हरियाणा में घर-फ्लैट और प्लाट खरीदना महंगा:BJP सरकार ने EDC को 20% बढ़ाया, हर साल बढ़ोतरी भी होगी; गुरुग्राम-फरीदाबाद पर ज्यादा असर

हरियाणा में घर-फ्लैट और प्लाट खरीदना महंगा:BJP सरकार ने EDC को 20% बढ़ाया, हर साल बढ़ोतरी भी होगी; गुरुग्राम-फरीदाबाद पर ज्यादा असर

हरियाणा में BJP सरकार की हैट्रिक के बाद देश की राजधानी दिल्ली से सटे शहरों में मकान-फ्लैट और प्लाट खरीदना महंगा हो गया है। इसकी वजह ये है कि प्रदेश सरकार ने 8 साल बाद मूलभूत सुविधाओं के बदले लिए जाने वाले एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) में एक साथ 20% की बढ़ोतरी कर दी। जिसे एक जनवरी से लागू भी कर दिया गया है। नगर एवं आयोजना विभाग के निदेशक अमित खत्री ने EDC को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। EDC वसूली के लिए पूरे हरियाणा को 6 जोन में बांटा गया है, जबकि पंचकूला में अलग से दरें निर्धारित की गई हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने ये आदेश भी दिया है कि EDC में हर साल 10% की बढ़ोतरी होगी। इसका बोझ सीधा खरीदारों पर पड़ेगा क्योंकि बिल्डर पूरा शुल्क खरीदारों से वसूल करेंगे। इस कारण आवास परियोजनाओं के दाम बढ़ने तय हैं। गुरुग्राम-फरीदाबाद में सबसे ज्यादा असर
EDC बढ़ाने का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोहना और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में फ्लैट्स की संख्या ज्यादा है। यहां जमीन कम है या काफी महंगी है। ऐसे में लोग यहां फ्लैट्स खरीदते हैं। इसी वजह से इसे हाईपर और हाई पोटेंशियल जोन में शामिल किया गया है। मीडियम पोटेंशियल जोन में अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, बहादुरगढ़, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, बावल, पलवल, जगदारी-यमुनानगर, धारूहेड़ा, पृथला, गन्नौर, और होडल को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों का रुख बिल्डर ज्यादा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यहां फ्लैट्स की संभावनाएं बढ़ेगी। इसके अलावा भिवानी, फतेहाबाद, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, नारनौल, सिरसा, झज्जर को लो पोंटेंशियल जोन पर रखा है। EDC बढ़ाने का असर इन क्षेत्रों पर कम पड़ेगा। 8 वर्ष से ईडीसी में नहीं हुआ था बदलाव
अभी तक प्रदेश में वर्ष 2015 की पॉलिसी के तहत EDC की वसूली हो रही थी। इसकी दरों में 8 वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया था। EDC बढ़ाने से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व को संबंधित क्षेत्र के विकास पर खर्च किया जाएगा। आर्थिक जोन में विकास को बढ़ावा देने के लिए गुरुग्राम जिले के पटौदी, हेलीमंडी, फरूखनगर को लो पोटेंशियल जोन से निकालकर मीडियम पोटेंशियल जोन में शामिल कर लिया गया है। राज्य में ईडीसी दरों की गणना के लिए इंडेक्सेशन नीति में बदलाव किया गया है। दरअसल, 2015-2016 में EDC की दरों की वजह से रियल एस्टेट डेवलपर्स ने लाइसेंस लेना लगभग बंद कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने इसमें बढ़ोतरी करनी बंद कर दी थी। हर साल 10 फीसदी की होगी बढ़ोतरी
भविष्य में EDC दरों को निर्धारित करने के लिए एक सलाहकार को नियुक्त किया जाएगा। जब तक आधार EDC दरें निर्धारित नहीं हो जातीं, तब तक हर साल एक अप्रैल से 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि प्रभावी रहेगी।
इससे पहले वित्त मंत्री, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की मंत्रिमंडलीय उप-समिति की सिफारिशों पर इंडेक्सेशन मैकेनिज्म के तहत EDC की दरें तय की गई थीं। वर्ष 2018 में सरकार ने गुरुग्राम और रोहतक सर्किल की EDC दरों के निर्धारण का कार्य आईआईटी दिल्ली और फरीदाबाद, पंचकूला और हिसार सर्किल के लिए आईआईटी रुड़की को सौंपा था। दोनों संस्थानों ने EDC दरों के निर्धारण का कार्य करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण आज तक वही इंडेक्सेशन नीति और EDC दरें जारी रहीं। हरियाणा में BJP सरकार की हैट्रिक के बाद देश की राजधानी दिल्ली से सटे शहरों में मकान-फ्लैट और प्लाट खरीदना महंगा हो गया है। इसकी वजह ये है कि प्रदेश सरकार ने 8 साल बाद मूलभूत सुविधाओं के बदले लिए जाने वाले एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) में एक साथ 20% की बढ़ोतरी कर दी। जिसे एक जनवरी से लागू भी कर दिया गया है। नगर एवं आयोजना विभाग के निदेशक अमित खत्री ने EDC को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। EDC वसूली के लिए पूरे हरियाणा को 6 जोन में बांटा गया है, जबकि पंचकूला में अलग से दरें निर्धारित की गई हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने ये आदेश भी दिया है कि EDC में हर साल 10% की बढ़ोतरी होगी। इसका बोझ सीधा खरीदारों पर पड़ेगा क्योंकि बिल्डर पूरा शुल्क खरीदारों से वसूल करेंगे। इस कारण आवास परियोजनाओं के दाम बढ़ने तय हैं। गुरुग्राम-फरीदाबाद में सबसे ज्यादा असर
EDC बढ़ाने का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोहना और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में फ्लैट्स की संख्या ज्यादा है। यहां जमीन कम है या काफी महंगी है। ऐसे में लोग यहां फ्लैट्स खरीदते हैं। इसी वजह से इसे हाईपर और हाई पोटेंशियल जोन में शामिल किया गया है। मीडियम पोटेंशियल जोन में अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, बहादुरगढ़, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, बावल, पलवल, जगदारी-यमुनानगर, धारूहेड़ा, पृथला, गन्नौर, और होडल को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों का रुख बिल्डर ज्यादा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यहां फ्लैट्स की संभावनाएं बढ़ेगी। इसके अलावा भिवानी, फतेहाबाद, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, नारनौल, सिरसा, झज्जर को लो पोंटेंशियल जोन पर रखा है। EDC बढ़ाने का असर इन क्षेत्रों पर कम पड़ेगा। 8 वर्ष से ईडीसी में नहीं हुआ था बदलाव
अभी तक प्रदेश में वर्ष 2015 की पॉलिसी के तहत EDC की वसूली हो रही थी। इसकी दरों में 8 वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया था। EDC बढ़ाने से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व को संबंधित क्षेत्र के विकास पर खर्च किया जाएगा। आर्थिक जोन में विकास को बढ़ावा देने के लिए गुरुग्राम जिले के पटौदी, हेलीमंडी, फरूखनगर को लो पोटेंशियल जोन से निकालकर मीडियम पोटेंशियल जोन में शामिल कर लिया गया है। राज्य में ईडीसी दरों की गणना के लिए इंडेक्सेशन नीति में बदलाव किया गया है। दरअसल, 2015-2016 में EDC की दरों की वजह से रियल एस्टेट डेवलपर्स ने लाइसेंस लेना लगभग बंद कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने इसमें बढ़ोतरी करनी बंद कर दी थी। हर साल 10 फीसदी की होगी बढ़ोतरी
भविष्य में EDC दरों को निर्धारित करने के लिए एक सलाहकार को नियुक्त किया जाएगा। जब तक आधार EDC दरें निर्धारित नहीं हो जातीं, तब तक हर साल एक अप्रैल से 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि प्रभावी रहेगी।
इससे पहले वित्त मंत्री, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की मंत्रिमंडलीय उप-समिति की सिफारिशों पर इंडेक्सेशन मैकेनिज्म के तहत EDC की दरें तय की गई थीं। वर्ष 2018 में सरकार ने गुरुग्राम और रोहतक सर्किल की EDC दरों के निर्धारण का कार्य आईआईटी दिल्ली और फरीदाबाद, पंचकूला और हिसार सर्किल के लिए आईआईटी रुड़की को सौंपा था। दोनों संस्थानों ने EDC दरों के निर्धारण का कार्य करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण आज तक वही इंडेक्सेशन नीति और EDC दरें जारी रहीं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर