हिमाचल प्रदेश में चल रहे मस्जिद विवाद के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण एवं शहरी विकास विभाग में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रविवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बड़ी प्रतिक्रिया दे दी है। मंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है। मंत्री की इस पोस्ट पर लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है। मंत्री बोले समय के साथ हर कानून में बदलाव आवश्यक लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से की गई पोस्ट में लिखा कि हिमाचल और हिमाचलियत के हित उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है, और सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास उनका लक्ष्य है। मंत्री ने पोस्ट के अगले हिस्से में लिखा कि समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना आवश्यक है। वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है। मंत्री विक्रमादित्य सिंह को पोस्ट के बाद लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ रही है। लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है। लोगों की माने तो हिमाचल प्रदेश में चल रहे हिंदू संगठनों के आंदोलन में मंत्री की यह पोस्ट नया मोड़ देगी। शिलाई में वक्फ बोर्ड भंग करने की उठी मांग देवभूमि संघर्ष समिति शिलाई के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाया कि यह भू-माफिया की तरह काम कर रहा है और प्रदेश की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस बोर्ड को तुरंत समाप्त किया जाए और प्रदेश में अवैध रूप से बनी मस्जिदों और मजारों पर कार्रवाई की जाए। चेतावनी दी कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो हिंदू समाज उग्र आंदोलन करेगा। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंप उचित कदम उठाने की मांग की। कहां से शुरू हुआ ये पूरा आंदोलन ? बता दें कि शिमला के मल्याणा में दो गुटों में हुई मारपीट के बाद संजौली में बनी मस्जिदों से यह आंदोलन शुरू हुआ था। एक सितंबर को संजौली में प्रदर्शन करते हुए लोगो ने संजौली में बनी मस्जिद के अवैध होने का दावा करते हुए गिराने की मांग की और बाहर से आए समुदाय विशेष पर माहौल खराब करने के आरोप लगाए। शिमला के संजौली से सुलगी यह चिंगारी पूरे प्रदेश में फैली हुई है। प्रदर्शनों का दौर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अवैध मस्जिद से शुरू हुआ आंदोलन, नशे और अपराधी गतिविधियों में संलिप्तता, बाहरी प्रवासियों पर पहचान छुपाने, उनके वैरिफिकेशन की मांग से होते हुए आंदोलन अब वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग पर पहुंच गया है। सिरमौर के शिलाई में हुए प्रदर्शन में वक्फ बोर्ड भंग करने की मांग उठी है और इसमें प्रदेश सरकार के मंत्री भी शामिल हो गए है। मंत्री ने वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग की है। हिमाचल प्रदेश में चल रहे मस्जिद विवाद के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण एवं शहरी विकास विभाग में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रविवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बड़ी प्रतिक्रिया दे दी है। मंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है। मंत्री की इस पोस्ट पर लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है। मंत्री बोले समय के साथ हर कानून में बदलाव आवश्यक लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से की गई पोस्ट में लिखा कि हिमाचल और हिमाचलियत के हित उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है, और सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास उनका लक्ष्य है। मंत्री ने पोस्ट के अगले हिस्से में लिखा कि समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना आवश्यक है। वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की आवश्यकता है। मंत्री विक्रमादित्य सिंह को पोस्ट के बाद लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ रही है। लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है। लोगों की माने तो हिमाचल प्रदेश में चल रहे हिंदू संगठनों के आंदोलन में मंत्री की यह पोस्ट नया मोड़ देगी। शिलाई में वक्फ बोर्ड भंग करने की उठी मांग देवभूमि संघर्ष समिति शिलाई के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाया कि यह भू-माफिया की तरह काम कर रहा है और प्रदेश की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस बोर्ड को तुरंत समाप्त किया जाए और प्रदेश में अवैध रूप से बनी मस्जिदों और मजारों पर कार्रवाई की जाए। चेतावनी दी कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो हिंदू समाज उग्र आंदोलन करेगा। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंप उचित कदम उठाने की मांग की। कहां से शुरू हुआ ये पूरा आंदोलन ? बता दें कि शिमला के मल्याणा में दो गुटों में हुई मारपीट के बाद संजौली में बनी मस्जिदों से यह आंदोलन शुरू हुआ था। एक सितंबर को संजौली में प्रदर्शन करते हुए लोगो ने संजौली में बनी मस्जिद के अवैध होने का दावा करते हुए गिराने की मांग की और बाहर से आए समुदाय विशेष पर माहौल खराब करने के आरोप लगाए। शिमला के संजौली से सुलगी यह चिंगारी पूरे प्रदेश में फैली हुई है। प्रदर्शनों का दौर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अवैध मस्जिद से शुरू हुआ आंदोलन, नशे और अपराधी गतिविधियों में संलिप्तता, बाहरी प्रवासियों पर पहचान छुपाने, उनके वैरिफिकेशन की मांग से होते हुए आंदोलन अब वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग पर पहुंच गया है। सिरमौर के शिलाई में हुए प्रदर्शन में वक्फ बोर्ड भंग करने की मांग उठी है और इसमें प्रदेश सरकार के मंत्री भी शामिल हो गए है। मंत्री ने वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग की है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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बता दें कि देश पर ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जोगिंदरनगर में जमीन उपलब्ध करवाई थी। उस दौरान जो समझौता हुआ था। उसके अनुसार इसकी लीज अवधि 99 साल रखी गई थी, यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था। भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था। 2024 में समाप्त हुई लीज अवधि
वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था। उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन बिजलीघर पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था। लेकिन 2024 में इसकी लीज अवधि समाप्त हो गई है। ऐसे में लीज समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को वापस मिलना चाहिए लेकिन यह कुमाऊँ पूत है, इससे 200 करोड़ की आय होती है।इसलिए पंजाब इसको छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नही है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। आज होती है 200 करोड़ की कमाई
मंडी में जोगेंद्रनगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन बिजलीघर अंग्रेजों के शासन के दौरान साल 1932 में केवल 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रोजेक्ट था। बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया। अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई है, जिससे ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है। कुल 200 करोड़ सालाना इनकम वाले इस कमाऊ पूत को पंजाब अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है।
कांगड़ा सहकारी बैंक भर्ती में वक्त:हमीरपुर में बोले चेयरमैन कुलदीप पठानिया, एनपीए में सुधार होने पर भरे जाएंगे खाली पद
कांगड़ा सहकारी बैंक भर्ती में वक्त:हमीरपुर में बोले चेयरमैन कुलदीप पठानिया, एनपीए में सुधार होने पर भरे जाएंगे खाली पद शुक्रवार को हमीरपुर में कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन कुलदीप पठानिया एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में खाली पदों को भरने के लिए अभी वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि नई भर्तियां की प्रक्रिया तब शुरू नहीं हो पाएगी, जब तक एनपीए की स्थिति में सुधार नहीं होता। चेयरमैन कुलदीप पठानिया ने बताया कि खाली पद तो काफी ज्यादा हैं और नई भर्तियां होनी हैं। लेकिन इनकी स्थिति का पता अभी बहुत जल्दी चलने वाला नहीं है। डिफाल्टरों के खिलाफ होगी कार्रवाई पत्रकारों को संबोधित करते हुए पठानिया ने कहा कि बैंक की ओर से एक अरब 98 करोड़ रुपए इकट्ठा किया गया है। जो डिफाल्टर बड़े स्तर के हैं, उनके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है। कई मामले न्यायालय में चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अध्यक्ष पद ज्वाइन किया था तो बैंक का एनपीए 34 फीसदी था। जबकि नेट प्रॉफिट 16 फीसदी। एक साल के भीतर यह बढ़कर 22 फीसदी और नेट प्रॉफिट 6.6 फीसदी पहुंच गया है। 31 मार्च को डाटा इकट्ठा किया जाना था, लेकिन चुनाव आ जाने के कारण इसे अब इकट्ठा किया जा रहा है। बढ़ाई गई ऋण राशि उन्होंने बताया कि पहले आरबीआई की ओर से पावर स्नैच कर ली गईं थी। जिस कारण 25 लाख रुपए से ऊपर लोन नहीं दिया जा सकता था। अब यह बहाल हो चुकी हैं। बैंक की ओर से ऋण की राशि को भी बढ़ा दिया गया है। बैंक की ओर से वन टाइम सेटलमेंट ऋण के बारे में आरबीआई से परमिशन होती है, उसके बाद ही गाइडलाइन के तहत इसका कार्य होता है। इसमें 2017 की कट आउट रखी गई थी। उसके बाद के लोन माफ किए जाने थे। इस दौरान ब्याज को माफ किया जा सकता है। लेकिन मूल ऋण की वसूली तो करनी ही पड़ती है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुमन भारती भी मौजूद थे। दोनों नेताओं ने सुजानपुर और बड़सर के विधानसभा उप चुनावों को लेकर कहा कि सुजानपुर में धनबल की हार हुई है। जबकि बड़सर में शायद प्रत्याशी के ऐलान में देरी और भीतरघात भी कारण बना हो, इसकी समीक्षा होगी।