भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हरियाणा के 11 जिलों के लिए ठंड का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इनमें सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, नारनौल, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, झज्जर, रेवाड़ी और गुरुग्राम शामिल हैं। रविवार सुबह जींद, हिसार, चरखी दादरी और महेंद्रगढ़ में धुंध छाई हुई है। मौसम विभाग का मानना है कि राज्य में आज से ठंड की थर्ड डिग्री यानी ट्रिपल अटैक शुरू होगा। घने कोहरे के साथ कोल्ड वेव और कोल्ड डे की स्थिति रहेगी। इसके अलावा कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, अंबाला, यमुनानगर, चंडीगढ़, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, मेवात और पलवल के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। यहां कोहरे और कोल्ड वेव का असर रहेगा। 2 जनवरी तक मौसम खुश्क बने रहने की संभावना है। आज से हवा की दिशा बदलेगी नारनौल राजकीय यूनिवर्सिटी के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. चंद्र मोहन ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी पर्वतीय राज्यों में भारी बर्फबारी और हरियाणा और दिल्ली NCR के क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि हुई है। जिसकी वजह से हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने अपना प्रचंड रूप ले लिया है। 29 दिसंबर से हवा की दिशा बदलेगी और उत्तरी इलाके में ठंड पूरा जोर दिखाएगी। इससे तापमान में और गिरावट आएगी, जिससे 2025 की शुरुआत में ठंड का ट्रिपल अटैक होगा। दिन-रात का तापमान सामान्य से नीचे डॉ. चंद्र मोहन के मुताबिक हरियाणा और दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर दिन और रात का तापमान सामान्य से नीचे है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद वातावरण में नमी की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। जिसकी वजह से घना कोहरा छाएगा। दिन का तापमान सामान्य से नीचे रहने पर कोल्ड डे की स्थिति बनी रहेगी। CM ने खराब हुई फसल की रिपोर्ट मांगी 27 दिसंबर को राज्य के अधिकतर जिलों में बारिश और 5 जिलों (हिसार, सिरसा, भिवानी, फतेहाबाद और कैथल) में जमकर ओलावृष्टि हुई। इसके कारण सब्जी, सरसों, चने और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा। किसानों ने सरकार ने मुआवजे की मांग भी की। एक दिन पहले शनिवार को चंडीगढ़ में कैबिनेट मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सभी जिलों के DC से खराब हुई फसल की रिपोर्ट मांग ली। नायब सैनी ने कहा- तोशाम, बवानी खेड़ा, लोहारू, फतेहाबाद, रानियां, भट्टू कलां, नारनौंद, हांसी, महेंद्रगढ़, कनीना, हथीन, बावल में बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान की संभावना है। सभी DC को इस संबंध में जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। नुकसान के आकलन के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला जाएगा। स्कूलों में एक से 15 जनवरी तक छुट्टी वहीं हरियाणा के सभी स्कूलों में 15 दिन की छुटि्टयां घोषित कर दी गई हैं। यह छुटि्टयां 1 से 15 जनवरी तक रहेंगी। 16 जनवरी को स्कूल खुलेंगे। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने आदेश में कहा कि इन छुटि्टयों के दौरान CBSE, ICSE बोर्ड आदि के नॉर्म्स के अनुसार बोर्ड कक्षाओं (10वीं और 12वीं) के लिए निर्धारित शेड्यूल के अनुसार स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल के लिए स्कूल में बुलाया जा सकता है। ये आदेश सरकारी और प्राइवेट, दोनों ही स्कूलों पर लागू होंगे। इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी के साथ स्कूल मुखियों और प्रभारियों को भी यह आदेश दिए गए हैं। स्कूलों में छुट्टियों के आदेश पढ़ें… भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हरियाणा के 11 जिलों के लिए ठंड का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इनमें सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, नारनौल, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, झज्जर, रेवाड़ी और गुरुग्राम शामिल हैं। रविवार सुबह जींद, हिसार, चरखी दादरी और महेंद्रगढ़ में धुंध छाई हुई है। मौसम विभाग का मानना है कि राज्य में आज से ठंड की थर्ड डिग्री यानी ट्रिपल अटैक शुरू होगा। घने कोहरे के साथ कोल्ड वेव और कोल्ड डे की स्थिति रहेगी। इसके अलावा कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, अंबाला, यमुनानगर, चंडीगढ़, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, मेवात और पलवल के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। यहां कोहरे और कोल्ड वेव का असर रहेगा। 2 जनवरी तक मौसम खुश्क बने रहने की संभावना है। आज से हवा की दिशा बदलेगी नारनौल राजकीय यूनिवर्सिटी के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. चंद्र मोहन ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी पर्वतीय राज्यों में भारी बर्फबारी और हरियाणा और दिल्ली NCR के क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि हुई है। जिसकी वजह से हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने अपना प्रचंड रूप ले लिया है। 29 दिसंबर से हवा की दिशा बदलेगी और उत्तरी इलाके में ठंड पूरा जोर दिखाएगी। इससे तापमान में और गिरावट आएगी, जिससे 2025 की शुरुआत में ठंड का ट्रिपल अटैक होगा। दिन-रात का तापमान सामान्य से नीचे डॉ. चंद्र मोहन के मुताबिक हरियाणा और दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर दिन और रात का तापमान सामान्य से नीचे है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद वातावरण में नमी की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। जिसकी वजह से घना कोहरा छाएगा। दिन का तापमान सामान्य से नीचे रहने पर कोल्ड डे की स्थिति बनी रहेगी। CM ने खराब हुई फसल की रिपोर्ट मांगी 27 दिसंबर को राज्य के अधिकतर जिलों में बारिश और 5 जिलों (हिसार, सिरसा, भिवानी, फतेहाबाद और कैथल) में जमकर ओलावृष्टि हुई। इसके कारण सब्जी, सरसों, चने और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा। किसानों ने सरकार ने मुआवजे की मांग भी की। एक दिन पहले शनिवार को चंडीगढ़ में कैबिनेट मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सभी जिलों के DC से खराब हुई फसल की रिपोर्ट मांग ली। नायब सैनी ने कहा- तोशाम, बवानी खेड़ा, लोहारू, फतेहाबाद, रानियां, भट्टू कलां, नारनौंद, हांसी, महेंद्रगढ़, कनीना, हथीन, बावल में बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान की संभावना है। सभी DC को इस संबंध में जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। नुकसान के आकलन के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला जाएगा। स्कूलों में एक से 15 जनवरी तक छुट्टी वहीं हरियाणा के सभी स्कूलों में 15 दिन की छुटि्टयां घोषित कर दी गई हैं। यह छुटि्टयां 1 से 15 जनवरी तक रहेंगी। 16 जनवरी को स्कूल खुलेंगे। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने आदेश में कहा कि इन छुटि्टयों के दौरान CBSE, ICSE बोर्ड आदि के नॉर्म्स के अनुसार बोर्ड कक्षाओं (10वीं और 12वीं) के लिए निर्धारित शेड्यूल के अनुसार स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल के लिए स्कूल में बुलाया जा सकता है। ये आदेश सरकारी और प्राइवेट, दोनों ही स्कूलों पर लागू होंगे। इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी के साथ स्कूल मुखियों और प्रभारियों को भी यह आदेश दिए गए हैं। स्कूलों में छुट्टियों के आदेश पढ़ें… हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बंसीलाल को अफसर ने बाथरूम में बंद किया:देवीलाल ने हथकड़ी पहनाकर घुमाया; अविवाहितों की नसबंदी का आरोप भी लगा
बंसीलाल को अफसर ने बाथरूम में बंद किया:देवीलाल ने हथकड़ी पहनाकर घुमाया; अविवाहितों की नसबंदी का आरोप भी लगा साल 1977-78, इमरजेंसी के बाद हरियाणा के पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल राज्य के दौरे पर निकले। इस दौरान वे एक गांव की पंचायत में बैठकर लोगों से बातचीत कर रहे थे। अचानक एक नौजवान खड़ा हुआ और भरी पंचायत में अपनी धोती खोल दी। सब हैरान रह गए कि इसे क्या हुआ। नौजवान ने बंसीलाल से कहा- ‘मैं चीख-चीखकर कह रहा था कि मेरी शादी नहीं हुई है। मैं कुंवारा हूं, लेकिन मुझे जबरन पकड़ लिया गया। नसबंदी कर दी गई।’ दरअसल, इमरजेंसी के दौरान बंसीलाल पर आरोप लगा था कि उन्होंने पुलिस को नसबंदी करने का टारगेट दिया था। पुलिस गांव में घुसकर पुरुषों-नौजवानों को पकड़ती और उनकी जबरन नसबंदी करवा देती। उस दौरान नारा चलता था- ‘नसबंदी के तीन दलाल: इंदिरा, संजय, बंसीलाल।’ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त हरियाणा में 164 अविवाहित लोगों की नसबंदी की गई थी। ‘मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के तीसरे एपिसोड में आज बंसीलाल के सीएम बनने की कहानी और उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से… साल 1966-67, हरियाणा बनने के दो साल के भीतर दो सरकारें गिर चुकी थीं। मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा की सरकार सिर्फ 13 दिन में ही गिर गई थी। कांग्रेस से बागी होकर सरकार बनाने वाले राव बीरेंद्र सिंह भी 9 महीने ही मुख्यमंत्री रह पाए थे। बार-बार दल-बदल के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा चुका था। उधर लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं। हालांकि कांग्रेस में उनकी स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। वे पार्टी में ही अलग-अलग खेमों से मिल रहे राजनीतिक दबाव का सामना कर रही थीं। 1968 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री के लिए कई नामों की चर्चा चल रही थी। इसमें पंडित भगवत दयाल शर्मा, चौधरी देवीलाल, शेर सिंह, चौधरी रणबीर सिंह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामकृष्ण गुप्ता के नाम शामिल थे। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह अपनी किताब ‘स्वराज के स्वर’ में लिखते हैं, ‘सीएम पद को लेकर आम राय नहीं बन पा रही थी। केंद्रीय मंत्री गुलजारी लाल नंदा को इसका हल निकालने का जिम्मा सौंपा गया। 18 मई 1968 को नंदा के आवास पर नई दिल्ली में बैठक हुई। इसमें 48 में से 32 विधायक शामिल हुए। पंडित भगवत दयाल को नेता चुना गया, लेकिन इंदिरा गांधी राजी नहीं हुईं। उनका कहना था विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुना जाए। तब भगवत दयाल विधायक नहीं थे।’ अगले दिन कांग्रेस अध्यक्ष एस निजलिंगप्पा की अध्यक्षता में विधायक दल की बैठक हुई। ‘द स्टेट्समैन’ अखबार में बैठक का विवरण छपा था। अखबार के मुताबिक रिटायर्ड ब्रिगेडियर रण सिंह ने चौधरी बंसीलाल के नाम का प्रस्ताव रखा। ओमप्रभा जैन के नाम की भी चर्चा हुई। दोनों नामों पर चर्चा के लिए विधायकों को आधे घंटे का समय दिया गया। आखिर में बंसीलाल के नाम पर सहमति बनी। उनके नाम पर चौधरी देवीलाल और शेर सिंह भी राजी हो गए। इस तरह चौधरी बंसीलाल मुख्यमंत्री चुन लिए गए। दिल्ली में बंसीलाल का शपथ ग्रहण, भीड़ इतनी कि पत्रकार वेन्यू तक पहुंच नहीं पाए विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद बंसीलाल पहली बार किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे थे। एक पत्रकार ने पूछा कि राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद और हरियाणा में चुनाव लड़ने के बीच आप क्या कर रहे थे? बंसीलाल ने मजाकिया लहजे में जवाब दिया- ‘पापड़ बेलते रहे।’ 22 मई 1968 को मुख्यमंत्री का शपथग्रहण था। राज्यपाल बीएन चक्रवर्ती बीमार चल रहे थे। इलाज के लिए दिल्ली में थे। इस वजह से बंसीलाल का शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली के हरियाणा भवन में रखा गया। उधर हरियाणा में बंसीलाल के समर्थकों के बीच खबर फैल गई थी कि बंसीलाल मुख्यमंत्री बनाए जा रहे हैं। उनके सैकड़ों समर्थक दिल्ली के लिए निकल पड़े। शपथ ग्रहण, पहली मंजिल पर ड्राइंग रूम में था और बाहर इतनी भीड़ थी कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी, PIB के अधिकारी भी बाहर ही रह गए। हम तो सड़क किनारे कार रोककर शौच कर लेंगे, लेकिन महिलाएं कहां जाएंगी बंसीलाल से जुड़े एक दिलचस्प किस्से का जिक्र करते हुए राम वर्मा अपनी किताब ‘थ्री लाल्स ऑफ हरियाणा में लिखते हैं- एक बार करनाल के पास जीटी रोड पर मुख्यमंत्री बंसीलाल से मेरी मुलाकात हुई। कार से उतरते ही उन्होंने अपने सचिव एसके मिश्रा से कहा कि मिश्रा जी, अगर इस सड़क पर दिल्ली जाते हुए मुझे या आपको पेशाब लग जाए, तो हम कार रोककर झाड़ियों में जा सकते हैं, लेकिन आपकी पत्नी आपके साथ बैठी हो तो उसका क्या होगा? बंसीलाल पांच सेकेंड तक रुके। फिर बोले- ये जगह चंडीगढ़ और दिल्ली के बिल्कुल बीच में है। आप यहां एक छोटा सा रेस्तरां बना दें, जिसमें साफ टॉयलेट हों, तो यहां से गुजरने वाले लोग आपको हमेशा दुआएं देंगे। जब एक अफसर ने बंसीलाल को किया बाथरूम में बंद तब पंडित भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री थे। राव बीरेंद्र उनकी सरकार गिराने की जुगत में थे। बंसीलाल पहली बार विधायक बने थे। बगावती विधायकों को लग रहा था कि बंसीलाल उनके साथ वोट नहीं डालेंगे। ऐसे में रणनीति बनी कि उन्हें सदन ही नहीं पहुंचने दिया जाए। एक अफसर को यह काम सौंपा गया। उसने बंसीलाल को अपने घर बुलाया। जब वे बाथरूम गए, तो अफसर ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। उन्हें तब तक बाथरूम से बाहर नहीं आने दिया, जब तक भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिरा नहीं दी गई। बाद में जब बंसीलाल मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने सबसे पहला काम उस अफसर को सस्पेंड करने का किया था। हरियाणा में शराबबंदी, लेकिन सरकारी पार्टियों में शराब परोसने की मंजूरी रिटायर्ड आईएएस राम वर्मा अपनी किताब ‘थ्री लाल्स ऑफ हरियाणा’ में लिखते हैं- ‘CM बनने के बाद बंसीलाल ने मुझे डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक रिलेशन यानी, DPR का जिम्मा सौंपा। सरकार के कामों को मीडिया और लोगों के बीच प्रचार करने की जिम्मेदारी इसी विभाग की होती है। कुछ दिन बाद पत्रकारों से मेल-मुलाकात के लिए सरकार की तरफ से डिनर का प्रोग्राम रखा गया। उस समय चंडीगढ़ में किसी भी अखबार के पास अपना फोटोग्राफर नहीं था। उन्हें सरकार के विभाग पर ही निर्भर रहना होता था। अगले दिन डिनर के बिल वाउचर पास करने के लिए मुझे दिए गए। उसमें 80 पत्रकारों के डिनर की मेजबानी लिखी थी, जबकि डिनर में सिर्फ 20 पत्रकार ही थे। मैंने इसका कारण पूछा तो बताया गया कि डिनर में पत्रकारों को शराब परोसी जाती है, लेकिन सरकार से इसका अप्रूवल नहीं है। इस वजह से शराब के खर्च को एडजस्ट करने के लिए ऐसा करना पड़ता है। मुझे डर था कि चौधरी बंसीलाल को इसका पता चलेगा तो वे न जाने क्या करेंगे। अगले दिन जब मैं बंसीलाल से मिला तो उन्हें पूरी बात बताई। वे मुस्कुराकर बोले- आप उन्हें शराब क्यों पिलाते हो, बंद कर दो। मैंने कहा कि फिर तो सरकार की डिनर पार्टियों में कोई पत्रकार आएगा ही नहीं। इस पर वे बोले कि शराब पिलाना इतना ही जरूरी है, तो मेरी परमिशन ले लो।’ हालांकि बाद में बंसीलाल ने राज्य में शराबबंदी लागू किया था। भारत को गन की जरूरत थी, ऑस्ट्रेलिया में बंद फैक्ट्री चालू कराई साल 1975, बंसीलाल करीब सात साल से मुख्यमंत्री थे। दूसरी बार उन्होंने अपने दम पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी। उनकी गिनती इंदिरा के करीबियों में होने लगी थी। यही वजह थी कि इमरजेंसी लगने के छह महीने बाद 30 नवंबर को इंदिरा ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए दिल्ली बुला लिया। वे 20 दिन तक बगैर किसी मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। चौधरी बंसीलाल आईएएस एसके मिश्रा पर बहुत भरोसा करते थे। जब वे देश के रक्षा मंत्री बने तो मिश्रा को उन्होंने मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाकर बुला लिया। एसके मिश्रा अपनी किताब में लिखते हैं- रक्षा मंत्री बनने के बाद बंसीलाल ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का इंस्पेक्शन करने चेन्नई गए। वे स्वदेशी विजयंत टैंक के निर्माण में देरी से नाराज थे। उस समय सेना में टैंकों की भारी कमी थी। बंसीलाल ने दो हफ्तों तक मुझे वहीं रहने और प्रोडक्शन में देरी का कारण जानने के लिए कहा। मैंने पाया कि मशीनरी अपडेट कर दी जाए तो प्रोडक्शन बढ़ाया जा सकता है। इंदिरा गांधी भी इसके लिए तैयार हो गईं, लेकिन टैंकों में जो गन्स लगनी थीं वो इंग्लैंड से आनी थीं। कंपनी ने ज्यादा गन सप्लाई करने से मना कर दिया। इसका तोड़ निकालने के लिए बंसीलाल ने मुझे कोलकाता, रांची और कानपुर की गन फैक्ट्री में भेजा, लेकिन बात नहीं बनी। बहुत मशक्कत के बाद पता चला कि ऑस्ट्रेलिया में एक फैक्ट्री ब्रिटेन से लाइसेंस लेकर गन बनाती थी, लेकिन ऑर्डर न मिलने की वजह से बंद हो गई। कंपनी से संपर्क किया गया और फैक्ट्री चालू हुई। इसके बाद भारत को गन्स की सप्लाई हुई और सेना को विजयंत टैंक समय से मिलने शुरू हो गए। देवीलाल ने बंसीलाल को हथकड़ी पहनाकर सड़कों पर घुमाया एक बार बंसीलाल और देवीलाल एक ही कार से दिल्ली जा रहे थे। रास्ते में किसी बात पर देवीलाल, बंसीलाल को बार-बार सलाह दे रहे थे। बंसीलाल नाराज हो गए और उन्होंने बीच रास्ते में ही देवीलाल को कार से उतार दिया। कहा जाता है कि उस घटना के बाद देवीलाल, बंसीलाल से बदला लेने का मन बना चुके थे। 1977 में हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार बनी और देवीलाल मुख्यमंत्री। कुछ दिनों बाद हरियाणा युवा कांग्रेस के फंड में गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल गिरफ्तार कर लिए गए। पुलिस, बंसीलाल को हथकड़ी पहनाकर भिवानी की सड़कों पर खुली जीप में बैठाकर कोर्ट ले गई। मौत की सजा पाया क्रिमिनल जेल से भागा, शक बंसीलाल पर एसके मिश्रा अपनी किताब में एक और किस्से का जिक्र करते हैं- ‘एक बार मुख्यमंत्री बंसीलाल कहीं जा रहे थे। उनका काफिला अंबाला के पास पहुंचा, तो एक बूढ़ी औरत ने उनकी गाड़ी रुकवा ली। वह रो रही थी। वजह पूछने पर पता चला कि उसके बेटे को मौत की सजा हुई है और उसकी दया याचिका भी खारिज हो चुकी है। दो दिन बाद उसे फांसी दी जानी थी। इस मामले में अब कुछ नहीं किया जा सकता था। बंसीलाल ने गाड़ी आगे बढ़ाने का आदेश दे दिया। उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने मुझसे कहा- चाहे उस लड़के ने कितना भी जघन्य अपराध किया हो, लेकिन मां के लिए वह उसका बेटा है। अगले दिन अखबारों में छपा कि वह लड़का जेल से भाग गया। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह महज संयोग नहीं था, लेकिन मैंने कभी बंसीलाल से इस बारे में नहीं पूछा और न ही उन्होंने कभी मुझसे कुछ जिक्र किया।’ सरकार बनाई बीजेपी की मदद से, सरकार बचाई कांग्रेस ने साल 1996, हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी और बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। वोटों की गिनती हुई, तो हरियाणा विकास पार्टी को 33 और बीजेपी को 11 सीटें मिलीं। जबकि कांग्रेस 9 सीटों पर सिमट गई। चौधरी बंसीलाल चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि वक्त के साथ बंसीलाल और बीजेपी के बीच रिश्तों में तल्खी आने लगी। 22 जून 1999 को बीजेपी ने हरियाणा विकास पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया। बंसीलाल की सरकार अल्पमत में आ गई। तीन दिन बाद यानी 25 जून को फ्लोर टेस्ट की तारीख तय हुई। सियासी गलियारों में चर्चा थी कि बीजेपी के हाथ खींचने के बाद कांग्रेस ने बंसीलाल को समर्थन दिया है। इधर, विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह पानी पी-पीकर बंसीलाल सरकार को कोस रहे थे। बंसीलाल के करीबी और उस समय संसदीय कार्य मंत्री रहे अतर सिंह सैनी एक इंटरव्यू में बताते हैं- ‘मैंने बंसीलाल से कहा- बात तो समर्थन की हुई थी। ये तो अपने खिलाफ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाकर सुरेंद्र से बात करो। सुरेंद्र बंसीलाल के छोटे बेटे थे। मैं बाहर निकला तो पूर्व सीएम भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई मिल गए। मैंने पूछा, भाई क्या करोगे। बोले- ‘थारी मंजी ठोकांगे’ यानी ठिकाने लगाएंगे। जब मैं सुरेंद्र सिंह के पास पहुंचा तो वे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र हुड्डा और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के साथ विधानसभा गैलरी में बैठे थे। मैंने सुरेंद्र से बात की तो वे बोले कि बात चल रही है। वहां से मैं सदन में वापस आया, तो देखा कि बीरेंद्र सिंह अभी भी सरकार के खिलाफ बोल रहे थे। उन्होंने इतनी कमियां गिनाईं कि मैं ये मान चुका था कि अब तो अपनी सरकार गई। थोड़ी देर बाद अहमद पटेल ने बीरेंद्र सिंह के पास एक पर्ची भिजवाई। पर्ची पढ़ते ही बीरेंद्र सिंह बोले- ‘सभी कमियां होते हुए भी हम चौधरी बंसीलाल की सरकार को समर्थन देते हैं।’ थोड़ी देर बाद कांग्रेस ने व्हिप जारी कर दिया। इस तरह बंसीलाल की सरकार बच गई। बंसीलाल, सोनिया का धन्यवाद करने गए, लेकिन लौटे तो सरकार गिर गई पूर्व मंत्री अतर सिंह सैनी बताते हैं- ‘सरकार बचने के बाद बंसीलाल को सोनिया गांधी का धन्यवाद करने जाना था। तय हुआ था कि HVP का कांग्रेस में विलय करके विधानसभा भंग की जाएगी और चुनाव कराए जाएंगे। सोनिया से मिलने से पहले बंसीलाल ने मुझे बुलाया और एक लिस्ट दिखाई। उसमें हमारे 33 विधायकों में से 21 के नाम थे। मैंने तीन नामों पर निशान लगा दिए कि अगर इनको टिकट न दें तो भी कोई बात नहीं। वे जब सोनिया से मिले तो उनका धन्यवाद किया और लिस्ट सामने रख दी। लिस्ट देखकर सोनिया ने कहा- ये मैं बाद में सोचूंगी। बंसीलाल, इंदिरा गांधी के साथ काम कर चुके थे, बड़े लीडर थे। उन्हें ये बात बर्दाश्त नहीं हुई। बंसीलाल ने भी कह दिया कि फिर मैं भी बाद में सोचूंगा और चले आए। कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।’
अंबाला में पिता कांग्रेस प्रत्याशी और बेटी बागी:निर्मल सिंह ने चित्रा के नामांकन से झाड़ा पल्ला, बोल- वो शादीशुदा-उसका खुद का फैसला
अंबाला में पिता कांग्रेस प्रत्याशी और बेटी बागी:निर्मल सिंह ने चित्रा के नामांकन से झाड़ा पल्ला, बोल- वो शादीशुदा-उसका खुद का फैसला हरियाणा के अंबाला में कांग्रेस नेत्री चित्रा सरवारा के आजाद नॉमिनेशन करने पर पिता निर्मल सिंह ने पल्ला झाड़ लिया है। चित्रा के पिता निर्मल सिंह को कांग्रेस ने अंबाला सिटी से टिकट दिया है, जबकि चित्रा भी टिकट के इंतजार में थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद चित्रा सरवारा बगावती तेवर दिखाते हुए इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर मैदान में उतर गई, और अंबाला कैंट सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। बता दें कि बीते जनवरी माह में दोनों ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस में वापसी कर ली थी। वहीं चित्रा के आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने पर पिता ने अपना पक्ष रखा और अपना बचाव करते हुए कहा कि उनकी बेटी शादीशुदा है और ये उसका खुद का फैसला है। ऐसे में जहां कांग्रेस ने बेटी के पिता को टिकट दिया, वहीं बेटी ने टिकट न मिलने पर तेवर तल्ख कर लिए। पिता-पुत्री की राजनीति ने अंबाला के गलियारों में हलचल मचा दी है और हर तरफ इसी की चर्चा है। 5 जनवरी को छोड़ दी थी AAP कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले निर्मल सिंह ने अपनी बेटी चित्रा के साथ कांग्रेस छोड़ने के बाद करीब 2 साल तक आम आदमी पार्टी में अपनी सेवाएं दी। लेकिन बीती 5 जनवरी को उन्होंने AAP को अलविदा कह दिया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के नेतृत्व में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। AAP छोड़ने का दोनों ने निजी कारण बताया था। सूत्रों के हवाले से कारण सामने आए थे कि निर्मल सिंह ने AAP की सीनियर लीडरशिप से इसी साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में 2 सीटों की डिमांड की थी। वह खुद अंबाला सिटी से चुनाव लड़ना चाहते थे और बेटी चित्रा सरवारा के लिए अंबाला कैंट सीट से टिकट चाहते थे। पार्टी इसके हक में नहीं थी। AAP की सीनियर लीडरशिप चाहती थी कि निर्मल सिंह विधानसभा चुनाव की जगह लोकसभा चुनाव लड़ें। पार्टी ने उन्हें इसके लिए तैयारी करने को भी कह दिया था। नंगल की सीट से 4 बार के विधायक रहे चुके है निर्मल निर्मल सिंह कांग्रेस के टिकट पर अंबाला की नंगल सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। निर्मल सिंह को अंबाला जिले में ‘प्रधानजी’ के नाम से बुलाया जाता है। निर्मल सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं, इसलिए उनके दिल्ली में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। 