पहले हायर, फिर बिना बताए फायर! नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से 43 कर्मचारी बिना नोटिस बाहर

पहले हायर, फिर बिना बताए फायर! नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से 43 कर्मचारी बिना नोटिस बाहर

<p style=”text-align: justify;”><strong>National Law University Shimla News:</strong> शिमला में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घंडल से 43 दैनिक वेतन भोगियों को बिना नोटिस काम से बाहर निकालने के आरोप लगाए गए हैं. इसी के विरोध में मंगलवार को सीटू के बैनर चले शिमला डीसी ऑफिस के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया. आरोप है कि गैर-कानूनी तरीके से इन दैनिक वेतन भोगियों को काम से बाहर निकाल दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन सभी कर्मचारियों से 12 घंटे तक रोजाना काम करवाया जाता रहा और नियमों के मुताबिक वेतन भी नहीं दिया जाता था. अब इन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इनमें सफाईकर्मी, सुरक्षाकर्मी, हॉस्टल अटेंडेंट, ड्राइवर, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर समेत अन्य तकनीकी कर्मी शामिल है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब स्थाई पॉलिसी बनाने की मांग…</strong><br />हिमाचल प्रदेश सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने मांग उठाई है कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय घंडल से बाहर निकाले गए 43 कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर रखा जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को 90 दिन बाद ब्रेक देना बंद किया जाना चाहिए. दैनिक वेतन भोगियों को तुरंत रेगुलर करने की भी मांग उठाई गई है. विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी में गैर कानूनी तरीके से कर्मचारियों की छंटनी की जाती है. इसे भी जल्द से जल्द रोके जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह ‘हायर एंड फायर’ की नीति श्रम कानून के विरुद्ध है. उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में श्रम कानून लागू करने की मांग उठाई है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिना भुगतान करवाया जाता है ओवरटाइम- मेहरा&nbsp;</strong><br />विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी में इन सभी कर्मचारियों से एक दिन में 12 घंटे तक काम करवाया जाता था. किसी भी कर्मचारी को ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया गया. इसके अलावा बिना वेतन के भी कर्मचारियों से कई अन्य श्रेणियां के भी काम लिए जाते रहे हैं. कर्मचारियों को न तो ईपीएफ की सुविधा है और न ही अन्य छुट्टियों की. उन्होंने कहा कि इन सभी कर्मचारियों से नियमों के खिलाफ काम लिया जाता रहा. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की कम संख्या की वजह से यहां कई कर्मचारी से ज्यादा काम कराया जाता है. उन्होंने मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इन कर्मचारियों की सेवाएं दोबारा बहाल की जाए और भविष्य के लिए भी स्थाई पॉलिसी बनाई जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”एक के भरोसे 20 ट्रांसफॉर्मर? कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा हिमाचल बिजली बोर्ड” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/employees-shortage-in-himachal-pradesh-electricity-board-and-post-are-vacant-know-details-ann-2867542″ target=”_self”>एक के भरोसे 20 ट्रांसफॉर्मर? कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा हिमाचल बिजली बोर्ड</a>&nbsp;</strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>National Law University Shimla News:</strong> शिमला में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घंडल से 43 दैनिक वेतन भोगियों को बिना नोटिस काम से बाहर निकालने के आरोप लगाए गए हैं. इसी के विरोध में मंगलवार को सीटू के बैनर चले शिमला डीसी ऑफिस के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया. आरोप है कि गैर-कानूनी तरीके से इन दैनिक वेतन भोगियों को काम से बाहर निकाल दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन सभी कर्मचारियों से 12 घंटे तक रोजाना काम करवाया जाता रहा और नियमों के मुताबिक वेतन भी नहीं दिया जाता था. अब इन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इनमें सफाईकर्मी, सुरक्षाकर्मी, हॉस्टल अटेंडेंट, ड्राइवर, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर समेत अन्य तकनीकी कर्मी शामिल है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब स्थाई पॉलिसी बनाने की मांग…</strong><br />हिमाचल प्रदेश सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने मांग उठाई है कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय घंडल से बाहर निकाले गए 43 कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर रखा जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को 90 दिन बाद ब्रेक देना बंद किया जाना चाहिए. दैनिक वेतन भोगियों को तुरंत रेगुलर करने की भी मांग उठाई गई है. विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी में गैर कानूनी तरीके से कर्मचारियों की छंटनी की जाती है. इसे भी जल्द से जल्द रोके जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह ‘हायर एंड फायर’ की नीति श्रम कानून के विरुद्ध है. उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में श्रम कानून लागू करने की मांग उठाई है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिना भुगतान करवाया जाता है ओवरटाइम- मेहरा&nbsp;</strong><br />विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी में इन सभी कर्मचारियों से एक दिन में 12 घंटे तक काम करवाया जाता था. किसी भी कर्मचारी को ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया गया. इसके अलावा बिना वेतन के भी कर्मचारियों से कई अन्य श्रेणियां के भी काम लिए जाते रहे हैं. कर्मचारियों को न तो ईपीएफ की सुविधा है और न ही अन्य छुट्टियों की. उन्होंने कहा कि इन सभी कर्मचारियों से नियमों के खिलाफ काम लिया जाता रहा. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की कम संख्या की वजह से यहां कई कर्मचारी से ज्यादा काम कराया जाता है. उन्होंने मांग उठाई है कि जल्द से जल्द इन कर्मचारियों की सेवाएं दोबारा बहाल की जाए और भविष्य के लिए भी स्थाई पॉलिसी बनाई जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”एक के भरोसे 20 ट्रांसफॉर्मर? कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा हिमाचल बिजली बोर्ड” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/employees-shortage-in-himachal-pradesh-electricity-board-and-post-are-vacant-know-details-ann-2867542″ target=”_self”>एक के भरोसे 20 ट्रांसफॉर्मर? कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा हिमाचल बिजली बोर्ड</a>&nbsp;</strong></p>  हिमाचल प्रदेश ‘उन्हें इतनी भी समझ नहीं…’, तेजस्वी यादव को अशोक चोधरी ने लिया आड़े हाथों, बताया CM के कपड़े वाले बयान का मतलब