लखनऊ के हजरतगंज इलाके में एक युवक ने हाथ की नस काट ली। उसकी पहचान बसपा के पूर्व मंत्री राम लखन वर्मा के बेटे उपकार वर्मा के रूप में हुई है। उपकार ने नशे की हालत में डालीबाग स्थित अपने मकान में जान देने की कोशिश की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब रेस्क्यू किया तो वह उनसे ही भिड़ गया। कड़ी मशक्कत के बाद उपकार को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर का कहना है कि उसकी हालत खतरे से बाहर है। हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार की दोपहर पुलिस को उपकार के पड़ोसियों ने मामले की सूचना दी। जानकारी मिलते ही चौकी इंचार्ज शुभम पांडेय को मौके पर भेजा गया। टीम पहुंची तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। बाहर भी खून फैला हुआ था। इसके बाद पुलिस टीम ने युवक को बातों में उलझाया। फिर फावड़े से दरवाजा तोड़ और अंदर दाखिल हुई। तीन तस्वीरें देखें… पूरे फ्लैट में फैला था खून
पुलिस जब फ्लैट के अंदर पहुंची तो वहां की हालत देखकर होश उड़ गए। फ्लैट में फर्श और बिस्तर पर खून फैला हुआ था। उपकार वर्मा भी काफी नशे में था। पकड़ने पर वह पुलिस से भिड़ गया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस उसे बाहर लेकर आई। एम्बुलेंस से सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। फिलहाल उपकार की हालत सामान्य है। फ्लैट से एक असलहा भी मिला है। उसके बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। झुग्गी झोपड़ी से पकड़ा गया चौकी इंचार्ज शुभम पांडेय ने बताया, उपकार वर्मा हाथ की नस काट कर बाहर घूम रहा था। पड़ोसियों की सूचना पर टीम के साथ मौके पर पहुंचा तो वह कमरे में भाग गया और दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा तोड़कर टीम अंदर गई तो दूसरे कमरे में भाग गया। घर के अन्य कमरों में खून फैला हुआ था। दूसरे गेट को तोड़ा गया तो युवक पीछे के दरवाजे से झुग्गी झोपड़ियों की तरफ भाग गया। पुलिस बाउंड्रीवाल कूदकर युवक को पकड़ी और एंबुलेंस से इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। नशे की आदत से तंग मां ने छोड़ा साथ उपकार नशे का आदी है। नशे में होने पर वह उग्र हो जाता है। पहले भी नशे में धुत होकर उपकार ने कई बार मां से मारपीट की थी। मां ने उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती भी कराया था। जहां उसका इलाज भी चल रहा है। उपकार की हरकतों से तंग आकर मां मंजू उसे अकेला छोड़कर अलग रह रही हैं। अब मंत्री राम लखन वर्मा को जानिए…. हाथी ने रौंदकर मार डाला था अंबेडकरनगर जिले की राजनीति में कभी रामलखन वर्मा का दबदबा था। उन्होंने 1982 में राजनीति में कदम रखा। पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। 1989 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट से जीत दर्ज की। फिर 1991 और 1993 का चुनाव भी जीता। जब बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह की सरकार बनी, तो उन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया। बाद में यह गठबंधन टूट गया। फिर मायावती भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बनीं। खास बात यह है कि मायावती के साथ शपथ लेने वालों में सिर्फ राम लखन वर्मा ही थे। इसके बाद राम लखन वर्मा बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए। 1996 में उन्होंने सपा के टिकट पर अकबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद सपा ने उन्हें 1999 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से उतारा। इसमें भी वह हार गए। 2002 में उन्होंने फिर विधायकी का चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। पूर्व मंत्री रामलखन वर्मा हाथी प्रेम के लिए काफी प्रसिद्ध रहे। मंत्री रहते उन्होंने अपने सरकारी आवास परिसर में भी हाथी पाल रखा था। लेकिन, उनकी मौत का कारण भी हाथी ही बना। साल 2003 में उनके पालतू हाथी ने ही उन्हें रौंद दिया था। इससे राम लखन वर्मा की मौत हो गई थी। ………………………….. इस खबर को भी पढ़ें… मंत्री आशीष पटेल बोले- मुझे कुछ हुआ तो STF जिम्मेदार:सीएम चाहें तो मेरी और अनुप्रिया की CBI जांच करा लें; डरने वाला नहीं यूपी के प्राविधिक शिक्षा मंत्री और अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल अपनी ही सरकार पर हमलवार हैं। पटेल ने मंगलवार को X पर पोस्ट कर लिखा- यदि सामाजिक न्याय की लड़ाई में मुझे कुछ हुआ तो इसके लिए UP STF जिम्मेदार होगी। पढ़ें पूरी खबर… लखनऊ के हजरतगंज इलाके में एक युवक ने हाथ की नस काट ली। उसकी पहचान बसपा के पूर्व मंत्री राम लखन वर्मा के बेटे उपकार वर्मा के रूप में हुई है। उपकार ने नशे की हालत में डालीबाग स्थित अपने मकान में जान देने की कोशिश की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब रेस्क्यू किया तो वह उनसे ही भिड़ गया। कड़ी मशक्कत के बाद उपकार को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर का कहना है कि उसकी हालत खतरे से बाहर है। हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार की दोपहर पुलिस को उपकार के पड़ोसियों ने मामले की सूचना दी। जानकारी मिलते ही चौकी इंचार्ज शुभम पांडेय को मौके पर भेजा गया। टीम पहुंची तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। बाहर भी खून फैला हुआ था। इसके बाद पुलिस टीम ने युवक को बातों में उलझाया। फिर फावड़े से दरवाजा तोड़ और अंदर दाखिल हुई। तीन तस्वीरें देखें… पूरे फ्लैट में फैला था खून
पुलिस जब फ्लैट के अंदर पहुंची तो वहां की हालत देखकर होश उड़ गए। फ्लैट में फर्श और बिस्तर पर खून फैला हुआ था। उपकार वर्मा भी काफी नशे में था। पकड़ने पर वह पुलिस से भिड़ गया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस उसे बाहर लेकर आई। एम्बुलेंस से सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। फिलहाल उपकार की हालत सामान्य है। फ्लैट से एक असलहा भी मिला है। उसके बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। झुग्गी झोपड़ी से पकड़ा गया चौकी इंचार्ज शुभम पांडेय ने बताया, उपकार वर्मा हाथ की नस काट कर बाहर घूम रहा था। पड़ोसियों की सूचना पर टीम के साथ मौके पर पहुंचा तो वह कमरे में भाग गया और दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा तोड़कर टीम अंदर गई तो दूसरे कमरे में भाग गया। घर के अन्य कमरों में खून फैला हुआ था। दूसरे गेट को तोड़ा गया तो युवक पीछे के दरवाजे से झुग्गी झोपड़ियों की तरफ भाग गया। पुलिस बाउंड्रीवाल कूदकर युवक को पकड़ी और एंबुलेंस से इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। नशे की आदत से तंग मां ने छोड़ा साथ उपकार नशे का आदी है। नशे में होने पर वह उग्र हो जाता है। पहले भी नशे में धुत होकर उपकार ने कई बार मां से मारपीट की थी। मां ने उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती भी कराया था। जहां उसका इलाज भी चल रहा है। उपकार की हरकतों से तंग आकर मां मंजू उसे अकेला छोड़कर अलग रह रही हैं। अब मंत्री राम लखन वर्मा को जानिए…. हाथी ने रौंदकर मार डाला था अंबेडकरनगर जिले की राजनीति में कभी रामलखन वर्मा का दबदबा था। उन्होंने 1982 में राजनीति में कदम रखा। पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। 1989 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट से जीत दर्ज की। फिर 1991 और 1993 का चुनाव भी जीता। जब बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह की सरकार बनी, तो उन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया। बाद में यह गठबंधन टूट गया। फिर मायावती भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बनीं। खास बात यह है कि मायावती के साथ शपथ लेने वालों में सिर्फ राम लखन वर्मा ही थे। इसके बाद राम लखन वर्मा बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए। 1996 में उन्होंने सपा के टिकट पर अकबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद सपा ने उन्हें 1999 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से उतारा। इसमें भी वह हार गए। 2002 में उन्होंने फिर विधायकी का चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। पूर्व मंत्री रामलखन वर्मा हाथी प्रेम के लिए काफी प्रसिद्ध रहे। मंत्री रहते उन्होंने अपने सरकारी आवास परिसर में भी हाथी पाल रखा था। लेकिन, उनकी मौत का कारण भी हाथी ही बना। साल 2003 में उनके पालतू हाथी ने ही उन्हें रौंद दिया था। इससे राम लखन वर्मा की मौत हो गई थी। ………………………….. इस खबर को भी पढ़ें… मंत्री आशीष पटेल बोले- मुझे कुछ हुआ तो STF जिम्मेदार:सीएम चाहें तो मेरी और अनुप्रिया की CBI जांच करा लें; डरने वाला नहीं यूपी के प्राविधिक शिक्षा मंत्री और अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल अपनी ही सरकार पर हमलवार हैं। पटेल ने मंगलवार को X पर पोस्ट कर लिखा- यदि सामाजिक न्याय की लड़ाई में मुझे कुछ हुआ तो इसके लिए UP STF जिम्मेदार होगी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर