विराट कोहली, पत्नी अनुष्का शर्मा और दोनों बच्चों के साथ शुक्रवार को मथुरा के प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे। यहां करीब आधे घंटे तक आध्यात्मिक चर्चा की। अनुष्का ने प्रेमानंद महाराज से भक्ति के लिए आशीर्वाद मांगा। इससे पहले 4 जनवरी, 2023 को दोनों प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे थे। बातचीत के दौरान विराट ने पूछा, ‘असफलता से कैसे निकलें। महाराज ने जवाब में कहा, ‘अभ्यास जारी रखें, जीत निश्चित है। अपने अभ्यास को निरंतर और नियंत्रण में रखते हुए आगे बढ़ें। जैसे मेरे लिए नाम जप एक साधना है, वैसे ही विराट के लिए क्रिकेट ही साधना है। बस बीच-बीच में भगवान का नाम लेते रहें।’ उन्होंने कहा, ‘विजय के लिए दो चीजों की आवश्यकता होती है। एक अभ्यास और दूसरा प्रारब्ध। यदि प्रारब्ध नहीं है, सिर्फ अभ्यास है, तब जीत मुश्किल हो जाती है। इसके लिए प्रभु के ज्ञान के साथ-साथ उनका नाम जपना आवश्यक है।’ पहले देखिए 2 तस्वीरें… अब पढ़िए प्रेमानंद महाराज और विराट-अनुष्का के बीच क्या बातचीत हुई… प्रेमानंद महाराज ने विराट से पूछा- ठीक हो आप, मन प्रसन्न है। अनुष्का ने पूछा- पिछली बार जब हम आए थे तो मन में कुछ सवाल थे, लेकिन मैं पूछ नहीं पाई। मैं आपसे मन ही मन बात कर रही थी। मेरे मन में जो सवाल थे, उसे कोई न कोई पूछ लेता था। प्रेमानंद महाराज बोले- श्रीजी वो व्यवस्था कर देती हैं। सबसे बड़ी बात, हम साधना देकर लोगों को प्रसन्नता दे रहे हैं। और ये पूरे भारत को प्रसन्नता एक खेल में देते हैं। अगर ये विजयी हुए तो हमारे पूरे भारत में पटाखे छूटते हैं। पूरे भारत में आनंद मनाया जाता है। क्या ये इनकी साधना नहीं है? ये भी तो उनकी साधना है। इनके साथ पूरा भारत जुड़ा हुआ है। अगर ये विजयी हुए तो बच्चा-बच्चा आनंदित हो जाता है, तो ये भी एक साधना है। विराट ने पूछा- असफलता में हमें कैसे रहना है?
महाराज बोले- उस समय हमको भगवान का चिंतन करते हुए धैर्य रखना है। ये बड़ा कठिन है। असफलता में कोई धैर्यपूर्वक मुस्कुरा के निकल जाए, ये बहुत बड़ी बात होती है। असफलता हमेशा नहीं रहेगी। दिन है तो रात आएगी, रात है तो दिन आएगा। हमको धैर्यपूर्वक भगवान का स्मरण करना चाहिए। पर यह बहुत कठिन है, क्योंकि जो सम्मान सफलता में मिलता है वो असफलता में नहीं मिलता। अनुष्का बोलीं- मुझे प्रेम भक्ति दे दो आप बस।
महाराज बोले- हमें लगता है भक्ति का आप पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। भक्ति के ऊपर कुछ नहीं है। विराट-अनुष्का ने अपना कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा। वह शुक्रवार तड़के संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम केली कुंज पहुंचे। यहां दोनों अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। इस दौरान उनके साथ दोनों बच्चे भी थे। अब जानिए कौन हैं प्रेमानंद महाराज… प्रेमानंद महाराज की पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं तक
प्रेमानंद महाराज के संत बनने की कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से शुरू होती है। यहां एक तहसील है नरवल, जिसके अखरी गांव में प्रेमानंद का जन्म हुआ। उनके पिता शंभू नारायण पांडेय और मां रामा देवी हैं। वह 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। उनके बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। पिता शंभू पुरोहित का काम करते थे। अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक थे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से देखा-सुना करते थे। आज जिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक शुमार हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है। 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया, लेकिन 4 महीने में ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। ———————- ये भी पढ़ें: गले में अजगर लपेटा, नरमुंड की माला पहनी:महाकुंभ में नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई, शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का कर रहे पाठ प्रयागराज महाकुंभ में श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) भव्यता के साथ निकाली जा रही है। झांकी में शिव के रूप में कलाकार ने गले में अजगर लपेट रखा है। नरमुंड की माला पहन रखी है। इसमें 500 से ज्यादा साधु-संत शामिल हैं। जो शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं….(पढ़ें पूरी खबर) विराट कोहली, पत्नी अनुष्का शर्मा और दोनों बच्चों के साथ शुक्रवार को मथुरा के प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे। यहां करीब आधे घंटे तक आध्यात्मिक चर्चा की। अनुष्का ने प्रेमानंद महाराज से भक्ति के लिए आशीर्वाद मांगा। इससे पहले 4 जनवरी, 2023 को दोनों प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे थे। बातचीत के दौरान विराट ने पूछा, ‘असफलता से कैसे निकलें। महाराज ने जवाब में कहा, ‘अभ्यास जारी रखें, जीत निश्चित है। अपने अभ्यास को निरंतर और नियंत्रण में रखते हुए आगे बढ़ें। जैसे मेरे लिए नाम जप एक साधना है, वैसे ही विराट के लिए क्रिकेट ही साधना है। बस बीच-बीच में भगवान का नाम लेते रहें।’ उन्होंने कहा, ‘विजय के लिए दो चीजों की आवश्यकता होती है। एक अभ्यास और दूसरा प्रारब्ध। यदि प्रारब्ध नहीं है, सिर्फ अभ्यास है, तब जीत मुश्किल हो जाती है। इसके लिए प्रभु के ज्ञान के साथ-साथ उनका नाम जपना आवश्यक है।’ पहले देखिए 2 तस्वीरें… अब पढ़िए प्रेमानंद महाराज और विराट-अनुष्का के बीच क्या बातचीत हुई… प्रेमानंद महाराज ने विराट से पूछा- ठीक हो आप, मन प्रसन्न है। अनुष्का ने पूछा- पिछली बार जब हम आए थे तो मन में कुछ सवाल थे, लेकिन मैं पूछ नहीं पाई। मैं आपसे मन ही मन बात कर रही थी। मेरे मन में जो सवाल थे, उसे कोई न कोई पूछ लेता था। प्रेमानंद महाराज बोले- श्रीजी वो व्यवस्था कर देती हैं। सबसे बड़ी बात, हम साधना देकर लोगों को प्रसन्नता दे रहे हैं। और ये पूरे भारत को प्रसन्नता एक खेल में देते हैं। अगर ये विजयी हुए तो हमारे पूरे भारत में पटाखे छूटते हैं। पूरे भारत में आनंद मनाया जाता है। क्या ये इनकी साधना नहीं है? ये भी तो उनकी साधना है। इनके साथ पूरा भारत जुड़ा हुआ है। अगर ये विजयी हुए तो बच्चा-बच्चा आनंदित हो जाता है, तो ये भी एक साधना है। विराट ने पूछा- असफलता में हमें कैसे रहना है?
महाराज बोले- उस समय हमको भगवान का चिंतन करते हुए धैर्य रखना है। ये बड़ा कठिन है। असफलता में कोई धैर्यपूर्वक मुस्कुरा के निकल जाए, ये बहुत बड़ी बात होती है। असफलता हमेशा नहीं रहेगी। दिन है तो रात आएगी, रात है तो दिन आएगा। हमको धैर्यपूर्वक भगवान का स्मरण करना चाहिए। पर यह बहुत कठिन है, क्योंकि जो सम्मान सफलता में मिलता है वो असफलता में नहीं मिलता। अनुष्का बोलीं- मुझे प्रेम भक्ति दे दो आप बस।
महाराज बोले- हमें लगता है भक्ति का आप पर विशेष प्रभाव पड़ेगा। भक्ति के ऊपर कुछ नहीं है। विराट-अनुष्का ने अपना कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा। वह शुक्रवार तड़के संत प्रेमानंद महाराज के आश्रम केली कुंज पहुंचे। यहां दोनों अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। इस दौरान उनके साथ दोनों बच्चे भी थे। अब जानिए कौन हैं प्रेमानंद महाराज… प्रेमानंद महाराज की पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं तक
प्रेमानंद महाराज के संत बनने की कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से शुरू होती है। यहां एक तहसील है नरवल, जिसके अखरी गांव में प्रेमानंद का जन्म हुआ। उनके पिता शंभू नारायण पांडेय और मां रामा देवी हैं। वह 3 भाई हैं, प्रेमानंद मंझले हैं। उनके बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। पिता शंभू पुरोहित का काम करते थे। अनिरुद्ध भी बचपन से ही आध्यात्मिक थे। बचपन में पूरा परिवार रोजाना एक साथ बैठकर पूजा-पाठ करता था। अनिरुद्ध यह सब बड़े ध्यान से देखा-सुना करते थे। आज जिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक शुमार हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है। 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया, लेकिन 4 महीने में ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। ———————- ये भी पढ़ें: गले में अजगर लपेटा, नरमुंड की माला पहनी:महाकुंभ में नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई, शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का कर रहे पाठ प्रयागराज महाकुंभ में श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) भव्यता के साथ निकाली जा रही है। झांकी में शिव के रूप में कलाकार ने गले में अजगर लपेट रखा है। नरमुंड की माला पहन रखी है। इसमें 500 से ज्यादा साधु-संत शामिल हैं। जो शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं….(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर