हरियाणा में करनाल के एसडीएम कार्यालय की पारदर्शिता वाली कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। एसडीएम कार्यालय में गाड़ी मालिक की मौजूदगी के बिना ही न सिर्फ एनओसी जारी कर दी, बल्कि गाड़ी की ओरिजिनल आरसी किसी ओर व्यक्ति के हवाले कर दी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि गाड़ी मालिक के पास 2021 से गाड़ी ही नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब मालिक के पास गाड़ी ही नहीं है, उसके बावजूद भी आरसी और एनओसी कैसे जारी हो गई। एसडीएम कार्यालय में चल रहे इस फर्जीवाड़े की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 2021 से गाड़ी नहीं है मालिक के पास करनाल के गांव शामगढ़ निवासी राजीव कुमार ने 2021 में एक गाड़ी खरीदी थी। जिसका नंबर और रजिस्ट्रेशन दिल्ली का था। गाड़ी खरीद के बाद करनाल के एसडीएम ऑफिस से नया रजिस्ट्रेशन लिया गया, लेकिन आरसी उसी ऑफिस में डिपॉजिट थी। इसके बाद दिल्ली नंबर की प्लेट जमा करवाकर नई नंबर प्लेट और आरसी जारी होनी थी, लेकिन गाड़ी बेचने वाले ने उसे न तो गाड़ी वापिस दी और न ही उसके पैसे वापिस किए। उसने कई बार गाड़ी मालिक से पैसे वापिस लेने की कोशिश की, लेकिन वह उसे टरकाता रहा। जिससे परेशान होकर पीड़ित ने तरावडी थाना में आरोपी के खिलाफ शिकायत कर दी थी। तीन साल से उसके पास गाड़ी ही नहीं है। गाड़ी के एनओसी और आरसी जारी होने का खुलासा राजीव कुमार ने बताया कि बीती 22 अक्टूबर को ट्रेफिक पोर्टल के जरिए उसे गाड़ी की एनओसी और आरसी जारी होने की जानकारी मिली। जब उसे पता चला कि गाड़ी की असल आरसी भी बीते जून माह में किसी अनजान व्यक्ति को सौंप दी गई, तो वे हैरान रह गया। राजीव का कहना है कि नियमों के अनुसार, गाड़ी की आरसी असली ऑनर को भेजी जानी चाहिए थी। नियमों को दिखाया गया ठेंगा पीड़ित ने अपनी शिकायत में बताया कि गाड़ी की एनओसी जारी करने के लिए एसडीएम ऑफिस में फिजिकल वैरिफिकेशन और असल मालिक का हाजिर होना कंपलसरी है। साथ ही, एनओसी की फाइल भी मालिक द्वारा खुद ही पेश की जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ, नियमों को ठेंगा दिखाकर धांधली की गई है। जिसके बाद राजीव ने बीती 23 अक्तूबर को एसडीएम कार्यालय में शिकायत दी। पुलिस जुटी जांच में सिविल लाइन थाना के जांच अधिकारी सुंदर ने बताया कि राजीव द्वारा एक शिकायत दी गई है। शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। जैसे भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुरूप आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हरियाणा में करनाल के एसडीएम कार्यालय की पारदर्शिता वाली कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। एसडीएम कार्यालय में गाड़ी मालिक की मौजूदगी के बिना ही न सिर्फ एनओसी जारी कर दी, बल्कि गाड़ी की ओरिजिनल आरसी किसी ओर व्यक्ति के हवाले कर दी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि गाड़ी मालिक के पास 2021 से गाड़ी ही नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब मालिक के पास गाड़ी ही नहीं है, उसके बावजूद भी आरसी और एनओसी कैसे जारी हो गई। एसडीएम कार्यालय में चल रहे इस फर्जीवाड़े की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 2021 से गाड़ी नहीं है मालिक के पास करनाल के गांव शामगढ़ निवासी राजीव कुमार ने 2021 में एक गाड़ी खरीदी थी। जिसका नंबर और रजिस्ट्रेशन दिल्ली का था। गाड़ी खरीद के बाद करनाल के एसडीएम ऑफिस से नया रजिस्ट्रेशन लिया गया, लेकिन आरसी उसी ऑफिस में डिपॉजिट थी। इसके बाद दिल्ली नंबर की प्लेट जमा करवाकर नई नंबर प्लेट और आरसी जारी होनी थी, लेकिन गाड़ी बेचने वाले ने उसे न तो गाड़ी वापिस दी और न ही उसके पैसे वापिस किए। उसने कई बार गाड़ी मालिक से पैसे वापिस लेने की कोशिश की, लेकिन वह उसे टरकाता रहा। जिससे परेशान होकर पीड़ित ने तरावडी थाना में आरोपी के खिलाफ शिकायत कर दी थी। तीन साल से उसके पास गाड़ी ही नहीं है। गाड़ी के एनओसी और आरसी जारी होने का खुलासा राजीव कुमार ने बताया कि बीती 22 अक्टूबर को ट्रेफिक पोर्टल के जरिए उसे गाड़ी की एनओसी और आरसी जारी होने की जानकारी मिली। जब उसे पता चला कि गाड़ी की असल आरसी भी बीते जून माह में किसी अनजान व्यक्ति को सौंप दी गई, तो वे हैरान रह गया। राजीव का कहना है कि नियमों के अनुसार, गाड़ी की आरसी असली ऑनर को भेजी जानी चाहिए थी। नियमों को दिखाया गया ठेंगा पीड़ित ने अपनी शिकायत में बताया कि गाड़ी की एनओसी जारी करने के लिए एसडीएम ऑफिस में फिजिकल वैरिफिकेशन और असल मालिक का हाजिर होना कंपलसरी है। साथ ही, एनओसी की फाइल भी मालिक द्वारा खुद ही पेश की जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ, नियमों को ठेंगा दिखाकर धांधली की गई है। जिसके बाद राजीव ने बीती 23 अक्तूबर को एसडीएम कार्यालय में शिकायत दी। पुलिस जुटी जांच में सिविल लाइन थाना के जांच अधिकारी सुंदर ने बताया कि राजीव द्वारा एक शिकायत दी गई है। शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। जैसे भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुरूप आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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भाजपा के 21 उम्मीदवारों का एनालिसिस:टिकट बंटवारे में RSS का दबदबा, खट्टर को झटका; एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए गढ़ में चेहरे बदले
भाजपा के 21 उम्मीदवारों का एनालिसिस:टिकट बंटवारे में RSS का दबदबा, खट्टर को झटका; एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए गढ़ में चेहरे बदले हरियाणा चुनाव के लिए BJP ने 21 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में पार्टी का सर्वे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का फीडबैक सबसे दमदार रहा। यह जिनके पक्ष में था, उन्हें हारने के बावजूद टिकट मिला। इनमें 4 बड़े चेहरे शामिल हैं। जिनके खिलाफ रहा, उनके मंत्री या सिटिंग विधायक होने पर भी पार्टी ने टिकट काट दिया। मंत्री डॉ. बनवारी लाल हों या सीमा त्रिखा, इनके समेत 7 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं मिला। इस लिस्ट में भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को खुश करने की कोशिश की। इस बार उनके विरोध पर 2 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया। पहले जारी 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में उनके विरोध काे दरकिनार कर उनके 4 कट्टर विरोधियों को टिकट दिया गया था। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी हाईकमान ने झटका दिया है। उनके विरोध के बावजूद पटौदी से बिमला चौधरी को टिकट दिया गया। 2019 में खट्टर ने टिकट कटवा दिया था। इस बार राव की सिफारिश चल गई। खट्टर के करीबी रहे विधायक बनवारी लाल और सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काट दिया गया। अहीरवाल बेल्ट वाली दक्षिण हरियाणा में अपने गढ़ में भाजपा हाईकमान ने जमकर उलटफेर किया। यहां भाजपा ने 5 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया। इस लिस्ट में भाजपा ने एक मुस्लिम नेता का टिकट भी काट दिया। जिन 2 मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताया, वहां मुस्लिम वोट बैंक के दूसरे वर्ग से बड़ा होने की मजबूरी रही। एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए 14 नए चेहरे उतार दिए। जीटी रोड बेल्ट में भी नए चेहरों को मौका देने से गुरेज नहीं किया। विधायकों के टिकट काटने के कारण जातीय समीकरण ऐसे साधा… लोकसभा में नाराजगी देख सबसे ज्यादा SC चेहरों को टिकट
इस लिस्ट में सबसे ज्यादा 4 उम्मीदवार SC वर्ग से हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाट के बाद सबसे ज्यादा एससी वर्ग से ही नुकसान हुआ। ऐसे में कृष्ण कुमार बेदी, बिमला चौधरी को दोबारा से टिकट दिया गया है। 2019 में कृष्ण बेदी पिछला चुनाव हार गए थे और बिमला चौधरी का पार्टी ने टिकट काट दिया था। जबकि एससी वर्ग से ही आने वाले स्वास्थ्य विभाग में निदेशक पद से एक दिन पहले नौकरी छोड़ने वाले डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट दिया है। होडल से हरिंदर सिंह रामरतन को मैदान में उतारा है। नाराज जाटों के 3 चेहरे, OBC पर फोकस करते हुए 3 उम्मीदवार उतारे
दूसरी लिस्ट में जाट और OBC समाज से 3-3 कैंडिडेट उतारे गए हैं। लोकसभा चुनाव में ओबीसी बड़ा मुद्दा बना हुआ था। जाट पहले से ही बीजेपी से नाराज थे। ऐसे में दोनों लिस्ट में सबसे ज्यादा उम्मीदवार इन दोनों ही समाज से उतारे गए हैं। जाट वर्ग से राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान और जुलाना से योगेश बैरागी को टिकट दिया है। वहीं ओबीसी वर्ग से पवन सैनी, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव को दोबारा मौका दिया गया। पुंडरी से सतपाल जांबा को टिकट दिया है। पंजाबी वोट बैंक, इनकार करने पर भी ग्रोवर को टिकट दिया
पंजाबी वोटरों के लिहाज से मनीष ग्रोवर, अमीर चंद मेहता, धनेश अदलखा को उतारा गया हैं। इनमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को रोहतक से हार के बाद भी मौका दिया गया। ग्रोवर पहले चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे थे। पंजाबी वोट बैंक वाली सीट पर ब्राह्मण चेहरा
बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक कहे जाने वाले ब्राह्मणों को दूसरी लिस्ट में भी साधने की कोशिश की गई। पिहोवा सीट पर कवलजीत सिंह का पाकिस्तानी आर्मी के साथ फोटो वायरल होने के बाद यहां ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जयभगवान शर्मा को टिकट दिया है। पिछली बार यहां पर संदीप सिंह को उतारा था। खेल मंत्री बनने के बाद महिला कोच से विवाद के चलते उनका टिकट काटा गया। नूंह से मुस्लिम नेता का टिकट काटा, हिंदू नेता उतारा
मुस्लिम समुदाय का एक टिकट इस बार भाजपा ने काट दिया। फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद और पुन्हाना से ऐजाज खान को टिकट दिया, लेकिन नूंह से जाकिर हुसैन का टिकट काट दिया। 2023 में नूंह हिंसा के बाद नूंह की सीट से भाजपा ने हिंदू उम्मीदवार संजय सिंह को उतारा है। पंजाब से सटी सीटें, सिख-पंजाबी को टिकट
डबवाली में सिख और ऐलनाबाद में पंजाबी चेहरा उतारा है। यह दोनों सीटें पंजाब से सटी हुई हैं। जहां ज्यादातर पंजाबी और सिख वोट बैंक है। इसके जरिए भाजपा ने उस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। जुलाना में जाट चेहरे विनेश के खिलाफ ओबीसी चेहरा उतारा
जुलाना सीट पर रेसलर विनेश फोगाट के खिलाफ भी भाजपा ने सावधानी से जातीय कार्ड खेला है। विनेश जाट कम्युनिटी से हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने ओबीसी वर्ग से कैप्टन योगेश बैरागी को टिकट दिया है। यहां विनेश के आने के बाद जाट एकतरफा होने के संकेत हैं, ऐसे में भाजपा बाकी जातियों को साधना चाहती है। वहीं विनेश फोगाट के प्रति पेरिस ओलिंपिक में डिसक्वालिफिकेशन के बाद बने सहानुभूति के माहौल को कम करने की भी कोशिश की है। दरअसल, योगेश बैरागी भी एयर इंडिया के कैप्टन रहते कोरोना काल में लोगों की जान बचाने के लिए काम किया है। क्षेत्रीय समीकरण को ऐसे साधा 1. मजबूत वोट बैंक वाले जीटी बेल्ट में ज्यादा नए चेहरे उतारे
भाजपा का कोर वोट बैंक शहरी माना जाता है। हरियाणा में सोनीपत से लेकर अंबाला तक जीटी रोड बेल्ट की करीब 30 सीटें हैं। दूसरी लिस्ट में यहां 4 नए चेहरे और एक पुराने चेहरे को फिर से शामिल किया हैं। इस बेल्ट में फिर से संगठन और RSS के फीडबैक के साथ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की पैरवी काम कर गई। यहां भाजपा ने एंटी इनकंबेंसी से बचने की कोशिश की है। 2. दक्षिणी हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट पर ज्यादा टिकट काटे
भाजपा ने इस बार दक्षिणी हरियाणा की 23 सीटों पर ज्यादा फोकस किया है। दूसरी लिस्ट में भी यहां से सबसे ज्यादा पांच विधायकों का टिकट काट दिया गया। इनमें 2 कैबिनेट मंत्री तक शामिल हैं। जबकि एक राज्यमंत्री को नूंह में शिफ्ट कर दिया गया। यहां की सिर्फ एक सीट महेंद्रगढ़ को होल्ड पर रखा गया है। जब 2014 में भाजपा यहां से 11 सीटें जीती थी तो पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। 2019 में भाजपा यहां सिर्फ 8 सीटें ही जीत पाई तो सरकार बहुमत के 46 के आंकड़े से दूर 40 पर ही रह गई थी। RSS से जुड़े 5 चेहरों को टिकट दिया
दूसरी लिस्ट में टिकट बंटवारे को देखा जाए तो यहां राव इंद्रजीत सिंह को छोड़कर किसी व्यक्ति विशेष नेता तो तवज्जो देने की बजाय शीर्ष नेतृत्व ने संगठन और RSS के फीडबैक को तवज्जो दी है। उदाहरण के तौर पर डा. पवन सैनी और कृष्ण कुमार बेदी 2 ऐसे चेहरे हैं, जो संगठन के पुराने साथी के अलावा आरएसएस से जुड़े रहे हैं। इसके अलावा होडल में हरिंद्र सिंह रामरतन और हथीन से मनोज रावत शामिल हैं। इसके अलावा पांचवा नाम धनेश अदलखा हैं। इन तीनों ही सीटों पर सिटिंग एमएलए का टिकट काटकर संगठन और आरएसएस से जुड़े नेता को टिकट दिया गया है। पार्टी ने 2 बार प्राइवेट एजेंसी से इनका सर्वे कराया। 2 सीटों पर सर्वे रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ भी दिखी, लेकिन आरएसएस के फीडबैक में पॉजिटिव पाए जाने पर नए चेहरे होने के बावजूद उन्हें टिकट दे दिया। कैंडिडेट्स से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा में BJP के 21 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी:प्रदेश अध्यक्ष और 2 मंत्रियों के टिकट कटे, एक प्रत्याशी बदला; 2 मुस्लिम भी कैंडिडेट भाजपा की दूसरी लिस्ट के 21 प्रत्याशियों की डिटेल प्रोफाइल:विनेश फोगाट के खिलाफ कैप्टन बैरागी; गहलावत उम्रदराज, 3 बारहवीं तक पढ़े, 18 नए चेहरे हरियाणा में BJP की पहली लिस्ट जारी, 67 नाम:CM लाडवा से लड़ेंगे; 25 नए चेहरे, 8 मंत्री रिपीट, 2 मंत्री-9 विधायकों का टिकट कटा भाजपा के 67 उम्मीदवारों का एनालिसिस:हरियाणा में हारे नेताओं को भी मौका, हाईकमान का सीधा मैसेज- सभी टिकट दिल्ली से तय होंगे भाजपा की पहली लिस्ट के 67 उम्मीदवारों की डिटेल प्रोफाइल:पहली लिस्ट में 5 हारे चेहरों पर दांव, 10 दलबदलुओं को टिकट दी
विनेश को पहले से थी ओलिंपिक में गड़बड़ी की आशंका:फोगाट ने लिखा था- मुझे फंसाने की साजिश संभव, पानी में कुछ मिला सकते हैं
विनेश को पहले से थी ओलिंपिक में गड़बड़ी की आशंका:फोगाट ने लिखा था- मुझे फंसाने की साजिश संभव, पानी में कुछ मिला सकते हैं अपने वजन को लेकर पेरिस ओलिंपिक 2024 में गोल्ड मेडल की दौड़ से बाहर हुई हरियाणा की रेसलर विनेश फोगाट का पुराना बयान वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया (X) में विनेश ने संदेह जताया था कि उनके साथ पेरिस ओलिंपिक में कुछ गलत होने वाला है। उन्होंने इस पोस्ट में भारत सरकार, SAI और TOPS से कोच की मान्यता को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया था। वह अपने कोच और फिजियो की मान्यता नहीं दिए जाने को लेकर परेशान थी। इन दोनों की मान्यता को लेकर उनके द्वारा कई बार रिक्वेस्ट डाली गई, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी। इसके बाद उन्होंने इस पोस्ट के जरिए अपनी इस परेशानी को सार्वजनिक किया था। अब यहां पढ़िए विनेश ने क्यों डाली थी ये पोस्ट…
पेरिस में होने वाले ओलिंपिक से पहले 19 अप्रैल को एशियन ओलिंपिक क्वालीफाई टूर्नामेंट होने थे, इसके लिए उन्हें अपने कोच और फिजियो की मान्यता लेनी जरूरी थी। इसके लिए उनके द्वारा केंद्र सरकार, SAI, TOPS को रिक्वेस्ट डाली गई, लेकिन कोच और फिजियो की मान्यता नहीं मिली। बिना मान्यता के वह क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में किसी खिलाड़ी का शामिल होना बहुत मुश्किल होता है। पोस्ट में विनेश की कहीं 3 अहम बातें… 1. क्वालीफाई टूर्नामेंट के 8 दिन पहले डाली पोस्ट
विनेश ने 12 अप्रैल को डाली गई अपनी पोस्ट में लिखा, “19 अप्रैल को एशियन ओलम्पिक क्वालीफाई टूर्नामेंट शुरू होने जा रहा है। मेरे द्वारा लगातार एक महीने से भारत सरकार (SAI,TOPS) सभी से मेरे कोच और फिजियो की एक्रीडेशन (मान्यता) के लिए रिक्वेस्ट की जा रही है। एक्रीडेशन के बिना मेरे कोच और फिजियो का मेरे साथ कॉम्पिटिशन एरीना में जाना संभव नहीं है। लेकिन बार-बार रिक्वेस्ट करने पर भी कहीं से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा है। कोई भी मदद करने को तैयार नहीं है। क्या हमेशा ऐसे ही खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खेला जाता रहेगा। 2. बृजभूषण को लेकर लगाए कई आरोप
विनेश फोगाट ने अपनी इस पोस्ट में बृजभूषण को लेकर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने लिखा कि, “बृजभूषण और उसके द्वारा बैठाया गया डमी संजय सिंह हर तरीक़े से प्रयास कर रहे है कि कैसे मुझे ओलिंपिक्स में खेलने से रोका जा सके, जो टीम के साथ कोच लगाए गए हैं वे सभी बृजभूषण और उसकी टीम के चहेते हैं, तो इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वो मेरे मैच के दौरान मुझे मेरे पानी में कुछ मिला के ना पिला दे?? अगर मैं ऐसा कहूं कि मुझे डोप में फंसाने की साजिश हो सकती है तो गलत नहीं होगा। हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। 3. कॉम्पिटिशन को बताया था बेहद जरूरी
विनेश ने यह भी लिखा था कि, ‘इतने महत्वपूर्ण कॉम्पिटिशन से पहले ऐसे हमारे साथ मानसिक टॉर्चर कहां तक जायज़ है। क्या अब देश के लिए खेलने जाने से पहले भी हमारे साथ राजनीति ही होगी क्योंकि हमने सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ आवाज उठाई?? क्या हमारे देश में गलत के खिलाफ आवाज उठाने की यही सजा है? उम्मीद करती हूं हमें देश के लिए खेलने जाने से पहले तो न्याय मिलेगा.. जय हिंद। विनेश फोगाट की पूरी पोस्ट पढ़ें… WFI अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा- कोच-न्यूट्रिशनिस्ट ही बता पाएंगे
विनेश के अयोग्य करार दिए जाने के बाद रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा था कि इसका सही जवाब विनेश के न्यूट्रिशनिस्ट और उनके कोच ही दे पाएंगे। खाने-पीने की आदतों से जुड़े सलाह देने वाले पेशेवर व्यक्ति को न्यूट्रिशनिस्ट या आहार विशेषज्ञ कहते हैं। विनेश 50 किलोग्राम वर्ग के इवेंट में फाइनल में पहुंचीं थीं, लेकिन मुकाबले से पहले उनका वजन तय मानकों से ज्यादा पाया गया। विनेश फोगाट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…
बरवाला नप चेयरमैन बैटरीवाला ने छोड़ी BJP:पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बड़ौली और सैनी को भेजा रिजाइन, रणबीर गंगवा को टिकट देने से नाराजगी
बरवाला नप चेयरमैन बैटरीवाला ने छोड़ी BJP:पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बड़ौली और सैनी को भेजा रिजाइन, रणबीर गंगवा को टिकट देने से नाराजगी हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला नगर पालिका के चेयरमैन रमेश बैटरीवाला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना रिजाइन हरियाणा BJP अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को भेज दिया। इसमें बैटरीवाला ने लिखा है कि वह पार्टी की ओर से सौंपे गए सभी दायित्व और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। भाजपा ने इस बार बरवाला सीट से रणबीर गंगवा को कैंडिडेट बनाया है। रणबीर गंगवा अभी तक नलवा से चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें बरवाला से टिकट दिया है। गंगवा को बाहरी प्रत्याशी बताते हुए बरवाला के लोकल भाजपाई उनका विरोध कर रहे हैं। रमेश बैटरीवाला ने भी गंगवा की उम्मीदवारी से नाराज होकर पार्टी छोड़ी है। ऐसे में बरवाला में रणबीर गंगवा की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। रमेश बैटरीवाला ने पार्टी से अपने इस्तीफे की कॉपी कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा भाजपा के संगठन मंत्री को भी भेजी है। बरवाला नगर पालिका चेयरमैन रमेश बैटरीवाला की ओर से दिया गया इस्तीफा बरवाला शहर में रमेश बैटरीवाला भाजपा का मजबूत चेहरा माने जाते थे। उनका शहर में अच्छा होल्ड है और इसी वजह से वह बरवाला नगर पालिका के चेयरमैन भी बने थे। पंजाबी समुदाय से आने वाले बैटरीवाला की ओर से चुनाव के बीचोंबीच पार्टी छोड़ देने से भाजपा बैकफुट पर आ गई है। रणबीर गंगवा हिसार जिले की नलवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। 2014 और 2019 में वह भाजपा के टिकट पर नलवा से ही विधायक चुने गए थे। इस बार कुलदीप बिश्नोई के करीबी रणधीर पनिहार को एडजस्ट करने के लिए भाजपा नेतृत्व ने रणबीर गंगवा की सीट बदल दी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आरएसएस के सर्वे में नलवा में गंगवा की रिपोर्ट ठीक नहीं आना भी उनकी सीट बदलने की एक वजह रही। 40 पदाधिकारी अगस्त में ही लिख चुके पार्टी को लेटर बरवाला के भाजपाई इस सीट से किसी बाहरी नेता को टिकट देने का विरोध अगस्त से ही कर रहे हैं। बरवाला BJP के 40 वर्करों और पदाधिकारियों ने बाकायदा हरियाणा BJP के अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली को लैटर लिखकर आग्रह किया था कि यहां से किसी ऐसे शख्स को टिकट दिया जाए जो स्थानीय हो और यहां के मुद्दों की समझ रखता हो। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने इसके बावजूद रणबीर गंगवा को बरवाला से टिकट दे दिया। अब आलम ये है कि बरवाला के लोकल BJP नेता खुलकर गंगवा के साथ नहीं चल रहे। बरवाला के पूर्व विधायक वेद नारंग, कैप्टन भूपेंद्र समेत कई पदाधिकारी उनकी कैंपेन से दूरी बनाए हुए हैं। बरवाला के BJP वर्करों का तर्क है कि यहां कांग्रेस ने भी प्रजापति समाज का कैंडिडेट उतारकर मुकाबला कांटे का बना दिया है। भाजपा के जिला पार्षद दर्शन गिरी उतर चुके निर्दलीय भाजपा पर बरवाला में प्रजापति समाज की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए पार्टी के जिला पार्षद महंत दर्शन गिरी पहले ही निर्दलीय मैदान में कूद चुके हैं। रणबीर गंगवा का टिकट अनाउंस होते ही दर्शन गिरी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं, महंत दर्शन गिरी प्रजापति समाज की उपेक्षा करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी गंगवा पर लगा चुके हैं। इसके लेकर उन्होंने बाकायदा पुलिस थाने में शिकायत दे रखी है। किसान संगठनों ने 17 सितंबर को बुलाई मीटिंग
इसके अलावा किसान संगठन भी बरवाला में रणबीर गंगवा के विरोध का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने इसके लिए 17 सितंबर को एक मीटिंग बुलाई है। दरअसल बरवाला एरिया किसान आंदोलन का गढ़ रहा है। यहां के बाडोपट्टी टोल प्लाजा पर पूरे आंदोलन के दौरान धरना चला। लोकसभा चुनाव में किसानों ने हिसार सीट से BJP उम्मीदवार रणजीत चौटाला का इस इलाके में जमकर विरोध किया था। लोकसभा चुनाव में रणबीर गंगवा के पुराने हलके नलवा में भी भाजपा का विरोध हुआ था। तब उनकी गाड़ी के शीशे भी टूट गए थे। उस घटना में कई किसानों पर केस भी दर्ज हुआ।