<p style=”text-align: justify;”><strong>IAS Sanjita Mohapatra:</strong> बेटे की चाह रखने वाले माता-पिता के घर एक बार फिर बेटी ने जन्म लिया जो घरवालों को नागवार गुजरा. घर वालों की निराशा इतनी थी कि वो अपनी बेटी को लगभग छोड़ ही देते, लेकिन बच्ची की किस्मत थी कि परिवार ने उसे किसी तरह अपना लिया. उसी बेटी ने बड़े होकर जो काम किया जिससे आज उसका परिवार गर्व से सिर उठाए है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हम बात कर रहे हैं अमरावती की आईएएस अधिकारी संजीता महापात्रा की. संजीता पहापात्रा के कड़े संघर्ष की कहानी किसी को भी प्रेरित करने के लिए काफी है. संजीता पहापात्रा अमरावती जिला परिषद की सीईओ हैं, जो वहां शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाने में जुटी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बड़ी बहन की जिद ने संजीता को दिलाया परिवार</strong><br />एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संजीता महापात्रा ने बताया था कि उनका जन्म राउरकेला ओडिशा के एक गरीब परिवार में हुआ था. एक बेटी के बाद उनके माता-पिता को बेटे की उम्मीद थी और इसलिए संजीता के जन्म से परिवार खुश नहीं था. 34 वर्षीय आईएएस अधिकारी ने बताया कि उनका परिवार लगभग उन्हें छोड़ ही देने वाला था, लेकिन बड़ी बहन की जिद ने उन्हें बचा लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, संजीता महापात्रा का जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें कई तकलीफों का सामना करना पड़ा. सामाजिक संगठनों, टीचर्स और स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों के करियर के लिए माता-पिता ने खूब मेहनत की</strong><br />ऐसा नहीं है कि उसके माता-पिता अपनी बेटियों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से बचते रहे. महापात्रा ने बताया कि उनके माता-पिता ने गुजारा करने के लिए कई नौकरियां कीं और उनके करियर को आकार देने के लिए भी बहुत मेहनत की. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद संजीता महापात्रा की नौकरी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर लग गई. इस दौरान संजीता ने अपने गांव में माता-पिता के लिए एक घर बनाने में मदद की. उनकी बहन भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), बेंगलुरु में मैनेजर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पांचवीं कोशिश में क्लियर किया UPSC</strong><br />आईएएस अधिकारी संजीता महापात्रा का कहना है कि अब उनके माता-पिता उनकी सफलता देख फूले नहीं समाते हैं. संजीता बचपन से ही एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं. उनके पति के सपोर्ट से वह यह मकाम हासिल भी कर सकीं. साल 2019 में संजीता ने पांचवें अटेम्पट में <a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> क्लियर किया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संजीत महापात्रा का कहना है कि अमरावती जिला परिषद के सीईओ के रूप में वह स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को सशक्त बनाना और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की क्वॉलिटी में सुधान लाना चाहती हैं. उन्होंने एसएचजी के उत्पादों के लिए उनकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर उनके लॉन्च तक एक विशिष्ट बाजार बनाने पर फोकस किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/shiv-sena-mp-naresh-mhaske-said-labourers-nationality-should-be-checked-saif-ali-khan-attack-case-2866245″>सैफ अली खान के हमलावर के बांग्लादेशी होने का दावा, अब शिंदे गुट के नेता ने कर दी ये बड़ी मांग</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>IAS Sanjita Mohapatra:</strong> बेटे की चाह रखने वाले माता-पिता के घर एक बार फिर बेटी ने जन्म लिया जो घरवालों को नागवार गुजरा. घर वालों की निराशा इतनी थी कि वो अपनी बेटी को लगभग छोड़ ही देते, लेकिन बच्ची की किस्मत थी कि परिवार ने उसे किसी तरह अपना लिया. उसी बेटी ने बड़े होकर जो काम किया जिससे आज उसका परिवार गर्व से सिर उठाए है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हम बात कर रहे हैं अमरावती की आईएएस अधिकारी संजीता महापात्रा की. संजीता पहापात्रा के कड़े संघर्ष की कहानी किसी को भी प्रेरित करने के लिए काफी है. संजीता पहापात्रा अमरावती जिला परिषद की सीईओ हैं, जो वहां शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाने में जुटी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बड़ी बहन की जिद ने संजीता को दिलाया परिवार</strong><br />एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संजीता महापात्रा ने बताया था कि उनका जन्म राउरकेला ओडिशा के एक गरीब परिवार में हुआ था. एक बेटी के बाद उनके माता-पिता को बेटे की उम्मीद थी और इसलिए संजीता के जन्म से परिवार खुश नहीं था. 34 वर्षीय आईएएस अधिकारी ने बताया कि उनका परिवार लगभग उन्हें छोड़ ही देने वाला था, लेकिन बड़ी बहन की जिद ने उन्हें बचा लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, संजीता महापात्रा का जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें कई तकलीफों का सामना करना पड़ा. सामाजिक संगठनों, टीचर्स और स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बच्चों के करियर के लिए माता-पिता ने खूब मेहनत की</strong><br />ऐसा नहीं है कि उसके माता-पिता अपनी बेटियों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से बचते रहे. महापात्रा ने बताया कि उनके माता-पिता ने गुजारा करने के लिए कई नौकरियां कीं और उनके करियर को आकार देने के लिए भी बहुत मेहनत की. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद संजीता महापात्रा की नौकरी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर लग गई. इस दौरान संजीता ने अपने गांव में माता-पिता के लिए एक घर बनाने में मदद की. उनकी बहन भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), बेंगलुरु में मैनेजर हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पांचवीं कोशिश में क्लियर किया UPSC</strong><br />आईएएस अधिकारी संजीता महापात्रा का कहना है कि अब उनके माता-पिता उनकी सफलता देख फूले नहीं समाते हैं. संजीता बचपन से ही एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं. उनके पति के सपोर्ट से वह यह मकाम हासिल भी कर सकीं. साल 2019 में संजीता ने पांचवें अटेम्पट में <a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> क्लियर किया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संजीत महापात्रा का कहना है कि अमरावती जिला परिषद के सीईओ के रूप में वह स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को सशक्त बनाना और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की क्वॉलिटी में सुधान लाना चाहती हैं. उन्होंने एसएचजी के उत्पादों के लिए उनकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर उनके लॉन्च तक एक विशिष्ट बाजार बनाने पर फोकस किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/shiv-sena-mp-naresh-mhaske-said-labourers-nationality-should-be-checked-saif-ali-khan-attack-case-2866245″>सैफ अली खान के हमलावर के बांग्लादेशी होने का दावा, अब शिंदे गुट के नेता ने कर दी ये बड़ी मांग</a></strong></p> महाराष्ट्र Mahakumbh Fire: गीता प्रेस में कैसे लगी आग? ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका बोले- ‘यहां से नहीं लगी, करोड़ों का नुकसान हुआ’