शिमला के उपमंडल चौपाल की नेरवा तहसील में गौशाला में आग लग गई। जिससे चार पशुओं की जिंदा जलने से मौत हो गई। घटना बीती रात नेरवा की ग्राम पंचायत बिजमल में हुई, जहां पवन कुमार नाम के व्यक्ति की गौशाला में अचानक आग लग गई। जानकारी के अनुसार घटना में दो गायें, एक बछड़ा और एक भेड़ जिंदा जल गए है । गौशाला मालिक पवन कुमार के मुताबिक, उनकी गौशाला उनके घर से करीब 100-150 मीटर की दूरी पर स्थित थी। रात के समय पास की घासनी में लगी आग धीरे-धीरे गौशाला तक पहुंच गई। दूरी के कारण किसी को आग का पता नहीं चल पाया और जब तक लोगों को जानकारी मिली, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डेढ़ लाख रुपए का नुकसान नेरूवा के राजस्व विभाग के अधिकारी नुकसान का आकलन करने मौके पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पवन कुमार, जो एक गरीब परिवार से हैं, को इस घटना में लगभग डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हुआ है। स्थानीय प्रशासन मामले की जांच कर रहा है । शिमला के उपमंडल चौपाल की नेरवा तहसील में गौशाला में आग लग गई। जिससे चार पशुओं की जिंदा जलने से मौत हो गई। घटना बीती रात नेरवा की ग्राम पंचायत बिजमल में हुई, जहां पवन कुमार नाम के व्यक्ति की गौशाला में अचानक आग लग गई। जानकारी के अनुसार घटना में दो गायें, एक बछड़ा और एक भेड़ जिंदा जल गए है । गौशाला मालिक पवन कुमार के मुताबिक, उनकी गौशाला उनके घर से करीब 100-150 मीटर की दूरी पर स्थित थी। रात के समय पास की घासनी में लगी आग धीरे-धीरे गौशाला तक पहुंच गई। दूरी के कारण किसी को आग का पता नहीं चल पाया और जब तक लोगों को जानकारी मिली, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डेढ़ लाख रुपए का नुकसान नेरूवा के राजस्व विभाग के अधिकारी नुकसान का आकलन करने मौके पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पवन कुमार, जो एक गरीब परिवार से हैं, को इस घटना में लगभग डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हुआ है। स्थानीय प्रशासन मामले की जांच कर रहा है । हिमाचल | दैनिक भास्कर
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अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में दिखती है हिमाचली संस्कृति की झलक:तिब्बत-अफगानिस्तान से आते थे व्यापारी, बुशहर रियासत में तलवारों और घोड़ों का होता था आदान-प्रदान
अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में दिखती है हिमाचली संस्कृति की झलक:तिब्बत-अफगानिस्तान से आते थे व्यापारी, बुशहर रियासत में तलवारों और घोड़ों का होता था आदान-प्रदान शिमला जिले की रामपुर रियासन में लवी मेला मध्य शताब्दी से चल रहा है। 1911 से कुछ वर्ष पूर्व रामपुर में तिब्बत और हिंदुस्तान के बीच व्यापार शुरू हुआ। उस समय राजा केहर सिंह ने तिब्बत सरकार के साथ व्यापार को लेकर संधि की थी। इस व्यापार मेले में कर मुक्त व्यापार होता था। लवी मेले में किन्नौर, लाहौस स्पीति, कुल्लू और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से व्यापारी पैदल पहुंचने थे। वर्षों पुराने रामपुर लवी मेला वर्ष 1985 में अंतर राष्ट्रीय स्तर का घोषित किया गया। मुख्यमंत्री वीरभद्र ने किया था मेले को अंतर्राष्ट्रीय घोषित
वर्ष 1983 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने 1985 में मेले को अंतर्राष्ट्रीय घोषित किया था।ये है लवी मेले का इतिहास लवी मेला लगभग पिछले 3 शताब्दियों से मनाया जा रहा है। किंतु इसे व्यापारिक मेले का आधिकारिक स्वरूप तब मिला, जब सन 1911 में बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने तिब्बत सरकार से व्यापारिक संधि की। इस उपलक्ष्य पर तिब्बत और बुशहर रियासत के व्यापारिक रिश्तों की स्मृति में घोड़े और तलवारें आदान प्रदान की जाती थी। पहले तिब्बत और अफगानिस्तान से भी व्यापारी यहां अपना सामान बेचने आते थे, किंतु तिब्बत चीन के अधीन होने के बाद यह सब बंद हो गया। लवी शब्द की उत्पत्ति
लवी शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में एक मत नहीं है। कुछ इसे ऊन के उस पारंपरिक परिथन के नाम से उत्पन्न बताते है, जिसे लोईया कहा जाता है। कुछ विद्वान इसे लोई अर्थात ऊन से बने ओढ़ने वाले कपड़े से उत्पन्न मानते है। उपयुक्त दोनों मतों में ऊन से बने कपड़े सर्वमान्य है। लवी में ऊन से बनी पट्टियां, टोपी, शॉल, सूक्ष्म मोटा कम्बल, जुमा वस्त्र, कालीन और स्वेटर प्रमुख रूप से विक्रय के लिए आते हैं। इसमें पारंपरिक हस्तकला का गरिमा मय प्रदर्शन देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त सूखे मेवे, जिनमें अखरोट, खुमानी प्रमुख है, जो इस मेले की विशेषता है। लवी मेला हिमाचल का एकमात्र सबसे बड़ा व्यापारिक मेला
हिमाचल का एकमात्र सबसे बड़ा व्यापारिक मेला अपना असल पहचान खोता जा रहा है। इस मेले में तिब्बत, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से व्यापारी पहुंचते थे। साथ ही यहां पर घोड़ों, बकरियों और स्थानीय उत्पादों की खून खरीद फरोख्त होती थी, लेकिन अब मेले की पहचान आधुनिकता ने ले ली है। जबकि इसकी असल पहचान पर कोई काम नहीं कर रहा है। पूर्व में ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचकर लोग वर्ष भर का सामान लवी में खरीदते थे, लेकिन अब जगह जगह दुकानों की व्यवस्था होने से लवी मेले में होने वाले व्यापार पर भी असर देखने को मिल रहा है। बकरियों और स्थानीय उत्पादों की होती है खरीद-फरोख्त
मूल में व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हर वर्ष बकरियों और स्थानीय उत्पादों की खूब खरीद फरोख्त होती थी, लेकिन अब समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। मेले में व्यापार के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हर वर्ष 11 से 14 नवंबर तक होने वाले इस अन्तर्राष्ट्रीय लवी मेले में स्टार कलाकारों के साथ प्रदेश भर के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति भी देखने को मिलती है।
हिमाचल स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन की CM से गुहार:1000 करोड़ टैक्स देने वाली इंडस्ट्री को बिजली महंगी पड़ रही, राहत की मांग
हिमाचल स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन की CM से गुहार:1000 करोड़ टैक्स देने वाली इंडस्ट्री को बिजली महंगी पड़ रही, राहत की मांग हिमाचल प्रदेश की स्टील इंडस्ट्री ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर बिजली शुल्क में राहत की मांग की है। स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि उनका उद्योग राज्य को सालाना 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का टैक्स देता है, लेकिन महंगी बिजली दरों से उद्योग की स्थिति खराब होती जा रही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग और अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से स्टील इंडस्ट्री राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यह क्षेत्र हिमाचली और गैर-हिमाचली मिलाकर करीब 1 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। उद्योग जीएसटी, एजीटी और अन्य करों के रूप में राज्य के खजाने में बड़ा योगदान दे रहा है। स्टील उद्योग के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे उद्योग के सामाजिक-आर्थिक योगदान को देखते हुए बिजली शुल्क में संशोधन करें। उनका कहना है कि यह निर्णय न केवल हजारों परिवारों का भविष्य सुरक्षित करेगा, बल्कि हिमाचल प्रदेश की छवि को एक निवेशक-अनुकूल राज्य के रूप में भी मजबूत करेगा।
मनाली विंटर कार्निवल शुरू:CM सुक्खू खराब मौसम के कारण देरी से पहुंचे; दिन में उड़ान नहीं भर पाया हेलिकॉप्टर
मनाली विंटर कार्निवल शुरू:CM सुक्खू खराब मौसम के कारण देरी से पहुंचे; दिन में उड़ान नहीं भर पाया हेलिकॉप्टर हिमाचल प्रदेश के मनाली में विंटर कार्निवल शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सुबह 9 बजे हिडिंबा माता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद इसका शुभारंभ करना था। मगर सीएम सुक्खू खराब मौसम की वजह से इसके लिए समय पर मनाली नहीं पहुंच पाए। मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर ने दिन में दो तीन बार उड़ने का प्रयास किया। मगर आज सुबह से ही प्रदेश के ज्यादातर भागों में बादल छाए रहे। इस वजह से सीएम सुक्खू दोपहर बाद चार बजे तक उड़ान नहीं भर पाए। खराब मौसम को देखते हुए सीएम सुक्खू शाम चार बजे धर्मशाला से जोगेंद्रनगर तक हेलिकॉप्टर में पहुंचे। यहां से वह सड़क मार्ग से होते हुए मनाली पहुंचे। मनाली में मुख्यमंत्री सुक्खू कुछ देर में सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ करेंगे। स्थानीय विधायक ने हिडिंबा मंदिर में पूजा करके शुभारंभ किया मनाली में पांच दिवसीय राष्ट्रीय विंटर कार्निवल की शुरुआत रंगारंग झांकियों के साथ हुई। मॉल रोड पर आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में 276 महिला मंडलों, 25 सांस्कृतिक दलों और विभिन्न सरकारी विभागों ने अपनी प्रस्तुति दी। झांकियों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक रीति-रिवाजों का संदेश दिया गया। विद्युत विभाग ने अपनी झांकी में सक्षम उपभोक्ताओं से बिजली सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया। विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक दलों ने भी अपनी-अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में स्थानीय लोगों और पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी। कुल्लवी वाद्य यंत्रों और होम गार्ड बैंड की धुनों पर निकली झांकियों में हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम का अवलोकन मनाली के विधायक भुवनेश्वर गौड़, कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी और लाहुल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने किया। 5 दिन चलेगा कार्निवल मनाली विंटर कार्निवल अगले 5 दिन तक चलेगा। इस दौरान विंटर कार्निवल और वॉयस ऑफ कार्निवल चुना जाएगा। इसमें देशभर से मनाली पहुंचने टूरिस्ट भाग ले सकेंगे। आमतौर पर विंटर कार्निवल का आयोजन नए साल पर होता था। मगर इस बार पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद राजकीय शोक की वजह से देरी से आयोजन हो रहा है।