पर चहलकदमी से उन्हें कोई नहीं रोक पा रहा है। नैनी रेलवे स्टेशन पर 30 लोगों को काटा
नैनी रेलवे स्टेशन पर बंदरों का आतंक एक महीने में ज्यादा बढ़ गया है। प्लेटफार्मों पर ट्रेनों का इंतजार करने वाले यात्रियों को बंदर दौड़ाकर काट रहे हैं। करीब 30 लोगों को बंदरों ने काट कर जख्मी किया है। इसमें कई छोटे बच्चे शामिल हैं। अब प्रयागराज के अफसरों की बात… बंदर पकड़कर जंगल में छोड़ने का प्रावधान है, मगर प्रयागराज के वन विभाग और नगर निगम एक दूसरे के पाले में गेंद सरकाते दिखे, पढ़िए अफसर क्या कहते हैं… ——————— ये भी पढ़ें : महाकुंभ में तय होगा नरेंद्र मोदी के बाद कौन:2013 में मोदी पर मुहर, 2025 में योगी के नाम पर हो सकती है चर्चा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के प्रांत स्तर के एक पदाधिकारी दैनिक भास्कर को बताते हैं कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में BJP के अगले PM कैंडिडेट के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। वे बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की रजामंदी है। अभी लोकसभा चुनाव दूर हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। हालांकि उन्हें प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी है। पढ़िए पूरी खबर… प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से शुरू हो रहा है। 45 करोड़ लोगों के लिए शहर तैयार है। मगर 10 दिन से प्रयागराज में अचानक बंदरों की संख्या बढ़ गई है। बंदरों के झुंड लोगों पर हमला भी कर रहे हैं। 7 दिन में 90 से ज्यादा लोगों को बंदरों ने काटा है। सबसे ज्यादा मामले प्रीमतनगर, बैरहना, अबूबकरपुर, कंधईपुर, सूबेदारगंज, मीरापुर इलाको में सामने आए हैं। बंदरों को भगाने के लिए लोग 2 से 3 घंटे पर पटाखे जला रहे हैं, ताकि तेज धमाका की आवाज से डरकर बंदर भाग जाएं। ऐसे लोगों को राहत है, जिन्होंने अपने घर के छज्जों पर लोहे के जाल लगवा लिए हैं। बंदरों के हमले से यात्रियों के चोटिल होने के बाद रेलवे ने प्रयागराज के छवकी और नैनी स्टेशनों पर लंगूरों के बड़े-बड़े होर्डिंग लगवा दिए हैं। पुलिस चौकियों पर भी लंगूरों की तस्वीरें दिखने लगी हैं। बंदरों का आतंक जिन इलाकों में सबसे ज्यादा बढ़ा है, ऐसे 3 इलाकों में दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… इलाका 1. अबूबकरपुर बंदरों के हमले के बाद एडमिट तक होना पड़ा
भास्कर की टीम सबसे पहले अबूबकरपुर एरिया में पहुंची। यहां बंदरों के हमले में घायल स्वालिहा के परिजनों से बातचीत की। उन्होंने कहा- स्वालिहा घर से कॉलेज जाने के लिए निकली थी। अचानक 2 बंदरों ने हमला कर दिया। उसने बचने की कोशिश की, मगर बंदर ने उसकी कलाई पर जोर से काट लिया। स्वालिहा ने दूसरे हाथ से बंदर को मारकर भगाने की कोशिश की तो उस हाथ पर भी झपट्टा मार दिया। इससे उसकी उंगली कट कर लटक गई। यहां से कुछ दूर पर रहने वाली अर्शी ने कहा- मेरी बहन घर के दरवाजे पर खड़ी थी। अचानक बंदर आ गया। वह भागी, तो हमला कर दिया। उसके कंधे और हाथ पर काट लिया है। इस तरह के हमलों से पूरे मोहल्ले में लोग डरे हुए हैं। यहां लोगों से बातचीत करके समझ आया कि कंधईपुर, प्रीतमनगर, सूबेदारगंज, मीरापुर, बलुआघाट में अब तक 60 से ज्यादा लोगों को बंदर काट चुके हैं। कुछ लोग इतना घायल हो गए कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इलाका 2. कंधईपुर
सोनू बोले- मुझे 3 बार बंदर काट चुके
इसके बाद भास्कर टीम कंधईपुर इलाके में पहुंची। यहां सबसे पहले हमारी मुलाकात सोनू से हुई। वह कहते हैं- एक बार नहीं, 3 बार बंदर हमला कर चुके हैं। जांघ और पैर के जख्म दिखाते हुए कहते हैं कि जितनी बार भी बचने का प्रयास किया, उतनी ज्यादा चोट आई। इरफान ने कहा- मेरे मिस्त्री, लेबर काम छोड़कर भागे
इसी इलाके में रहने वाले मो. इरफान कहते हैं- मैं सुबह से लेकर रात तक 2 पैकेट पटाखा जलाता हूं। धमाका होता है तो आस-पास के बंदर भाग जाते हैं। मेरे मकान में निर्माण चल रहा है। हमारे मिस्त्री को बंदर काट चुका है। लेबर पर हमला हो चुका है। वो काम छोड़कर चले गए थे। अब नए कारीगर काम कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि इनके साथ भी कुछ ऐसा हो। ऐसे में पटाखों के जरिए काम चला रहे हैं। इलाका 3. बैरहना लोग घरों में कैद, दहशत में महिलाएं बैरहना इलाके में भी बंदरों से लोग डरे हुए हैं। यहां घरों पर छज्जों और छतों को लोहे के जाल से कवर किया हुआ है। घरों को देखने से पिजड़े जैसा एहसास होता है, मगर लोग इन्हीं में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यहां इंद्रपुरी में रहने वाली पलक तिवारी ने कहा- बंदर बहुत परेशान कर रहे हैं। ठंड के दिन हैं, लोग छत पर धूप सेंकने के लिए पहुंच रहे हैं, मगर उन पर हमले का डर बना रहता है। बच्चे खेल नहीं सकते हैं, नगर निगम की तरफ से भी कभी बंदरों को पकड़ने की कोशिश नहीं हो रही है। संध्या गिरी ने कहा- छत और छज्जों पर जा नहीं सकते हैं, बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है। कभी भी बंदर हमलावर हो जाते हैं। छतों पर खाने का सामान नहीं सुखा सकते हैं, वरना बंदर बर्बाद कर देंगे। बच्चों को अकेले बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। छिवकी और नैनी स्टेशनों पर रेलवे ने लंगूरों के कट-आउट लगवाए
बंदरों से सिर्फ शहर के लोग ही नहीं, रेलवे भी परेशान है। नैनी और छिवकी स्टेशनों पर बंदरों के झुंड के अटैक से यात्रियों के चोटिल होने के बाद यहां लंगूरों के कट-आउट लगा दिए गए हैं। इन स्टेशनों पर दौड़कर ट्रेन पकड़ने की कोशिश करने वाले यात्रियों को बंदरों से भी बचना पड़ रहा है। रेलवे इसलिए भी परेशान है, क्योंकि प्रयागराज में कुछ ही दिनों में बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगने लगेगा। भास्कर टीम नैनी रेलवे स्टेशन पहुंची। लोग बोले- पोस्टर के करीब नहीं आते बंदर
यहां बिजली के खंभों, प्लेटफार्म के शेड, पानी की टंकी, एंट्री गेट, ऑफिस के गेट पर लंगूर के होर्डिंग लगे थे। लकड़ी के बड़े-बड़े कट-आउट दिख रहे थे। दांत दिखाते, चिंघाड़ते लंगूरों की फोटो जगह-जगह यूं लटकाई गई है कि बंदरों को ऐसा लगे कि लंगूर उनकी ताक में हैं। यहां लोगों ने बताया कि लंगूरों के पोस्टरों से कुछ असर तो हुआ है। बंदर पोस्टर वाली जगह नहीं जा रहे हैं, लेकिन बाकी पूरे रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म पर चहलकदमी से उन्हें कोई नहीं रोक पा रहा है। नैनी रेलवे स्टेशन पर 30 लोगों को काटा
नैनी रेलवे स्टेशन पर बंदरों का आतंक एक महीने में ज्यादा बढ़ गया है। प्लेटफार्मों पर ट्रेनों का इंतजार करने वाले यात्रियों को बंदर दौड़ाकर काट रहे हैं। करीब 30 लोगों को बंदरों ने काट कर जख्मी किया है। इसमें कई छोटे बच्चे शामिल हैं। अब प्रयागराज के अफसरों की बात… बंदर पकड़कर जंगल में छोड़ने का प्रावधान है, मगर प्रयागराज के वन विभाग और नगर निगम एक दूसरे के पाले में गेंद सरकाते दिखे, पढ़िए अफसर क्या कहते हैं… ——————— ये भी पढ़ें : महाकुंभ में तय होगा नरेंद्र मोदी के बाद कौन:2013 में मोदी पर मुहर, 2025 में योगी के नाम पर हो सकती है चर्चा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के प्रांत स्तर के एक पदाधिकारी दैनिक भास्कर को बताते हैं कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में BJP के अगले PM कैंडिडेट के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। वे बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की रजामंदी है। अभी लोकसभा चुनाव दूर हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। हालांकि उन्हें प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी है। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर