पंजाब के कपूरथला जेल में एक कैदी की तबीयत खराब हो गई। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिलहाल मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। शव का पोस्टमार्टम करवाया जा जाएगा, जिसके बाद कारण स्पष्ट हो पाएगा। मृतक की पहचान कपूरथला के मोहल्ला मेहताबगढ़ के रहने वाले राजिंदर सिंह पुत्र तरसेम लाल के रूप में हुई है। जोकि नशा तस्करी के केस में जेल में बंद था। कपूरथला पुलिस के थाना कोतवाली की टीम द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जल्द पारिवारिक सदस्यों के बयान दर्ज किए जाएंगे। डॉ. बोले- नशा तस्करी के केस में जेल में बंद था आरोपी सिविल अस्पताल में मौजूद डॉक्टर सिद्धार्थ बिंद्रा ने मीडिया को बताया कि केन्द्रीय कारागार में एक कैदी की तबीयत खराब होने के कारण सिविल अस्पताल में उसे लाया गया था। जिसका नाम राजिंदर सिंह बताया गया था। राजिंदर सिंह एनडीपीएस के मामले में जेल में बंद था। राजिंदर की जेल में ही तबीयत बिगड़ी तो पहले जेल में हलका इलाज देने के बाद तुरंत सिविल अस्पताल कपूरथला लाया गया था। यहां उसका इलाज शुरू किए जाने से पहले ही उसकी सांस थम चुकीं थी। उन्होंने बताया कि मृतक कैदी का शव सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में रखा दिया गया था। साथ ही थाना कोतवाली की पुलिस को भी मामले की सूचना दी गई है। पारिवारिक सदस्यों को भी पुलिस ने जानकारी दे दी है। पंजाब के कपूरथला जेल में एक कैदी की तबीयत खराब हो गई। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिलहाल मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। शव का पोस्टमार्टम करवाया जा जाएगा, जिसके बाद कारण स्पष्ट हो पाएगा। मृतक की पहचान कपूरथला के मोहल्ला मेहताबगढ़ के रहने वाले राजिंदर सिंह पुत्र तरसेम लाल के रूप में हुई है। जोकि नशा तस्करी के केस में जेल में बंद था। कपूरथला पुलिस के थाना कोतवाली की टीम द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जल्द पारिवारिक सदस्यों के बयान दर्ज किए जाएंगे। डॉ. बोले- नशा तस्करी के केस में जेल में बंद था आरोपी सिविल अस्पताल में मौजूद डॉक्टर सिद्धार्थ बिंद्रा ने मीडिया को बताया कि केन्द्रीय कारागार में एक कैदी की तबीयत खराब होने के कारण सिविल अस्पताल में उसे लाया गया था। जिसका नाम राजिंदर सिंह बताया गया था। राजिंदर सिंह एनडीपीएस के मामले में जेल में बंद था। राजिंदर की जेल में ही तबीयत बिगड़ी तो पहले जेल में हलका इलाज देने के बाद तुरंत सिविल अस्पताल कपूरथला लाया गया था। यहां उसका इलाज शुरू किए जाने से पहले ही उसकी सांस थम चुकीं थी। उन्होंने बताया कि मृतक कैदी का शव सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में रखा दिया गया था। साथ ही थाना कोतवाली की पुलिस को भी मामले की सूचना दी गई है। पारिवारिक सदस्यों को भी पुलिस ने जानकारी दे दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतसर-नांदेड़ फ्लाइट जल्द हो सकती है शुरू:प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में रैली में की घोषणा; ढाई साल से बंद है रूट
अमृतसर-नांदेड़ फ्लाइट जल्द हो सकती है शुरू:प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में रैली में की घोषणा; ढाई साल से बंद है रूट पंजाब के अमृतसर से महाराष्ट्र नांदेड़ के लिए फ्लाइट जल्द शुरू हो सकती है। इसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद दिए हैं। बीते दिन उन्होंने महाराष्ट्र के ओकला में रैली को संबोधित किया। जिसमें संकेत दिया कि जल्द ही नांदेड़ से अमृतसर के लिए फ्लाइट शुरू होने वाली है। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये फ्लाइट कब शुरू की जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओकला में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नांदेड़ से दिल्ली और आदमपुर के लिए विमान सेवाएं शुरू हो गई हैं। जल्द ही हमारे सिख भाइयों को यहां से अमृतसर तक की यात्रा विमान की सुविधा भी मिलने वाली है। सिख धर्म के दो तख्तों को जोड़ने के लिए ये रूट काफी महत्वपूर्ण है। तकरीबन ढाई साल पहले जब इस रूट को बंद किया गया था तो इसका काफी विरोध हुआ था। 2022 की शुरुआत में बंद की गई थी सेवाएं 2022 विधानसभा की शुरुआत में अमृतसर-नांदेड़ फ्लाइट सेवा को बंद कर दिया गया था। यह पहली बार नहीं था। इससे पहले 30 सितंबर 2021 को फ्लाइट को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसका विरोध किया था। तब तत्कालीन SGPC की प्रधान बीबी जागीर कौर और पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी ने खुद उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को खत लिखा था। विरोध के बाद 24 नवंबर 2021 को इस फ्लाइट को दोबारा शुरू किया गया था, जो मात्र तीन महीने ही चली। सप्ताह में तीन दिन चलती थी फ्लाइट सितंबर 2021 में बंद होने से पहले यह फ्लाइट सप्ताह में तीन दिन उड़ान भर्ती थी। लेकिन जब इसे नवंबर 2021 में शुरू किया गया तो अमृतसर से नांदेड़ साहिब के लिए फ्लाइट हर बुधवार और नांदेड़ साहिब से अमृतसर के लिए हर शनिवार का समय निर्धारित किया गया। लेकिन अब इसे दोबारा से बंद कर दिया गया है।
पंजाब की 13 सीटों पर कौन-कहां मजबूत?:AAP-कांग्रेस टफ फाइट में; दोनों में से कोई भी जीते फायदा I.N.D.I.A. का; हरसिमरत टक्कर में फंसी
पंजाब की 13 सीटों पर कौन-कहां मजबूत?:AAP-कांग्रेस टफ फाइट में; दोनों में से कोई भी जीते फायदा I.N.D.I.A. का; हरसिमरत टक्कर में फंसी पंजाब में चुनावी शोर थम चुका है। बीते कल यानी 1 जून को 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई। अब सभी की नजरें 4 जून पर टिक गई हैं, क्योंकि इस दिन रिजल्ट आने हैं। इलेक्शन कमीशन के ऐप वोटर टर्नआउट के मुताबिक 62.06% वोटिंग हुई, जोकि पिछले चुनाव की तुलना में 3.9% कम है। पिछले चुनाव में 65.96% वोटिंग हुई थी। लंबे समय के बाद पंजाब का ये पहला चुनाव है, जब कोई भी बड़ी पार्टी गठजोड़ में नहीं हैं। ऐसे में इस बार 6 से 8 सीटों पर कांग्रेस, 4 से 6 पर आम आदमी पार्टी (AAP), 2 पर भाजपा और 1 पर अकाली दल फाइट में दिख रहे हैं। हालांकि पंजाब में कांग्रेस और AAP दोनों INDIA गठबंधन के तहत नहीं उतरे, लेकिन अंत में दोनों की सीटें INDIA गठबंधन में जुड़ने वाली हैं। यानी INDA गठबंधन आसानी से 8 से 10 सीटों पर काबिज हो सकता है। पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर का पटियाला में कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी और AAP के कैंडिडेट बलबीर सिंह से मुकाबला है। दूसरी हॉट सीट लुधियाना है। यहां कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग मैदान में हैं, लेकिन AAP के अशोक पराशर पप्पी भी स्ट्रॉन्ग हैं। वहीं, पिछले 3 चुनाव में अकाली दल के कब्जे में बठिंडा सीट पर इस बार AAP व कांग्रेस के कैंडिडेट के कारण मुकाबला टफ है। इसके अलावा खडूर साहिब सीट नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के कारण चर्चा में हैं। जेल से चुनाव लड़ने के बावजूद वह कांग्रेस और AAP कैंडिडेट के साथ क्लोज फाइट में है। किसान आंदोलन से बिगड़ा भाजपा का समीकरण
पंजाब में भाजपा इस बार चर्चा में हैं। हिंदू व शहरी वोटर भाजपा की तरफ झुका है, लेकिन किसानों ने भाजपा का समीकरण बिगाड़ दिया। पंजाब की 65% आबादी गांवों में हैं। पंजाब में 58% आबादी सिख है, जबकि 35% आबादी हिंदू है। मालवा व माझा के ग्रामीण इलाकों में किसान आंदोलन का असर है। वहीं अधिकतर सिख वोटों का रुझान भी भाजपा की तरफ नहीं है। तीन सीटों पर खालिस्तान समर्थक मैदान में, 2 पर टफ फाइट
पंजाब में 3 सीटों पर खालिस्तान समर्थक मैदान में हैं। इनमें सबसे पहला नाम सिमरनजीत सिंह मान का है, जो संगरूर से मौजूदा सांसद हैं। इस बार वोटर उनकी तरफ नहीं झुकता नहीं दिख रहा। दूसरा नाम देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह का हैं। वे इस समय फरीदकोट से चुनाव लड़ रहे हैं और क्लोज फाइट में हैं। तीसरी सीट खडूर साहिब है, जहां से वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह मैदान में है। तीन सीटों में से 2 पर अमृतपाल सिंह व सरबजीत सिंह क्लोज फाइट में हैं। अब पढ़िए 13 सीटों पर क्या समीकरण बन रहे हैं… गुरदासपुर: कम वोटिंग से AAP को नुकसान
गुरदासपुर सीट पर अलग चुनाव लड़ने से अकाली दल व भाजपा को नुकसान होता दिख रहा है। यहां कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी CM सुखजिंदर रंधावा तो AAP ने शैरी कलसी को मैदान में उतार रखा है, जिनमें क्लोज फाइट चल रही है। यहां इस बार 65.77% वोट मतदान हुआ। जबकि 2019 के चुनाव में कुल वोटिंग 69.26% थी। इसका सीधा नुकसान मौजूदा राज्य सरकार को दिख रहा है और फायदा कांग्रेस को। अमृतसर: भाजपा-कांग्रेस क्लोज फाइट में
अमृतसर जिले के 11 में से 9 विधानसभा हलके अमृतसर लोकसभा में आते हैं, जबकि दो बाबा बकाला व जंडियाला खडूर साहिब में आते हैं। 2019 में यहां 57.07% वोटिंग हुई थी, लेकिन इस साल 56.07% ही वोट पड़े हैं। आम आदमी पार्टी के मंत्री कुलदीप धालीवाल यहां से उम्मीदवार हैं, इसके बावजूद वे यहां वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने में असमर्थ रहे। यहां भाजपा शहर में मजबूत स्थिति में दिखी, लेकिन गांवों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मजूबत रही। जिसके चलते सांसद गुरजीत औजला को इस बार भाजपा के साथ क्लोज फाइट लड़नी पड़ रही है। खडूर साहिब: अमृतपाल के कारण सबसे चर्चित सीट
पंजाब में कई वीवीआईपी सीटों को पछाड़ खडूर साहिब राज्य की सबसे चर्चित सीट है। क्योंकि यहां से वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ रहा है। यहां भी आम आदमी पार्टी के मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर मैदान में हैं, लेकिन इस बार यहां वोटिंग में 3 प्रतिशत गिरावट आई। कुल 61.60% वोटिंग हुई है, जो मौजूदा सरकार के लिए सही नहीं है। वहीं, कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा और भाजपा के मनजीत सिंह मियांविंड मैदान में हैं। यहां क्लोज फाइट अमृतपाल सिंह की लालजीत सिंह भुल्लर व कुलबीर सिंह जीरा के साथ है। जालंधर: दलबदलुओं से नाराज हुए वोटर
जालंधर की सीट शुरू से कांग्रेस की झोली में रही है, लेकिन 2022 के उपचुनाव में यहां AAP ने जीत हासिल की। इस बार कांग्रेस ने यहां पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उतारा। जबकि AAP ने पहले यहां टिकट मौजूदा सांसद सुशील कुमार रिंकू को दी थी, लेकिन वे भाजपा में पलटी मार गए। इसके बाद AAP ने पवन कुमार टीनू को टिकट दी। इस बार यहां 59.67% वोटिंग हुई है, जो 2019 क चुनाव से करीब 4 प्रतिशत कम है। इसका नुकसान मौजूदा सरकार को होना संभावित है, वहीं कांग्रेस यहां बढ़त में दिख रही है। होशियारपुर: AAP को बढ़त, भाजपा की साख दांव पर
होशियारपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन टिकट बंटवारे की नाराजगी ने भाजपा को यहां कमजोर भी किया। इसका फायदा आम आदमी पार्टी को दिख रहा है। यहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को छोड़कर आए डॉ. राज कुमार चब्बेवाल को मैदान में उतारा। भाजपा ने इस बार केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश की पत्नी अनीता सोम प्रकाश को दिया। वहीं, कांग्रेस ने यामिनी गोमर को मैदान में उतारा। होशियारपुर में इस साल तकरीबन 4% गिरावट के साथ 58.86% वोट डले हैं। आनंदपुर साहिब: कांग्रेस स्ट्रॉन्ग, AAP क्लोज फाइट में
आनंदपुर साहिब में हिंदू वोटर अधिक हैं। यहां इस बार 60.02% वोटिंग हुई, जो 2019 के चुनाव से तकरीबन 3% कम है। पिछले 3 चुनाव में ये सीट दो बार कांग्रेस के पास रही। इस बार कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट बदल विजय इंदर सिंगला को टिकट दी। वहीं आम आदमी पार्टी ने मालविंदर सिंह कंग को मैदान में उतारा। इसके अलावा अकाली दल ने प्रेम सिंह चंदूमाजरा व बसपा ने जसवीर गढ़ी को उतार समीकरण ही बदल दिए। जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को दिख रहा है। इस बार वह टफ फाइट में हैं। ऐसे में मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। लुधियाना: पप्पी पराशर ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया
लुधियाना सीट हॉट सीटों में शामिल है। यहां से मौजूदा सांसद रवनीत बिट्टू चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले तक कांग्रेस में थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें लुधियाना से ही कैंडिडेट बनाया। उन्हें हराने के लिए कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को मैदान में उतारा। इस बीच AAP भी पीछे ना रही और लुधियाना सेंट्रल के विधायक अशोक पराशर पप्पी को मुकाबले में उतार दिया। यहां इस बार 59% वोट पड़े, जो 2019 के चुनाव के मुकाबले तकरीबन 3% कम है। पप्पी पराशर के मैदान में आने के बाद ये मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है। फतेहगढ़ साहिब: लोगों की नाराजगी कांग्रेस पर भारी
फतेहगढ़ साहिब लोकसभा सीट के लिए लड़ाई दिलचस्प है। AAP ने कांग्रेस के पूर्व नेता गुरप्रीत सिंह जीपी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस के मौजूदा सांसद व उम्मीदवार अमर सिंह गैरमौजूदगी के कारण फंसते दिख रहे हैं। वहीं, पंजाब सफाई सेवक संघ का प्रतिनिधित्व कर चुके भाजपा के गेजा राम वाल्मीकि व अकाली दल के बिक्रमजीत सिंह ने चुनाव को रोचक बना दिया है। इस बार यहां चौकाना मुकाबला है। इस बार यहां 2019 के मुकाबले 4% कम वोटिंग हुई। इलेक्शन कमीशन के ऐप वोटर टर्नआउट के मुताबिक 61.18% वोटिंग हुई। फरीदकोट: AAP-आजाद उम्मीदवार के बीच कड़ा मुकाबला
यहां इस बार 63.17% वोटिंग हुई, जबकि 2019 के चुनाव में 63.25% मतदान हुआ था। इस सीट पर मौजूदा सांसद कांग्रेस के हैं, लेकिन इस बार समीकरण बदल चुके हैं। इस बार AAP उम्मीदवार करमजीत सिंह अनमोल और आजाद उम्मीदवार सरबजीत सिंह खालसा के बीच टफ फाइट मानी जा रही है। भाजपा ने यहां फेमस सूफी सिंगर हंसराज हंस को उतारा, लेकिन किसानों के विरोध के कारण नुकसान होता दिख रहा है। फिरोजपुर: अकाली दल की होम सीट पर कांग्रेस स्ट्रॉन्ग
बठिंडा की तरह फिरोजपुर को भी हमेशा अकाली दल की सीट माना जाता रहा है, लेकिन 2019 में अकाली दल छोड़ कांग्रेस में आए शेर सिंह घुबाया यहां स्ट्रॉन्ग दिख रहे हैं। यहां 2019 में वोट प्रतिशत 72.47% रहा था, लेकिन इस साल ये 65.95% रहा। यहां मौजूदा सांसद सुखबीर बादल हैं, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव न लड़ने की घोषणा की और नरदेव सिंह बॉबी मान को टिकट दी। यहां कंबोज बिरादरी काफी मजबूत है। रिपोर्ट्स के अनुसार उनका समर्थन घुबाया को मिल चुका है, जो उन्हें यहां स्ट्रॉन्ग कर रहा है। बठिंडा: अकाली दल अस्तित्व बचाने की कोशिश में
बठिंडा को अकाली दल का गढ़ माना जाता है। यहां मौजूदा सांसद और कैंडिडेट हरसिमरत कौर बादल हैं। 2019 के चुनाव के मुकाबले इस साल यहां करीब 8 प्रतिशत कम यानी 67.97% वोट डले। कांग्रेस के जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू तो भाजपा के परमपाल कौर सिद्धू मैदान में हैं। हरसिमरत कौर के सामने AAP ने यहां पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल को हराने वाले गुरमीत सिंह खुडियां को मैदान में उतार रखा है। ऐसे में यहां मुकाबला टफ हो गया है। हरसिमरत 2014 के चुनाव में 1 लाख से अधिक वोटों से जीतीं थी और 2019 में ये जीत का मार्जिन तकरीबन 21 हजार रह गया था। यहां गुरमीत खुडि्डयां व हरसिमरत कौर बादल के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है। जीत-हार बताना मुश्किल है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि जीत का मार्जिन काफी कम रहने वाला है। संगरूर; सीएम मान की साख दांव पर
संगरूर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला है। यहीं से वह 2 बार जीतकर संसद में गए, लेकिन आज ये सीट फंस चुकी है। कांग्रेस ने यहां मौजूदा विधायक सुखपाल खैहरा को टिकट दी। करीब 1 महीने वह यहां जुट रहे। कैंपेन इतना जबरदस्त रहा कि भगवंत मान को खुद आना पड़ा और वोटरों को AAP के समर्थन में वोट डालने को कहना पड़ा। इस बार यहां 64.63% वोटिंग हुई। 2019 के चुनाव में यहां 72.40% वोट पड़े। इस सीट पर AAP के मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर और कांग्रेस के सुखपाल खैहरा के बीच कड़ा मुकाबला है। यहां सीएम भगवंत मान की साख दांव पर है। पटियाला: मोती महल का असर कम हुआ, दो डॉक्टरों के बीच मुकाबला
मोती महल के कारण शाही सीट कही जाने वाली पटियाला में अधिकतर समय कैप्टन अमरिंदर सिंह व परनीत कौर के कारण कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार शाही घराने ने कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा का दामन थाम लिया। जिसका फायदा AAP और कांग्रेस के मौजूदा उम्मीदवारों को दिख रहा है। भाजपा की टिकट पर महारानी परनीत कौर के होने के बावजूद मुकाबला कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी व AAP के मौजूदा मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के बीच है। इस बार यहां 63.63% वोटिंग हुई, जो 2019 के चुनाव से 4% कम है।
मूसेवाला पर किताब लिखने वाले ने वापस ली जमानत अर्जी:सिद्धू के पिता ने दर्ज कराया था केस, फोटो चोरी कर ले गया
मूसेवाला पर किताब लिखने वाले ने वापस ली जमानत अर्जी:सिद्धू के पिता ने दर्ज कराया था केस, फोटो चोरी कर ले गया पंजाब के मानसा में सिद़्धू मूसेवाला पर किताब लिखने वाले मनजिंदर माखा ने आज कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है। उनके खिलाफ सिद्धू के पिता ने केस दर्ज कराया था। सिद्धू मूसे वाला के वकील एडवोकेट सतिंदर पाल सिंह ने बताया कि सिद्धू मूसे वाला के जीवन पर आधारित ‘द रियल रीजन बाय लीजेंड डाइड’ किताब लिखने वाले मनजिंदर माखा ने दावा किया था कि वह सिद्धू मूसेवाला का दोस्त हैं। उन्होंने दावा किया था कि उनके द्वारा लिखी गई किताब में अहम खुलासे किए हैं। सिद्धू के परिजनों ने जताई थी आपत्ति सिद्धू मूसे वाला के परिवार ने इस किताब पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सिद्धू की छवि को उनकी इजाजत के बिना प्रकाशित किया गया है और सिद्धू की छवि को खराब किया गया है। किताब में जो फोटो लगे हैं, वह मनजिंदर माखा उनके घर से चोरी कर करके ले गए, जिस पर सिद्धू के परिवार ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद मनजिंदर पर मामला दर्ज किया गया था। मामला दर्ज करने और अग्रिम जमानत के लिए माखा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आज मनजिंदर माखा ने अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है।