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अमित शाह आज हरियाणा में:लोकसभा में 5 सीटें हारी भाजपा; 46 विधानसभा सीटों पर पिछड़ी, 11% वोट शेयर गंवाया, हैट्रिक की चुनौती
अमित शाह आज हरियाणा में:लोकसभा में 5 सीटें हारी भाजपा; 46 विधानसभा सीटों पर पिछड़ी, 11% वोट शेयर गंवाया, हैट्रिक की चुनौती केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज हरियाणा दौरे पर हैं। वह पचंकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में सुबह 11 बजे बैठक करेंगे। इसमें करीब 4500 कार्यकर्ताओं हिस्सा लेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री एवं चुनाव प्रभारी धमेंद्र प्रधान, सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल भी शामिल होंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। साथ ही वह लोकसभा चुनाव में हरियाणा की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। चुनाव में हरियाणा में भाजपा सिर्फ 5 लोकसभा सीट ही जीत पाई थी। 90 विधानसभाओं में भाजपा 42 सीटों पर ही आगे रही। भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं, जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है। भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले वोट प्रतिशत को मजबूत करना चाहती है। दूसरे सत्र में कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे शाह कार्यकर्ताओं से बैठक करने के बाद अमित शाह 1 बजे से शाम 5 बजे तक विस्तृत प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे। इसमें हर विधानसभा क्षेत्र से 50-50 कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है। इनमें जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, मोर्चा के जिला अध्यक्ष, विभागों के संयोजक, सह संयोजक, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक, चेयरमैन, पूर्व चेयरमैन, एमसी, बीडीसी सदस्य, 2014, 2019 और 2024 में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी शामिल होंगे। बैठक में मुख्यमंत्री से लेकर मंडल अध्यक्ष तक वर्करों की एंट्री पहचान पत्र से होगी। इस पहचान पत्र पर सबका अलग सीरियल नंबर होगा। इसमें नाम, विधानसभा और पद लिखा होगा। इन कारणों से भाजपा हरियाणा में 5 सीटें हारी… 1. सत्ता विरोधी लहर राज्य में 10 साल से सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार के प्रति लोगों में जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी है, ये लोकसभा चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया। जनता अपनी नाराजगी जगह-जगह खुलकर जाहिर भी करती रही लेकिन राज्य इकाई के नेता बिल्ली को देखकर आंखें बंद कर लेने वाले कबूतर की तरह उसकी अनदेखी करते रहे। ऐसे में जैसे ही मौका मिला, पब्लिक ने वोटों के जरिये अपनी बात कह दी। 2. जाटों-किसानों की नाराजगी हरियाणा के जाट और किसान भाजपा से नाराज हैं। इस फैक्ट से वाकिफ होने के बावजूद, राज्य सरकार में न केवल इन दोनों वर्गों की अनदेखी जारी रही, बल्कि गैर जाट की राजनीति को बढ़ावा देते हुए एक तरह से इनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम भी किया गया। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सिरसा संसदीय हलके समेत कई दूसरी जगहों पर BJP नेताओं का विरोध करने वाले किसानों पर धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज कराए गए। इसका नुकसान सिरसा, हिसार, अंबाला और कुछ हद तक कुरुक्षेत्र में पार्टी को चुकाना पड़ा। 3. चेहरे बदलने के दांव खारिज लोकसभा चुनाव की घोषणा से महीनेभर पहले BJP के केंद्रीय नेतृत्व को हरियाणा की ग्राउंड रिएलिटी का इनपुट मिल गया था। इसके बाद पार्टी ने सिरसा, सोनीपत और करनाल में अपने सिटिंग सांसदों के टिकट काट दिए। राज्य में CM चेहरा भी बदल दिया गया लेकिन हालात से निपटने के इन टेंपरेरी तौर-तरीकों को लोगों ने खारिज कर दिया। 4. बेरोजगारी की मार बढ़ती बेरोजगारी इस चुनाव में भाजपा कैंडिडेट्स पर भारी पड़ी। बेरोजगारी दर में हरियाणा देशभर के राज्यों में टॉप पर पहुंच गया। 21 जुलाई 2023 को खुद मोदी सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि हरियाणा में बीते 8 बरसों में बेरोजगारी दर 3 गुना बढ़ चुकी है।तत्कालीन श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने संसद में बताया कि हरियाणा में वर्ष 2013-14 (प्रदेश में तब कांग्रेस की सरकार थी) में बेरोजगारी दर 2.9% थी जो 2021-22 में बढ़कर 9% पर पहुंच गई। इसी टाइम पीरियड में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1% थी। इसके अलावा पिछले साढ़े 9 बरसों में राज्य की मनोहर सरकार ने जो भर्तियां निकालीं, उनमें से ज्यादातर कोर्ट-कचहरी के कारण सिरे नहीं चढ़ पाई। कांग्रेस नेता इसे सही तरह भुनाने में कामयाब रहे। 5. पोर्टल राज से परेशानी हरियाणा में BJP के साढ़े 9 साल के शासनकाल में सरकारी स्कीम्स को ऑनलाइन करने और करप्शन रोकने के नाम पर धड़ाधड़ पोर्टल शुरू किए गए। CM रहते हुए मनोहर लाल खट्टर का इस पर खास जोर रहा। आज राज्य में लगभग हर सरकारी योजना से जुड़ा अलग पोर्टल है। 13 सितंबर 2023 को तो खट्टर ने एक साथ 6 स्कीम शुरू करते हुए उनके पोर्टल शुरू कर दिए थे। इनमें CM आवास योजना व पोर्टल, नो-लिटिगेशन पोर्टल, प्रो-ओबीसी प्रमाण पत्र पोर्टल, ई-रवन्ना पोर्टल व ई-भूमि का पोर्टल शामिल था।खेतीबाड़ी करने वालों को बीज लेने से लेकर फसल बेचने और खराब फसलों के मुआवजे के लिए भी पोर्टल पर अप्लाई करना अनिवार्य बना दिया गया। इससे करप्शन तो कम हुआ लेकिन इंटरनेट कनेक्टिवटी और दूसरे इश्यूज के कारण बहुत सारे लोग परेशान भी होने लगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह मुद्दा लगातार उठाया। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हरियाणा में सरकार की जगह पोर्टल-राज चल रहा है। 6. अग्निवीर का मुद्दा हरियाणा से हर साल बड़ी संख्या में नौजवान सेना में जाते हैं। राज्य के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, झज्जर, रोहतक, भिवानी, सोनीपत से बड़ी संख्या में लोग सेना में जाते हैं। दक्षिणी हरियाणा खासकर अहीरवाल में सेना की वर्दी पहनने को लेकर खास तरह का दीवानापन दिखता है। मोदी सरकार ने जब सेना में भर्ती से जुड़ी अग्निवीर स्कीम लॉन्च की, उस समय अकेले अहीरवाल में लगभग 50 हजार युवा आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे थे। जाहिर है कि ये युवा और इनके परिवार वाले अग्निवीर स्कीम के खिलाफ थे। इस नाराजगी को भाजपा ने गंभीरता से नहीं लिया जबकि कांग्रेस ने इसे अच्छी तरह भुनाया। 7. विधायकों-मंत्रियों का वर्किंग स्टाइल हरियाणा में BJP विधायकों और मंत्रियों के वर्किंग स्टाइल को लेकर भी लोगों में नाराजगी रही। यही वजह रही कि पार्टी ने जब मनोहर लाल को हटाकर नायब सिंह सैनी को CM बनाया तो ज्यादातर मंत्री भी बदल डाले। हालांकि इससे कोई खास फायदा पार्टी को होता हुआ नजर नहीं आया।
हिमाचल CPS केस में भाजपा की उम्मीदों को झटका:SC के ऑर्डर के बाद अब नहीं जाएगी विधायकों की सदस्यता; चुनौती देने की थी तैयारी
हिमाचल CPS केस में भाजपा की उम्मीदों को झटका:SC के ऑर्डर के बाद अब नहीं जाएगी विधायकों की सदस्यता; चुनौती देने की थी तैयारी हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की प्लानिंग पर पानी फिरा है। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने फिलहाल विधायकों की डिस्क्वालिफिकेशन पर रोक लगा दी है, क्योंकि हिमाचल में मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से प्रोटेक्शन को पहले ही कानून बने थे। सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेशों से कांग्रेस सरकार को संजीवनी और बीजेपी की उम्मीदों को झटका लगा है। हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद बीजेपी नेता खुलकर कांग्रेस विधायकों के अनसीट होने की बात कह रहे थे। BJP के राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन यहां तक कह चुके थे जब चाहे सरकार गिरा सकते हैं। इससे सियासी पारा चढ़ता जा रहा था। लाभ का पद मानते हुए राज्यपाल के पास चुनौती देने की थी तैयारी विपक्ष पार्टी भाजपा हाईकोर्ट के ऑर्डर में पैरा 50 के हिसाब से राज्यपाल से मिलने की तैयारी में थी। पैरा 50 में हाईकोर्ट ने लाभ के पद से पूर्व सीपीएस को मिली प्रोटेक्शन को समाप्त कर दिया था। इसके तहत राज्यपाल पूर्व सीपीएस को अनसीट करने के आदेश सुना सकते थे। मगर SC ने इस पर स्टे लगा दिया है। बीजेपी ले रही थी कानूनी राय वहीं बीजेपी भी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता रद्द करने को लेकर कानूनी विशेषज्ञ से राय ले रही थी और राज्यपाल से मिलने की तैयारी में थी, क्योंकि भारत के संविधान 191 में डिस्क्वालिफिकेशन की शक्तियां राज्यपाल के पास है। 3(D) में मिली प्रोटेक्शन बहाल जानकारों की माने तो हिमाचल लैजिस्लेटिव असैंबली मेंबर्स एक्ट 1971 से हाईकोर्ट द्वारा 3(D) हटाने की वजह से विधायकों की सदस्यता पर संकट आ गया था। 3(D) हटने के बाद ऑफिस ऑफ प्रॉफिट पूर्व सीपीएस के खिलाफ अट्रेक्ट हो रहा था। लिहाजा लाभ का पद मानते हुए विपक्ष कांग्रेस के 6 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग करने वाला था। 6 नहीं, 9 विधायकों की सदस्यता को चुनौती की तैयारी थी बीजेपी 6 नहीं बल्कि 9 विधायकों की सदस्यता को चुनौती देने की योजना बना रही थी। पूर्व CPS के साथ-साथ कैबिनेट रैंक वाले 3 कांग्रेस विधायक भी लपेटे में आ सकते थे। क्योंकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया, आरएस बाली और नंद लाल को भी कैबिनेट रैंक के साथ तैनाती दे रखी है। फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया को स्टेट प्लानिंग बोर्ड का डिप्टी चेयरमैन, नगरोटा बगवा से MLA आरएस बाली हिमाचल पर्यटन विकास निगम का वाइस-चेयरमैन और रामपुर से विधायक नंद लाल को सातवें वित्त आयोग का अध्यक्ष बना रखा है। इनकी विधायकी पर खतरा टला इन तीन विधायकों के अलावा पूर्व CPS किशोरी लाल, आशीष बुटेल, एमएल ब्राक्टा, सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी और दून से राम कुमार चौधरी की विधायक भी बीते कल तक संकट में मानी जा रही थी। अब CPS केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यह केस पंजाब, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्य के केस के साथ सुना जाएगा। फिलहाल उप चुनाव नहीं SC से कांग्रेस सरकार को यदि राहत नहीं मिलती तो बीजेपी ने कांग्रेस 9 विधायकों की सदस्यता को चुनौती देनी थी। यदि इनकी सदस्यता जाती तो राज्य में फिर से 9 सीटों पर उप चुनाव की नौबत आ सकती थी। जवाबी कार्रवाई को कांग्रेस भी तैयारी इस बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार भी जवाब कार्रवाई कर सकती थी, क्योंकि बीजेपी के 9 विधायकों पर विधानसभा के बजट सत्र में दुर्व्यवहार व कागज फाड़ने के आरोप है। इस केस में स्पीकर ने बीजेपी विधायकों को नोटिस जारी कर रखे है। अब स्पीकर को केवल कार्रवाई करनी है। ऐसे में मुकाबला बीजेपी के 9 विधायक बनाम कांग्रेस के 9 विधायक हो सकता था। BJP के जिन विधायकों को नोटिस दिए गए हैं, उनमें ऊना से विधायक सत्तपाल सत्ती, नाचन से विनोद सुल्तानपुरी, चुराह से हंसराज, बंजार से सुरेंद्र शौरी, सुलह से विपिन सिंह परमार, बिलासपुर से त्रिलोक जम्वाल, बल्ह से इंद्र सिंह गांधी, आनी से लोकेंद्र कुमार और करसोग से दीपराज शामिल है।
Bihar News: शराब कांड में जेल गए JDU नेता को बीस सूत्री समिति में मनोनयन, जहानाबाद में मचा सियासी बवाल
Bihar News: शराब कांड में जेल गए JDU नेता को बीस सूत्री समिति में मनोनयन, जहानाबाद में मचा सियासी बवाल <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar News:</strong> जहानाबाद 20 सूत्री समिति में जेडीयू के पूर्व जिला अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण चंद्रवंशी के मनोनयन पर जिले में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है. समिति में उनके नाम की अनुशंसा प्रकाशित होने के बाद विपक्ष ने सरकार और जेडीयू की नीयत-नीति पर जोरदार हमला बोला है. आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता और मखदुमपुर से विधायक सतीश कुमार ने जयप्रकाश नारायण चंद्रवंशी के मनोनयन पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी का यही चरित्र है. बिहार में शराबबंदी का कानून जेडीयू के नेता और कार्यकर्ताओं पर लागू नहीं होता है. उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण चंद्रवंशी शराब पीने के मामले में जेल जा चुके हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शराबकांड में जा चुके हैं जेल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, जेडीयू नेता जयप्रकाश नारायण चंद्रवंशी ने 2017 में अपने कई दोस्तों के साथ झारखंड के रजरप्पा से शराब पार्टी कर लौट रहे थे वहां से लौटने के क्रम में गया जिले में उत्पाद विभाग की टीम ने उन्हें उनके कई साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. मामला प्रकाश में आने के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया गया, लेकिन अब उन्हें 20 सूत्री कमेटी में सदस्य बना दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरजेडी ने उठाया सवाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इधर, जेडीयू नेता के बीस सूत्री में मनोनयन पर आरजेडी के विधायक और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सतीश ने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल में यही नीति है कि शराब पीजिए और इनाम पाइए. शराबबंदी का कानून विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा गरीब और वंचित लोगों पर ही लागू होता है. इधर, उनके दल के ही दो पूर्व विधायक और कई नेताओं ने भी दबी जुबान से जयप्रकाश नारायण चंद्रवंशी के जिला 20 सूत्री समिति में मनोनयन पर सवाल खड़ा किया है. वहीं, कुछ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह निर्णय उचित नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जेडीयू में भी विरोध</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जेडीयू के निवर्तमान उपाध्यक्ष सह संगठन प्रभारी सह संस्थापक वीर कुंवर सिंह विकास मंच के महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जिला 20 सूत्री कमेटी में वैसे कुछ लोगों को स्थान दिया गया है, जिनकी पार्टी में ही कोई पहचान नहीं है. इसमें कुछ लोगों को यह पद सिर्फ और सिर्फ गणेश परिक्रमा करने के कारण मिला है. उन्होंने प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जाति विशेष को लगातार टारगेट कर उपेक्षित करना कुछ लोगों के प्रभाव में आकर कमेटी का निर्माण करना निंदनीय है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आगे उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व से आग्रह किया है कि वैसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करे एवं कमेटी के चयन पर पुनर्विचार करे. वह जल्द ही अपने कार्यकर्ताओं एवं खासकर वैसे समीकरण के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे. इस निर्णय के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, विरोध करने वाले अन्य लोगों में जेडीयू के निवर्तमान उपाध्यक्ष संजय गुप्ता पूर्व उपाध्यक्ष केशरी कुमार सिंह पूर्व अध्यक्ष (व्यवसाई प्रकोष्ठ), नितियानंद कुमार गुप्ता निवर्तमान महासचिव इनके अलावे राजीव नयन, संजीव कुमार सिंह, उपेंद्र सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय गुप्ता, रमेश केशरी, दुखन स्वर्णकार आदि शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/cm-nitish-kumar-inspected-the-waterlogging-in-patna-and-gave-instructions-to-the-officer-ann-2758863″>Nitish Kumar News: पटना में जलजमाव को लेकर एक्टिव हुए CM नीतीश, लिया जायजा, दिए कड़े निर्देश</a></strong></p>