यूपी में आनंदीबेन ने राज्यपाल बने रहने का रिकॉर्ड तोड़ा:मोदी सरकार में बने सभी राज्यपालों में सबसे लंबा कार्यकाल; सुदर्शन सिर्फ 4 दिन रहे

यूपी में आनंदीबेन ने राज्यपाल बने रहने का रिकॉर्ड तोड़ा:मोदी सरकार में बने सभी राज्यपालों में सबसे लंबा कार्यकाल; सुदर्शन सिर्फ 4 दिन रहे

आनंदीबेन पटेल के नाम सबसे ज्यादा समय तक यूपी का राज्यपाल का रिकॉर्ड बन गया है। गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल अकेली ऐसी राज्यपाल हैं, जिन्हें मोदी सरकार में सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल बनने का मौका मिला। यूपी में ऐसे भी नाम रहे हैं, जो 4 और 33 दिन ही राज्यपाल रहे। आनंदीबेन पटेल ने 7 अगस्त, 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। मोदी सरकार ने उन्हें 23 जनवरी, 2018 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया। वह 29 जुलाई, 2019 तक मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं। यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 29 जुलाई, 2019 को आनंदीबेन को यूपी का राज्यपाल बनाया गया। उनका 5 साल का कार्यकाल 29 जुलाई, 2024 को समाप्त हो गया। लेकिन, उनकी नियुक्ति के आदेश में ‘5 साल या अगला राज्यपाल नियुक्त होने तक’ लिखा होने से अभी वह पद पर बनी हैं। भारत में गणतंत्र की स्थापना के बाद यूपी के 6ठे राज्यपाल बैजवाड़ा गोपाल रेड्‌डी 5 साल 60 दिन राज्यपाल रहे हैं। उनका रिकॉर्ड आनंदीबेन ने तोड़ दिया है। वह लगातार 5 साल 166 दिन से राज्यपाल हैं। जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार में अब तक जितने भी राज्यपाल नियुक्त किए गए, उनमें आनंदी बेन को ही सबसे ज्यादा समय तक गवर्नर रहने का मौका मिला है। 23 जुलाई, 2025 को उन्हें यहां बतौर राज्यपाल काम करते हुए 6 साल पूरे हो जाएंगे। मध्यप्रदेश में भी लंबे समय तक रहीं राज्यपाल
आनंदी बेन 23 जनवरी, 2018 से 29 जुलाई, 2019 तक कुल एक साल 188 दिन मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं। इसके बाद मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन के निधन के बाद आनंदीबेन को 24 जुलाई, 2020 से 8 जुलाई, 2021 तक 349 दिन के लिए फिर मध्यप्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 7 राज्यपाल ही कार्यकाल पूरा कर सके
देश में संविधान लागू होने (साल 1950) के बाद से अब तक यूपी में 24 राज्यपाल रहे हैं। लेकिन, आनंदीबेन पटेल समेत 7 राज्यपाल ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। इनमें कन्हैया माणकलाल मुंशी, विश्वनाथ दास राव, बैजवाड़ा गोपाल रेड्‌डी, चंद्रेश्वर नारायण प्रसाद सिंह, टीबी राजेश्वर और राम नाईक शामिल हैं। शिक्षा और महिलाओं पर फोकस
राज्यपाल के प्रमुख सचिव रहे हेमंत राव का कहना है कि आनंदीबेन का फोकस यूपी में महिलाओं और छात्राओं के उत्थान पर है। वह महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ बेटियों को शिक्षित बनाने पर जोर देती हैं। उन्होंने यूपी की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है। उन्हीं के प्रयास से पहली बार यूपी के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) में A प्लस और ए ग्रेड हासिल हुआ। यूपी के इन दिग्गज को भी नहीं मिला इतना मौका
दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यही वजह है कि केंद्र की राजनीति में यूपी के नेताओं का हमेशा वर्चस्व रहा है। लेकिन, राज्यपालों के मामले में यूपी के दिग्गज नेता भी आनंदीबेन से पीछे छूट गए हैं। मोदी सरकार बनने के बाद यूपी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम कल्याण सिंह को राजस्थान, केसरीनाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल, रामनाथ कोबिंद को बिहार, लालजी टंडन को पहले बिहार फिर मध्यप्रदेश, कलराज मिश्र को राजस्थान, फागू सिंह चौहान को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। लेकिन, इनमें से किसी को भी कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरा मौका नहीं दिया गया। जबकि, ये सभी वो नेता हैं, जिन्होंने यूपी में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की। हां, रामनाथ कोबिंद को राष्ट्रपति जरूर बनाया गया। फिर चर्चा में आईं आनंदीबेन
राज्यपाल आनंदी बेन 26 दिसंबर, 2024 को मीडिया से मुखातिब हुईं। बातचीत में यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बताकर वह फिर सुर्खियों में आ गईं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की नाराजगी के बाद यह मामला दिल्ली तक पहुंचा। इससे पहले जुलाई में सीतापुर में आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में अव्यवस्था पर भी राज्यपाल अफसरों पर भड़क गई थीं। कुलपति विनय पाठक का साथ दिया
कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में कथित अनियमितता के मामले में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के साथ मजबूती से खड़ी रहीं। राज्यपाल के दखल से ही STF विनय पाठक को गिरफ्तार नहीं कर सकी। शिकायतकर्ता को ही जेल जाना पड़ा। इतना ही नहीं, प्रो. पाठक का कार्यकाल फिर 3 साल के लिए बढ़ाया गया। ABVP ने भी किया विरोध
एबीवीपी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह के मामले को लेकर यूपी में कुलपतियों की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। एबीवीपी के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रष्ट कुलपतियों की सच्चाई उजागर करने की चेतावनी भी दी। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल की नाराजगी के बाद दिल्ली से एबीवीपी के नेताओं के मुंह बंद हो गए। ———————————— ये खबर भी पढ़ें… राज्यपाल बोलीं- यूपी में 5 साल में काफी सुधार हुआ, आनंदीबेन ने कहा- योगी सरकार की मॉनिटरिंग करने का कोई इरादा नहीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि 5 साल में काफी सुधार हुआ है, पहले शाम पांच बजे लड़कियां निकलती नहीं थीं, अब निकलती हैं। राज्यपाल ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कानून व्यवस्था, सीएम योगी और राजभवन के बीच संबंध, मंदिर-मस्जिद और बुलडोजर पर अपनी बात रखी।…पढ़ें पूरी खबर आनंदीबेन पटेल के नाम सबसे ज्यादा समय तक यूपी का राज्यपाल का रिकॉर्ड बन गया है। गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल अकेली ऐसी राज्यपाल हैं, जिन्हें मोदी सरकार में सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल बनने का मौका मिला। यूपी में ऐसे भी नाम रहे हैं, जो 4 और 33 दिन ही राज्यपाल रहे। आनंदीबेन पटेल ने 7 अगस्त, 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। मोदी सरकार ने उन्हें 23 जनवरी, 2018 को मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया। वह 29 जुलाई, 2019 तक मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं। यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 29 जुलाई, 2019 को आनंदीबेन को यूपी का राज्यपाल बनाया गया। उनका 5 साल का कार्यकाल 29 जुलाई, 2024 को समाप्त हो गया। लेकिन, उनकी नियुक्ति के आदेश में ‘5 साल या अगला राज्यपाल नियुक्त होने तक’ लिखा होने से अभी वह पद पर बनी हैं। भारत में गणतंत्र की स्थापना के बाद यूपी के 6ठे राज्यपाल बैजवाड़ा गोपाल रेड्‌डी 5 साल 60 दिन राज्यपाल रहे हैं। उनका रिकॉर्ड आनंदीबेन ने तोड़ दिया है। वह लगातार 5 साल 166 दिन से राज्यपाल हैं। जानकारों का मानना है कि मोदी सरकार में अब तक जितने भी राज्यपाल नियुक्त किए गए, उनमें आनंदी बेन को ही सबसे ज्यादा समय तक गवर्नर रहने का मौका मिला है। 23 जुलाई, 2025 को उन्हें यहां बतौर राज्यपाल काम करते हुए 6 साल पूरे हो जाएंगे। मध्यप्रदेश में भी लंबे समय तक रहीं राज्यपाल
आनंदी बेन 23 जनवरी, 2018 से 29 जुलाई, 2019 तक कुल एक साल 188 दिन मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं। इसके बाद मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन के निधन के बाद आनंदीबेन को 24 जुलाई, 2020 से 8 जुलाई, 2021 तक 349 दिन के लिए फिर मध्यप्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 7 राज्यपाल ही कार्यकाल पूरा कर सके
देश में संविधान लागू होने (साल 1950) के बाद से अब तक यूपी में 24 राज्यपाल रहे हैं। लेकिन, आनंदीबेन पटेल समेत 7 राज्यपाल ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके हैं। इनमें कन्हैया माणकलाल मुंशी, विश्वनाथ दास राव, बैजवाड़ा गोपाल रेड्‌डी, चंद्रेश्वर नारायण प्रसाद सिंह, टीबी राजेश्वर और राम नाईक शामिल हैं। शिक्षा और महिलाओं पर फोकस
राज्यपाल के प्रमुख सचिव रहे हेमंत राव का कहना है कि आनंदीबेन का फोकस यूपी में महिलाओं और छात्राओं के उत्थान पर है। वह महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ बेटियों को शिक्षित बनाने पर जोर देती हैं। उन्होंने यूपी की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है। उन्हीं के प्रयास से पहली बार यूपी के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) में A प्लस और ए ग्रेड हासिल हुआ। यूपी के इन दिग्गज को भी नहीं मिला इतना मौका
दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यही वजह है कि केंद्र की राजनीति में यूपी के नेताओं का हमेशा वर्चस्व रहा है। लेकिन, राज्यपालों के मामले में यूपी के दिग्गज नेता भी आनंदीबेन से पीछे छूट गए हैं। मोदी सरकार बनने के बाद यूपी के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम कल्याण सिंह को राजस्थान, केसरीनाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल, रामनाथ कोबिंद को बिहार, लालजी टंडन को पहले बिहार फिर मध्यप्रदेश, कलराज मिश्र को राजस्थान, फागू सिंह चौहान को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। लेकिन, इनमें से किसी को भी कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरा मौका नहीं दिया गया। जबकि, ये सभी वो नेता हैं, जिन्होंने यूपी में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की। हां, रामनाथ कोबिंद को राष्ट्रपति जरूर बनाया गया। फिर चर्चा में आईं आनंदीबेन
राज्यपाल आनंदी बेन 26 दिसंबर, 2024 को मीडिया से मुखातिब हुईं। बातचीत में यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बताकर वह फिर सुर्खियों में आ गईं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की नाराजगी के बाद यह मामला दिल्ली तक पहुंचा। इससे पहले जुलाई में सीतापुर में आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में अव्यवस्था पर भी राज्यपाल अफसरों पर भड़क गई थीं। कुलपति विनय पाठक का साथ दिया
कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में कथित अनियमितता के मामले में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के साथ मजबूती से खड़ी रहीं। राज्यपाल के दखल से ही STF विनय पाठक को गिरफ्तार नहीं कर सकी। शिकायतकर्ता को ही जेल जाना पड़ा। इतना ही नहीं, प्रो. पाठक का कार्यकाल फिर 3 साल के लिए बढ़ाया गया। ABVP ने भी किया विरोध
एबीवीपी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह के मामले को लेकर यूपी में कुलपतियों की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। एबीवीपी के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रष्ट कुलपतियों की सच्चाई उजागर करने की चेतावनी भी दी। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल की नाराजगी के बाद दिल्ली से एबीवीपी के नेताओं के मुंह बंद हो गए। ———————————— ये खबर भी पढ़ें… राज्यपाल बोलीं- यूपी में 5 साल में काफी सुधार हुआ, आनंदीबेन ने कहा- योगी सरकार की मॉनिटरिंग करने का कोई इरादा नहीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि 5 साल में काफी सुधार हुआ है, पहले शाम पांच बजे लड़कियां निकलती नहीं थीं, अब निकलती हैं। राज्यपाल ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कानून व्यवस्था, सीएम योगी और राजभवन के बीच संबंध, मंदिर-मस्जिद और बुलडोजर पर अपनी बात रखी।…पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर