हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा बेहद खतरनाक हो गई है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 10 दिन से निरंतर 250 से 351 के बीच चल रहा है। आज भी सुबह AQI 329 रिकॉर्ड किया गया। रिचर्ड ए. मिलर और एलिजाबोथ मिलर की स्टडी के अनुसार, बद्दी की हवा दिन में 10 से 20 सिगरेट के धुएं जैसी खतरनाक हो गई है। जिस शहर में AQI जब 250 होता तो, वहां की लगभग 8 से 9 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। जहां AQI 350 पहुंच जाता है, वहां 18 से 19 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। 6 नवंबर से हवा खराब होनी शुरू हुई दिवाली के दूसरे दिन यानी 1 नवंबर को भी बद्दी का AQI 305 माइक्रो ग्राम पहुंचा था। मगर 2 नवंबर से इसमें सुधार होना शुरू हो गया और AQI 166 माइक्रो ग्राम तक गिर गया। बद्दी में 5 नवंबर को संतोषजनक हो गई थी। मगर 6 नवंबर से दोबारा हालात बिगड़ने लगे और दिन प्रतिदिन हवा खराब होती गई और 3 दिन से AQI 300 से ज्यादा चल रहा है। पिछले 10 दिन में सात बार AQI 300 से ज्यादा रहा है। इन वजह से खराब हुई हवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की माने तो बद्दी की खराब हवा का सबसे बड़ा कारण यहां के उद्योग है। इसमें कुछ योगदान गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण का भी है। इसी तरह लंबे ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल और पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली भी इसकी एक वजह बताई जा रही है। मगर एनवायरमेंट इंजीनियर प्रदूषण में पराली का नाम मात्र योगदान मानते है, क्योंकि इन दिनों हवाएं से उत्तर से पश्चिम की ओर चलती है। बद्दी में देशभर के लोग करते हैं नौकरी औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में हिमाचल के साथ-साथ देशभर से लोग नौकरी करते हैं। जिन्हें खराब हवा के कारण रोजाना परेशानियां झेलनी पड़ रही है। खासकर अस्थमा और सांस के रोगियों को ज्यादा कठिनाई हो रही है। क्या है AQI और इसका हाई लेवल खतरा क्यों ? AQI एक तरह का थर्मामीटर है। थर्मामीटर तापमान मापता है, जबकि AQI प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन बद्दी में यह 300 पार हो चुका है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। AQI खराब करने वाले धूल के इतने सूक्ष्म होते है, इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल प्रदेश में ज्यादातर क्षेत्रों में 45 दिन से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। धूल की वजह से भी हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनकर घरों से बाहर निकलने की सलाह दी है। प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ सुथरी अच्छी बात यह है कि हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ या संतोषजनक बनी हुई है। पांटवा साहिब का AQI 119, कालाअंब का 145, बरोटीवाला 150 और नालागढ़ का AQI 130 है। वहीं शिमला में शिमला में 57, मनाली 30 और धर्मशाला में 73 है। हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की हवा बेहद खतरनाक हो गई है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 10 दिन से निरंतर 250 से 351 के बीच चल रहा है। आज भी सुबह AQI 329 रिकॉर्ड किया गया। रिचर्ड ए. मिलर और एलिजाबोथ मिलर की स्टडी के अनुसार, बद्दी की हवा दिन में 10 से 20 सिगरेट के धुएं जैसी खतरनाक हो गई है। जिस शहर में AQI जब 250 होता तो, वहां की लगभग 8 से 9 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। जहां AQI 350 पहुंच जाता है, वहां 18 से 19 सिगरेट पीने जैसी खतरनाक होती है। 6 नवंबर से हवा खराब होनी शुरू हुई दिवाली के दूसरे दिन यानी 1 नवंबर को भी बद्दी का AQI 305 माइक्रो ग्राम पहुंचा था। मगर 2 नवंबर से इसमें सुधार होना शुरू हो गया और AQI 166 माइक्रो ग्राम तक गिर गया। बद्दी में 5 नवंबर को संतोषजनक हो गई थी। मगर 6 नवंबर से दोबारा हालात बिगड़ने लगे और दिन प्रतिदिन हवा खराब होती गई और 3 दिन से AQI 300 से ज्यादा चल रहा है। पिछले 10 दिन में सात बार AQI 300 से ज्यादा रहा है। इन वजह से खराब हुई हवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की माने तो बद्दी की खराब हवा का सबसे बड़ा कारण यहां के उद्योग है। इसमें कुछ योगदान गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण का भी है। इसी तरह लंबे ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल और पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली भी इसकी एक वजह बताई जा रही है। मगर एनवायरमेंट इंजीनियर प्रदूषण में पराली का नाम मात्र योगदान मानते है, क्योंकि इन दिनों हवाएं से उत्तर से पश्चिम की ओर चलती है। बद्दी में देशभर के लोग करते हैं नौकरी औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में हिमाचल के साथ-साथ देशभर से लोग नौकरी करते हैं। जिन्हें खराब हवा के कारण रोजाना परेशानियां झेलनी पड़ रही है। खासकर अस्थमा और सांस के रोगियों को ज्यादा कठिनाई हो रही है। क्या है AQI और इसका हाई लेवल खतरा क्यों ? AQI एक तरह का थर्मामीटर है। थर्मामीटर तापमान मापता है, जबकि AQI प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है। हवा में पोल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन बद्दी में यह 300 पार हो चुका है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है। AQI खराब करने वाले धूल के इतने सूक्ष्म होते है, इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। ड्राइ स्पेल के कारण उड़ रही धूल प्रदेश में ज्यादातर क्षेत्रों में 45 दिन से बारिश नहीं हुई। इससे चौतरफा धूल के गुबार उड़ रहे हैं। धूल की वजह से भी हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनकर घरों से बाहर निकलने की सलाह दी है। प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ सुथरी अच्छी बात यह है कि हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों की हवा साफ या संतोषजनक बनी हुई है। पांटवा साहिब का AQI 119, कालाअंब का 145, बरोटीवाला 150 और नालागढ़ का AQI 130 है। वहीं शिमला में शिमला में 57, मनाली 30 और धर्मशाला में 73 है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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