फरीदकोट के कोटकपूरा शहर में रविवार शाम को कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर कांग्रेस पार्टी ने वर्करों की एक बैठक आयोजित करने के बाद डॉ. अंबेडकर के प्रति टिप्पणी को लेकर अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं कोटकपूरा विधानसभा क्षेत्र प्रभारी अजयपाल सिंह संधू के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदेश के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री उपिंदर शर्मा भी पहुंचे। इस मौके पर कांग्रेस नेताओं ने डॉ. अंबेडकर के खिलाफ टिप्पणी के लिए अमित शाह के प्रति रोष व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार एक साजिश के तहत संविधान को खत्म करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर उनकी योजना को सफल नहीं होने देगी। इस मौके पर पूर्व मंत्री उपिंदर शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को या तो तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर डॉ. अंबेडकर पर टिप्पणी करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। ऐसे बेतुके बयान देकर देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करने की चाल को कांग्रेस कामयाब नहीं होने देगी। फरीदकोट के कोटकपूरा शहर में रविवार शाम को कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर कांग्रेस पार्टी ने वर्करों की एक बैठक आयोजित करने के बाद डॉ. अंबेडकर के प्रति टिप्पणी को लेकर अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं कोटकपूरा विधानसभा क्षेत्र प्रभारी अजयपाल सिंह संधू के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदेश के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री उपिंदर शर्मा भी पहुंचे। इस मौके पर कांग्रेस नेताओं ने डॉ. अंबेडकर के खिलाफ टिप्पणी के लिए अमित शाह के प्रति रोष व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार एक साजिश के तहत संविधान को खत्म करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर उनकी योजना को सफल नहीं होने देगी। इस मौके पर पूर्व मंत्री उपिंदर शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को या तो तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर डॉ. अंबेडकर पर टिप्पणी करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। ऐसे बेतुके बयान देकर देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करने की चाल को कांग्रेस कामयाब नहीं होने देगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब की जेलों से नशा तस्करी का मामला:HC ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट, अब तक 9 जेल अधिकारियों पर हुई कार्रवाई पंजाब की जेलों से चल रहे नशे के कारोबार में कैदी ही नहीं अब मुलाजिमों की भूमिका भी सामने आ रही है। पुलिस ने अब तक ऐसे 9 जेल अधिकारियों पर कार्रवाई की है। इनमें एक डॉक्टर भी शामिल था। यह जानकारी पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान दी है। वहीं, सरकार के जबाव को अदालत ने रिकॉर्ड में ले लिया है। साथ ही इस मामले में 25 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए है। फिरोजपुर जेल से जुड़ा था मामला कुछ माह पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फिरोजपुर जेल से नशे के कारोबार का स्ंज्ञान लिया था। जब मामले की जांच हुई तो पता चला था कि जेल के अंदर से 43 हजार फोन काॅल हुई। इस मामले की जब पड़ताल हुई तो अफसरों की भूमिका सामने आई थी। इसके बाद पंजाब पुलिस की तरफ से उन पर कार्रवाई की गई थी। यह पहला मौका है जब इस तरह की भूमिका सामने आई है। साथ ही पुलिस ने कार्रवाई की थी। अब जेलों को सुधारने की तैयारी हालांकि सरकार ने अदालत में बताया है कि जेलों में नशा तस्करी व मोबाइल आदि के प्रयोग को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जेलों में फोन रोकने के लिए दीवारों की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा वहां फोन नेटवर्क रोकने के लिए पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। वहीं, अधिकारियों द्वारा जेलों की हर रोज चेकिंग की जाती है।
पंजाब में 32 साल पुराने सीबीआई अदालत ने सुनाया फैसला:एसएचओ को 10 साल की सजा; दूसरे केस में दोषी करार, जुर्माना भी लगाया
पंजाब में 32 साल पुराने सीबीआई अदालत ने सुनाया फैसला:एसएचओ को 10 साल की सजा; दूसरे केस में दोषी करार, जुर्माना भी लगाया पंजाब के 32 साल पुराने अपहरण, अवैध हिरासत, गुमशुदगी और हत्या के दो मामलों में सीबीआई की विशेष अदालत ने महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। पहले मामले में जज मनजोत कौर ने थाना सरहाली जिला तरन तारन के एसएचओ रहे सुरिंदरपाल सिंह को 10 साल की सजा सुनाई। जबकि दूसरे मामले में विशेष न्यायाधीश राकेश गुप्ता ने पूर्व एसएचओ और दो पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया है। दोनों ही मामले 1992 में तरन तारन में हुए झूठे मामलों से जुड़े हैं। पहला मामला- 31 अक्टूबर 1992 की शाम, पुलिस ने एएसआई अवतार सिंह के नेतृत्व में एक टीम के जरिए सुखदेव सिंह (सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लोपोके, अमृतसर के वाइस प्रिंसिपल) और उनके 80 वर्षीय ससुर सुलक्षण सिंह (स्वतंत्रता सेनानी) को हिरासत में लिया। यह हिरासत थाना सरहाली, तरन तारन में 3 दिन तक चली, जहां परिजनों और शिक्षकों ने उनसे मुलाकात की। लेकिन तीन दिन बाद, दोनों का कोई पता नहीं चला। सुखदेव सिंह की पत्नी सुखवंत कौर ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बाद में, यह खुलासा हुआ कि हिरासत में प्रताड़ना के दौरान सुखदेव सिंह की मौत हो गई थी और उनकी लाश को उनके ससुर सुलक्खण सिंह के साथ हरिके नहर में फेंक दिया गया। जानें क्या-क्या सजा दी गई थाना सरहाली, जिला तरनतारन के एसएचओ रहे सुरिंदरपाल सिंह को दोषी करार देते हुए विभिन्न धाराओं के तहत कठोर सजा दी गई है। सुरिंदरपाल सिंह का आपराधिक इतिहास यह वही सुरिंदरपाल सिंह है जो मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा हत्या मामले में पहले ही आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे तरनतारन के जीयो बाला गांव के चार सदस्यों के अपहरण और गुमशुदगी के एक अन्य मामले में भी 10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। दूसरे मामले में एचएचओ सहित दो अन्य दोषी करार 1992 में दो युवकों, जगदीप सिंह उर्फ मक्खन (पंजाब पुलिस सिपाही) और गुरनाम सिंह उर्फ पाली (एसपीओ), का अपहरण कर फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई और शवों को ‘लावारिस’ बताकर जला दिया गया। सीबीआई अदालत के न्यायाधीश राकेश गुप्ता ने एसएचओ गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह और पुलिसकर्मी हंस राज सिंह को धारा 302 और 120-बी के तहत दोषी करार दिया। तीनों को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया। सजा का ऐलान मंगलवार को किया जाएगा। महिला की भी हुई थी मौत 18 नवंबर 1992 को पुलिस ने मृतक मक्खन सिंह घर पर फायरिंग कर उसका अपहरण किया था। फायरिंग में उसकी सास सविंदर कौर की मौत हो गई। 21 नवंबर 1992 को गुरनाम सिंह को उसके घर से उठाया गया। पुलिस ने 30 नवंबर 1992 को फर्जी मुठभेड़ में दोनों की हत्या की और शवों को ‘लावारिस’ बताकर अंतिम संस्कार कर दिया। एफआईआर में झूठी कहानी गढ़ी गई कि मुठभेड़ में आतंकवादी मारे गए। सीबीआई जांच में खुलासा सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया। जांच में खुलासा हुआ कि यह अवैध हिरासत और हत्या का मामला था। 1997 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की और 2021 में एक आरोपी अर्जुन सिंह की मृत्यु के कारण मामला बंद कर दिया गया।