हिमाचल प्रांत के प्रथम संघचालक पंडित जगन्नाथ शर्मा का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ही देहदान की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद जगन्नाथ शर्मा का परिवार उनकी देह लेकर एम्स अस्पताल बिलासपुर पहुंचा और यहां पर देह-दान किया। इससे पहले उनके परिजनों ने अंग दान से संबंधित औपचारिकताएं पूरी की। जगन्नाथ शर्मा ने अपनी पूरा जीवन संघ कार्य को समर्पित किया। पंडित जगन्नाथ शर्मा का जन्म 27 जून 1927 को बिलासपुर के अमरपुर गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा शिमला के सर बटलर हाई स्कूल (वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय) में की। उन्होंने 1944 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और 1946 में डीएवी कॉलेज लाहौर से विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की। 1941 में संघ से जुड़े पंडित शर्मा ने अपने जीवनकाल में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। 1958 में गुरदासपुर जिला के संघचालक और 1960 में अमृतसर विभाग के संघचालक बने। उनकी सेवाएं हिमगिरी प्रांत के संघचालक और 2000 में हिमाचल प्रांत के प्रथम संचालक बने। भारत विभाजन के दौरान लाहौर में कर रहे थे पढ़ाई भारत विभाजन के दौरान पंडित शर्मा लाहौर में अध्ययनरत थे। उन्होंने संघ की पंजाब रिलीफ कमेटी के माध्यम से विस्थापित हिंदुओं को सुरक्षित भारत लाने में अहम भूमिका निभाई। यह कमेटी संघ प्रचारक हुकूमत राय की देखरेख में कार्यरत थी। 10 जुलाई 2023 को देहदान का संकल्प लिया 10 जुलाई 2023 को उन्होंने एम्स जाकर देहदान का संकल्प लिया था। उनका यह कदम समाज के प्रति उनकी सेवा भावना को दर्शाता है। पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा पंडित जगन्नाथ शर्मा जैसे महान व्यक्तित्व कम ही मिलते हैं। उनका जीवन समाज और देश के लिए समर्पित रहा। उनके बेटे संदीप ने बताया पिताजी ने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी। उनकी शिक्षाएं और आदर्श हमारे जीवन का मार्गदर्शन करेंगे। पंडित जगन्नाथ शर्मा का जीवन और योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। हिमाचल प्रांत के प्रथम संघचालक पंडित जगन्नाथ शर्मा का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ही देहदान की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद जगन्नाथ शर्मा का परिवार उनकी देह लेकर एम्स अस्पताल बिलासपुर पहुंचा और यहां पर देह-दान किया। इससे पहले उनके परिजनों ने अंग दान से संबंधित औपचारिकताएं पूरी की। जगन्नाथ शर्मा ने अपनी पूरा जीवन संघ कार्य को समर्पित किया। पंडित जगन्नाथ शर्मा का जन्म 27 जून 1927 को बिलासपुर के अमरपुर गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा शिमला के सर बटलर हाई स्कूल (वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय) में की। उन्होंने 1944 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और 1946 में डीएवी कॉलेज लाहौर से विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की। 1941 में संघ से जुड़े पंडित शर्मा ने अपने जीवनकाल में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। 1958 में गुरदासपुर जिला के संघचालक और 1960 में अमृतसर विभाग के संघचालक बने। उनकी सेवाएं हिमगिरी प्रांत के संघचालक और 2000 में हिमाचल प्रांत के प्रथम संचालक बने। भारत विभाजन के दौरान लाहौर में कर रहे थे पढ़ाई भारत विभाजन के दौरान पंडित शर्मा लाहौर में अध्ययनरत थे। उन्होंने संघ की पंजाब रिलीफ कमेटी के माध्यम से विस्थापित हिंदुओं को सुरक्षित भारत लाने में अहम भूमिका निभाई। यह कमेटी संघ प्रचारक हुकूमत राय की देखरेख में कार्यरत थी। 10 जुलाई 2023 को देहदान का संकल्प लिया 10 जुलाई 2023 को उन्होंने एम्स जाकर देहदान का संकल्प लिया था। उनका यह कदम समाज के प्रति उनकी सेवा भावना को दर्शाता है। पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा पंडित जगन्नाथ शर्मा जैसे महान व्यक्तित्व कम ही मिलते हैं। उनका जीवन समाज और देश के लिए समर्पित रहा। उनके बेटे संदीप ने बताया पिताजी ने हमेशा समाज सेवा को प्राथमिकता दी। उनकी शिक्षाएं और आदर्श हमारे जीवन का मार्गदर्शन करेंगे। पंडित जगन्नाथ शर्मा का जीवन और योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल: राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन ट्रांसफर की इजाजत:धार्मिक संस्था के आगे झुकी सरकार; बदला लैंड सीलिंग एक्ट, राष्ट्रपति को भेजा जाएगा
हिमाचल: राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन ट्रांसफर की इजाजत:धार्मिक संस्था के आगे झुकी सरकार; बदला लैंड सीलिंग एक्ट, राष्ट्रपति को भेजा जाएगा हिमाचल प्रदेश में राधा स्वामी सत्संग ब्यास को 30 एकड़ जमीन सहयोगी संस्था के नाम ट्रांसफर करने की इजाजत मिल गई है। धार्मिक संस्था के दबाव में हिमाचल सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदल डाला है। दूसरी धार्मिक संस्थाएं भी 30 एकड़ तक जमीन ट्रांसफर कर पाएगी। कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 को पारित कर दिया है। इसमें सरकार ने एक्ट की 5(आई) में छूट देने का फैसला लिया है। विधानसभा में पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी को भेजा जाएगा। इसके बाद छूट मिल पाएगी। 1972 में बने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के बाद चैरिटी के लिए 30 एकड़ जमीन पर बने ढांचे को हस्तांतरित किया जा सकेगा। पूर्व में लोगों द्वारा धार्मिक संस्थाओं को दान की गई जमीन को ट्रांसफर करने की इजाजत नहीं थी। ऐसा करने से जमीन सरकार में वेस्ट (निहित) हो जाती थी। कांग्रेस सरकार ने संशोधन के उद्देश्यों में स्पष्ट किया कि सत्संग ब्यास संस्था धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करने वाला संगठन है। इसने राज्य में नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं। हिमाचल के हमीरपुर जिला के भोटा में इस संस्था ने एक अस्पताल भी बना रखा है, यहां स्थानीय लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही है। सत्संग ब्यास के पास सीलिंग से ज्यादा जमीन इस संस्था के पास लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन है, जिसे लैंड सीलिंग एक्ट के तहत छूट दी गई है। सत्संग ब्यास कई बार सरकार से अनुरोध कर चुका है कि उसे भोटा चैरिटेबल अस्पताल की भूमि और भवन को चिकित्सा सेवाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए सहयोगी संस्था जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को हस्तांतरित करने की अनुमति दी जाए। मगर 1972 के एक्ट 5 की उप धारा 5(आई) इसके आड़े आ रही थी। राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करके हस्तांतरण की इजाजत दे दी है। जाने क्या है पूरा मामलां हिमाचल में राधा स्वामी सत्संग ब्यास सहित दूसरी धार्मिक संस्थाओं को लोगों ने सैकड़ों बीघा जमीन दान कर रखी है। कायदे से यह जमीन 1972 के लैंड सीलिंग एक्ट के तहत सरकार में वेस्ट होनी थी। 1972 में सैकड़ों बीघा जमीन सरकार में वेस्ट हुई 1972 में जब लैंड सीलिंग एक्ट बना तो उसके बाद जिस व्यक्ति या परिवार के पास पानी वाली 50 बीघा से ज्यादा जमीन, एक फसल देने वाली 75 बीघा से अधिक, बगीचा वाली 150 बीघा जमीन तथा ट्राइबल एरिया में जिसके पास 350 बीघा से ज्यादा जमीन थी, उनकी वजह से जमीन सरकार में वेस्ट हो गई। इससे राजा-रजवाड़ाओं, देवी देवताओं, बड़े बड़े साहुकारों की सैकड़ों बीघा जमीन सरकार में वेस्ट हो गई। धार्मिक संस्थाओं, पावर प्रोजेक्ट, उद्योगों, चाय के बागानों के अलावा राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों, स्थानीय निकायों, की जमीन को सीलिंग से छूट दी गई है। हिमाचल की पूर्व वीरभद्र सरकार ने प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट 1972 में साल 2014 में संशोधन कर इसमें इसकी धारा 5 में उप धारा 5(आई) को जोड़ा। इस शर्त से धार्मिक संस्थाएं तिलमिला गई, क्योंकि 5(आई) की वजह से धार्मिक संस्थाएं न तो दान की जमीन बेच सकती है, न गिफ्ट कर सकती है और न ही सोयाइटी के नाम जमीन ट्रांसफर कर सकती है। यदि धार्मिक संस्था द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह जमीन सरकार में निहित (वेस्ट) हो जाएगी। कुछ संस्थाएं अब दान की जमीन बेचकर मोटा मुनाफा कमाना चाह रही है। इसलिए समय समय पर एक्ट को बदलने का दबाव बनता रहा। पूर्व की जयराम सरकार ने भी इस एक्ट को बदलने की कोशिश की। मगर तब विपक्ष में कांग्रेस ने इसका विरोध किया और इसे हिमाचल बेचने जैसा प्रयास बताया। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार पर भी राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने इसका दबाव डाला। यही नहीं सत्संग ब्यास ने भोटा अस्पताल को बंद करने की चेतावनी दी। इसके बाद हमीरपुर में लोग सड़कों पर उतरे। तब मुख्यमंत्री सुक्खू में एक्ट बदलने का भरोसा दिया। सीलिंग से ज्यादा जमीन को किया गया सील प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. वाइएस परमार ने 1972 में हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट इसलिए बनाया था, ताकि भूमि के व्यक्तिगत उपयोग की सीमा तय की जा सके। यह भू-सुधारों में सबसे बड़ा कदम था। इसमें बोनाफाइड हिमाचलियों के लिए भी लैंड होल्डिंग की सीमा निर्धारित की गई। इस कानून को बेक डेट यानी 1971 से लागू किया गया, क्योंकि जब लोगों को पता चला कि सरकार सीलिंग एक्ट बनाने जा रही है तो कुछ लोगों ने जमीन को एक दूसरे के नाम ट्रांसफर कर सीलिंग से बचने की कोशिश की।