हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी रेंक के 2 सीनियर IAS अधिकारियों को नए साल में प्रमोशन का तोहफा दिया है। सरकार ने IAS हरबंस खेड़ा और आरडी नजीम को अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) बना दिया है। इसे लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए है। बता दें कि आरडी नजीम हिमाचल में सेवाएं दे रहे हैं, जबकि हरबंस खेड़ा अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें परफॉर्मा आधार पर प्रमोशन दी गई है। इन दोनों की प्रमोशन के आदेश स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश के बाद जारी किए गए। राज्य में 3 ACS हुए राज्य में अभी तक दो ACS ओंकार चंद शर्मा और केके पंत थे। अब ACS की संख्या 3 हो गई है। आरडी नजीम अभी उद्योग, परिवहन और खाद्य आपूर्ति विभाग देख रहे थे। प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रमोट किए जा सकते हैं ये अधिकारी सूत्र बताते हैं कि ACS के बाद सचिव रेंक के IAS को भी प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रमोट किया जा सकता है। इनमें HRTC के MD रोहन चंद ठाकुर, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रही मानसी सहाय, विनोद कुमार और आरके पुर्थी शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी रेंक के 2 सीनियर IAS अधिकारियों को नए साल में प्रमोशन का तोहफा दिया है। सरकार ने IAS हरबंस खेड़ा और आरडी नजीम को अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) बना दिया है। इसे लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए है। बता दें कि आरडी नजीम हिमाचल में सेवाएं दे रहे हैं, जबकि हरबंस खेड़ा अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें परफॉर्मा आधार पर प्रमोशन दी गई है। इन दोनों की प्रमोशन के आदेश स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश के बाद जारी किए गए। राज्य में 3 ACS हुए राज्य में अभी तक दो ACS ओंकार चंद शर्मा और केके पंत थे। अब ACS की संख्या 3 हो गई है। आरडी नजीम अभी उद्योग, परिवहन और खाद्य आपूर्ति विभाग देख रहे थे। प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रमोट किए जा सकते हैं ये अधिकारी सूत्र बताते हैं कि ACS के बाद सचिव रेंक के IAS को भी प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रमोट किया जा सकता है। इनमें HRTC के MD रोहन चंद ठाकुर, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रही मानसी सहाय, विनोद कुमार और आरके पुर्थी शामिल हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल में उत्तराखंड की बस का एक्सीडेंट:23 यात्री घायल, 6 को गंभीर चोटें आई, ब्रेक फेल होने के बाद सड़क पर पलटी
हिमाचल में उत्तराखंड की बस का एक्सीडेंट:23 यात्री घायल, 6 को गंभीर चोटें आई, ब्रेक फेल होने के बाद सड़क पर पलटी शिमला से टनकपुर जा रही उत्तराखंड की एक बस सोलन जिला के कंडाघाट में अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई। इस हादसे में करीब दो दर्जन यात्री घायल बताए जा रहे है। 6 यात्रियों को गंभीर चोटें आई है। घायलों को कंडाघाट अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए भर्ती किया गया है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को IGMC शिमला रेफर किया गया है। कुछ यात्रियों को कंडाघाट से सोलन अस्पताल भी भेजा गया है। सूचना के अनुसार, सोलन जिला के कंडाघाट से करीब दो किलोमीटर पहले यह हादसा हुआ है। बताया जा रहा है कि ब्रेक फेल होने की वजह से बस अनियंत्रित हो गई। बस में लगभग 50 यात्री बताए जा रहे हैं। हादसे का शिकार बस उत्तराखंड रोडवेज की है। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया है। यह हादसा शिमला-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पांच पर हुआ है। बताया जा रहा है कि दोपहर के वक्त यह बस शिमला से टनकपुर के लिए निकली थी और हादसे का शिकार हो गई।
मंडी में किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण:प्रदर्शन प्लॉट देखने पहुंचे किन्नौर के 30 किसान, मिश्रित खेती का बताया गया लाभ
मंडी में किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण:प्रदर्शन प्लॉट देखने पहुंचे किन्नौर के 30 किसान, मिश्रित खेती का बताया गया लाभ हिमाचल प्रदेश जिला मंडी विकास खंड सुंदरनगर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी द्वारा ग्राम पंचायत कलौहड़ के शिकारी गांव में स्थापित प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार मिश्रित खेती प्रदर्शन प्लाट का भ्रमण करवाया गया। किन्नौर जिला के पूह विकास खंड के लगभग 30 किसानों ने इसमें हिस्सा लिया। साथ ही शून्य लागत जहर मुक्त प्राकृतिक खेती के बारे में बताया गया। सुंदरनगर व किन्नौर के किसानों ने आपस में प्राकृतिक खेती के बारे में चर्चा की और अपने अनुभव भी साझा किए। किन्नौर के किसानों ने कहा कि उन्हें इस भ्रमण कार्यक्रम में बहुत कुछ सीखने को मिला है। किन्नौर व सुंदरनगर के वातावरण में बहुत अंतर होने के बावजूद भी प्रशिक्षकों ने किन्नौर की जलवायु के अनुकूल प्राकृतिक खेती के गुर बताए। कृषि विकास खंड सुंदरनगर के खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि प्रदर्शन प्लाट में मिश्रित खेती की गई है जिसमें गेहूं के बीच मटर व सरसों लगाई गई है। उन्होंने किसानों को मिश्रित खेती के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिश्रित खेती में एक से अधिक फसलें एक साथ लगाई जाती हैं। हालांकि इसके लिए आपको अपने स्थान की मिट्टी व वातावरण के अनुसार फसलों का चयन करना होता है। मिश्रित खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम जगह में ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही खाली जगह का भी सदुपयोग होता है। मिश्रित खेती में किसान की आय 2-3 गुना बढ़ जाती है, क्योंकि लागत कम हो जाती है।
हिमाचल के बद्दी की हवा हुई खतरनाक:आज 329 पहुंचा AQI, 10 दिनों से खराब हुई हवा; सांस लेने में हो रही दिक्कत
हिमाचल के बद्दी की हवा हुई खतरनाक:आज 329 पहुंचा AQI, 10 दिनों से खराब हुई हवा; सांस लेने में हो रही दिक्कत हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा बेहद खतरनाक हो गई है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 10 दिन से निरंतर 250 से 351 के बीच चल रहा है। आज भी सुबह AQI 329 रिकॉर्ड किया गया। रिचर्ड ए. मिलर और एलिजाबोथ मिलर की स्टडी के अनुसार, बद्दी की हवा दिन में 10 से 20 सिगरेट के धुएं जैसी खतरनाक हो गई है। जिस शहर में AQI जब 250 होता तो, वहां की लगभग 8 से 9 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। जहां AQI 350 पहुंच जाता है, वहां 18 से 19 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। 6 नवंबर से हवा खराब होनी शुरू हुई दिवाली के दूसरे दिन यानी 1 नवंबर को भी बद्दी का AQI 305 माइक्रो ग्राम पहुंचा था। मगर 2 नवंबर से इसमें सुधार होना शुरू हो गया और AQI 166 माइक्रो ग्राम तक गिर गया। बद्दी में 5 नवंबर को संतोषजनक हो गई थी। मगर 6 नवंबर से दोबारा हालात बिगड़ने लगे और दिन प्रतिदिन हवा खराब होती गई और 3 दिन से AQI 300 से ज्यादा चल रहा है। पिछले 10 दिन में सात बार AQI 300 से ज्यादा रहा है। इन वजह से खराब हुई हवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की माने तो बद्दी की खराब हवा का सबसे बड़ा कारण यहां के उद्योग है। इसमें कुछ योगदान गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण का भी है। इसी तरह लंबे ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल और पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली भी इसकी एक वजह बताई जा रही है। मगर एनवायरमेंट इंजीनियर प्रदूषण में पराली का नाम मात्र योगदान मानते है, क्योंकि इन दिनों हवाएं से उत्तर से पश्चिम की ओर चलती है। बद्दी में देशभर के लोग करते हैं नौकरी औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में हिमाचल के साथ-साथ देशभर से लोग नौकरी करते हैं। जिन्हें खराब हवा के कारण रोजाना परेशानियां झेलनी पड़ रही है। खासकर अस्थमा और सांस के रोगियों को ज्यादा कठिनाई हो रही है। क्या है AQI और इसका हाई लेवल खतरा क्यों ? AQI एक तरह का थर्मामीटर है। थर्मामीटर तापमान मापता है, जबकि AQI प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन बद्दी में यह 300 पार हो चुका है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। AQI खराब करने वाले धूल के इतने सूक्ष्म होते है, इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल प्रदेश में ज्यादातर क्षेत्रों में 45 दिन से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। धूल की वजह से भी हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनकर घरों से बाहर निकलने की सलाह दी है। प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ सुथरी अच्छी बात यह है कि हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ या संतोषजनक बनी हुई है। पांटवा साहिब का AQI 119, कालाअंब का 145, बरोटीवाला 150 और नालागढ़ का AQI 130 है। वहीं शिमला में शिमला में 57, मनाली 30 और धर्मशाला में 73 है।