2019 में हारे पिता-पुत्री वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर निर्मल सिंह ने बेटी चित्रा सरवारा के साथ कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही हार गए। वर्ष 2022 में नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल ने दोनों को आम आदमी पार्टी जॉइन करवाई। चित्रा को AAP ने अपनी हरियाणा इकाई का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। निर्मल सिंह की गिनती भी हरियाणा में AAP के सीनियर नेताओं में होती थी, लेकिन दोनों ने अचानक पार्टी छोड़कर सबको चौंका दिया था। इस बार कांग्रेस ने निर्मल सिंह को तो टिकट दे दिया। लेकिन चित्रा का टिकट काट दिया और चित्रा ने नाराज होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही अंबाला कैंट सीट से नामांकन भर दिया।
नूंह में किसानों ने ट्रैक्टर यात्रा निकाली:जमीन के मुआवजे की मांग, किसान नेता बोले- 7 अगस्त को अल्टीमेटम पूरा होगा
नूंह में किसानों ने ट्रैक्टर यात्रा निकाली:जमीन के मुआवजे की मांग, किसान नेता बोले- 7 अगस्त को अल्टीमेटम पूरा होगा हरियाणा के नूंह में बुधवार को 9 गांवों के किसानों ने ट्रैक्टर यात्रा निकाली। किसानों की ट्रैक्टर यात्रा में भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष रवि आजाद, किसान यूनियन दिल्ली के प्रदेशाध्यक्ष दलजीत डागर समेत कई किसान नेता शामिल हुए। रवि आजाद ने किसान कमेटी के साथ SDM विशाल को ज्ञापन सौंपा। किसान आईएमटी रोजकामेव स्थित धीरदोका गांव में जमीन के मुआवजे को लेकर पिछले करीब 5 महीने से धरने पर बैठे हैं। रवि आजाद ने कहा कि 4 जुलाई को प्रशासन द्वारा मांगा गया 35 दिन का समय 7 अगस्त को पूरा हो जाएगा। इस 7 अगस्त तक सरकार द्वारा मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया तो इसके बाद किसान और प्रशासन आमने-सामने होंगे। 9 गांवों के किसानों की 1600 एकड़ भूमि के मुआवजे की 750 करोड़ राशि को किसानों को दी जाए। साथ ही किसानों से कराए एग्रीमेंट को रद्द कर दिया जाए। अगर 7 अगस्त तक इस यह काम नहीं किया आईएमटी रोजकामेव में चल रहे सभी काम को बंद कराया जाएगा। तब प्रशासन को और समय नहीं दिया जाएगा। 25 लाख मुआवजा देकर अधिग्रहण किया बता दें कि आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांव खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन के किसानों की वर्ष 2010 में 1600 एकड़ अधिग्रहण की जमीन की गई थी। उस दौरान किसानों की जमीन को सरकार द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रति एकड़ अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। कोर्ट ने 2 करोड़ देने के आदेश दिए थे वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमीन को सस्ते दामों में सरकार पर लेने का आरोप लगाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ 2 करोड़ की राशि देने के आदेश दिए थे। इस दौरान जब 9 गांवों के किसानों को पता चला कि उक्त गांवों के किसानों को 2 करोड़ प्रति एकड़ मिले हैं तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़कर सरकार के खिलाफ धरना दिया। जिस पर सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही और उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए, ताकि किसान कोर्ट में न जा सकें और सभी किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे आपको 25-25 लाख रुपए ओर दे दिए जाएंगे, लेकिन आज तक भी किसानों को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए है।