यूपी रोडवेज में संविदा पर कंडक्टर (परिचालक) की नौकरी कर रहे हैं। पर वहां पर बहुत शोषण होता है। झांसी डिपो में तैनात हैं। किलोमीटर के बेसिस पर सैलरी मिलती है। महीनेभर में बमुश्किल 5 से 6 हजार मिलते हैं। किसी महीने ज्यादा चल लिए तो थोड़ी ज्यादा कमाई हो गई। पर 15 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से सैलरी बहुत कम है। साथ में अधिकारियों की तरफ से टारगेट का प्रेशर है। ये कहना है गोंडा के रहने वाले अवधेश कुमार का। सोमवार को ITI अलीगंज में टाटा मोटर्स के जॉब फेयर में अवधेश कुमार शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि यहां आने पर पता चला कि सिर्फ एक्सपीरियंस वालों को ही जॉब मिल रही। बाकी लोगों को अप्रेंटिसशिप का ऑफर दे रहे। इसलिए निराशा हुई। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 92वें एपिसोड में लखनऊ के ITI अलीगंज के जॉब फेयर में शामिल होने पहुंचे अभ्यर्थियों से बातचीत… पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे पर जॉब फेयर में शामिल होने आए बहराइच से आए सुमित कुमार भी कहते हैं कि जॉब के लिए आया था पर ये कह रहे कि अप्रेंटिसशिप करिए। पर इसमें एक साल के लिए मौका मिलेग। उन्होंने बताया कि मैं पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहा हूं पर 10 नंबर से चूक गया था। फिर से तैयारी कर रहा था। इस बीच सोचा कि नौकरी कर ली जाए, इसलिए यहां आया पर नौकरी नहीं मिली। गाजीपुर से जॉब फेयर में शामिल होने आए गाजीपुर के निवासी निरंजन कुमार प्रजापति कहते हैं कि मैंने एक साल टाटा मोटर्स में पहले अप्रेंटिसशिप किया था। अभी नोएडा की एक कंपनी में काम कर रहा। जॉब फेयर में शामिल होने पर जब मैंने अप्रेंटिसशिप के बारे में बताया तो तुरंत मेरा सिलेक्शन हो गया। 14 हजार 300 सैलरी के साथ PF भी कटेगा। कहा गया कि आपके पास कॉल या मेल आएगी। यूपी रोडवेज में संविदा पर कंडक्टर (परिचालक) की नौकरी कर रहे हैं। पर वहां पर बहुत शोषण होता है। झांसी डिपो में तैनात हैं। किलोमीटर के बेसिस पर सैलरी मिलती है। महीनेभर में बमुश्किल 5 से 6 हजार मिलते हैं। किसी महीने ज्यादा चल लिए तो थोड़ी ज्यादा कमाई हो गई। पर 15 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से सैलरी बहुत कम है। साथ में अधिकारियों की तरफ से टारगेट का प्रेशर है। ये कहना है गोंडा के रहने वाले अवधेश कुमार का। सोमवार को ITI अलीगंज में टाटा मोटर्स के जॉब फेयर में अवधेश कुमार शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि यहां आने पर पता चला कि सिर्फ एक्सपीरियंस वालों को ही जॉब मिल रही। बाकी लोगों को अप्रेंटिसशिप का ऑफर दे रहे। इसलिए निराशा हुई। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 92वें एपिसोड में लखनऊ के ITI अलीगंज के जॉब फेयर में शामिल होने पहुंचे अभ्यर्थियों से बातचीत… पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे पर जॉब फेयर में शामिल होने आए बहराइच से आए सुमित कुमार भी कहते हैं कि जॉब के लिए आया था पर ये कह रहे कि अप्रेंटिसशिप करिए। पर इसमें एक साल के लिए मौका मिलेग। उन्होंने बताया कि मैं पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहा हूं पर 10 नंबर से चूक गया था। फिर से तैयारी कर रहा था। इस बीच सोचा कि नौकरी कर ली जाए, इसलिए यहां आया पर नौकरी नहीं मिली। गाजीपुर से जॉब फेयर में शामिल होने आए गाजीपुर के निवासी निरंजन कुमार प्रजापति कहते हैं कि मैंने एक साल टाटा मोटर्स में पहले अप्रेंटिसशिप किया था। अभी नोएडा की एक कंपनी में काम कर रहा। जॉब फेयर में शामिल होने पर जब मैंने अप्रेंटिसशिप के बारे में बताया तो तुरंत मेरा सिलेक्शन हो गया। 14 हजार 300 सैलरी के साथ PF भी कटेगा। कहा गया कि आपके पास कॉल या मेल आएगी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Maharashtra: बदलापुर में स्कूल में नाबालिग छात्राओं का यौन उत्पीड़न, हंगामे के बाद आरोपी गिरफ्तार, धरने पर बैठे अभिभावक <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Latest News: </strong>महाराष्ट्र के बदलापुर (Badlapur) शहर से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. बदलापुर पूर्व के एक प्रतिष्ठित स्कूल में सफाईकर्मी द्वारा दो चार वर्षीय लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के बाद स्थानीय लोग गुस्से में हैं. शुरुआत में स्कूल प्रशासन और पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की. जब पीड़ित लड़कियों के माता-पिता शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए, तो उन्हें वहां महिला पुलिस अधिकारी ने लगभग 12 घंटे तक बिठाकर रखा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एबीपी माझा की रिपोर्ट के मुताबिक हंगामा मचने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शुभदा शितोले का आनन-फानन में ठाणे नियंत्रण कक्ष में तबादला कर दिया गया. इस घटना के बाद स्कूल के प्रिंसिपल, संबंधित क्लास टीचर और दो सहायक कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. हालांकि, स्कूल प्रशासन ने अभी तक अभिभावकों से इस बारे में आमने-सामने चर्चा नहीं की है. अभिभावक फिलहाल काफी गुस्से में हैं क्योंकि स्कूल प्रशासन बात करने को तैयार नहीं है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>स्कूल ने जारी किया माफीनामा</strong><br />लड़कियों से अभद्रता करने वाले सफाई कर्मचारी के ठेकेदार का अनुबंध रद्द कर दिया गया है. स्कूल की ओऱ से अभिभावकों के लिए माफीनामा जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण, घृणित और निंदनीय है. स्कूल प्रशासन ने कहा है कि हमने आरोपियों के खिलाफ पुलिस का अपनी पूरी क्षमता के साथ सहयोग किया है.</p>
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AI इंजीनियर के ससुराल वाले घर छोड़कर भागे, VIDEO:मीडियाकर्मी को देख हाथ जोड़ने लगी सास; बेंगलुरु पुलिस रात में नहीं पहुंची जौनपुर
AI इंजीनियर के ससुराल वाले घर छोड़कर भागे, VIDEO:मीडियाकर्मी को देख हाथ जोड़ने लगी सास; बेंगलुरु पुलिस रात में नहीं पहुंची जौनपुर बेंगलुरु पुलिस के जौनपुर पहुंचने से पहले AI इंजीनियर अतुल सुभाष की सास और साला घर छोड़कर भाग गए। देर रात तक 12 बजे इंजीनियर की ससुराल के घर के बाहर मीडिया कर्मियों का जमावड़ा रहा। जैसे ही मीडिया कर्मी वहां से हटे। बुधवार रात डेढ़ बजे सास निशा और साला अनुराग सिंघानिया ने घर पर ताला लगाया। गली से भागते हुए सास मेन सड़क पर पहुंची। बेटा बाइक लेकर वहां खड़ा हुआ था। इसके बाद मां-बेटे फरार हो गए। कहां गए? यह बात पता नहीं चली है। बेंगलुरु पुलिस जांच के सिलसिले में बुधवार को जौनपुर पहुंचने वाली थी, लेकिन नहीं आई। अब पुलिस आज पहुंचेगी। अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु में उनके फ्लैट से मिला था। इस मामले में 4 लोगों पर FIR दर्ज की गई है। FIR में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है। मां-बेटे के भागने का एक वीडियो सामने आया है। इसमें मीडिया कर्मी से सास हाथ जोड़ रही है। मीडिया कर्मी उसने पूछ रहा कि कहां जा रही हैं? लेकिन वो कोई जवाब नहीं देती। अतुल सुभाष की ससुराल शहर के पॉश इलाके रुहट्टा में है। 3 मंजिला बिल्डिंग में ससुराल वाले रहते हैं। कल मीडिया वालों पर भड़के थे सास-साले कल दैनिक भास्कर का रिपोर्टर उनके घर पहुंचा था। बेल बजाई और आवाज दी, लेकिन कोई बाहर नहीं आया था। इसके बाद आसपास के लोगों से पूछताछ करने लगे। तभी दूसरी मंजिल से आवाज आई। छत पर इंजीनियर के साला और सास खड़े थे। वो गुस्से में थे। वीडियो बनाने की कोशिश की, तो मां-बेटे ने वीडियो बनाने से रोका। साले अनुराग ने कहा- पहले आप फोन बंद कीजिए। उसने कहा- आप वीडियो कैसे बना रहे हैं? फोटो मत लीजिए। हम लोग खुद आपके पास आकर जवाब देंगे, लेकिन आप लोग इस तरह का काम करेंगे, तो भाईसाहब गलत हो जाएगा। अब पढ़िए इंजीनियर की पत्नी के वकील ने क्या कहा…. वकील विजय मिश्रा ने बताया- निकिता ने इंजीनियर के खिलाफ मेंटेनेंस केस किया था। इंजीनियर की 84 हजार हर महीने सैलरी थी। लड़की भी दिल्ली में अच्छा पैसा कमा रही थी। दोनों का एक बेटा है। कोर्ट ने सभी चीजों को देखते हुए इंजीनियर को 40 हजार महीने मेंटेनेंस देने की बात कही थी। 40 हजार रुपए इंजीनियर को ज्यादा लग रहा था। उसने इन सबकी वजह से सुसाइड करने की बात कही है। इसमें कोर्ट की कोई गलती नहीं है। ऑर्डर अगर कभी गलत लगता है, तो आप हाईकोर्ट जा सकते थे। वहां अपील कर सकते थे। जो उसने किया है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। जज की कोई गलती नहीं। पति-पत्नी के बीच में क्या चल रहा है, ये जानना बहुत मुश्किल होता है। उसने सुसाइड क्यों किया, ये हम लोगों की समझ से परे है। सुसाइड की वजह और फैक्ट सामने आएंगे, तभी आगे अब कुछ हो सकता है। फ्लैट में मिला था AI इंजीनियर का शव
मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने उनकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है। अतुल ने जौनपुर की जज पर लगाए गंभीर आरोप
अतुल ने जौनपुर की जज रीता कौशिक पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है- जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था, इस पर उक्त जज हंस पड़ी थीं। कौन हैं जज रीता कौशिक
रीता कौशिक जौनपुर में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 20 मार्च 1996 को मुंसिफ के तौर पर न्यायिक पारी की शुरुआत की थी। 1999 में वह सहारनपुर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रहीं। साल 2000 से 2002 तक मथुरा में एडिशनल सिविल जज रहीं। बाद में सिविल जज बनीं। 2003 में तबादले के बाद अमरोहा आ गईं। उन्होंने 2003 से 2004 तक लखनऊ में स्पेशल CJM की जिम्मेदारी संभाली। प्रमोशन के बाद एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बनीं। 2018 में पहली बार अयोध्या में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। 2022 तक अयोध्या में रहने के बाद जौनपुर आईं। अतुल की जुबानी जानिए पूरा मामला… दो साल साथ रहने के बाद पत्नी घर छोड़कर चली गई
सुसाइड से पहले रिकॉर्ड किए गए वीडियो में अतुल ने पूरा मामला विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2019 में एक मैट्रिमोनी साइट से मैच मिलने के बाद शादी की थी। अगले साल उन्हें एक बेटा हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और पत्नी का परिवार उनसे हमेशा पैसों की डिमांड करता रहता था, जो वो पूरी भी करते थे। उन्होंने लाखों रुपए अपनी पत्नी के परिवार को दिए थे, लेकिन जब उन्होंने और पैसे देना बंद कर दिया तो पत्नी 2021 में उनके बेटे को लेकर बेंगलुरु छोड़कर चली गई। अतुल ने कहा, ‘मैं उसे हर महीने 40 हजार रुपए मेंटेनेंस देता हूं, लेकिन अब वो बच्चे को पालने के लिए खर्च के तौर पर 2-4 लाख रुपए महीने की डिमांड कर रही है। मेरी पत्नी मुझे मेरे बेटे से न तो मिलने देती है, न कभी बात कराती है।’ ‘पूजा या कोई शादी हो, निकिता हर बार कम से कम 6 साड़ी और एक गोल्ड सेट मांगती थी। मैंने अपनी सास को 20 लाख रुपए से ज्यादा दिए, लेकिन उन्होंने कभी नहीं लौटाए।’ पत्नी ने दहेज और पिता के मर्डर का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया
अगले साल पत्नी ने उनके और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए। इनमें मर्डर और अप्राकृतिक सेक्स का केस भी शामिल था। अतुल ने कहा कि उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उन्होंने 10 लाख रुपए दहेज मांगा था, जिसके चलते उसके पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अतुल ने कहा कि यह आरोप किसी फिल्म की खराब कहानी जैसा है, क्योंकि मेरी पत्नी पहले ही कोर्ट में सवाल-जवाब में इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि उसके पिता लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले 10 साल से दिल की बीमारियों और डायबिटीज के लिए AIIMS में उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें जीने के लिए कुछ ही महीने का समय दिया था, तभी हमने जल्दबाजी में शादी की थी। पत्नी ने 3 करोड़ मांगे, कहा- तुम आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते
अतुल ने कहा कि मेरी पत्नी ने ये केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए की डिमांड की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि जब इस 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया। अतुल ने कहा कि मैंने जज को बताया कि NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, तो पत्नी ने बीच में कहा कि तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ी और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी। पत्नी की मां ने कहा- तुम मर जाओगे तो तुम्हारा बाप पैसे देगा
अतुल ने बताया कि जब इस मामले को लेकर उसने सास से बात की, तो सास ने कहा कि तुमने अभी तक सुसाइड नहीं किया, मुझे लगा आज तुम्हारे सुसाइड की खबर आएगी। इस पर अतुल ने उन्हें जवाब दिया कि मैं मर गया तो तुम लोगों की पार्टी कैसे चलेगी। उसकी सास ने जवाब दिया कि तुम्हारा बाप पैसे देगा। पति के मरने के बाद सब पत्नी का होता है। तुम्हारे मां-बाप भी जल्दी मर जाएंगे। उसमें भी बहू का हिस्सा होता है। पूरी जिंदगी तेरा पूरा खानदान कोर्ट के चक्कर काटेगा। मेरे कमाए हुए पैसे से मुझे और मेरे परिवार को ही परेशान किया जा रहा
अतुल ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है। मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा। मैं ही नहीं रहूंगा तो न तो पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी। अतुल ने यह भी कहा कि मेरी आखिरी ख्वाहिश ये है कि मेरे बेटे को मेरे माता-पिता को दे दिया जाए। मेरी पत्नी के पास कोई वैल्यू नहीं है, जो वो मेरे बेटे को दे पाए। यहां तक कि वो तो उसे पालने में सक्षम भी नहीं है। इसके अलावा मेरी पत्नी को मेरे मृत शरीर के पास भी न आने दिया जाए। मेरी अस्थियों का विसर्जन भी तब हो, जब मुझे इस केस में न्याय मिले। नहीं, तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा दिया जाए। अतुल की आखिरी इच्छा- मुझे न्याय न मिले तो अस्थियां गटर में बहा दें
अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए। ……………………………………………… आत्महत्या से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें पायलट ने बॉयफ्रेंड से तंग आकर किया था सुसाइड, नॉनवेज खाने से रोकता था, सड़क पर बेइज्जती की, नंबर ब्लॉक कर दिया था मुंबई में महिला पायलट सुसाइड केस में नए खुलासे हुए हैं। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी बॉयफ्रेंड महिला को प्रताड़ित करता था। उसकी बेइज्जती की। दोनों के बीच नॉनवेज खाने को लेकर भी लड़ाई होती थी। पूरी खबर पढ़ें…
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं
यूपी के IAS-IPS केंद्र के पैमाने पर खरे नहीं:कभी रहता था वर्चस्व, अब आधे भी नहीं; टॉप-4 पोस्ट पर एक भी नहीं एक समय था, जब यूपी की ब्यूरोक्रेसी पूरे देश में फैली रहती थी। केंद्र में भी बड़ी संख्या में IAS-IPS यूपी कैडर के ही रहते थे। लेकिन, अब स्थिति पलट चुकी है। केंद्र में यूपी के गिने-चुने अफसर ही नजर आ रहे हैं। IPS के मुकाबले IAS की स्थिति ज्यादा खराब है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर यूपी के कितने अफसर हो सकते हैं, लेकिन कितने हैं? पहले कितने रहे हैं? इस समय किन अहम पदों पर यूपी के अफसर तैनात हैं? संख्या घटने की वजह क्या है? दैनिक भास्कर ने इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की। पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट… पहले जानते हैं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कितने आईएएस हैं?
यूपी में कुल IAS अफसरों की स्ट्रेंथ 652 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकतम कोटा 141 का फिक्स है। दो दशक पहले तक केंद्र में यूपी के अफसरों का दबदबा रहता था। यह संख्या 70-75 होती थी। कैबिनेट सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी, फाइनेंस सेक्रेटरी, डिफेंस सेक्रेटरी जैसे बड़े पदों पर यूपी के अफसर तैनात रह चुके हैं। लेकिन, आज की तारीख में यूपी के अफसर इस तरह के महत्वपूर्ण पदों से दूर हैं। यूपी कॉडर के केवल 33 IAS केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसमें सेक्रेटरी रैंक के अफसरों की संख्या मात्र 5 है। खास बात यह भी है कि यूपी के 6 IAS ऐसे हैं, जो किसी न किसी मंत्री के निजी सचिव हैं। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन बताते हैं- एक दौर था, जब यूपी के अफसरों का दिल्ली में दबदबा रहता था। कैबिनेट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी होम, सेक्रेटरी फाइनेंस, सेक्रेटरी डिफेंस जैसे महत्वपूर्ण पदों में से कोई न कोई पद यूपी के अफसरों के पास रहता था। लेकिन, हाल के दिनों में यूपी से केंद्र जाने वाले अफसरों की संख्या काफी कम हुई है। इसकी कई वजह हैं। पहली वजह- डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर कोई भी अफसर केंद्र में तैनाती नहीं चाहता। राज्य में रहने से वह किसी भी जिले का डीएम बन सकता है। या फिर सचिवालय में उसे अच्छी पोस्टिंग मिल सकती है। दूसरी वजह- अच्छे अफसरों को राज्य सरकार भी नहीं छोड़ती। केंद्र में जाने के लिए NOC की जरूरत होती है। तीसरी वजह- केंद्र सरकार का 360 डिग्री पैमाना है, जिसमें बड़ी संख्या में यूपी के अफसर फेल हो जाते हैं। जब यह व्यवस्था नहीं थी, उस समय निर्धारित कोटे के कम से कम आधे अफसर तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते ही थे। क्या है 360 डिग्री फार्मूला आलोक रंजन बताते हैं- हर अफसर का हर साल परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन होता है। पहले इसी इवैल्यूएशन के आधार पर केंद्र में तैनाती मिल जाती थी। लेकिन, कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने एक स्क्रीनिंग कमेटी बना दी है। इसमें रिटायर्ड अफसरों को रखा गया है। इनका काम सिर्फ परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन ही नहीं, आईएएस या आईपीएस के लिए पब्लिक से भी फीडबैक लेना भी है। जैसे संबंधित अधिकारी की इमेज कैसी है, सत्यनिष्ठा कितनी है? कर्तव्यों का कितना पालन करता है? इस तरह के फीडबैक लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा जाता है। PMO भी फिर उसे अपने पैमाने पर परखता है। उसके बाद किसी अधिकारी को केंद्र में किसी पद के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। यूपी के वे अफसर जो रहे सर्वोच्च पदों पर
यूपी कॉडर के कई IAS केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं। इनमें बतौर कैबिनेट सेक्रेटरी बीके चतुर्वेदी, पीके सिन्हा, अजीत सेठ, कमल पांडेय, प्रभात कुमार, सुरेंद्र सिंह जैसे अफसरों के नाम शामिल हैं। अब बात IPS अफसरों की
यूपी में IPS की कुल स्ट्रेंथ 541 है। इसमें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा 117 अफसरों का तय है। पहले केंद्र में नियुक्ति की यह संख्या 60-65 होती थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति में यूपी के मात्र 31 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। इसके अलावा दो अन्य अफसरों संजय सिंघल और राजा श्रीवास्तव को केंद्र में तैनाती दी गई है। लेकिन, यूपी सरकार ने उन्हें अभी रिलीव नहीं किया है। मौजूदा समय में केंद्रीय अर्धसैनिक बल की दो अलग-अलग फोर्स के मुखिया यूपी के IPS अफसर हैं। इसमें NDRF के डीजी पीयूष आनंद और BSF के डीजी दलजीत चौधरी तैनात हैं। यूपी के पूर्व DGP ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- केंद्र में इंपैनलमेंट के लिए जब से प्रक्रिया को थोड़ा कठिन बनाया गया, तभी से यूपी के अफसरों की दिल्ली में तैनाती कम हो गई। केंद्र में तैनाती के लिए अब सिर्फ परफॉर्मेंस रिपोर्ट ही मायने नहीं रखती। सीनियर रिटायर IAS-IPS की स्क्रीनिंग कमेटी संबंधित अधिकारी की ईमानदारी, एकाग्रता, काम करने की क्षमता के पैमाने पर आंकती है। अगर इसमें अधिकारी फिट बैठता है, तभी उसे केंद्र में तैनाती मिलती है। इसके अलावा किसी भी बैच से अधिकतम 20 फीसदी अफसर ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चुने जाते हैं। पहले इसकी सीमा तय नहीं थी। ओम प्रकाश सिंह बताते हैं- 2 साल पहले स्थिति और भी खराब थी। उस समय यूपी का एक भी अफसर किसी भी फोर्स का मुखिया नहीं था। कम अफसर ऐसे रहे हैं, जिन्हें केंद्र में दो-दो फोर्स की जिम्मेदारी के साथ यूपी का डीजीपी बनने का मौका मिला हो। मैं उनमें से एक रहा हूं। पहले डीजी एनडीआरएफ और फिर डीजी सीआईएसएफ बना था। बाद में यूपी का डीजीपी भी रहा। ओम प्रकाश सिंह के अलावा प्रकाश सिंह बीएसएफ के डीजी, असम के डीजी और यूपी के डीजी रहे हैं। आईपीएस रैंक में सबसे अहम पद केंद्र में आईबी और सीबीआई चीफ का होता है। यूपी कॉडर के आखिरी आईबी डायरेक्टर 1972 बैच के आईपीएस राजीव माथुर थे। राजीव माथुर का कार्यकाल जनवरी, 2009 से दिसंबर, 2010 तक था। इंपैनलमेंट नहीं हुआ, तो निचले पद पर मिलती है तैनाती
ओम प्रकाश सिंह कहते हैं- किसी भी अफसर का अगर इंपैनलमेंट नहीं होता, तो उसे उस रैंक में काम करने का मौका नहीं मिलता। अगर कोई एडीजी रैंक का अफसर है और उसका केंद्र सरकार में इंपैनलमेंट नहीं हुआ है, तो वह जूनियर पोस्ट पर तैनात रहेगा। मसलन यूपी कॉडर के 1989 बैच के आईपीएस अदित्य मिश्रा का केंद्र में इंपैनलमेंट नहीं है। वह एडीजी की पोस्ट पर वहां काम देख रहे हैं। उनसे जूनियर 1990 बैच के दलजीत चौधरी और 1991 बैच के पीयूष आनंद के पास अलग-अलग फोर्स की कमान है। ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक, केंद्र में आमतौर पर 50-60 आईपीएस की तैनाती पहले रही है। हाल के दिनों में यह संख्या कम होती चली गई है। यह हाल तब है, जब कई अफसर 10-10 साल से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। अगर वे वापस आते हैं, तो स्थिति और दयनीय हो जाएगी। ————————- ये भी पढ़ें… योगी सरकार का प्रमोटी अफसरों पर भरोसा नहीं, प्रदेश में सिर्फ 13 प्रमोटी IPS कप्तान, 23 प्रमोटी IAS जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार को प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर भरोसा नहीं है। प्रमोट होकर आईपीएस बने अफसरों को जिला संभालने का मौका कम ही मिल रहा है। इस समय सिर्फ 13 जिले के कप्तान प्रमोटी आईपीएस अफसर हैं। यह आंकड़ा दूसरी सरकारों से कम है। हालांकि प्रमोट होकर आईएएस अफसर बनने वालों की स्थिति ज्यादा बेहतर है। इस समय 23 प्रमोटी आईएएस अफसर डीएम हैं। यूपी में कॉडर स्ट्रेंथ के हिसाब से कुल आईपीएस के पदों में 33 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरे जाते हैं, जबकि बाकी के पद डायरेक्ट भरे जाते हैं। पढ़ें पूरी खबर….