नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) पर सख्ती बरतते हुए तलब किया है। मामला, हरियाणा की प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रियों से भारी भरकम जुर्माना लगा होने के बाद भी न वसूलने का है। मामले की शिकायत लेकर पर्यावरण प्रेमी समाजसेवी वरूण गुलाटी ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। जहां एनजीटी के आदेशों पर दोनों की ओर से उनके वकील पेश हुए। वकीलों से जब इसका जबाब मांगा तो उन्होंने पूरा गणित समझने और सही जबाब देने के लिए एक माह का समय मांगा। जिस पर एनजीटी ने समय देते हुए अगली सुनवाई 13 फरवरी 2025 की होनी सुनिश्चित की है। आरटीआई का जबाब आया तो मिले चौंकाने वाले आंकड़े वरूण गुलाटी ने बताया कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अलग-अलग समय में प्रदेश की उन इंडस्ट्रियों पर छापा गया था, जहां से प्रदूषण फैलाया जा रहा था। यहां नियमों की पूरी तरह अवहेलना मिलने पर भारी भरकम जुर्माना लगाया गया था। लेकिन बोर्ड सिर्फ जुर्माना लगाने तक सीमित रहा। जुर्माने की वसूली नहीं की गई। जिससे प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां निरंतर जारी रही। अधिकारियों की इस ओर अनदेखी की वजह पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जिसको देखते हुए उन्होंने पहले एक आरटीआई लगाई। जिसमें उन्होंने साल 2023-2024 में प्रदेश भर की इकाइयों पर की गई रेड और जुर्माना लगाने का आंकड़ा मांगा। साथ ही पूछा कि किस जिले से कितना जुर्माना वसूल लिया गया है। जैसे ही इसका जवाब उनके पास आया, तो वे देखकर हैरान हो गए। इसके बाद वे तुरंत एनजीटी पहुंचे। जहां उन्होंने इस बारे में एनजीटी को अवगत करवाया और इस पर कड़ा संज्ञान लेने की गुहार लगाई। एनजीटी ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए बोर्ड के अलावा हरियाणा सरकार से भी जबाब तलब किया है। प्रदेश की इकाइयों पर 230 करोड़ का जुर्माना पेंडिंग आरटीआई में पता लगा कि प्रदेशभर की इकाइयों पर करीब 230 करोड़ का जुर्माना पेंडिंग है। जो लंबे समय से उनसे वसूल नहीं किया गया। यहां तक कि विभाग द्वारा वसूलने के लिए कोई कड़ा कदम भी नहीं उठाया गया। इसकी सरकार के स्तर पर भी कोई सुध नहीं ली गई। प्रदूषण फैलाने में सबसे ज्यादा गुरुग्राम की इंडस्ट्रियां है। जुर्माना वसूलने के बाद नियमानुसार बोर्ड द्वारा पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए काम किए जाते हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) पर सख्ती बरतते हुए तलब किया है। मामला, हरियाणा की प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रियों से भारी भरकम जुर्माना लगा होने के बाद भी न वसूलने का है। मामले की शिकायत लेकर पर्यावरण प्रेमी समाजसेवी वरूण गुलाटी ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। जहां एनजीटी के आदेशों पर दोनों की ओर से उनके वकील पेश हुए। वकीलों से जब इसका जबाब मांगा तो उन्होंने पूरा गणित समझने और सही जबाब देने के लिए एक माह का समय मांगा। जिस पर एनजीटी ने समय देते हुए अगली सुनवाई 13 फरवरी 2025 की होनी सुनिश्चित की है। आरटीआई का जबाब आया तो मिले चौंकाने वाले आंकड़े वरूण गुलाटी ने बताया कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अलग-अलग समय में प्रदेश की उन इंडस्ट्रियों पर छापा गया था, जहां से प्रदूषण फैलाया जा रहा था। यहां नियमों की पूरी तरह अवहेलना मिलने पर भारी भरकम जुर्माना लगाया गया था। लेकिन बोर्ड सिर्फ जुर्माना लगाने तक सीमित रहा। जुर्माने की वसूली नहीं की गई। जिससे प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां निरंतर जारी रही। अधिकारियों की इस ओर अनदेखी की वजह पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जिसको देखते हुए उन्होंने पहले एक आरटीआई लगाई। जिसमें उन्होंने साल 2023-2024 में प्रदेश भर की इकाइयों पर की गई रेड और जुर्माना लगाने का आंकड़ा मांगा। साथ ही पूछा कि किस जिले से कितना जुर्माना वसूल लिया गया है। जैसे ही इसका जवाब उनके पास आया, तो वे देखकर हैरान हो गए। इसके बाद वे तुरंत एनजीटी पहुंचे। जहां उन्होंने इस बारे में एनजीटी को अवगत करवाया और इस पर कड़ा संज्ञान लेने की गुहार लगाई। एनजीटी ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए बोर्ड के अलावा हरियाणा सरकार से भी जबाब तलब किया है। प्रदेश की इकाइयों पर 230 करोड़ का जुर्माना पेंडिंग आरटीआई में पता लगा कि प्रदेशभर की इकाइयों पर करीब 230 करोड़ का जुर्माना पेंडिंग है। जो लंबे समय से उनसे वसूल नहीं किया गया। यहां तक कि विभाग द्वारा वसूलने के लिए कोई कड़ा कदम भी नहीं उठाया गया। इसकी सरकार के स्तर पर भी कोई सुध नहीं ली गई। प्रदूषण फैलाने में सबसे ज्यादा गुरुग्राम की इंडस्ट्रियां है। जुर्माना वसूलने के बाद नियमानुसार बोर्ड द्वारा पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए काम किए जाते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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