महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा की धूम, सैकड़ों श्रद्धालुओं को फ्री में बांटते हैं आस्था और मिठास

महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा की धूम, सैकड़ों श्रद्धालुओं को फ्री में बांटते हैं आस्था और मिठास

<p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News Today:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में तमाम संत महात्मा अपनी वेशभूषा, अनूठी साधना और कामों की वजह से सुर्खियों में हैं. सुर्खियां बटोरने वाले इन्हीं संतो में एक हैं सन्यासियों के महानिर्वाणी अखाड़े के श्री महंत देव गिरि जी महाराज. महाकुंभ में लोग इन्हें रबड़ी वाले बाबा के नाम से जानते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>गुजरात से आए हुए श्री महंत देवगिरी जी महाराज की कुटिया के बाहर सुबह से देर रात तक खौलते दूध के कढ़ाहे चढ़े रहते हैं. बाबा खुद अपने हाथों से रबड़ी तैयार करते हैं और फिर इसके बाद उन्हें सम्मानपूर्वक अपने पास बिठाकर उसे खाने के लिए देते हैं. महंत देव गिरि का यह रबड़ी प्रसाद महाकुंभ में चर्चा के केंद्र बिंदु में है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’प्रसाद लेने कुटिया तक जाते हैं भक्त'</strong><br />महंत देव गिरि जी महाराज ने महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े के गेट के बाहर ही अपनी कुटिया बना रखी है. कुटिया के बाहर उन्होंने आसन जमा रखा है. जिस जगह वह बैठते हैं, उसके सामने आग की भट्टी धधकती रहती है और उस पर दूध से भरा हुआ बड़ा सा कड़ाहा चढ़ा रहता है. बाबा खुद अपने हाथों से दूध को तब तक फेंटते रहते हैं, जब तक वह रबड़ी ना बन जाए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>रबड़ी प्रसाद तैयार होने के बाद वह उसे कागज के कप में डालते हैं और अपने पास ही बिठाकर इस खास प्रसाद को लोगों को ग्रहण करने के लिए देते हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के श्री महंत देव गिरि जी महाराज की रबड़ी बेहद स्वादिष्ट होती है. यही वजह है कि तमाम लोग दिन में कई बार उनकी रबड़ी का प्रसाद लेने के लिए उनकी कुटिया में पहुंचते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फ्री में खिलाते हैं रबड़ी</strong><br />महंत देव गिरि और उनकी रबड़ी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल है, इस वजह से त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए महाकुंभ आने वाले श्रद्धालु उनका पता ठिकाना पूछते हुए उन तक पहुंचते हैं. महंत देव गिरि रबड़ी के बदले किसी से कुछ भी नहीं लेते हैं. आस्था वश कोई कुछ चढ़ावा कर दे तो उसे मना भी नहीं करते. रोजाना तकरीबन पांच सौ लीटर दूध खरीदते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा का कहना है कि गुजरात में उनके पास पंद्रह बीघा खेत है. यहां वह साल भर खेती करते हैं. उससे जो आमदनी होती है, उसी से महाकुंभ में रबड़ी का भंडारा करते हैं. बाबा का दावा है कि रबड़ी का स्वाद मीठा होता है और वह इसे लोगों को खिलाकर उनके जीवन में भी मिठास भरना चाहते हैं. महंत देव गिरि का रबड़ी प्रसाद पाने वाले श्रद्धालुओं का भी यह कहना है कि रबड़ी वाले बाबा महाकुंभ में अनूठे हैं. लोग उनकी रबड़ी की जमकर तारीफ करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”महाकुंभ: गंगा किनारे स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हैरान कर देने वाला हठयोग, जानिए वजह” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-swami-omkarananda-saraswati-astonishing-hatha-yoga-on-the-banks-of-ganga-ann-2866053″ target=”_blank” rel=”noopener”>महाकुंभ: गंगा किनारे स्वामी ओंकारानंद सरस्वती का हैरान कर देने वाला हठयोग, जानिए वजह</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prayagraj News Today:</strong> प्रयागराज महाकुंभ में तमाम संत महात्मा अपनी वेशभूषा, अनूठी साधना और कामों की वजह से सुर्खियों में हैं. सुर्खियां बटोरने वाले इन्हीं संतो में एक हैं सन्यासियों के महानिर्वाणी अखाड़े के श्री महंत देव गिरि जी महाराज. महाकुंभ में लोग इन्हें रबड़ी वाले बाबा के नाम से जानते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>गुजरात से आए हुए श्री महंत देवगिरी जी महाराज की कुटिया के बाहर सुबह से देर रात तक खौलते दूध के कढ़ाहे चढ़े रहते हैं. बाबा खुद अपने हाथों से रबड़ी तैयार करते हैं और फिर इसके बाद उन्हें सम्मानपूर्वक अपने पास बिठाकर उसे खाने के लिए देते हैं. महंत देव गिरि का यह रबड़ी प्रसाद महाकुंभ में चर्चा के केंद्र बिंदु में है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’प्रसाद लेने कुटिया तक जाते हैं भक्त'</strong><br />महंत देव गिरि जी महाराज ने महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े के गेट के बाहर ही अपनी कुटिया बना रखी है. कुटिया के बाहर उन्होंने आसन जमा रखा है. जिस जगह वह बैठते हैं, उसके सामने आग की भट्टी धधकती रहती है और उस पर दूध से भरा हुआ बड़ा सा कड़ाहा चढ़ा रहता है. बाबा खुद अपने हाथों से दूध को तब तक फेंटते रहते हैं, जब तक वह रबड़ी ना बन जाए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>रबड़ी प्रसाद तैयार होने के बाद वह उसे कागज के कप में डालते हैं और अपने पास ही बिठाकर इस खास प्रसाद को लोगों को ग्रहण करने के लिए देते हैं. महानिर्वाणी अखाड़े के श्री महंत देव गिरि जी महाराज की रबड़ी बेहद स्वादिष्ट होती है. यही वजह है कि तमाम लोग दिन में कई बार उनकी रबड़ी का प्रसाद लेने के लिए उनकी कुटिया में पहुंचते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फ्री में खिलाते हैं रबड़ी</strong><br />महंत देव गिरि और उनकी रबड़ी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल है, इस वजह से त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए महाकुंभ आने वाले श्रद्धालु उनका पता ठिकाना पूछते हुए उन तक पहुंचते हैं. महंत देव गिरि रबड़ी के बदले किसी से कुछ भी नहीं लेते हैं. आस्था वश कोई कुछ चढ़ावा कर दे तो उसे मना भी नहीं करते. रोजाना तकरीबन पांच सौ लीटर दूध खरीदते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा का कहना है कि गुजरात में उनके पास पंद्रह बीघा खेत है. यहां वह साल भर खेती करते हैं. उससे जो आमदनी होती है, उसी से महाकुंभ में रबड़ी का भंडारा करते हैं. बाबा का दावा है कि रबड़ी का स्वाद मीठा होता है और वह इसे लोगों को खिलाकर उनके जीवन में भी मिठास भरना चाहते हैं. महंत देव गिरि का रबड़ी प्रसाद पाने वाले श्रद्धालुओं का भी यह कहना है कि रबड़ी वाले बाबा महाकुंभ में अनूठे हैं. लोग उनकी रबड़ी की जमकर तारीफ करते हैं.</p>
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