हरियाणा के पानीपत में शहीद मेजर आशीष धौंचक की पत्नी सरकार से मिलने वाली राशि, घर और अन्य लाभ अपने नाम कराकर मायके चली गई थी। अब ऐसा ही मामला सोनीपत से सामने आया है, जहां पुत्रवधू ने पति की मौत के बाद नौकरी मिलने के बाद सास की देखभाल करने से इनकार कर दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद पत्नी यदि अनुकंपा आधार पर उसकी नौकरी संभालती है तो सास (पति की मां) की देखरेख भी उसे करनी होगी। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने फैसले में कहा कि CrPC की धारा 125 के तहत सास-ससुर के देखरेख की जिम्मेदारी पुत्रवधू पर नहीं डाली जा सकती, लेकिन न्याय के लिए अपवाद संभव है। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए सास को हर महीने 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए। पति की जगह रेल कोच फैक्ट्री में नौकरी मिली पति की मौत के बाद पत्नी को रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क की नौकरी दी गई थी। इसके बाद महिला ने बेटे के साथ पति का घर छोड़ दिया। महिला की सास की तरफ से सोनीपत की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पुत्रवधू से भरण पोषण के लिए खर्च दिलाए जाने की मांग की गई। कहा कि एक बेटी की शादी हो चुकी है। एक बेटा रिक्शा चलाता है, जिसकी जमापूंजी बीमार बेटे पर खर्च हो रही है। ऐसे में बेटे की मौत पर उसकी जगह नौकरी कर रही पुत्रवधू से खर्च दिलाया जाए। महिला का 80 हजार रु. वेतन, 10 हजार रु. खर्च देने में सक्षम कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 125 जो अब BNS की धारा 144 है, के तहत खर्च का प्रावधान निराश्रय या आर्थिक रूप से कमजोर को मदद के लिए किया गया है। मौजूदा मामले में देखना होगा कि महिला को अपने पति की मौत के बाद उसकी जगह पर नौकरी दी गई है। ऐसे में पति की मां की देखरेख की जिम्मेदारी से भी वह पीछे नहीं हट सकती। महिला का वेतन 80 हजार रुपए प्रतिमाह है। ऐसे में वह सास को मेनटेनेंस के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह का भुगतान करने संबंधी फैमिली कोर्ट का फैसला सही है। पानीपत के शहीद के परिवार ने भी बहू पर आरोप लगाए हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक के परिवार ने आरोप लगाया था कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने मंत्री महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया। शहीद की पत्नी ज्योति ने कहा कि पति की शहादत के बाद सास ने कहा था कि वह मुझे साथ नहीं रख सकती है। मुझे सास ने टॉर्चर किया। ननद और उसके पति ने धमकियां दी। ज्योति ने कहा कि ये सब ननद को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए किया गया। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। ************* हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा में 43 साल बाद टूटी शादी:69 साल के पति ने 73 साल की पत्नी से तलाक लिया; जमीन-फसल बेचकर 3 करोड़ दिए हरियाणा के करनाल में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपती ने शादी के 43 साल बाद तलाक ले लिया। व्यक्ति की उम्र 69 साल व महिला की उम्र 73 साल है। दोनों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के मध्यस्थता और सुलह केंद्र की मदद ली। पति ने पत्नी को 3.07 करोड़ का स्थायी गुजारा भत्ता देने का समझौता किया। इसके लिए व्यक्ति ने अपनी जमीन और फसल तक बेच दी। पढ़ें पूरी खबर हरियाणा के पानीपत में शहीद मेजर आशीष धौंचक की पत्नी सरकार से मिलने वाली राशि, घर और अन्य लाभ अपने नाम कराकर मायके चली गई थी। अब ऐसा ही मामला सोनीपत से सामने आया है, जहां पुत्रवधू ने पति की मौत के बाद नौकरी मिलने के बाद सास की देखभाल करने से इनकार कर दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद पत्नी यदि अनुकंपा आधार पर उसकी नौकरी संभालती है तो सास (पति की मां) की देखरेख भी उसे करनी होगी। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने फैसले में कहा कि CrPC की धारा 125 के तहत सास-ससुर के देखरेख की जिम्मेदारी पुत्रवधू पर नहीं डाली जा सकती, लेकिन न्याय के लिए अपवाद संभव है। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए सास को हर महीने 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए। पति की जगह रेल कोच फैक्ट्री में नौकरी मिली पति की मौत के बाद पत्नी को रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क की नौकरी दी गई थी। इसके बाद महिला ने बेटे के साथ पति का घर छोड़ दिया। महिला की सास की तरफ से सोनीपत की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पुत्रवधू से भरण पोषण के लिए खर्च दिलाए जाने की मांग की गई। कहा कि एक बेटी की शादी हो चुकी है। एक बेटा रिक्शा चलाता है, जिसकी जमापूंजी बीमार बेटे पर खर्च हो रही है। ऐसे में बेटे की मौत पर उसकी जगह नौकरी कर रही पुत्रवधू से खर्च दिलाया जाए। महिला का 80 हजार रु. वेतन, 10 हजार रु. खर्च देने में सक्षम कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 125 जो अब BNS की धारा 144 है, के तहत खर्च का प्रावधान निराश्रय या आर्थिक रूप से कमजोर को मदद के लिए किया गया है। मौजूदा मामले में देखना होगा कि महिला को अपने पति की मौत के बाद उसकी जगह पर नौकरी दी गई है। ऐसे में पति की मां की देखरेख की जिम्मेदारी से भी वह पीछे नहीं हट सकती। महिला का वेतन 80 हजार रुपए प्रतिमाह है। ऐसे में वह सास को मेनटेनेंस के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह का भुगतान करने संबंधी फैमिली कोर्ट का फैसला सही है। पानीपत के शहीद के परिवार ने भी बहू पर आरोप लगाए हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक के परिवार ने आरोप लगाया था कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने मंत्री महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया। शहीद की पत्नी ज्योति ने कहा कि पति की शहादत के बाद सास ने कहा था कि वह मुझे साथ नहीं रख सकती है। मुझे सास ने टॉर्चर किया। ननद और उसके पति ने धमकियां दी। ज्योति ने कहा कि ये सब ननद को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए किया गया। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। ************* हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा में 43 साल बाद टूटी शादी:69 साल के पति ने 73 साल की पत्नी से तलाक लिया; 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सोनीपत में हादसे ने छीनी परिवार की खुशी:5 महीने से कोमा में है इकलौता बेटा; पति की मौत के बाद वही सहारा था
सोनीपत में हादसे ने छीनी परिवार की खुशी:5 महीने से कोमा में है इकलौता बेटा; पति की मौत के बाद वही सहारा था हरियाणा के सोनीपत में एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। महिला के पति की तो पहले ही मौत हो गई थी, अब उसका इकलौता बेटा भी एक्सीडेंट के बाद कोमा में चला गया है। बेटा पढ़ाई लिखाई के साथ खेल में भी भाग ले रहा था। गोहाना सिटी पुलिस ने हादसे के 5 महीने बाद कार ड्राइवर पर केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। गोहाना क्षेत्र के गांव मुंडलाना की रहने वाली शीला ने पुलिस को बताया कि उसके पति राकेश की मौत हो चुकी है। वह मेहनत मजदूरी का काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है। उसका इकलौता बेटा सन्नी 18 साल का है, एक बेटी है जो कि 16 साल की है। उसके दोनों बच्चे पढ़ रहे हैं। उसका बेटा सन्नी पढाई के साथ साथ खेल मे भी काफी अच्छा है। गोहाना स्टेडियम में खेल कर लौट रहा था शीला ने बताया कि 19 जुलाई को उसका बेटा सन्नी अपने दोस्त विजय के साथ अपनी मोटरसाइकिल पर गोहाना स्टेडियम मे खेलने के लिये गया था। सन्नी व उसका दोस्त विजय घर पर वापस आ रहे थे तो होली फैमिली स्कूल गोहाना के सामने उनकी मोटरसाइकिल काे एक कार ने टक्कर मार दी। इसमें सन्नी व विजय को काफी चोटें लगी। दोनों को किसी ने इलाज के लिए BPS मेडिकल कॉलेज खानपुर में दाखिल करवा दिया था। रोहतक PGI में चला इलाज, नहीं आया होश महिला ने बताया कि एक्सीडेंट में लगी चोटों के कारण उसका बेटा कोमा में चला गया। उसे खानपुर से रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया। वे अपने बेटे के इलाज में व्यस्त थे। इस कारण हादसे को लेकर पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई थी। अब उसके बेटे को पीजीआई रोहतक से घर भेज दिया गया है। वह अभी भी कोमा में है। वह जिंदगी की जंग लड़ रहा है। हादसे के पांच महीने बाद भी उसे होश नहीं आया है। पुलिस ने पांच माह बार दर्ज किया केस गोहाना कोर्ट कॉम्प्लेक्स पुलिस चौकी के ASI संदीप कुमार के अनुसार, मुंडलाना गांव की शीला ने बेटे के एक्सीडेंट को लेकर शिकायत दी है। पुलिस ने कार ड्राइवर के खिलाफ धारा 125(A),281 BNS में केस दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले में आगे की छानबीन का रही है।
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