उत्तरी भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थल महर्षि मार्कंडेश्वर मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर आज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कुंभ के पहले शाही स्नान के कारण इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में विशेष वृद्धि देखी गई, जहां लगभग 50 हजार भक्तों ने पवित्र स्नान किया। श्रद्धालुओं का आगमन ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो गया था और सुबह 4 बजे से शाही स्नान प्रारंभ हुआ। बिलासपुर, शिमला, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, मंडी, सोलन के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने परिवार और मित्रों के साथ पहुंचे। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर मार्कंड में स्नान करने और पूजा-अर्चना से सभी पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष लंगर की व्यवस्था की, जिसमें लोहड़ी का विशेष पकवान खिचड़ी शुद्ध देसी घी और दही के साथ परोसा गया। समिति के लंगर में बीस बल्टोही खिचड़ी, 50 किलो शुद्ध देसी घी और 2 क्विंटल दही का प्रसाद वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त एक भक्त द्वारा बिलासपुरी धाम का विशेष लंगर भी लगाया गया। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थल महर्षि मार्कंडेश्वर मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर आज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कुंभ के पहले शाही स्नान के कारण इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में विशेष वृद्धि देखी गई, जहां लगभग 50 हजार भक्तों ने पवित्र स्नान किया। श्रद्धालुओं का आगमन ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो गया था और सुबह 4 बजे से शाही स्नान प्रारंभ हुआ। बिलासपुर, शिमला, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, मंडी, सोलन के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने परिवार और मित्रों के साथ पहुंचे। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर मार्कंड में स्नान करने और पूजा-अर्चना से सभी पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष लंगर की व्यवस्था की, जिसमें लोहड़ी का विशेष पकवान खिचड़ी शुद्ध देसी घी और दही के साथ परोसा गया। समिति के लंगर में बीस बल्टोही खिचड़ी, 50 किलो शुद्ध देसी घी और 2 क्विंटल दही का प्रसाद वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त एक भक्त द्वारा बिलासपुरी धाम का विशेष लंगर भी लगाया गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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संजौली मस्जिद गिराने के फैसले को हाईकोर्ट में देंगे चुनौती:हाशमी बोले-मुस्लिमों की इबादतगाह को नुकसान पहुंचाने का प्रयास, आयुक्त ने दिए तोड़ने के आदेश हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के नगर निगम (MC) आयुक्त के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता लियाकत अली हाशमी ने बताया कि संजौली मस्जिद वक्फ बोर्ड की जमीन पर 125 साल से पहले की बनी है। इसकी जमीन का कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले जब मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों की संख्या बढ़ी तो नमाजियों की तादात को देखते हुए इबादत के लिए अतिरिक्त मंजिल बनाई गई। उन्होंने कहा, मस्जिद अवैध नहीं है, लेकिन कुछ लोगों ने 2 गुटों की आपसी लड़ाई को सांप्रदायिक रंग दिया। फिर MC आयुक्त ने हिंदू संगठनों के दबाव में फाइल को खोला और संबंधित पार्टी को कोर्ट में न बुलाकर ऐसे आदमी को बुलाया, जिसने दहशत में आकर मस्जिद को गिराने की पेशकश कर डाली, ऐसी पेशकश करने वाला व्यक्ति इसके लिए अधिकृत नहीं था। हाशमी ने बताया, MC आयुक्त ने इसी एप्लिकेशन को आधार पर बनाकर फैसला सुनाया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा, कि आयुक्त ने यह नहीं देखा कि कौन पार्टी है। एक दो लोगों की राय के आधार पर फैसला सुनाया गया है। उन्होंने कहा, मुस्लिमों की इबादत गाह को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। MC आयुक्त ने मस्जिद कमेटी की अंडरटेकिंग पर सुनाया फैसला दरअसल, MC आयुक्त ने बीते 5 अक्टूबर को मस्जिद के ऊपर तीन मंजिल तोड़ने के आदेश सुनाए। आदेशों में कहा गया- अवैध रूप से बनाई गईं 3 मंजिलें मस्जिद कमेटी दो महीने के भीतर अपने खर्चे से गिराएगी। संजौली की मस्जिद कमेटी ने बीते 12 सितंबर को एक एप्लिकेशन MC आयुक्त को दी थी, जिसमें ऊपर की 3 मंजिलें गिराने की पेशकश की गई थी। इसी अंडरटेकिंग के आधार पर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने फाइनल ऑर्डर से पहले अंतरिम आदेश जारी किए। आजादी से पहले थी 2 मंजिला मस्जिद संजौली में आजादी से पहले सिर्फ 2 मंजिला मस्जिद थी। साल 2010 में यहां अवैध निर्माण शुरू किया गया। 2010 में ही नगर निगम ने अवैध निर्माण रोकने का नोटिस दिया। साल 2020 तक अवैध निर्माण रोकने के लिए 35 नोटिस दिए गए। तब तक मस्जिद दो मंजिल से 5 मंजिल बना दी गई। निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई भी चलती रही और निर्माण भी जारी रहा। मस्जिद का नक्शा पास नहीं मामले ने कैसे पकड़ा तूल? दरअसल, बीते 31 अगस्त को शिमला के मल्याणा क्षेत्र में एक व्यक्ति के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मारपीट की थी। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपी गिरफ्तार किए। आरोप लगा कि मारपीट करने वाले मस्जिद में जा छिपे। इसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने पर अड़ गए। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और विरोध पूरे प्रदेश में होने लगा। इसी मामले में हिंदू संगठनों ने पहले 2 बार संजौली और एक बार विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन किया गया। इस दौरान पुलिस ने हल्का बल प्रयोग और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इससे हिंदू संगठन भड़क गए। इसके बाद प्रदेशभर में प्रदर्शन किए गए। व्यापारियों ने दुकानें बंद रखकर रोष जाहिर किया। 11 सितंबर को में मस्जिद विवाद को लेकर हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। बीते 5 अक्टूबर को निगम आयुक्त ने तोड़ने के आदेश दिए।
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