मोहन भागवत के बयान पर संत-समाज में नाराजगी, कहा- ‘संघ प्रमुख सार्वजनिक तौर पर मांगें माफी’

मोहन भागवत के बयान पर संत-समाज में नाराजगी, कहा- ‘संघ प्रमुख सार्वजनिक तौर पर मांगें माफी’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> उत्तर प्रदेश की सियासत में बीते कुछ दिनों से मंदिर-मस्जिद का मुद्दा गरमाया हुआ है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान से एक बार फिर सूबे की सियासत पर उफान आ गया है. प्रयागराज के महाकुंभ (Mahakumbha 2025) में आए हुए संत महात्माओं ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर गहरी नाराजगी जताई है, जिसमें उन्होंने मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजे जाने को गलत बताया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में आए हुए संत महात्माओं का कहना है कि संघ प्रमुख भागवत का यह बयान कतई सही नहीं है. उन्हें अपने इस बयान को तुरंत वापस लेना चाहिए. मंदिर में जाकर पश्चाताप करते हुए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी चाहिए. संत महात्माओं का कहना है कि मोहन भागवत का बयान पूरी तरह से गलत है. अगर हमारे आस्था के मंदिरों पर कब्जा कर और उन्हें तोड़कर वहां मस्जिदे बना ली गई थी, उसके बारे में पता लगाना और आवाज उठाना कतई गलत नहीं है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संघ प्रमुख के बयान पर संतों ने जताई आपत्ति</strong><br />संतो के मुताबिक अगर कुछ लोग नेता बनने की वजह से भी अपने खोए हुए मंदिरों को खोज रहे हैं, तो उसमें मोहन भागवत को आपत्ति क्यों हो रही है. संघ की स्थापना भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हुई थी. मोहन भागवत का यह बयान भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में रुकावट पैदा करने वाला है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा कि, राम मंदिर तो हिंदुओं के लिए एक आस्था का विषय था, हिंदुओं का विश्वास था और <a title=”राम मंदिर” href=”https://www.abplive.com/topic/ram-mandir” data-type=”interlinkingkeywords”>राम मंदिर</a> बनना ही चाहिए लेकिन ऐसा हो जाने से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता. सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर व्याख्यान देते हुए संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/bareilly-250-years-old-temple-freed-from-occupation-hindu-organizations-hoisted-saffron-flag-ann-2846348″>बरेली में 250 साल पुराना मंदिर हुआ कब्जा मुक्त, हिंदू संगठनों ने लहराया भगवा झंड़ा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News:</strong> उत्तर प्रदेश की सियासत में बीते कुछ दिनों से मंदिर-मस्जिद का मुद्दा गरमाया हुआ है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान से एक बार फिर सूबे की सियासत पर उफान आ गया है. प्रयागराज के महाकुंभ (Mahakumbha 2025) में आए हुए संत महात्माओं ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर गहरी नाराजगी जताई है, जिसमें उन्होंने मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजे जाने को गलत बताया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाकुंभ में आए हुए संत महात्माओं का कहना है कि संघ प्रमुख भागवत का यह बयान कतई सही नहीं है. उन्हें अपने इस बयान को तुरंत वापस लेना चाहिए. मंदिर में जाकर पश्चाताप करते हुए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी चाहिए. संत महात्माओं का कहना है कि मोहन भागवत का बयान पूरी तरह से गलत है. अगर हमारे आस्था के मंदिरों पर कब्जा कर और उन्हें तोड़कर वहां मस्जिदे बना ली गई थी, उसके बारे में पता लगाना और आवाज उठाना कतई गलत नहीं है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संघ प्रमुख के बयान पर संतों ने जताई आपत्ति</strong><br />संतो के मुताबिक अगर कुछ लोग नेता बनने की वजह से भी अपने खोए हुए मंदिरों को खोज रहे हैं, तो उसमें मोहन भागवत को आपत्ति क्यों हो रही है. संघ की स्थापना भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हुई थी. मोहन भागवत का यह बयान भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में रुकावट पैदा करने वाला है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा कि, राम मंदिर तो हिंदुओं के लिए एक आस्था का विषय था, हिंदुओं का विश्वास था और <a title=”राम मंदिर” href=”https://www.abplive.com/topic/ram-mandir” data-type=”interlinkingkeywords”>राम मंदिर</a> बनना ही चाहिए लेकिन ऐसा हो जाने से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता. सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर व्याख्यान देते हुए संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है.</p>
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