शामली में STF ने 4 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इस एनकाउंटर में मारे गए 4 बदमाशों में सबसे चर्चित नाम अरशद का है। अरशद इस समय पश्चिम यूपी के कुख्यात कग्गा गैंग को ऑपरेट कर रहा था। यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में कग्गा गैंग की दहशत फिल्म शोले के गब्बर जैसी रही है। शाम होते ही थानों में ताले लगा दिए जाते थे। पुलिस वालों की हत्या कर थाने से हथियार लूटना, सरेआम गाड़ियों को हाइजैक कर लूट लेना। ये कग्गा गैंग का खौफ फैलाने का पैटर्न था। अपहरण, हत्या और फिरौती को कग्गा गैंग ने इंडस्ट्री के रूप में डेवलप कर लिया था। इनकी बात न मानने वालों की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती थी। कग्गा गैंग के सरगना मुस्तफा के 2011 में एनकाउंटर के बाद गैंग को मुकीम काला संभाल रहा था। फिर उसके बाद अरशद भी जुड़ा गया। वह मुकीम काला का दाहिना हाथ बन गया। 2021 में मुकीम काला की हत्या हो गई। इसके बाद से अरशद सेम पैटर्न पर पूरी तरह से गैंग को ऑपरेट कर रहा था। कग्गा गैंग कैसे बना? 4 राज्यों में इसकी कितनी दहशत थी? अरशद के हाथ गैंग की बागडोर कैसे आई…? पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट पहले जानिए कग्गा गैंग के बारे में… शाम को पुलिस थाने में ताला लगा लेती थी
मुस्तफा उर्फ कग्गा, सहारनपुर के बाढ़ी माजरा का रहने वाला था। कग्गा की कई राज्यों में इस कदर दहशत थी कि उसके खौफ से शाम होते ही थानों में ताले लग जाते थे। पुलिस कर्मी चले जाते थे। गैंग थानों के सामने ही गाड़ी लगाकर तमंचे के बल पर हथियार लूट लेता था। उसके टारगेट पर हमेशा पुलिस रहती थी। कग्गा पुलिस पर भी गोलियां बरसाने से जरा भी नहीं हिचकता था। कग्गा ने SOG के सर्विलांस एक्सपर्ट सिपाही सचिन की हत्या की थी। फिर दो सिपाहियों की हत्या कर राइफल लूट ली। 20 जून, 2011 को मुखबिरी के शक में कग्गा ने कैराना के खुरगान निवासी जुल्फान उर्फ काला की हत्या कर दी थी। लखनऊ में क्राइम मीटिंग हुई। इसमें DGP बृजलाल ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद ADJ एनसीआर केएल मीना व DIG सहारनपुर जेएन सिंह ने कई दिनों तक क्षेत्र में कैंप कर मिशन कग्गा के लिए रणनीति बनाई थी। पुलिस को 2011 में सूचना मिली कि बीनपुर गांव के जंगल में मुस्तफा उर्फ कग्गा किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला है। जिसके बाद चमन सिंह चावड़ा ने SOG प्रभारी प्रशांत कपिल और उनकी टीम को साथ लिया। आमने-सामने की मुठभेड़ हुई, जिसमें कग्गा एनकाउंटर में मारा गया। उस समय मुकीम काला भाग गया था। हालांकि, कग्गा की गर्लफ्रेंड फातिमा पकड़ी गई। अब बात मुकीम काला और अरशद की… गैंग में 20 जून, 2011 को मुकीम काला की एंट्री
20 जून 2011 में मुस्तफा के गैंग में ही मुकीम काला ने एंट्री की थी। उसका राइट हैंड अरशद बन गया। मुकीम काला ने कग्गा से ही जरायम दुनिया का ककहरा सीखा था। गांव जहानपुरा निवासी मुकीम काला, अरशद और जंधेडी निवासी साबिर के परिवार की आर्थिक हालत सही नहीं थी। मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था। धीरे-धीरे मुकीम काला वेस्ट यूपी के अपराध जगत का बड़ा नाम था। मुकीम काला का नाम सुनकर शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के कारोबारी, नेता दहशत में आ जाते थे। मुकीम पुलिस पर गोली चलाने से पहले कुछ नहीं सोचता था। इस डर के कारण कोई उसके गिरोह की मुखबिरी नहीं कर पाता था। कुख्यात मुस्तफा उर्फ कग्गा के शार्प शूटर मुकीम काला और साबिर काना थे। उसके डर से व्यापारी दूसरे प्रदेशों में माल खरीदने जाने से भी कतराने लगे थे। यूपी व हरियाणा सरकार ने दो लाख का इनाम घोषित किया था। मुकीम काला पर 11 साल में 61 मुकदमे दर्ज थे। जिनमें ज्यादातर मुकदमे रंगदारी वसूली और हत्या के थे। 16 साल की उम्र में मुकीम पर दर्ज हुआ FIR
2008 में 16 साल की उम्र में मुकीम काला के खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ। वह जेल गया और जब बाहर आया तो जरायम की दुनिया का डॉन बनने का ख्वाब देखने लगा। 2010 में मुकीम काला के लिए टर्निंग पाइंट बना। मुकीम की उम्र करीब 19 साल रही होगी। उन दिनों वह पानीपत के एक ठेकेदार के यहां मजदूरी करता था। ठेकेदार ने काला को मेहनतकश समझकर काम दिया। लेकिन, मुकीम ने यहीं से अपने आपराधिक जीवन का सिक्का उछाला। एक दिन मुकीम ने अपने एक साथी के साथ मिलकर मालिक के 19 लाख रुपए लूट लिए। फायरिंग करके भाग गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर करनाल जेल भेजा। यह जेल मुकीम के लिए अपराध की पाठशाला साबित हुई। जेल में मुकीम की मुलाकात वेस्ट यूपी के कुख्यात गैंगस्टर मुस्तफा कग्गा से हुई थी। मुकीम ने कग्गा का गैंग ज्वाइन कर लिया। जेल से बाहर आया, अपनी गैंग बना ली। सहारनपुर और पानीपत में मुकीम काला का दखल अधिक रहा। लूट और डकैती की वारदात कर पानीपत का मोस्टवांटेड बन गया। कग्गा गैंग का नाम बदल मुकीम गैंग रखा कग्गा के एनकाउंटर के बाद मुकीम ने गैंग का नाम बदल कर मुकीम गैंग रख दिया। कैराना कई बड़ी लूट करने के बाद उसे ‘गैंग्स ऑफ कैराना’ भी कहा जाने लगा। मुकीम काला वेस्ट यूपी का खतरनाक गैंग बन गया। गैंग में 17 शॉर्प शूटर थे। साबिर इस गैंग का सबसे शॉर्प शूटर था। जिसका निशाना अचूक था। मुकीम ने अरशद को जोड़ा। दोनों मिलकर कई वारदातों को अंजाम दिया। 5 जून, 2013 को मुकीम गैंग ने हरियाणा सीमा पर एक पेट्रोल पंप पर लूट की। सहारनपुर पुलिस को सूचना मिली की मुकीम गैंग के साथ आ रहा है। सहारनपुर पुलिस आईटीसी रोड पर मुस्तैद हो गई। गाड़ियों की चेकिंग की जाने लगी। कार से मुकीम अपने शूटर साबिर के साथ आता दिखा। CO उमेश यादव ने अपनी टीम के साथ मुकीम काला को घेर लिया। खूद को घिरा देख मुकीम और साबिर ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। एनकाउंटर में सीओ के गनर राहुल ढाका को गोली लगी। गनर राहुल की मौके पर ही मौत हो गई। मुकीम ने राहुल की कार्बाइन लूट ली। साबिर के साथ कार छोड़कर हवा में तमंचा लहराते हुए फरार हो गया। इस एनकाउंटर के बाद मुकीम पुलिस की हिट लिस्ट में आ गया। मुकीम पुलिस की लूटी हुई कार्बाइन लेकर एक बड़े वारदात को अंजाम देने जा रहा था। तभी ऑटोमैटिक बटन दबने से मैगजीन गुम हो गई। काला गैंग ने मैगजीन तलाशी लेकिन नहीं मिली। इसके बाद कुछ दिन तक मुकीम खामोश रहा। बचने के लिए हवा में नोट उड़ाकर फरार हो जाता था
मुकीम ने 15 फरवरी, 2015 में सहारनपुर की कोर्ट रोड पर तनिष्क शोरुम में दिनदहाड़े डकैती डाली। पुलिस की वर्दी पहनकर शोरुम से 10 करोड़ रुपए और नकदी भी लूट ली। शोरूम से बाहर निकलते ही उसे पुलिस ने घेर लिया है। बचने के लिए मुकीम ने नोटों को हवा में उड़ा दिया। लोग नोट लूटने लगे। मौका देखकर मुकीम गैंग के साथ फिर फरार हो निकला। मुकीम-अरशद लूट, डकैती और फिरौती करने का एक्सपर्ट बन गया। मुकीम किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देता था तो उसके अगले दिन अखबार जरूर पढ़ता था। उस घटना के बारे में पढ़कर खुश होता था। तनिष्क शोरुम की डकैती ने यूपी की सत्ता तक हिला दी। घटना का अंजाम यह हुआ कि सहारनपुर एसएसपी भारत सिंह यादव, कोतवाली सदर बाजार प्रभारी संजय पांडेय, चौकी कैंप इंचार्ज नरेंद्र यादव, सिपाही राजीव शर्मा, राहुल सिंह, उदयवीर सिंह और राहुल कुमार को सस्पेंड कर दिया गया। 14 मई, 2021 में मुकीम की चित्रकूट जेल में हत्या हुई
14 मई, 2021 को चित्रकूट जेल में हुए खूनी गैंगवार में तीन कुख्यात बदमाशों की मौत हो गई। गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में अंशुल को ढेर कर दिया। मेराज अहमद को बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था। खास बात यह कि चित्रकूट जेल में ये सभी एक बैरक में रखे गए। 2021 से अरशद ने संभाली गैंग की कमान
मुकीम की मौत के बाद अरशद ने पूरा गैंग संभाला। इसके बाद करीब 20 से 25 लूट, हत्या और गैंगस्टर की वारदातों को अंजाम दिया। उसने हरियाणा, दिल्ली, वेस्ट यूपी के कई और लोगों को गैंग में जोड़ना शुरू किया। इसके बाद अपने हिसाब से पूरा नेटवर्क ऑपरेट कर रहा था। अरशद ने इन लोगों को गैंग में जोड़ा
पुलिस के मुताबिक, अरशद ने गैंग में मुकीम गिरोह के सदस्य, रिजवान, वाजिद, सादर, हैदर, महताब,अकबर,नीरज, फरमान,हारुण,आसिफ,मुंशाद,बेशर और अजरू को शामिल किया था। अरशद की मां बोली- वो मार्च में मिला था अरशद की मां हुस्नों ने बताया-आखिरी बार मार्च में आया था। उसके बाद 4 महीने के लिए उमरे पर चल गया था। फिर नहीं लौटा। आज हमें उसके मरने की खबर मिली। ——————————– ये खबर भी पढ़ें :- यूपी STF ने एक साथ 4 बदमाश मार गिराए:शामली में 40 मिनट चला एनकाउंटर, 30 राउंड फायरिंग; इंस्पेक्टर को भी कई गोली लगी यूपी के शामली में STF ने चार बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया है। सोमवार देर रात 2 बजे STF ने मुखबिर की सूचना पर कार से जा रहे चार बदमाशों को घेर लिया, लेकिन बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में STF ने भी फायरिंग शुरू कर दी। दोनों तरफ से 30 राउंड फायरिंग हुई। 40 मिनट तक मुठभेड़ चली। इस दौरान STF टीम को लीड कर रहे इंस्पेक्टर सुनील के पेट में तीन गोलियां लगीं। इसके बाद STF ने 1 लाख के इनामी अरशद समेत चारों बदमाशों को गोली मार दी। पढ़ें पूरी खबर शामली में STF ने 4 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इस एनकाउंटर में मारे गए 4 बदमाशों में सबसे चर्चित नाम अरशद का है। अरशद इस समय पश्चिम यूपी के कुख्यात कग्गा गैंग को ऑपरेट कर रहा था। यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में कग्गा गैंग की दहशत फिल्म शोले के गब्बर जैसी रही है। शाम होते ही थानों में ताले लगा दिए जाते थे। पुलिस वालों की हत्या कर थाने से हथियार लूटना, सरेआम गाड़ियों को हाइजैक कर लूट लेना। ये कग्गा गैंग का खौफ फैलाने का पैटर्न था। अपहरण, हत्या और फिरौती को कग्गा गैंग ने इंडस्ट्री के रूप में डेवलप कर लिया था। इनकी बात न मानने वालों की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती थी। कग्गा गैंग के सरगना मुस्तफा के 2011 में एनकाउंटर के बाद गैंग को मुकीम काला संभाल रहा था। फिर उसके बाद अरशद भी जुड़ा गया। वह मुकीम काला का दाहिना हाथ बन गया। 2021 में मुकीम काला की हत्या हो गई। इसके बाद से अरशद सेम पैटर्न पर पूरी तरह से गैंग को ऑपरेट कर रहा था। कग्गा गैंग कैसे बना? 4 राज्यों में इसकी कितनी दहशत थी? अरशद के हाथ गैंग की बागडोर कैसे आई…? पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट पहले जानिए कग्गा गैंग के बारे में… शाम को पुलिस थाने में ताला लगा लेती थी
मुस्तफा उर्फ कग्गा, सहारनपुर के बाढ़ी माजरा का रहने वाला था। कग्गा की कई राज्यों में इस कदर दहशत थी कि उसके खौफ से शाम होते ही थानों में ताले लग जाते थे। पुलिस कर्मी चले जाते थे। गैंग थानों के सामने ही गाड़ी लगाकर तमंचे के बल पर हथियार लूट लेता था। उसके टारगेट पर हमेशा पुलिस रहती थी। कग्गा पुलिस पर भी गोलियां बरसाने से जरा भी नहीं हिचकता था। कग्गा ने SOG के सर्विलांस एक्सपर्ट सिपाही सचिन की हत्या की थी। फिर दो सिपाहियों की हत्या कर राइफल लूट ली। 20 जून, 2011 को मुखबिरी के शक में कग्गा ने कैराना के खुरगान निवासी जुल्फान उर्फ काला की हत्या कर दी थी। लखनऊ में क्राइम मीटिंग हुई। इसमें DGP बृजलाल ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद ADJ एनसीआर केएल मीना व DIG सहारनपुर जेएन सिंह ने कई दिनों तक क्षेत्र में कैंप कर मिशन कग्गा के लिए रणनीति बनाई थी। पुलिस को 2011 में सूचना मिली कि बीनपुर गांव के जंगल में मुस्तफा उर्फ कग्गा किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला है। जिसके बाद चमन सिंह चावड़ा ने SOG प्रभारी प्रशांत कपिल और उनकी टीम को साथ लिया। आमने-सामने की मुठभेड़ हुई, जिसमें कग्गा एनकाउंटर में मारा गया। उस समय मुकीम काला भाग गया था। हालांकि, कग्गा की गर्लफ्रेंड फातिमा पकड़ी गई। अब बात मुकीम काला और अरशद की… गैंग में 20 जून, 2011 को मुकीम काला की एंट्री
20 जून 2011 में मुस्तफा के गैंग में ही मुकीम काला ने एंट्री की थी। उसका राइट हैंड अरशद बन गया। मुकीम काला ने कग्गा से ही जरायम दुनिया का ककहरा सीखा था। गांव जहानपुरा निवासी मुकीम काला, अरशद और जंधेडी निवासी साबिर के परिवार की आर्थिक हालत सही नहीं थी। मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था। धीरे-धीरे मुकीम काला वेस्ट यूपी के अपराध जगत का बड़ा नाम था। मुकीम काला का नाम सुनकर शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के कारोबारी, नेता दहशत में आ जाते थे। मुकीम पुलिस पर गोली चलाने से पहले कुछ नहीं सोचता था। इस डर के कारण कोई उसके गिरोह की मुखबिरी नहीं कर पाता था। कुख्यात मुस्तफा उर्फ कग्गा के शार्प शूटर मुकीम काला और साबिर काना थे। उसके डर से व्यापारी दूसरे प्रदेशों में माल खरीदने जाने से भी कतराने लगे थे। यूपी व हरियाणा सरकार ने दो लाख का इनाम घोषित किया था। मुकीम काला पर 11 साल में 61 मुकदमे दर्ज थे। जिनमें ज्यादातर मुकदमे रंगदारी वसूली और हत्या के थे। 16 साल की उम्र में मुकीम पर दर्ज हुआ FIR
2008 में 16 साल की उम्र में मुकीम काला के खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ। वह जेल गया और जब बाहर आया तो जरायम की दुनिया का डॉन बनने का ख्वाब देखने लगा। 2010 में मुकीम काला के लिए टर्निंग पाइंट बना। मुकीम की उम्र करीब 19 साल रही होगी। उन दिनों वह पानीपत के एक ठेकेदार के यहां मजदूरी करता था। ठेकेदार ने काला को मेहनतकश समझकर काम दिया। लेकिन, मुकीम ने यहीं से अपने आपराधिक जीवन का सिक्का उछाला। एक दिन मुकीम ने अपने एक साथी के साथ मिलकर मालिक के 19 लाख रुपए लूट लिए। फायरिंग करके भाग गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर करनाल जेल भेजा। यह जेल मुकीम के लिए अपराध की पाठशाला साबित हुई। जेल में मुकीम की मुलाकात वेस्ट यूपी के कुख्यात गैंगस्टर मुस्तफा कग्गा से हुई थी। मुकीम ने कग्गा का गैंग ज्वाइन कर लिया। जेल से बाहर आया, अपनी गैंग बना ली। सहारनपुर और पानीपत में मुकीम काला का दखल अधिक रहा। लूट और डकैती की वारदात कर पानीपत का मोस्टवांटेड बन गया। कग्गा गैंग का नाम बदल मुकीम गैंग रखा कग्गा के एनकाउंटर के बाद मुकीम ने गैंग का नाम बदल कर मुकीम गैंग रख दिया। कैराना कई बड़ी लूट करने के बाद उसे ‘गैंग्स ऑफ कैराना’ भी कहा जाने लगा। मुकीम काला वेस्ट यूपी का खतरनाक गैंग बन गया। गैंग में 17 शॉर्प शूटर थे। साबिर इस गैंग का सबसे शॉर्प शूटर था। जिसका निशाना अचूक था। मुकीम ने अरशद को जोड़ा। दोनों मिलकर कई वारदातों को अंजाम दिया। 5 जून, 2013 को मुकीम गैंग ने हरियाणा सीमा पर एक पेट्रोल पंप पर लूट की। सहारनपुर पुलिस को सूचना मिली की मुकीम गैंग के साथ आ रहा है। सहारनपुर पुलिस आईटीसी रोड पर मुस्तैद हो गई। गाड़ियों की चेकिंग की जाने लगी। कार से मुकीम अपने शूटर साबिर के साथ आता दिखा। CO उमेश यादव ने अपनी टीम के साथ मुकीम काला को घेर लिया। खूद को घिरा देख मुकीम और साबिर ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। एनकाउंटर में सीओ के गनर राहुल ढाका को गोली लगी। गनर राहुल की मौके पर ही मौत हो गई। मुकीम ने राहुल की कार्बाइन लूट ली। साबिर के साथ कार छोड़कर हवा में तमंचा लहराते हुए फरार हो गया। इस एनकाउंटर के बाद मुकीम पुलिस की हिट लिस्ट में आ गया। मुकीम पुलिस की लूटी हुई कार्बाइन लेकर एक बड़े वारदात को अंजाम देने जा रहा था। तभी ऑटोमैटिक बटन दबने से मैगजीन गुम हो गई। काला गैंग ने मैगजीन तलाशी लेकिन नहीं मिली। इसके बाद कुछ दिन तक मुकीम खामोश रहा। बचने के लिए हवा में नोट उड़ाकर फरार हो जाता था
मुकीम ने 15 फरवरी, 2015 में सहारनपुर की कोर्ट रोड पर तनिष्क शोरुम में दिनदहाड़े डकैती डाली। पुलिस की वर्दी पहनकर शोरुम से 10 करोड़ रुपए और नकदी भी लूट ली। शोरूम से बाहर निकलते ही उसे पुलिस ने घेर लिया है। बचने के लिए मुकीम ने नोटों को हवा में उड़ा दिया। लोग नोट लूटने लगे। मौका देखकर मुकीम गैंग के साथ फिर फरार हो निकला। मुकीम-अरशद लूट, डकैती और फिरौती करने का एक्सपर्ट बन गया। मुकीम किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देता था तो उसके अगले दिन अखबार जरूर पढ़ता था। उस घटना के बारे में पढ़कर खुश होता था। तनिष्क शोरुम की डकैती ने यूपी की सत्ता तक हिला दी। घटना का अंजाम यह हुआ कि सहारनपुर एसएसपी भारत सिंह यादव, कोतवाली सदर बाजार प्रभारी संजय पांडेय, चौकी कैंप इंचार्ज नरेंद्र यादव, सिपाही राजीव शर्मा, राहुल सिंह, उदयवीर सिंह और राहुल कुमार को सस्पेंड कर दिया गया। 14 मई, 2021 में मुकीम की चित्रकूट जेल में हत्या हुई
14 मई, 2021 को चित्रकूट जेल में हुए खूनी गैंगवार में तीन कुख्यात बदमाशों की मौत हो गई। गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में अंशुल को ढेर कर दिया। मेराज अहमद को बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था। खास बात यह कि चित्रकूट जेल में ये सभी एक बैरक में रखे गए। 2021 से अरशद ने संभाली गैंग की कमान
मुकीम की मौत के बाद अरशद ने पूरा गैंग संभाला। इसके बाद करीब 20 से 25 लूट, हत्या और गैंगस्टर की वारदातों को अंजाम दिया। उसने हरियाणा, दिल्ली, वेस्ट यूपी के कई और लोगों को गैंग में जोड़ना शुरू किया। इसके बाद अपने हिसाब से पूरा नेटवर्क ऑपरेट कर रहा था। अरशद ने इन लोगों को गैंग में जोड़ा
पुलिस के मुताबिक, अरशद ने गैंग में मुकीम गिरोह के सदस्य, रिजवान, वाजिद, सादर, हैदर, महताब,अकबर,नीरज, फरमान,हारुण,आसिफ,मुंशाद,बेशर और अजरू को शामिल किया था। अरशद की मां बोली- वो मार्च में मिला था अरशद की मां हुस्नों ने बताया-आखिरी बार मार्च में आया था। उसके बाद 4 महीने के लिए उमरे पर चल गया था। फिर नहीं लौटा। आज हमें उसके मरने की खबर मिली। ——————————– ये खबर भी पढ़ें :- यूपी STF ने एक साथ 4 बदमाश मार गिराए:शामली में 40 मिनट चला एनकाउंटर, 30 राउंड फायरिंग; इंस्पेक्टर को भी कई गोली लगी यूपी के शामली में STF ने चार बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया है। सोमवार देर रात 2 बजे STF ने मुखबिर की सूचना पर कार से जा रहे चार बदमाशों को घेर लिया, लेकिन बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में STF ने भी फायरिंग शुरू कर दी। दोनों तरफ से 30 राउंड फायरिंग हुई। 40 मिनट तक मुठभेड़ चली। इस दौरान STF टीम को लीड कर रहे इंस्पेक्टर सुनील के पेट में तीन गोलियां लगीं। इसके बाद STF ने 1 लाख के इनामी अरशद समेत चारों बदमाशों को गोली मार दी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर