हरियाणा में BJP के संगठन चुनाव शुरू हो रहे हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली की कुर्सी सेफ है। CM नायब सैनी के साथ अच्छी ट्यूनिंग के चलते भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उनको नहीं हटाएगा। सैनी और बड़ौली की जोड़ी से BJP का OBC-ब्राह्मण वोट बैंक का कॉम्बिनेशन भी फिट बैठ रहा है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में जीत समेत कुल 4 वजहें ऐसी हैं, जिस वजह से बड़ौली का अध्यक्ष पद पर बने रहने का दावा मजबूत हुआ है। वहीं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दूसरे बड़े नेताओं को इसके संकेत दे दिए हैं। यही वजह है कि रविवार यानी 29 दिसंबर को संगठन चुनाव को लेकर दिल्ली में हुई भाजपा की बैठक में सिर्फ 7 राज्यों में ही प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर चर्चा की गई। इनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड शामिल हैं। बैठक में हरियाणा के अध्यक्ष चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। बड़ौली कैसे आए सेफ जोन में, 4 बड़ी वजहें … 1. पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा
मोहन लाल बड़ौली को 9 जुलाई 2024 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा BJP का अध्यक्ष बनाया गया था। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने यहां ब्राह्मण कार्ड खेला था। हरियाणा में OBC और ब्राह्मण दोनों समुदायों को मिलाकर कुल 28% से ज्यादा वोटर्स हैं। पहले BJP प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी CM नायब सिंह सैनी के पास थी। उनके रहते हुए भाजपा ने OBC वोटरों को साधा। इसके बाद नायब सैनी CM फेस बन गए तो केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन की जिम्मेदारी बड़ौली को दे दी, क्योंकि वह हरियाणा में पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। चूंकि प्रदेश के जाट वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस और इनेलो व जजपा जैसे क्षेत्रीय दलों की तरफ भी रहता है। ऐसे में ओबीसी और ब्राह्मण को एकजुट कर भाजपा राजनीतिक तौर पर वोट बैंक मजबूत रखना चाहती है। 2. विधानसभा चुनाव की जीत में योगदान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा तीसरी बार सत्ता में काबिज हुई है। BJP ने 90 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में तीसरी बार जीत के लिए संगठन का भी बड़ा योगदान माना गया। बड़ौली ने चुनाव के दौरान सूबे की सभी 90 विधानसभाओं के साथ सभी 22 जिलों में तूफानी दौरे किए थे। नाराज कार्यकर्ताओं को साधने के साथ ही बागियों को मनाने में बड़ौली की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। 3. संगठन की अच्छी जानकारी
मोहन लाल बड़ौली को संगठन की अच्छी जानकारी है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनका संगठन में लंबे समय तक काम करना है। साल 1989 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। इसके बाद 1995 में वह BJP में आए और उन्हें मुरथल का मंडल अध्यक्ष बनाया गया। साल 2020 में उन्हें BJP सोनीपत का जिला अध्यक्ष बना गया। 2021 में हरियाणा BJP में प्रदेश महामंत्री बने। संगठन में उनके इस लंबे अनुभव का फायदा भी उन्हें इस बार अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी के दौरान मिल रहा है। 4. सरकार के साथ अच्छी ट्यूनिंग
बड़ौली की हरियाणा सरकार के साथ अच्छी ट्यूनिंग है। वह CM नायब सैनी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। CM सैनी भी संगठन के हर छोटे बड़े कार्यक्रमों में बड़ौली के साथ दिखाई देते हैं। उनके इस समन्वय को भी केंद्रीय नेतृत्व ने सराहा है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता कि सीएम सैनी के कामकाज में किसी भी तरह से कोई रुकावट रहे। ऐसे में नए अध्यक्ष के बजाय बड़ौली पर ही भरोसा जताया गया है। हरियाणा में BJP के संगठन चुनाव शुरू हो रहे हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली की कुर्सी सेफ है। CM नायब सैनी के साथ अच्छी ट्यूनिंग के चलते भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उनको नहीं हटाएगा। सैनी और बड़ौली की जोड़ी से BJP का OBC-ब्राह्मण वोट बैंक का कॉम्बिनेशन भी फिट बैठ रहा है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में जीत समेत कुल 4 वजहें ऐसी हैं, जिस वजह से बड़ौली का अध्यक्ष पद पर बने रहने का दावा मजबूत हुआ है। वहीं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दूसरे बड़े नेताओं को इसके संकेत दे दिए हैं। यही वजह है कि रविवार यानी 29 दिसंबर को संगठन चुनाव को लेकर दिल्ली में हुई भाजपा की बैठक में सिर्फ 7 राज्यों में ही प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर चर्चा की गई। इनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड शामिल हैं। बैठक में हरियाणा के अध्यक्ष चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। बड़ौली कैसे आए सेफ जोन में, 4 बड़ी वजहें … 1. पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा
मोहन लाल बड़ौली को 9 जुलाई 2024 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा BJP का अध्यक्ष बनाया गया था। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने यहां ब्राह्मण कार्ड खेला था। हरियाणा में OBC और ब्राह्मण दोनों समुदायों को मिलाकर कुल 28% से ज्यादा वोटर्स हैं। पहले BJP प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी CM नायब सिंह सैनी के पास थी। उनके रहते हुए भाजपा ने OBC वोटरों को साधा। इसके बाद नायब सैनी CM फेस बन गए तो केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन की जिम्मेदारी बड़ौली को दे दी, क्योंकि वह हरियाणा में पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। चूंकि प्रदेश के जाट वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस और इनेलो व जजपा जैसे क्षेत्रीय दलों की तरफ भी रहता है। ऐसे में ओबीसी और ब्राह्मण को एकजुट कर भाजपा राजनीतिक तौर पर वोट बैंक मजबूत रखना चाहती है। 2. विधानसभा चुनाव की जीत में योगदान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा तीसरी बार सत्ता में काबिज हुई है। BJP ने 90 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में तीसरी बार जीत के लिए संगठन का भी बड़ा योगदान माना गया। बड़ौली ने चुनाव के दौरान सूबे की सभी 90 विधानसभाओं के साथ सभी 22 जिलों में तूफानी दौरे किए थे। नाराज कार्यकर्ताओं को साधने के साथ ही बागियों को मनाने में बड़ौली की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। 3. संगठन की अच्छी जानकारी
मोहन लाल बड़ौली को संगठन की अच्छी जानकारी है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनका संगठन में लंबे समय तक काम करना है। साल 1989 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। इसके बाद 1995 में वह BJP में आए और उन्हें मुरथल का मंडल अध्यक्ष बनाया गया। साल 2020 में उन्हें BJP सोनीपत का जिला अध्यक्ष बना गया। 2021 में हरियाणा BJP में प्रदेश महामंत्री बने। संगठन में उनके इस लंबे अनुभव का फायदा भी उन्हें इस बार अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी के दौरान मिल रहा है। 4. सरकार के साथ अच्छी ट्यूनिंग
बड़ौली की हरियाणा सरकार के साथ अच्छी ट्यूनिंग है। वह CM नायब सैनी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। CM सैनी भी संगठन के हर छोटे बड़े कार्यक्रमों में बड़ौली के साथ दिखाई देते हैं। उनके इस समन्वय को भी केंद्रीय नेतृत्व ने सराहा है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता कि सीएम सैनी के कामकाज में किसी भी तरह से कोई रुकावट रहे। ऐसे में नए अध्यक्ष के बजाय बड़ौली पर ही भरोसा जताया गया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर