सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इलाहाबाद हाईकोर्ट की चिंता होती है:केस सुने नहीं जा रहे; मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को बड़ी राहत दी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इलाहाबाद हाईकोर्ट की चिंता होती है:केस सुने नहीं जा रहे; मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को बड़ी राहत दी

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर अहम और गंभीर टिप्पणी की है। कहा, कुछ हाईकोर्ट ऐसे हैं, जहां यह नहीं पता होता कि आगे क्या होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट उनमें से एक है। चिंता होती है। यह सबसे बड़ा हाईकोर्ट है। दुर्भाग्य से केस की फाइलिंग बंद हो गई है। लिस्टिंग बंद हो गई है। कोई नहीं जानता कि कौन सा केस लिस्टेड होगा। मैं पिछले शनिवार (4 जनवरी) को वहां गया था। मैंने कुछ संबंधित जजों और रजिस्ट्रार से लंबी बातचीत की। जस्टिस सूर्यकांत ने यह टिप्पणी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नेता और मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर की। अब्बास की लखनऊ वाली प्रॉपर्टी में विवाद से जुड़ी याचिका हाईकोर्ट में बार-बार लिस्टिंग नहीं पा रही थी। न ही उन्हें अंतरिम राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट जल्द सुनवाई करे। अब विस्तार से पढ़िए… किसी बेंच ने सुनवाई क्यों नहीं की, इस पर हम नहीं जाएंगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब्बास अंसारी की याचिका को कई बार लिस्टेड किया गया, लेकिन कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम सुरक्षा नहीं दी गई। हमने नोटिस जारी नहीं किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की रजिस्ट्री से कोई रिपोर्ट भी नहीं मिली है। हम उन परिस्थितियों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, जिसमें बेंच ने उनकी याचिका को सुनवाई के लिए लिया। याचिकाकर्ता ने कहा, लखनऊ में अधिकारियों ने जियामऊ में प्लॉट नंबर- 93 पर निर्माण शुरू कर दिया है। जबकि जमीन पर मेरा मालिकाना हक है। अगर इसमें किसी तीसरे व्यक्ति को पक्षकार बनाया जाता है तो हमें नुकसान होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक हाईकोर्ट मामले की सुनवाई नहीं कर लेता है, तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी। साथ ही इस आवेदन का निपटारा भी किया जाए। सिब्बल बोले- सुनवाई नहीं होने से प्लॉट धारकों को स्टे मिल गया अब्बास अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हाईकोर्ट से अंसारी की याचिका पर निर्धारित तिथि से पहले सुनवाई करने को कहा था। फिर भी, बिना किसी प्रभावी सुनवाई के 6 तारीखें बीत गईं और अन्य सभी प्लॉट धारकों को स्टे मिल गया। सिब्बल ने आरोप लगाया, अधिकारी साइट पर निर्माण कार्य जारी रखे हुए हैं। केवल अंसारी को उनकी पृष्ठभूमि के कारण राहत से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा, यदि हाईकोर्ट ऐसा करते हैं, तो एक नागरिक कहां जाएगा? लखनऊ की प्रॉपर्टी का है मामला, अब्बास अंसारी को किया गया बेदखल दरअसल, लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 2020 में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की जमीन को अवैध मानते हुए बुलडोजर चला दिया था। जमीन कथित तौर पर मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर है, जिनमें अब्बास अंसारी भी शामिल है। इसी जमीन पर सरकार पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए आवास बनाने वाली है। इसके खिलाफ अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के सामने अब्बास अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। दलील दी कि जमीन पर कब्जे से संबंधित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है, लेकिन अभी तक जमीन पर सरकारी निर्माण पर अंतरिम रोक नहीं लगाई है। अब्बास का दावा- दादा ने खरीदा था प्लॉट अब्बास अंसारी ने याचिका में दावा किया है कि उनके दादा ने जियामऊ में एक प्लॉट में हिस्सा खरीदा था, जिसकी 9 मार्च, 2004 को रजिस्ट्री कराई गई। उस संपत्ति को उन्होंने अपनी पत्नी राबिया बेगम को गिफ्ट किया था। जिन्होंने 28 जून, 2017 को अपनी वसीयत के माध्यम से इसे याचिकाकर्ता अब्बास अंसारी और उसके भाई को दे दिया था। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, डालीबाग, लखनऊ ने 14 अगस्त, 2020 को एक पक्षीय आदेश पारित कर प्लॉट को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया। इसके बाद, याचिकाकर्ता और उसके भाई को अगस्त 2023 में जमीन से बेदखल कर दिया गया। अब्बास अंसारी ने सरकारी अधिकारियों के इस फैसले को साल 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष चुनौती दी। प्लॉट के कुछ अन्य सह-मालिकों ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामला खंडपीठ के समक्ष लिस्टेड किया गया। जब अब्बास अंसारी की याचिका 8 जनवरी, 2024 को सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो उन्होंने इसे अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया ताकि, परस्पर विरोधी आदेशों से बचा जा सके। अब्बास अंसारी ने तर्क दिया कि उनकी याचिका को बार-बार खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन उनके पक्ष में कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई गई है, जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं को राहत दी गई है। याचिका में कहा गया है, अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के भूखंड पर कब्जा लेने के बाद, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ आवासीय इकाइयों का निर्माण शुरू भी कर दिया है। ——————————– यह खबर भी पढ़िए… यूपी में कोरोना जैसे HMPV वायरस का पहला केस मिला:लखनऊ में महिला पॉजिटिव मिली, अस्पताल में भर्ती; अलर्ट जारी
कोरोना जैसे वायरस HMPV का यूपी में पहला केस मिला है। लखनऊ में 60 साल की महिला पॉजिटिव पाई गई है। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील चौधरी ने दैनिक भास्कर से इसकी पुष्टि की। महिला को बुखार था और सांस फूल रही थी। इसके बाद उसने स्वैब जांच एक निजी हॉस्पिटल में कराई, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद बुधवार रात महिला मरीज को KGMU में ले जाया गया, जहां से उन्हें बलरामपुर हॉस्पिटल रेफर किया गया। पढ़ें पूरी खबर… सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर अहम और गंभीर टिप्पणी की है। कहा, कुछ हाईकोर्ट ऐसे हैं, जहां यह नहीं पता होता कि आगे क्या होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट उनमें से एक है। चिंता होती है। यह सबसे बड़ा हाईकोर्ट है। दुर्भाग्य से केस की फाइलिंग बंद हो गई है। लिस्टिंग बंद हो गई है। कोई नहीं जानता कि कौन सा केस लिस्टेड होगा। मैं पिछले शनिवार (4 जनवरी) को वहां गया था। मैंने कुछ संबंधित जजों और रजिस्ट्रार से लंबी बातचीत की। जस्टिस सूर्यकांत ने यह टिप्पणी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नेता और मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर की। अब्बास की लखनऊ वाली प्रॉपर्टी में विवाद से जुड़ी याचिका हाईकोर्ट में बार-बार लिस्टिंग नहीं पा रही थी। न ही उन्हें अंतरिम राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट जल्द सुनवाई करे। अब विस्तार से पढ़िए… किसी बेंच ने सुनवाई क्यों नहीं की, इस पर हम नहीं जाएंगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब्बास अंसारी की याचिका को कई बार लिस्टेड किया गया, लेकिन कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम सुरक्षा नहीं दी गई। हमने नोटिस जारी नहीं किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की रजिस्ट्री से कोई रिपोर्ट भी नहीं मिली है। हम उन परिस्थितियों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, जिसमें बेंच ने उनकी याचिका को सुनवाई के लिए लिया। याचिकाकर्ता ने कहा, लखनऊ में अधिकारियों ने जियामऊ में प्लॉट नंबर- 93 पर निर्माण शुरू कर दिया है। जबकि जमीन पर मेरा मालिकाना हक है। अगर इसमें किसी तीसरे व्यक्ति को पक्षकार बनाया जाता है तो हमें नुकसान होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक हाईकोर्ट मामले की सुनवाई नहीं कर लेता है, तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी। साथ ही इस आवेदन का निपटारा भी किया जाए। सिब्बल बोले- सुनवाई नहीं होने से प्लॉट धारकों को स्टे मिल गया अब्बास अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हाईकोर्ट से अंसारी की याचिका पर निर्धारित तिथि से पहले सुनवाई करने को कहा था। फिर भी, बिना किसी प्रभावी सुनवाई के 6 तारीखें बीत गईं और अन्य सभी प्लॉट धारकों को स्टे मिल गया। सिब्बल ने आरोप लगाया, अधिकारी साइट पर निर्माण कार्य जारी रखे हुए हैं। केवल अंसारी को उनकी पृष्ठभूमि के कारण राहत से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा, यदि हाईकोर्ट ऐसा करते हैं, तो एक नागरिक कहां जाएगा? लखनऊ की प्रॉपर्टी का है मामला, अब्बास अंसारी को किया गया बेदखल दरअसल, लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 2020 में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की जमीन को अवैध मानते हुए बुलडोजर चला दिया था। जमीन कथित तौर पर मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर है, जिनमें अब्बास अंसारी भी शामिल है। इसी जमीन पर सरकार पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए आवास बनाने वाली है। इसके खिलाफ अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के सामने अब्बास अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। दलील दी कि जमीन पर कब्जे से संबंधित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है, लेकिन अभी तक जमीन पर सरकारी निर्माण पर अंतरिम रोक नहीं लगाई है। अब्बास का दावा- दादा ने खरीदा था प्लॉट अब्बास अंसारी ने याचिका में दावा किया है कि उनके दादा ने जियामऊ में एक प्लॉट में हिस्सा खरीदा था, जिसकी 9 मार्च, 2004 को रजिस्ट्री कराई गई। उस संपत्ति को उन्होंने अपनी पत्नी राबिया बेगम को गिफ्ट किया था। जिन्होंने 28 जून, 2017 को अपनी वसीयत के माध्यम से इसे याचिकाकर्ता अब्बास अंसारी और उसके भाई को दे दिया था। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, डालीबाग, लखनऊ ने 14 अगस्त, 2020 को एक पक्षीय आदेश पारित कर प्लॉट को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया। इसके बाद, याचिकाकर्ता और उसके भाई को अगस्त 2023 में जमीन से बेदखल कर दिया गया। अब्बास अंसारी ने सरकारी अधिकारियों के इस फैसले को साल 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष चुनौती दी। प्लॉट के कुछ अन्य सह-मालिकों ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामला खंडपीठ के समक्ष लिस्टेड किया गया। जब अब्बास अंसारी की याचिका 8 जनवरी, 2024 को सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो उन्होंने इसे अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया ताकि, परस्पर विरोधी आदेशों से बचा जा सके। अब्बास अंसारी ने तर्क दिया कि उनकी याचिका को बार-बार खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन उनके पक्ष में कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई गई है, जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं को राहत दी गई है। याचिका में कहा गया है, अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के भूखंड पर कब्जा लेने के बाद, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ आवासीय इकाइयों का निर्माण शुरू भी कर दिया है। ——————————– यह खबर भी पढ़िए… यूपी में कोरोना जैसे HMPV वायरस का पहला केस मिला:लखनऊ में महिला पॉजिटिव मिली, अस्पताल में भर्ती; अलर्ट जारी
कोरोना जैसे वायरस HMPV का यूपी में पहला केस मिला है। लखनऊ में 60 साल की महिला पॉजिटिव पाई गई है। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील चौधरी ने दैनिक भास्कर से इसकी पुष्टि की। महिला को बुखार था और सांस फूल रही थी। इसके बाद उसने स्वैब जांच एक निजी हॉस्पिटल में कराई, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद बुधवार रात महिला मरीज को KGMU में ले जाया गया, जहां से उन्हें बलरामपुर हॉस्पिटल रेफर किया गया। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर