शिमला में मजदूरों ने किया श्रमिक कल्याण बोर्ड का घेराव:लंबित 500 करोड़ की सहायता राशि भुगतान करने की मांग, विधानसभा घेराव की चेतावनी

शिमला में मजदूरों ने किया श्रमिक कल्याण बोर्ड का घेराव:लंबित 500 करोड़ की सहायता राशि भुगतान करने की मांग, विधानसभा घेराव की चेतावनी

हिमाचल प्रदेश में मजदूरों की लंबित वित्तीय सहायता को लेकर निर्माण मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर सोमवार को मजदूरों ने शिमला में ‘हिमाचल प्रदेश भवन सड़क’ एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन ने कामगार बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव का घेराव किया। यूनियन ने सीटू के बैनर तले परिमहल में धरना प्रदर्शन किया और मांग की कि 31 मार्च से पहले सभी लंबित वित्तीय सहायता जारी की जाए। यूनियन के राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने पिछले दो वर्षों से मजदूरों की वित्तीय सहायता रोक रखी है। लगभग एक लाख लोगों की करीब 500 करोड़ रुपए की राशि बोर्ड के पास अदायगी के लिए लंबित है। इस राशि में मजदूरों के बच्चों की छात्रवृत्ति, विवाह सहायता, बीमारी और मृत्यु पर मिलने वाली सहायता राशि शामिल है। उन्होंने कहा कि यूनियन ने कई बार इस मुद्दे को बोर्ड के समक्ष उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि 31 मार्च तक राशि जारी नहीं की गई, तो वे विधानसभा का घेराव करने सहित बड़ा आंदोलन करेंगे। बता दें कि आज कामगार बोर्ड के साथ मजदूरों की बैठक है, जिससे पहले मजदूरों ने अध्यक्ष व बोर्ड का घेराव कर उनके समक्ष अपनी मांगे उठाई है। वहीं सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि आज यहां पर श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक होने जा रही है और बैठक से पहले ही अधिकारियों का घेराव कर मजदूरों का पंजीकरण सरल करने और जो पंजीकरण जो मजदूरों के लाभ रोके गए हैं उन्हें बहाल करने की मांग उठाई गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया तो गरीब मजदूरों को मिलने वाले लाभ बन्द कर दिए। श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूरों के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का प्रावधान था जो कि बन्द कर दी गई है। बीमारी पर मेडिकल की सुविधा और पेंशन तक के भी प्रावधान है लेकिन दो सालों से ये सब रुके हुए। अधिकारियों को मजदूरों के रोके गए लाभ जारी करने का आग्रह किया गया और यदि यह मांगे पूरी नहीं होती तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में मजदूरों की लंबित वित्तीय सहायता को लेकर निर्माण मजदूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर सोमवार को मजदूरों ने शिमला में ‘हिमाचल प्रदेश भवन सड़क’ एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन ने कामगार बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव का घेराव किया। यूनियन ने सीटू के बैनर तले परिमहल में धरना प्रदर्शन किया और मांग की कि 31 मार्च से पहले सभी लंबित वित्तीय सहायता जारी की जाए। यूनियन के राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने पिछले दो वर्षों से मजदूरों की वित्तीय सहायता रोक रखी है। लगभग एक लाख लोगों की करीब 500 करोड़ रुपए की राशि बोर्ड के पास अदायगी के लिए लंबित है। इस राशि में मजदूरों के बच्चों की छात्रवृत्ति, विवाह सहायता, बीमारी और मृत्यु पर मिलने वाली सहायता राशि शामिल है। उन्होंने कहा कि यूनियन ने कई बार इस मुद्दे को बोर्ड के समक्ष उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि 31 मार्च तक राशि जारी नहीं की गई, तो वे विधानसभा का घेराव करने सहित बड़ा आंदोलन करेंगे। बता दें कि आज कामगार बोर्ड के साथ मजदूरों की बैठक है, जिससे पहले मजदूरों ने अध्यक्ष व बोर्ड का घेराव कर उनके समक्ष अपनी मांगे उठाई है। वहीं सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि आज यहां पर श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक होने जा रही है और बैठक से पहले ही अधिकारियों का घेराव कर मजदूरों का पंजीकरण सरल करने और जो पंजीकरण जो मजदूरों के लाभ रोके गए हैं उन्हें बहाल करने की मांग उठाई गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया तो गरीब मजदूरों को मिलने वाले लाभ बन्द कर दिए। श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूरों के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का प्रावधान था जो कि बन्द कर दी गई है। बीमारी पर मेडिकल की सुविधा और पेंशन तक के भी प्रावधान है लेकिन दो सालों से ये सब रुके हुए। अधिकारियों को मजदूरों के रोके गए लाभ जारी करने का आग्रह किया गया और यदि यह मांगे पूरी नहीं होती तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर