पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सभी राजनीतिक दल खरीद-फरोख्त में व्यस्त हैं। आम आदमी पार्टी को 41 सीटें मिली हैं। बता दें कि निगम में कुल 95 वार्ड हैं। निगम क्षेत्र में आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी निगम सदन के सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 48 या 51 (102 के हिसाब से) का आंकड़ा चाहिए। अगर पार्षदों की संख्या को ही माना जाए तो मेयर चुनने के लिए 48 सीटों की जरूरत है। अगर विधायकों को इसमें जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 51 हो जाता है। ऐसे में जोड़-तोड़ करके भी आप का मेयर बनता नहीं दिख रहा है। आप को रोकने के लिए कांग्रेस-भाजपा को गठबंधन करना होगा मौजूदा स्थिति के अनुसार कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं। कांग्रेस और भाजपा से एक-एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे, जो कांग्रेस और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। फिर भी कांग्रेस के पास 31 और भाजपा के पास 20 सीटें हैं। अकाली दल ने 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती हैं। आम आदमी पार्टी को मेयर की सीट तक पहुंचने से रोकने के लिए विपक्षी कांग्रेस और भाजपा गठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। 33 साल पुराना फॉर्मूला हो सकता लागू 33 साल पुराना फार्मूला फिर से मेयर बनाने के लिए दोहराया जा सकता है। कांग्रेस ने बीते दिन ही स्पष्ट कर दिया था कि वह आप को किसी सूरत में भी सर्मथन नहीं देंगे लेकिन शहर के विकास के लिए वह अन्य दलों को विकल्प के रूप में देख सकते हैं। हाईकमान से चल रही गठजोड़ को लेकर बातचीत-प्रधान धीमान उधर, भाजपा के जिला प्रधान रजनीश धीमान ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने के लिए प्रदेश हाईकमान से बातचीत चल रही है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस के साथ गठजोड़ होगा तो बीजेपी अपना मेयर बनाएगी ताकि शहर के विकास कार्यों के लिए केन्द्र से फंड लाया जा सके। जिला प्रधान तलवाड़ बोले-किसी कीमत पर नहीं देगें आप को समर्थन वहीं जिला कांग्रेस के प्रधान संजय तलवाड़ ने कहा कि ढाई साल से सत्ताधारियों ने चुनाव न करवाकर निगम पर कब्जा जमा रखा था। लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए कांग्रेस किसी कीमत पर आप को समर्थन नहीं देगी। हां हमारे पास अन्य विकल्प अभी खुले है। 1991 में हुआ था कांग्रेस और भाजपा का गठजोड़
33 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा गठजोड़ कर सकती है। साल 1991 में पहली बार नगर निगम के चुनाव हुए थे। इन चुनाव में बीजेपी को बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत नहीं मिला था। उस समय पंजाब में स्व. बेअंत सिंह की सरकार थी। दोनों दलों ने उस समय एक दूसरे को समर्थन देने का ऐलान किया था। दोनों पक्षों में इस शर्त पर गठजोड़ हुआ था कि ढाई साल भाजपा तो ढाई साल कांग्रेस का मेयर बनेगा। इस समझौते के बाद ही 12 जून 1991 में लुधियाना का पहला मेयर चुना गया था। ढाई साल चौधरी सत्य प्रकाश का कार्यकाल देखने के बाद कांग्रेस ने फैसला लिया था कि अगले ढाई साल भी वही मेयर रहेंगे। 11 जून 1996 तक यह गठजोड़ पूरे 5 साल चला। पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हुए। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सभी राजनीतिक दल खरीद-फरोख्त में व्यस्त हैं। आम आदमी पार्टी को 41 सीटें मिली हैं। बता दें कि निगम में कुल 95 वार्ड हैं। निगम क्षेत्र में आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी निगम सदन के सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 48 या 51 (102 के हिसाब से) का आंकड़ा चाहिए। अगर पार्षदों की संख्या को ही माना जाए तो मेयर चुनने के लिए 48 सीटों की जरूरत है। अगर विधायकों को इसमें जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 51 हो जाता है। ऐसे में जोड़-तोड़ करके भी आप का मेयर बनता नहीं दिख रहा है। आप को रोकने के लिए कांग्रेस-भाजपा को गठबंधन करना होगा मौजूदा स्थिति के अनुसार कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं। कांग्रेस और भाजपा से एक-एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में थे, जो कांग्रेस और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। फिर भी कांग्रेस के पास 31 और भाजपा के पास 20 सीटें हैं। अकाली दल ने 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती हैं। आम आदमी पार्टी को मेयर की सीट तक पहुंचने से रोकने के लिए विपक्षी कांग्रेस और भाजपा गठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। 33 साल पुराना फॉर्मूला हो सकता लागू 33 साल पुराना फार्मूला फिर से मेयर बनाने के लिए दोहराया जा सकता है। कांग्रेस ने बीते दिन ही स्पष्ट कर दिया था कि वह आप को किसी सूरत में भी सर्मथन नहीं देंगे लेकिन शहर के विकास के लिए वह अन्य दलों को विकल्प के रूप में देख सकते हैं। हाईकमान से चल रही गठजोड़ को लेकर बातचीत-प्रधान धीमान उधर, भाजपा के जिला प्रधान रजनीश धीमान ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने के लिए प्रदेश हाईकमान से बातचीत चल रही है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस के साथ गठजोड़ होगा तो बीजेपी अपना मेयर बनाएगी ताकि शहर के विकास कार्यों के लिए केन्द्र से फंड लाया जा सके। जिला प्रधान तलवाड़ बोले-किसी कीमत पर नहीं देगें आप को समर्थन वहीं जिला कांग्रेस के प्रधान संजय तलवाड़ ने कहा कि ढाई साल से सत्ताधारियों ने चुनाव न करवाकर निगम पर कब्जा जमा रखा था। लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए कांग्रेस किसी कीमत पर आप को समर्थन नहीं देगी। हां हमारे पास अन्य विकल्प अभी खुले है। 1991 में हुआ था कांग्रेस और भाजपा का गठजोड़
33 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा गठजोड़ कर सकती है। साल 1991 में पहली बार नगर निगम के चुनाव हुए थे। इन चुनाव में बीजेपी को बड़ी पार्टी होने के बावजूद बहुमत नहीं मिला था। उस समय पंजाब में स्व. बेअंत सिंह की सरकार थी। दोनों दलों ने उस समय एक दूसरे को समर्थन देने का ऐलान किया था। दोनों पक्षों में इस शर्त पर गठजोड़ हुआ था कि ढाई साल भाजपा तो ढाई साल कांग्रेस का मेयर बनेगा। इस समझौते के बाद ही 12 जून 1991 में लुधियाना का पहला मेयर चुना गया था। ढाई साल चौधरी सत्य प्रकाश का कार्यकाल देखने के बाद कांग्रेस ने फैसला लिया था कि अगले ढाई साल भी वही मेयर रहेंगे। 11 जून 1996 तक यह गठजोड़ पूरे 5 साल चला। पंजाब | दैनिक भास्कर