हिमाचल बिजली बोर्ड प्रबंधन द्वारा 81 आउटसोर्स ड्राइवरों को नौकरी से हटाए जाने पर बिजली कर्मचारी भड़क उठे हैं। प्रदेशभर से शिमला पहुंचे बिजली कर्मचारियों ने सोमवार को बोर्ड मुख्यालय परिसर में प्रदर्शन कर प्रबंधन को उनकी सेवाएं बहाल करने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि इनकी सेवाएं बहाल नहीं की गई तो बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारियों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी इसके खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी। दरअसल, बिजली बोर्ड प्रबंधन ने एक दिसंबर से आउटसोर्स पर रखे 81 ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया था। इसके बाद इनके समर्थन में बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी उतर आए हैं। आज भी प्रदेशभर के बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी शिमला पहुंचे। बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने बोर्ड प्रबंधन को जल्द ड्राइवरों की सेवाएं बहाल करने की चेतावनी दी है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बोर्ड प्रबंधन से आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाएं बहाल नहीं करता तो आने वाले दिनों में भी बोर्ड मुख्यालय में इस तरह के प्रदर्शन जारी रहेंगे। बिजली बोर्ड कर्मचारी आंदोलन को मजबूर किए जा रहे हीरा लाल वर्मा ने बताया कि आउटसोर्स ड्राइवरों की बहाली के अवाला बिजली कर्मचारी दो साल से ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की भी मांग कर रहे है। मगर सरकार ने अब तक उनकी इस मांग को पूरा नहीं किया। इसे लेकर अधिकारियों से वार्ता जारी है। उन्होंने बताया कि यदि बोर्ड कर्मचारियों की पेंशन जल्द बहाल नहीं की जाती तो इसके खिलाफ भी मजबूरन आंदोलन लड़ना पड़ेगा। 12 से 15 सालों से दे रहे थे सेवाएं: राजेश आउटसोर्स यूनियन के राजेश चौहान ने बताया वह 12 से 15 सालों से सेवाएं दे रहे हैं। अब उन्हें घर पर बिठा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पहले ही आउटसोर्स ड्राइवरों को नाम मात्र मानदेय उन्हें दिया जा रहा था। फिर भी उन्हें नौकरी से बाहर किया जा रहा है। हिमाचल बिजली बोर्ड प्रबंधन द्वारा 81 आउटसोर्स ड्राइवरों को नौकरी से हटाए जाने पर बिजली कर्मचारी भड़क उठे हैं। प्रदेशभर से शिमला पहुंचे बिजली कर्मचारियों ने सोमवार को बोर्ड मुख्यालय परिसर में प्रदर्शन कर प्रबंधन को उनकी सेवाएं बहाल करने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि इनकी सेवाएं बहाल नहीं की गई तो बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारियों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी इसके खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी। दरअसल, बिजली बोर्ड प्रबंधन ने एक दिसंबर से आउटसोर्स पर रखे 81 ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया था। इसके बाद इनके समर्थन में बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी उतर आए हैं। आज भी प्रदेशभर के बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी शिमला पहुंचे। बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने बोर्ड प्रबंधन को जल्द ड्राइवरों की सेवाएं बहाल करने की चेतावनी दी है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बोर्ड प्रबंधन से आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाएं बहाल नहीं करता तो आने वाले दिनों में भी बोर्ड मुख्यालय में इस तरह के प्रदर्शन जारी रहेंगे। बिजली बोर्ड कर्मचारी आंदोलन को मजबूर किए जा रहे हीरा लाल वर्मा ने बताया कि आउटसोर्स ड्राइवरों की बहाली के अवाला बिजली कर्मचारी दो साल से ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की भी मांग कर रहे है। मगर सरकार ने अब तक उनकी इस मांग को पूरा नहीं किया। इसे लेकर अधिकारियों से वार्ता जारी है। उन्होंने बताया कि यदि बोर्ड कर्मचारियों की पेंशन जल्द बहाल नहीं की जाती तो इसके खिलाफ भी मजबूरन आंदोलन लड़ना पड़ेगा। 12 से 15 सालों से दे रहे थे सेवाएं: राजेश आउटसोर्स यूनियन के राजेश चौहान ने बताया वह 12 से 15 सालों से सेवाएं दे रहे हैं। अब उन्हें घर पर बिठा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पहले ही आउटसोर्स ड्राइवरों को नाम मात्र मानदेय उन्हें दिया जा रहा था। फिर भी उन्हें नौकरी से बाहर किया जा रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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HC से खट्टर के प्रचार सलाहाकार को अग्रिम जमानत:भंडारी और उत्तराखंड बीजेपी नेता को पुलिस ने किया तलब; बागी विधायकों को ठहराने का मामला हिमाचल सरकार को गिराने के षड़यंत्र से जुड़े केस में आज हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रचार सलाहकार रहे तरुण भंडारी और उत्तराखंड भाजपा के एक बड़े नेता को शिमला पुलिस ने तलब किया है। इन दोनों को बालूगंज पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया है। इस बीच खट्टर के प्रचार सलाहाकार तरुण भंडारी ने पिछले कल ही हिमाचल हाईकोर्ट (HC) ने अग्रिम जमानत ले ली है। भंडारी पर आरोप है कि उन्होंने हिमाचल के बागी विधायकों के खाने-पीने व ठहरने की पंचकूला में व्यवस्था की और बिल का भुगतान उनके कहने पर एक फॉर्मा कंपनी ने किया। इसका खुलासा फॉर्मा कंपनी ने पुलिस पूछताछ में किया है। हमीरपुर के पूर्व विधायक आशीष शर्मा और चैतन्य शर्मा के रिटायर IAS पिता राकेश शर्मा, इन दोनों के दो सहयोगियों को भी शिमला पुलिस ने आज ही थाने बुलाया है। इन चारों को बीते 13 जून को भी पुलिस बुला चुकी है। मगर तब चारों हाजिर नहीं हुए। इसलिए आज दोबारा से बुलाया गया है। इन्हें कल थाने में पेश होने के फरमान आशीष शर्मा और गगरेट के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा सहित एक अन्य को अगले कल बुलाया गया है। यानी आज और कल सरकार गिराने के षड़यंत्र से जुड़े केस में कुल सात लोगों से पूछताछ होगी। इस केस में पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा पहली बार पुलिस के सामने पेश होंगे, जबकि इसी केस में उनके रिटायर IAS पिता के राकेश शर्मा खिलाफ पहले से मामला दर्ज है। वह कई बार बालूगंज थाना में पेश हो चुके हैं। इन्होंने दर्ज करा रखी FIR दरअसल, कांग्रेस के विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की शिकायत पर बालूगंज थाना में बीते 10 मार्च FIR कराई। इस केस में पुलिस जांच में जुटी हुई है और साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा सांसद चुनाव के बाद कांग्रेस के छह बागी समेत तीन निर्दलीय विधायकों के चंडीगढ़ में होटल में ठहरने, खाने-पीने के बिलों का भुगतान एक फॉर्मा कंपनी ने किया है। इन बिलों के भुगतान में मनोहर लाल खट्टर के प्रचार सलाहकार तरुण भंडारी की भूमिका बताई जा रही है। उत्तराखंड में BJP नेता ने किया बिल का भुगतान चंडीगढ़ के बाद राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट करने वाले विधायक कुछ दिन उत्तराखंड के ऋषिकेष में भी रुके। यहां पर होटल में ठहरने, खाने-पीने के बिलों के भुगतान में एक भाजपा नेता की भूमिका पुलिस जांच में सामने आ रही है। संबंधित भाजपा नेता के नाम के खुलासे को लेकर पुलिस बच रही है और कोई भी अधिकारी इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। CM बार-बार बोले- सरकार गिराने को रचा षड़यंत्र मुख्यमंत्री सुक्खू 27 फरवरी से लेकर बार-बार कह रहे हैं कि हिमाचल सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचा गया है। धन बल का इस्तेमाल किया गया। विधायकों को करोड़ों रुपए दिए गए। पिछले कल भी मुख्यमंत्री सुक्खू ने सरकार गिराने के लिए षड़यंत्र रचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात को दोहराया। फाइव- सेवन स्टार होटलों में ठहराया, हेलिकॉप्टर से बागियों को ले गए आशीष शर्मा और चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा पर आरोप है कि इन्होंने सरकार को गिराने के लिए विधायकों के फाइव से सेवन स्टार होटलों में ठहराने की व्यवस्था की और हेलीकाप्टर से बागी विधायकों को ले जाने में मदद की। अब चैतन्य को भी इस केस में जांच के लिए तलब किया गया है। चैतन्य के रिटायर IAS पिता पर ये आरोप पुलिस को दी शिकायत आरोप लगाया गया कि गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उत्तराखंड में चीफ सेक्रेटरी के पद पर रहे हैं। उन्होंने सरकार गिराने के लिए षड़यंत्र रचा है। इसी मामले में आशीष और राकेश शर्मा केस को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट के बाद क्रॉस वोट देने वाले विधायक करीब एक महीने तक प्रदेश से बाहर चंडीगढ़, उत्तराखंड और गुड़गांव में रहे। एक जगह से दूसरे स्थान पर ये विधायक हेलिकॉप्टर से लाए व ले जाए गए।
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर 4 दिन बर्फबारी:दारचा-सरचू से हटाए चेक पोस्ट; मैदानी व मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में साफ रहेगा मौसम
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर 4 दिन बर्फबारी:दारचा-सरचू से हटाए चेक पोस्ट; मैदानी व मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में साफ रहेगा मौसम हिमाचल प्रदेश के अधिक ऊंचे क्षेत्रों में आज मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार से वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो रहा है। इसका असर किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा, कुल्लू और कांगड़ा के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नजर आ सकता है। मौसम विभाग (IMD) की माने तो वेस्टर्न डिस्टरबेंस कमजोर है। इससे अच्छी बर्फबारी के कम आसार है। मगर अधिक ऊंचे इलाकों में अगले चार दिन तक हल्का हिमपात हो सकता है। मगर अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ की हल्की सफेद चादर बिछ सकती है। सरचू-दारचा से हटाए चेक पोस्ट मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए लाहौल स्पीति पुलिस ने सरचू और दारचा से चेक-पोस्ट हटा दिए है। इन दोनों जगह बंद करके जिस्पा में चेक पोस्ट लगाया गया है,जहां पर पुलिस के जवान दिन रात तैनात रहेंगे। दरअसल, अधिक ऊंचाई के कारण सरचू और दारचा में अचानक बर्फ गिर जाती है और इससे ऊंचे क्षेत्र जिला मुख्यालय और कुल्लू से पूरी तरह कट जाते है। इसलिए जिस्पा में चेक पोस्ट लगाकर पर्यटकों और स्थानीय लोगों को ऊंचे क्षेत्रों में जाने से रोका जाएगा। मैदानी व मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में नहीं टूटेगा दो महीने का ड्राइ स्पेल वहीं प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में दो महीने का ड्राइ स्पेल टूटने के आसार नहीं है। ऊंचे पहाड़ों पर अगले 96 घंटे तक बेशक बर्फबारी का पूर्वानुमान है। मगर मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में धूप खिली रहेगी। इन क्षेत्रों अगले दो सप्ताह तक अच्छी बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। शिमला में भी आज सुबह से ही अच्छी धूप खिली हुई है। बिलासपुर-मंडी में धुंध का येलो अलर्ट बिलासपुर और मंडी जिला के कुछेक क्षेत्रों में अगले तीन दिन तक घनी धुंध छाने का येलो अलर्ट दिया गया है। इससे विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम हो जाएगी। इसे देखते हुए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। किसानों-बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर मार प्रदेश में ड्राइ स्पेल की वजह से सूखे जैसे हालात बन गए है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों, बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है। अब पानी के स्त्रोत भी सूखने लगे है। सूखे की मार से 63 प्रतिशत जमीन पर किसान गेंहू की बुवाई नहीं कर पाए। प्रदेश में गेंहू की फसल 3.26 लाख हैक्टेयर भूमि पर होती थी। बुवाई नहीं होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा। इसी तरह अब सेब के बगीचों पर सूखे के कारण संकट मंडरा रहा है। वूलि एफिड नाम का कीट सेब बगीचों पर हमला बोल चुका है। इससे बचाव के लिए बर्फबारी बेहद जरूरी है।
हिमाचल की डल झील एक साल से सूखी:क्लाइमेट चेंज वजह; संवारने को फंड मिला, लेकिन काम नहीं हुआ
हिमाचल की डल झील एक साल से सूखी:क्लाइमेट चेंज वजह; संवारने को फंड मिला, लेकिन काम नहीं हुआ क्लाइमेट चेंज से तापमान बढ़ने के चलते हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के धर्मशाला में मैक्लोडगंज स्थित डल झील सूख चुकी है। कभी शीशे जैसे निर्मल पानी में भरी रहने वाली झील का अस्तित्व आज खतरे में है। हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक मैक्लोडगंज की डल झील अनदेखी के चलते पूरी तरह से सूख गयी है। राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता के चलते झील की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। विभिन्न विभागों द्वारा करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने के बावजूद भी इसका स्वरूप नहीं बदला गया। डल झील में 2011 से हो रहा रिसावडल झील से लगातार हो रहे पानी के रिसाव से कृत्रिम झील में पानी न के बराबर होने से गाद उभर आई है। पिछले कुछ वर्षों से सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन का मुंह ताक रही डल झील अंतिम सांसे ले रही है। सौंदर्यीकरण को लेकर ग्रामीण विकास विभाग भी विभागीय कार्यप्रणाली को कोस रहा है। मैक्लोडगंज आने वाले पर्यटकों के लिए भी ऐतिहासिक डल झील मात्र सफेद हाथी बनकर रह गई है। 2011 में निकाला गया था गाद
इससे पहले 2013, 2017, 2019, 2020, 2021 और नवंबर 2022 में भी झील में रिसाव हो चुका है। बता दें कि आसपास के पहाड़ों की गाद ने इसकी गहराई कम कर दी थी। झील का लगभग आधा क्षेत्र गाद से भरा हुआ है, जिसे घास के मैदान में बदल दिया गया है। झील से गाद निकालने के लिए 2011 में स्थानीय लोगों की मदद से एक बड़ा अभियान शुरू किया गया था। गाद का उपयोग मंदिर क्षेत्र के पास पार्किंग बनाने के लिए किया गया था। तब से झील तेजी से सूख रही है। क्लाइमेट चेंज झील के सूखने का मुख्य कारण
क्लाइमेट चेंज से तापमान बढ़ता है, जिससे वाष्पीकरण की दर बढ़ती है और झीलों का स्तर कम होता जाता है। ग्लोबल वार्मिंग से बारिश का मौसम छोटा हो गया है। अध्ययन में पाया गया कि क्लाइमेट चेंज झीलों के सूखने का मुख्य कारण है जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता है, वाष्पीकरण दर बढ़ती है, जिससे झीलों का स्तर कम होता जाता है। झीलों के सूखने से जैव विविधता का भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां जलीय वातावरण में रहने के लिए अनुकूलित होती हैं। क्या कहते हैं स्थानीय पर्यावरण प्रेमी…
काल्डेन चोफेल का कहना है कि दुनिया भर में ग्लेशियर, झीलें, नदियां सूख रही हैं और इसके परिणाम अकल्पनीय हैं। बचपन के दिनों से हम झील को उफनते और जीवन से भरपूर देखते थे। यह कल्पना करना दर्दनाक है कि यह पर्यटन स्थल नहीं बल्कि इसके आसपास के सभी वन्य जीवन के लिए है। तेंजिन थिनले का कहना है कि यह डल लेक नहीं अब यह सूखी लेक है। सोनम त्सेरिंग ने कहा कि अधिकारियों की उपस्थिति में शाहपुर के विधायक ने 12 सितंबर को सार्वजनिक रूप से कहा था कि डल महोत्सव के बाद त्वरित जीर्णोद्धार परियोजना शुरू होगी। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ और पानी छोड़ने और मछलियों को उसमें स्थानांतरित करने के लिए दो तालाब बनाने के अलावा कुछ भी नहीं किया। एक तरह से, ऐसा लगता है कि सभी बदकिस्मत मछलियां अपने पिछले जन्म में संचित अपने पाप कर्मों को पूरा करने या दूर करने के लिए इस डल झील में पैदा हुई हैं। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि ऐतिहासिक डल लेक के सौंदर्यीकरण तथा पानी के रिसाव को रोकने के लिए डेढ़ महीने के भीतर डीपीआर तैयार की जाएगी। इस के लिए लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावाद ने निरीक्षण के दौरान डल लेक के पानी के रिसाव की समस्या गहनता से अध्ययन किया है तथा जिला प्रशासन, वन विभाग, आईपीएच विभाग के अधिकारियों को सुझाव भी दिए हैं। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डल लेक के सौंदर्यीकरण और संरक्षण के लिए कारगर कदम उठाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं जिसके चलते ही लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावाद को डल लेक के निरीक्षण के लिए सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया है।