<p style=”text-align: justify;”><strong>Haryana News:</strong> हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सेना और CRPF के शहीदों के परिवारों के लिए बड़ा ऐलान किया है. प्रदेश की सरकार ने शहीदों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को बढ़ा दिया है. इसके साथ ही हिंदी आंदोलन मातृभाषा के सत्याग्रहियों की पेंशन राशि में भी इजाफे की घोषणा की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा, “सेना और CRPF के शहीदों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ करने का फैसला लिया गया है. 1957 के हिंदी आंदोलन मातृभाषा के सत्याग्रहियों के लिए जो मासिक पेंशन 15 हजार थी उसे भी बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने का निर्णय किया है.”</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Haryana News:</strong> हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सेना और CRPF के शहीदों के परिवारों के लिए बड़ा ऐलान किया है. प्रदेश की सरकार ने शहीदों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को बढ़ा दिया है. इसके साथ ही हिंदी आंदोलन मातृभाषा के सत्याग्रहियों की पेंशन राशि में भी इजाफे की घोषणा की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा, “सेना और CRPF के शहीदों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ करने का फैसला लिया गया है. 1957 के हिंदी आंदोलन मातृभाषा के सत्याग्रहियों के लिए जो मासिक पेंशन 15 हजार थी उसे भी बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने का निर्णय किया है.”</p> हरियाणा रोपवे के खिलाफ अनशन पर बैठे तीन लोगों की हालत बिगड़ी, कटरा में 30 दिसंबर तक बंद रखने का ऐलान
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सालिम राजाजी बोले-सरकार अपने खिलाफ सुनना नहीं चाहती:निजाम बनारसी ने कहा- शायर सच्ची बात कहता है; शबीना अदीब की बेदखली पर शायर मुखर
सालिम राजाजी बोले-सरकार अपने खिलाफ सुनना नहीं चाहती:निजाम बनारसी ने कहा- शायर सच्ची बात कहता है; शबीना अदीब की बेदखली पर शायर मुखर जो खानदानी रईस हैं, वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है…
इस नज्म को लिखने वाली कानपुर की शायरा शबीना अदीब इन दिनों चर्चा मैं। वजह- मेरठ प्रशासन ने नौचंदी मुशायरे में उन्हें आने से रोक दिया। यह बात यूपी के कई नामचीन शायरों को चुभ गई है। आजमगढ़ के शायर शकील आजमी कहते हैं- कोई शायर नहीं चाहता कि उसके लिखे शब्द से समाज में कोई गलत संदेश जाए। शायर तो पूरे जहां का दर्द सीने में रखता है। कानपुर के हास्य कवि हेमंत पांडेय कहते हैं- अगर सत्ता के खिलाफ उन्होंने कविता पढ़ी है, तो पढ़ना चाहिए। मैं खुद अपनी कविताओं में कभी भाजपा के नेताओं की टांग खींचता हूं। कभी तारीफ भी करता हूं। बनारस के शायर सालिम राजाजी कहते हैं- अब मुल्क में वह सरकार है, जो अपने खिलाफ कोई बात सुनना नहीं चाहती। यह तानाशाही का दौर है। पहले पढ़िए मेरठ प्रशासन ने शबीना अदीब से क्यों आने से रोका? नज्म वायरल होने के बाद शबीना को रोका गया
मेरठ में 20 जुलाई को पटेल मंडप में ‘ऑल इंडिया मुशायरा’ होना था। मुशायरे में शबीना अदीब को बुलाया गया था। लेकिन, उनकी 20 साल पुरानी नज्म- लहू रोता है हिंदुस्तान…का वीडियो वायरल हो गया। भाजपा समर्थकों ने उनकी नज्म पर विरोध जताया। इसके बाद अपर नगर आयुक्त ने कार्यक्रम से 24 घंटे पहले शबीना अदीब को फोन करके कार्यक्रम में आने से मना कर दिया। नज्म को भाजपा सरकार के खिलाफ बताई गई। दैनिक भास्कर ने कानपुर, आजमगढ़ और काशी के शायरों से बात की…और शबीना अदीब की बेदखली पर उनकी राय जानिए पहले पढ़िए कानपुर के हास्य कवि हेमंत पांडेय ने क्या कहा… सवाल : मेरठ के मुशायरे में शायरा शबीना को बुलाने के बाद मना किया गया, इसको कैसे देखते हैं?
जवाब : ये दुखद है। वैसे पूरा देश उनको अपना बुलाता है। लेकिन, वो हमारे कानपुर का गौरव हैं। अब अगर हमारे गौरव को कानपुर के बाहर रोका जाएगा, तो यह दुखद है। इसका कारण बताया जा रहा है कि 20 साल पहले पढ़ी गई एक नज्म अब वायरल हो रही है। ये भी गलत है। ये प्रजातंत्र है, इसमें साहित्यकारों को अगर छूट नहीं मिलेगी तो किसको मिलेगी। सवाल : समय कोई भी रहा हो, साहित्यकारों की कलम सत्ता के खिलाफ चली है, तो क्या ये भी बड़ा कारण माना जा रहा है?
जवाब : देखिए, सब राजनीति से प्रेरित होते हैं। अगर मैं कहूं कि ऐसा नहीं है, तो ये कोरा झूठ होगा। किसी न किसी पार्टी को हम वोट देते हैं। मगर, यह मंच तक नहीं जाता है। मंच पर हम केवल शायर रहते हैं। ये हमारा व्यक्तिगत मसला है कि किस पार्टी को जिताते हैं, किसको हराते हैं। इससे कवि सम्मेलन में गिरावट ही आएगी। जिसको सपोर्ट करना है, करिए। अगर यह सब मंच पर ले आएंगे तो राजनीति के अखाड़ा और कवि सम्मेलन में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। सवाल : सत्ता के खिलाफ कवियों का एक वर्ग लिखता-पढ़ता है, कैसे देखते हैं?
जवाब : कुछ कवि हो सकते हैं, मगर मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता हूं। कोई भी कवि या शायर हो। अगर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हैं, तो ये गलत है। अगर सत्ता के खिलाफ उन्होंने कविता पढ़ी है, तो पढ़ना चाहिए। मैं अपनी कविताओं में कभी भाजपा के नेताओं की टांग खींचता हूं। कभी तारीफ करता हूं। भाजपा की सरकार है, तो इसका मतलब ये थोड़े ही है कि हम उसके सपोर्ट में हैं या विरोध में आ गए। सवाल : क्या आपको लगता है कि भाजपा के समय में बोलने की आजादी कम हो गई है?
जवाब : नहीं… ऐसा नहीं है। ये तो नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं कि भाजपा ये खत्म कर रही है, वो खत्म कर रही है। मैं तो न जाने कितने कवि सम्मेलन में रहा, जहां नीचे कुर्सी पर सांसद और अधिकारी बैठे होते हैं। हम उनकी भी खिंचाई करते हैं। वो लोग ताली बजाते हैं। सवाल : हाल में सरकार ने कांवड़ रूट की दुकानों पर पहचान लिखने का आदेश दिया। इसको कैसे देखते हैं?
जवाब : हर सरकार की एक सोच होती है। घर बैठकर तोहमत लगाना आसान होता है। इस निर्णय को भी किसी से चर्चा करने के बाद ही लिया होगा। उनके नजरिए से सही हो सकता है। आम जनता के लिए हो सकता है मुश्किल देने वाला फैसला हो। अपना-अपना नजरिया है। अब आजमगढ़ से शायर शकील आजमी की बात… ‘कोई शायर नहीं चाहता कि उसके शब्दों से समाज को ठेस पहुंचे’
शायर शकील आजमी ने कहा- शायर हमेशा मोहब्बत का पैगाम देता है। असली शायर की आत्मा सूफी संतो वाली होती है। कभी भी कोई शायर यह नहीं चाहेगा कि उसकी शायरी से समाज में कोई गलत संदेश जाए। उसके शब्दों से किसी समुदाय या वर्ग को ठेस पहुंचे। मैं आपको बता दूं कि शायरी में कभी डायरेक्ट बात नहीं कही जाती। इनडायरेक्ट ही कही जाती है। समाज में अगर कोई घटना घटती है, तो उससे शायर और कवि का हृदय आम आदमी से ज्यादा प्रभावित होता है। शायर और कवि समाज का सबसे ज्यादा संवेदनशील व्यक्ति होता है। पुराने शायरों और कवियों को पढ़ेंगे तो वह अपने जमाने में होने वाली घटनाओं पर शायरी कहते और लिखते रहे हैं। लेकिन उनके लिखने और अपनी बात कहने का अंदाज बहुत नरम होता है। ऐसे बहुत सारी शायरी के उदाहरण दिए जा सकते हैं। जैसे- शायर अमीन मिनाई कहते हैं… खंजर चले किसी पे, तड़पते हैं हम ‘अमीर’ सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है। ‘शायर की लेखनी में हिंदू-मुस्लिम नहीं होना चाहिए’
शकील आजमी कहते हैं- कवि का हृदय बहुत कोमल होता है और सारे जहां का दर्द अपने सीने में रखता है। कवि और शायर की लेखनी में मानवता होनी चाहिए, हिंदु-मुसलमान नहीं होना चाहिए। राजनीति और कविता में बहुत अंतर है। कविता में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उसके लिए अलग प्लेटफार्म है। मेरा विश्वास मोहब्बत से नहीं उठ सकता जब तलक शहर में फूलों की दुकां बाकी है..! जिगर मुरादाबादी ने अपनी शायरी में साहित्य और राजनीति के बीच एक लाइन खींची है। वो कहते हैं – उनका जो फर्ज है, वो अहल-ए-सियासत जानें, मेरा पैगाम मोहब्बत है, जहां तक पहुंचे। इस लाइन से यह पता चलता है कि शायर और कवि कटाक्ष भी करता है। कविता ऐसी हो जो जोड़ने का काम करे तोड़ने का नहीं। बात काशी के शायरों की… ‘अब अच्छा लिखने और पढ़ने से शायर गुरेज करते हैं’
काशी के रहने वाले शायर निजाम बनारसी शायरा शबीना अदीब के साथ कई मंच साझा कर चुके हैं। वे कहते हैं- शायर आजाद होता है और हालात पर शायरी कहता है। सच्ची बात कहता है, नक्काशी करता है। अब बहुत सारे लोग अच्छा लिखने वाले अच्छा लिखने से गुरेज कर रहे हैं। आज जो मुल्क में हालात हैं, तो उन्हें इसे पढ़ना नहीं चाहिए। अब सवाल है शबीना अदीब का, तो जिस नज्म को लेकर विवाद उठाया जा रहा है, वह बहुत पहले लिखी गई। आज मुशायरे के लिए मना कर देना गलत है। ये जरूर कह सकते थे कि अगर मेले में आएं तो ये नज्म नहीं पढ़ें। लेकिन आने से रोकना गलत है। यह तानाशाही का दौर है, शायरा को रोकना गलत है
इसी मुद्दे पर शायर सालिम राजाजी कहते हैं- अब मुल्क में वह सरकार है, जो अपने खिलाफ कोई बात सुनना नहीं चाहती। यह तानाशाही का दौर है। शायरा शबीना अदीब को मंच पर आने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। लेखक तो समाज को देखकर लिखता है। वह समाज और सरकार को आइना दिखाता है। शायरों को हालात के अनुसार अब अपने को सलामत रखते हुए वही नज्म पढ़नी चाहिए जो लोगों को पसंद हो। अब मेरठ मुशायरा में क्या कुछ हुआ, ये भी पढ़वाते हैं… शायरा शबीना अदीब बोलीं-मैंने तो राम भजन-सरस्वती वंदना भी पढ़ी, लहू रोता है हिंदुस्तान…20 साल पहले लिखा था, तब भाजपा की सरकार भी नहीं थी ये नज्म मशहूर शायरा शबीना अदीब की है, जो उन्होंने 20 साल पहले लिखी थी। लेकिन, विरोध अब हो रहा है। विरोध भी ऐसा कि शबीना अदीब मेरठ के नौचंदी मेले में होने वाले मुशायरे में नहीं आ सकीं। प्रशासन ने उनकी एंट्री बैन कर दी। दैनिक भास्कर ने शबीना अदीब से एक्सक्लूसिव बात की, विरोध की वजह भी पूछी। जवाब मिला- जब गीत लिखा था, तब भाजपा सरकार भी नहीं थी। पढ़िए पूरी खबर…
कानपुर में टॉफी से 4 साल के बच्चे की मौत:गले में फंसी, 3 घंटे तड़पता रहा; पिता बोले- किंडरज्वॉय जैसी थी
कानपुर में टॉफी से 4 साल के बच्चे की मौत:गले में फंसी, 3 घंटे तड़पता रहा; पिता बोले- किंडरज्वॉय जैसी थी कानपुर में गले में टॉफी फंसने से 4 साल के बच्चे की मौत हो गई। परिवार बच्चे को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ता रहा, लेकिन 3 घंटे तक तड़पने के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। परिवार के लोगों ने टॉफी कंपनी मालिक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बर्रा पुलिस जांच करने पहुंची, परिजनों ने पोस्टमॉर्टम कराने से किया इनकार
बर्रा जरौली फेस-1 में रहने वाले राहुल कश्यप ने बताया- मेरे 4 साल के बेटे अन्वित ने रविवार शाम को मोहल्ले की एक दुकान से फ्रूटोला नाम की किंडरज्वॉय की तरह बाजार में बिकने वाली टॉफी खरीदी थी। खाते ही टॉफी बच्चे के गले में फंस गई और उसको सांस लेने में दिक्कत होने लगी। बच्चे की हालत बिगड़ते ही मां सोनालिका ने पानी पिलाया तो टॉफी गले के और अंदर जाकर फंस गई। इससे सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होने लगी। इसके बाद माता-पिता बच्चे को पास के एक निजी अस्पताल और वहां से दूसरे अस्पताल ले गए। करीब 3 घंटे तक बच्चा तड़पता रहा, लेकिन बच्चे को सही इलाज नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई। पिता राहुल कश्यप ने बताया- एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर काटते रहे, लेकिन रविवार और दिवाली की छुट्टी होने के चलते कोई डॉक्टर नहीं मिला। बच्चा तीन घंटे तक तड़पता रहा, इसके बाद उसकी सांसें थम गईं। एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। परिवार ने पोस्टमॉर्टम कराने से किया इनकार
पिता ने बताया- सोमवार सुबह परिवार के लोगों ने बर्रा थाने की पुलिस को मामले की जानकारी दी। बर्रा थाना प्रभारी राजेश शर्मा टीम के साथ मौके पर जांच करने पहुंचे और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने की बात कही। परिवार के लोगों ने बच्चे का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस वहां से लौट गई और परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इकलौते बेटे की मौत से परिवार में मचा कोहराम
दंपती राहुल और सोनालिका के दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। बेटे की मौत के बाद से परिवार के साथ बच्चे के दादी और बाबा रो-रोकर बेहाल हैं। वहीं, बच्चे की बहन और मां भी रोते-रोते बदहवास हो गईं। मोहल्ले के लोगों ने परिवार को किसी तरह संभाला। दुकान बंद करके भागा दुकानदार
बच्चे की मौत के बाद दहशत में आए दुकानदार ने अपनी दुकान बंद कर भाग गया। परिवार के लोगों ने खाद्य विभाग से मामले में जांच करके कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। ……………………….. क्राइम से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए जहां दफनाई गई थी एकता, वहीं तलाश रहा था पति:राहुल गुप्ता बोले- मेरे और बच्चों के जीवन में अंधेरा कर गया विमल कानपुर में कारोबारी राहुल गुप्ता की पत्नी एकता की हत्या के बाद रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। एकता के पति ने बताया कि घटना वाले दिन वह पत्नी को खोजते हुए DM कंपाउंड के पास बने ऑफिसर्स क्लब भी पहुंच गए थे मगर वहां पर उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी गई। जबकि मैं उसी जगह के आसपास खड़ा रहा जहां पत्नी को मारकर गाड़ा गया था। विमल ने मेरे पूरे परिवार के जीवन में अंधेरा कर दिया। पढ़ें पूरी खबर 10वीं पास बना आर्मी का फर्जी कैप्टन:शाहजहांपुर पुलिस ने NDA का फुल फार्म पूछा तो बता नहीं पाया; अफसरों के यहां बनाता था खाना शाहजहांपुर पुलिस ने आर्मी के फर्जी कैप्टन को गिरफ्तार किया है। आरोपी 50 हजार रुपए ठगने के लिए वर्दी में पहुंचा था। फर्जीवाड़ा होने की शक पर पीड़ित ने पुलिस को बुलाया। पहले तो आरोपी ने पुलिस को धमकी दी, इसके बाद माफी मांगने लगा। पुलिस ने NDA का फुलफार्म पूछा तो वह नहीं बता पाया। पढ़ें पूरी खबर
बहराइच हिंसा: रामगोपाल को लगे थे करीब 30 छर्रे, आंख के ऊपर मारा गया था ब्लंट ऑब्जेक्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खुलासे
बहराइच हिंसा: रामगोपाल को लगे थे करीब 30 छर्रे, आंख के ऊपर मारा गया था ब्लंट ऑब्जेक्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खुलासे <p style=”text-align: justify;”><strong>Bahraich Violence:</strong> बहराइच के महसी के महाराजगंज में रामगोपाल मिश्रा की मौत के मामले में अब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सामने आ गई है. जहां एक तरफ कई राउंड गोलियां चलने की बात निकल के सामने आ रही थी. अब वहां 30 के करीब छर्रे लगने की पुष्टि हो गई है. हालांकि वो छर्रे एक गोली के थे या अधिक गोलियां चली थी इसको लेकर बैलिस्टिक एक्सपर्ट क्लियर कर पाएंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में बहराइच के सीएमओ संजय कुमार ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि रामगोपाल को 30 के करीब छर्रे लगे लेकिन इसमें गोलियां कितनी चली इसकी जानकारी बैलिस्टिक एक्सपर्ट ही दे पाएंगे. नाखून उखड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों अंगूठों में बर्न इंजरी हैं और नाखूनों में थोड़ी चोट है. उन्होंने कहा कि पैर में चोट है, उसपर जलने जैसा निशान है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि इसके अलावा बाएं आंख के ऊपर एक ब्लंट ऑब्जेक्ट से भी मारा गया है, उसके भी निशान हैं. मौत के कारण के बारे में उन्होंने बताया कि जो छर्रे लगे हैं, उन छर्रों से अत्यधिक ब्लीडिंग हुई है और उसी से मौत हुई है. सीएमओ संजय कुमार ने मौत का कारण शॉक एंड हैमरेज बताया है. उन्होंने कहा कि छर्रे लगने के कारण रामगोपाल का अत्यधिक रक्त का बहाव हुआ, ब्लीडिंग हुई और उससे उसकी मृत्यु हुई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-by-elections-2024-up-bjp-sent-27-name-on-9-seats-to-high-command-in-karhal-ghaziabad-phoolpur-meerapur-ann-2804807″>यूपी उपचुनाव: BJP ने हाईकमान को भेजी गई 9 सीटों पर इन 27 नामों की लिस्ट, रेस में ये दिग्गज</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कैसे हुआ था बवाल</strong><br />गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को बहराइच के महसी के महाराजगंज में दुर्गा मूर्ति के विसर्जन के दौरान गाना बजाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जिसमें एक पक्ष ने गाना बजाने से मना किया, दूसरा गाना बजाने पर आमादा हो गया था. इसके बाद गाने की लीड निकाली गई और फिर विवाद की शुरुआत हुई , जिसमें पत्थरबाजी से लेकर तमाम कृत हुए. इसी झगड़े में मूर्ति विसर्जन को ले जा रहे 24 वर्षीय रामगोपाल मिश्रा की मृत्यु हो गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामगोपाल मिश्रा की मौत के बाद जमकर बवाल हुआ और हिंसा फैल गई. इसके बाद सीएम <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने एक्शन लिया और लखनऊ के कई बड़े अफसरों को तुरंत बहराइच भेजा गया था. जिसके बाद बवाल रोक लिया गया था. इस बवाल में अब तक करीब 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.</p>