<p style=”text-align: justify;”><strong>Gujarat News:</strong> पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार के एक मामले में पांच साल की जेल हो गई. साथ ही एक सत्र अदालत ने सोमवार 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. यह मामला 2004 का है, जब वह गुजरात में कच्छ के जिलाधिकारी थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के.एम. सोजित्रा की अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया. यह मामला वेलस्पन समूह को एक भूखंड आवंटित करने से संबंधित है, जिससे कथित तौर पर सरकारी खजाने को 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों सजाएं चलेंगी साथ</strong><br />अदालत ने शर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) (लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) और धारा 11 (लोक सेवकों द्वारा बिना विचार किए अनुचित लाभ प्राप्त करना) के तहत दोषी पाया. सरकारी वकील कल्पेश गोस्वामी ने बताया कि उन्हें धारा 13(2) के तहत पांच साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना और धारा 11 के तहत तीन साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शर्मा वर्तमान में भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में भुज की जेल में बंद हैं. गोस्वामी ने बताया कि अदालत ने वेलस्पन समूह को भूमि आवंटन से संबंधित भ्रष्टाचार के तीन मामलों में संयुक्त सुनवाई की. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार खजाने को हुआ नुकसान</strong><br />मामले के विवरण के अनुसार, शर्मा ने कंपनी को प्रचलित कीमत के 25 प्रतिशत मूल्य पर भूमि आवंटित की थी, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. बदले में, वेलस्पन समूह ने शर्मा की पत्नी को अपनी एक सहायक कंपनी वैल्यू पैकेजिंग में 30 प्रतिशत की भागीदार बना दिया और उन्हें 29.5 लाख रुपये का लाभ पहुंचाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निजी कंपनी से 29 लाख रिश्वत लेने का आरोप</strong><br />प्रदीप शर्मा को 2004 में कच्छ का कलेक्टर रहने के दौरान निजी कंपनी से 29 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एसीबी ने 30 सितंबर 2014 को गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे शर्मा का राज्य सरकार के साथ उस समय टकराव चल रहा था जब राज्य की कमान नरेन्द्र मोदी के हाथों में थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”गुजरात में अब HMPV के कितने मरीज? स्वास्थ्य विभाग ने दी ये अहम जानकारी” href=”https://www.abplive.com/states/gujarat/hmpv-in-gujarat-all-six-hmpv-patients-in-gujarat-discharged-from-hospital-2867054″ target=”_blank” rel=”noopener”>गुजरात में अब HMPV के कितने मरीज? स्वास्थ्य विभाग ने दी ये अहम जानकारी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Gujarat News:</strong> पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार के एक मामले में पांच साल की जेल हो गई. साथ ही एक सत्र अदालत ने सोमवार 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. यह मामला 2004 का है, जब वह गुजरात में कच्छ के जिलाधिकारी थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के.एम. सोजित्रा की अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया. यह मामला वेलस्पन समूह को एक भूखंड आवंटित करने से संबंधित है, जिससे कथित तौर पर सरकारी खजाने को 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों सजाएं चलेंगी साथ</strong><br />अदालत ने शर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) (लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) और धारा 11 (लोक सेवकों द्वारा बिना विचार किए अनुचित लाभ प्राप्त करना) के तहत दोषी पाया. सरकारी वकील कल्पेश गोस्वामी ने बताया कि उन्हें धारा 13(2) के तहत पांच साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना और धारा 11 के तहत तीन साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शर्मा वर्तमान में भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में भुज की जेल में बंद हैं. गोस्वामी ने बताया कि अदालत ने वेलस्पन समूह को भूमि आवंटन से संबंधित भ्रष्टाचार के तीन मामलों में संयुक्त सुनवाई की. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार खजाने को हुआ नुकसान</strong><br />मामले के विवरण के अनुसार, शर्मा ने कंपनी को प्रचलित कीमत के 25 प्रतिशत मूल्य पर भूमि आवंटित की थी, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. बदले में, वेलस्पन समूह ने शर्मा की पत्नी को अपनी एक सहायक कंपनी वैल्यू पैकेजिंग में 30 प्रतिशत की भागीदार बना दिया और उन्हें 29.5 लाख रुपये का लाभ पहुंचाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निजी कंपनी से 29 लाख रिश्वत लेने का आरोप</strong><br />प्रदीप शर्मा को 2004 में कच्छ का कलेक्टर रहने के दौरान निजी कंपनी से 29 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एसीबी ने 30 सितंबर 2014 को गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे शर्मा का राज्य सरकार के साथ उस समय टकराव चल रहा था जब राज्य की कमान नरेन्द्र मोदी के हाथों में थी.</p>
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