हिमाचल प्रदेश में सरकारी उपक्रम हिमफेड और एचपीएमसी के माध्यम से सरकार ने बागवानों से बीते साल लगभग 40 करोड़ रुपए का सेब खरीदा है। सीजन खत्म हुए लगभग 3 महीने बीत गए है। मगर बागवानों को अब तक पेमेंट का भुगतान नहीं किया गया। बागवान पेमेंट के लिए बार बार एचपीएमसी और हिमफेड दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें पेटेंट नहीं दी जा रही है। इससे बागवान परेशान है। एक्ट में 24 घंटे में पेमेंट देने का प्रावधान कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) एक्ट में सेब और दूसरी कृषि उपज की पेमेंट का भुगतान 24 घंटे के भीतर करने का प्रावधान है। मगर सरकारी उपक्रम हिमफेड और एचपीएमसी तीन महीने से भुगतान नहीं कर पाए। MIS के तहत सेब खरीदती है सरकार सरकार मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत हर साल बागवानों से निम्न क्वालिटी का सेब खरीदती है। इस सेब से सरकारी उपक्रम एचपीएमसी एपल जूस कंसंट्रेंट तैयार करता है। एचपीएमसी ने 29 करोड़ का सेब लिया इस साल एचपीएमसी ने 29 करोड़ रुपए में 25 हजार मीट्रिक टन सेब लिया है, जबकि हिमफेड ने 12 करोड़ रुपए में लगभग 10 हजार मीट्रिक टन सेब लिया है।एचपीएमसी और हिमफेड ने सेब खरीद के बिल सरकार को जमा कर दिए है। अब सरकार से पेमेंट का इंतजार हो रहा है। 2022 की तुलना में इस बार आधी फसल एचपीएमसी ने 2023 में 33,000 मीट्रिक टन और 2022 में 42,000 मीट्रिक टन सेब की खरीद की थी। इस बार सेब की कम फसल और क्वालिटी सेब की वजह से कम खरीद की है। मोदी सरकार ने बंद किया MIS का बजट इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार 50 प्रतिशत बजट देती थी। मगर मोदी सरकार ने 2023 में MIS का बजट बंद कर दिया है। इससे शत-प्रतिशत पेमेंट का भुगतान राज्य सरकार को अपने कोष से करना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी उपक्रम हिमफेड और एचपीएमसी के माध्यम से सरकार ने बागवानों से बीते साल लगभग 40 करोड़ रुपए का सेब खरीदा है। सीजन खत्म हुए लगभग 3 महीने बीत गए है। मगर बागवानों को अब तक पेमेंट का भुगतान नहीं किया गया। बागवान पेमेंट के लिए बार बार एचपीएमसी और हिमफेड दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें पेटेंट नहीं दी जा रही है। इससे बागवान परेशान है। एक्ट में 24 घंटे में पेमेंट देने का प्रावधान कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) एक्ट में सेब और दूसरी कृषि उपज की पेमेंट का भुगतान 24 घंटे के भीतर करने का प्रावधान है। मगर सरकारी उपक्रम हिमफेड और एचपीएमसी तीन महीने से भुगतान नहीं कर पाए। MIS के तहत सेब खरीदती है सरकार सरकार मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत हर साल बागवानों से निम्न क्वालिटी का सेब खरीदती है। इस सेब से सरकारी उपक्रम एचपीएमसी एपल जूस कंसंट्रेंट तैयार करता है। एचपीएमसी ने 29 करोड़ का सेब लिया इस साल एचपीएमसी ने 29 करोड़ रुपए में 25 हजार मीट्रिक टन सेब लिया है, जबकि हिमफेड ने 12 करोड़ रुपए में लगभग 10 हजार मीट्रिक टन सेब लिया है।एचपीएमसी और हिमफेड ने सेब खरीद के बिल सरकार को जमा कर दिए है। अब सरकार से पेमेंट का इंतजार हो रहा है। 2022 की तुलना में इस बार आधी फसल एचपीएमसी ने 2023 में 33,000 मीट्रिक टन और 2022 में 42,000 मीट्रिक टन सेब की खरीद की थी। इस बार सेब की कम फसल और क्वालिटी सेब की वजह से कम खरीद की है। मोदी सरकार ने बंद किया MIS का बजट इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार 50 प्रतिशत बजट देती थी। मगर मोदी सरकार ने 2023 में MIS का बजट बंद कर दिया है। इससे शत-प्रतिशत पेमेंट का भुगतान राज्य सरकार को अपने कोष से करना पड़ रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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