पंजाब के जालंधर में लाठीमार मोहल्ला में पति-पत्नी के विवाद के बाद नोटिस देने की गई कमिश्नरेट पुलिस की टीम पर मोहल्ले के 2 उपद्रवियों ने जानलेवा हमला कर दिया। आरोपियों ने हमले के बाद सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह और उनके साथ गए मुलाजिम की वर्दी भी फाड़ दी। हमला करने वाले थाना डिवीजन नंबर-8 के अंतर्गत आने वाले मोहल्ला लाठीमार निवासी रमेश कुमार और बलजिंदर कुमार उर्फ बिंदा सिंह निवासी गांव ढंडा, पतारा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ थाना डिवीजन नंबर-8 की पुलिस ने बीएनएस की धारा 115(2), 132, 121, 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। एसएचओ बोले- आरोपियों ने हमला कर मुलाजिमों कपड़े फाड़े थाना डिवीजन नंबर-8 के एसएचओ गुरमुख सिंह ने बताया कि, हमारी पुलिस पार्टी पति-पत्नी के बीच हुए विवाद को लेकर नोटिस देने के लिए बीते दिन यानी सोमवार को लाटीमार मोहल्ले में गई थी। इस दौरान एक तीसरे व्यक्ति रमेश ने अपने साथी के साथ मिलकर पुलिस से बहस शुरू कर दी। बहस के बाद आरोपी ने मारपीट करने कोशिश की और मुलाजिमों के कपड़े फाड़ दिए गए। जिसके बाद तुरंत मुलाजिमों ने बैकअप फोर्स बुलाई और तुरंत दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। SI बोले- आरोपी ने साथी मुलाजिमों को भी पीटा सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह ने कहा कि, हम एक शिकायत के संबंध में मोहल्ला लाठीमार में गए थे। पति- पत्नी के विवाद को लेकर नोटिस करना था कि वह थाने में आएं। मगर, इस दौरान मोहल्ले के रहने वाले रमेश ने गाली गलौज शुरू कर दी। जब विरोध किया गया तो आरोपियों ने मारपीट शुरू कर दी। घटना में सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह के साथ उनका सिपाही मनु कुमार भी जख्मी हुआ है। सभी का मेडिकल करवाने के बाद पुलिस ने देर रात ये मामला दर्ज कर लिया और आरोपी को तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी को जल्द कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। पंजाब के जालंधर में लाठीमार मोहल्ला में पति-पत्नी के विवाद के बाद नोटिस देने की गई कमिश्नरेट पुलिस की टीम पर मोहल्ले के 2 उपद्रवियों ने जानलेवा हमला कर दिया। आरोपियों ने हमले के बाद सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह और उनके साथ गए मुलाजिम की वर्दी भी फाड़ दी। हमला करने वाले थाना डिवीजन नंबर-8 के अंतर्गत आने वाले मोहल्ला लाठीमार निवासी रमेश कुमार और बलजिंदर कुमार उर्फ बिंदा सिंह निवासी गांव ढंडा, पतारा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ थाना डिवीजन नंबर-8 की पुलिस ने बीएनएस की धारा 115(2), 132, 121, 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। एसएचओ बोले- आरोपियों ने हमला कर मुलाजिमों कपड़े फाड़े थाना डिवीजन नंबर-8 के एसएचओ गुरमुख सिंह ने बताया कि, हमारी पुलिस पार्टी पति-पत्नी के बीच हुए विवाद को लेकर नोटिस देने के लिए बीते दिन यानी सोमवार को लाटीमार मोहल्ले में गई थी। इस दौरान एक तीसरे व्यक्ति रमेश ने अपने साथी के साथ मिलकर पुलिस से बहस शुरू कर दी। बहस के बाद आरोपी ने मारपीट करने कोशिश की और मुलाजिमों के कपड़े फाड़ दिए गए। जिसके बाद तुरंत मुलाजिमों ने बैकअप फोर्स बुलाई और तुरंत दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। SI बोले- आरोपी ने साथी मुलाजिमों को भी पीटा सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह ने कहा कि, हम एक शिकायत के संबंध में मोहल्ला लाठीमार में गए थे। पति- पत्नी के विवाद को लेकर नोटिस करना था कि वह थाने में आएं। मगर, इस दौरान मोहल्ले के रहने वाले रमेश ने गाली गलौज शुरू कर दी। जब विरोध किया गया तो आरोपियों ने मारपीट शुरू कर दी। घटना में सब इंस्पेक्टर बलजीत सिंह के साथ उनका सिपाही मनु कुमार भी जख्मी हुआ है। सभी का मेडिकल करवाने के बाद पुलिस ने देर रात ये मामला दर्ज कर लिया और आरोपी को तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी को जल्द कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में विधायकों के घरों के बाहर लगेगा स्थायी मोर्चा:कल 25 टोल प्लाजा फ्री कराए गए, धान खरीद से जुड़ा है मामला पंजाब में आज (शुक्रवार) को किसानों द्वारा आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों-मंत्रियों और भाजपा नेताओं के घरों के बाहर पक्का मोर्चा लगाया जाएगा। किसानों का आरोप है कि मंडियों में धान की खरीद उचित तरीके से नहीं हो रही है। इस वजह से किसान परेशान हैं। जबकि केंद्र और पंजाब सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। इससे पहले कल किसानों ने 14 जिलों में 25 टोल प्लाजा फ्री करवाए गए थे, जो आज भी फ्री रहेंगे। वहां पर भी किसान डटे हुए हैं। यह प्रदर्शन भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां की अगुवाई में चल रहा है। संघर्ष दिन-रात जारी रहेगा किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने बताया कि संगठन की 5 सदस्यीय प्रदेश नेतृत्व टीम ने यह फैसला लिया है। फैसले के अनुसार दोनों तरह के मार्च दिन-रात जारी रहेंगे। किसानों और मजदूरों की कई मांगें हैं। इनमें से एक मांग एमएसपी पर धान की निर्बाध खरीद शुरू करना है। इसके अलावा कई अन्य मांगें भी इसमें शामिल हैं। जिन पर केंद्र की भाजपा सरकार और राज्य की आप सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। दोनों सरकारों पर अनदेखी का आरोप किसान नेताओं ने केंद्र और पंजाब सरकार पर किसानों की इन जायज मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। वे कॉरपोरेट समर्थक विश्व व्यापार संगठन की खुले बाजार नीति के खिलाफ हैं। उन्होंने सभी गांवों के किसानों और मजदूरों से अपील की है कि वे केंद्र और राज्य सरकार के इस घातक हमले को विफल करने के लिए दिन-रात काम करें। उसी ताकत के साथ इन मोर्चों पर पहुंचें।
पंजाब उपचुनावः परिवारवाद-दलबदलुओं और बड़े चेहरों का मुकाबला:4 सीटों पर AAP-कांग्रेस, BJP के 12 कैंडिडेट्स में 6 दलबदलू, 3 सांसदों की पत्नी-बेटा मैदान में
पंजाब उपचुनावः परिवारवाद-दलबदलुओं और बड़े चेहरों का मुकाबला:4 सीटों पर AAP-कांग्रेस, BJP के 12 कैंडिडेट्स में 6 दलबदलू, 3 सांसदों की पत्नी-बेटा मैदान में पंजाब की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पार्टियों ने टिकट बांटते समय परिवारवाद और दलबदलुओं पर ज्यादा भरोसा दिखाया। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) और BJP ने जो 12 उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें 6 दलबदलू, 2 सांसदों की पत्नियां और एक सांसद का बेटा शामिल है। भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से आए हैं। कांग्रेस और AAP ने भी अपने कैडर को सिर्फ 3 टिकट दिए। बड़े सियासी चेहरों और राजनीतिक परिवारों के मैदान में उतरने से उपचुनाव रोचक बन गए हैं। अकाली दल ने उपचुनाव न लड़ने का फैसला किया है। जिन चारों सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला शामिल है। यहां के विधायक लोकसभा सदस्य बन चुके हैं। इनमें से गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक व चब्बेवाल सीट कांग्रेस के पास थी, जबकि बरनाला से AAP के गुरमीत सिंह मीत हेयर MLA थे। यह चारों सीटें पंजाब की रूरल बेल्ट में आती हैं जहां कांग्रेस और अकाली दल का जनाधार रहा। 2022 में गिद्दड़बाहा व डेरा बाबा नानक में कांग्रेस जीती तो अकाली दल दूसरे स्थान पर रहा। AAP इन दोनों सीटों पर तीसरे और चब्बेवाल सीट पर दूसरे नंबर पर रही। बरनाला में AAP विजयी रही तो अकाली दल का कैंडिडेट दूसरे नंबर पर आया। अगर BJP की बात करें तो वह 2022 में बरनाला व डेरा बाबा नानक सीट पर पांचवें और चब्बेवाल में चौथे नंबर पर रही। गिद्दड़बाहा सीट पर उसके सहयोगी कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी, पीएलसी का उम्मीदवार महज 379 वोट लेकर पांचवें नंबर पर रहा। बाद में कैप्टन ने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। आइये अब पढ़ते हैं तीनों दलों के उम्मीदवारों से जुड़े फैक्ट्स… कांग्रेस : 2 सांसदों की पत्नियों को टिकट, एक दलबदलू
कांग्रेस ने मुक्तसर जिले की गिद्दड़बाहा सीट से अमृता वड़िंग और डेरा बाबा नानक सीट से जतिंदर कौर को टिकट दी है। अमृता वड़िंग पंजाब कांग्रेस के प्रधान और लुधियाना के लोकसभा सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी हैं। राजा वड़िंग गिद्दड़बाहा से 2012 से लेकर 2022 तक लगातार 3 चुनाव जीते। जतिंदर कौर गुरदासपुर के लोकसभा सांसद और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी हैं। बरनाला सीट से कुलदीप सिंह ढिल्लों को कैंडिडेट बनाया जो राजा वड़िंग के करीबी हैं। चब्बेवाल सीट से एक हफ्ता पहले ही बहुजन समाज पार्टी (BSP) छोड़कर आए रंजीत कुमार को मौका मिला है। जिला बार एसोसिएशन के दो बार प्रधान रह चुके रंजीत ने इसी साल BSP के टिकट पर होशियारपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा। वह कांशीराम के समय से BSP से जुड़े हैं और 1996 से लगातार होशियारपुर में एक्टिव हैं। लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 में से 7 सीटें जीतने के बाद कांग्रेसी नेताओं के हौसले बुलंद है। उनका दावा है कि लोग ढाई साल में ही AAP सरकार से परेशान हो चुके हैं और विकल्प के रूप में एक बार फिर कांग्रेस की तरफ देख रहे हैं। सांसदों के परिवारजनों को टिकट देकर पार्टी ने सीधे उन्हें ही अपनी सीटें बरकरार रखने का जिम्मा दे दिया है। AAP: सांसद के बेटे और कॉलेज फ्रेंड को टिकटें, एक उम्मीदवार दलबदलू
आम आदमी पार्टी (AAP) ने बाकी दलों के मुकाबले अपने उम्मीदवारों का ऐलान सबसे पहले किया। उसके चार कैंडिडेट्स में से एक सांसद का बेटा, दूसरा सांसद का कॉलेज फ्रेंड और तीसरा दलबदलू है। AAP ने गिद्दड़बाहा सीट से हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को उम्मीदवार बनाया। डिंपी ढिल्लों ने 2022 में अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा से विधानसभा चुनाव लड़ा और 49,649 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे। उनकी गिनती सुखबीर बादल के करीबियों में होती थी। इस बार उपचुनाव में टिकट कटने की संभावना देखकर वह AAP में चले गए। 2022 में AAP इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी। होशियारपुर जिले की चब्बेवाल सीट से इशांक चब्बेवाल को टिकट दिया गया है। उनके पिता डॉ. राजकुमार चब्बेवाल होशियारपुर से AAP के लोकसभा सांसद हैं। डॉ. राजकुमार 2022 के चुनाव में कांग्रेस टिकट पर चब्बेवाल से विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से पहले वह पार्टी बदलकर AAP में चले गए। बरनाला सीट से AAP ने हरिंदर सिंह धालीवाल को उम्मीदवार बनाया है। वह सांसद बन चुके गुरमीत सिंह मीत हेयर के कॉलेज टाइम के दोस्त हैं। यहां हरिंदर सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान होते ही AAP के जिला अध्यक्ष गुरदीप सिंह बाठ ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए। जिला योजना बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके बाठ की मान-मनौव्वल के लिए पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा उनके घर भी गए। डेरा बाबा नानक से गुरदीप सिंह रंधावा को दोबारा प्रत्याशी बनाया गया है। 2022 के चुनाव में गुरदीप सिंह कांग्रेस उम्मीदवार सुखजिंदर सिंह रंधावा से महज 466 वोट से हार गए थे। भाजपा: चारों कैंडिडेट दूसरे दलों से आए
BJP के चारों कैंडिडेट दल-बदलकर पार्टी में आए हैं। चब्बेवाल सीट का टिकट तो पार्टी ने पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल के लिए दो दिन होल्ड करके भी रखा। अकाली दल से राजनीति की शुरुआत करने वाले ठंडल नॉमिनेशन की तारीख खत्म होने से एक दिन पहले, गुरुवार को भाजपा में शामिल हुए। BJP जॉइन करने के चंद घंटे बाद चब्बेवाल सीट से उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हो गया। भाजपा ने गिद्दड़बाहा से मनप्रीत बादल को टिकट दिया है। मनप्रीत AAP को छोड़कर पंजाब की सभी पार्टियों में रह चुके हैं। उन्होंने शुरुआत अकाली दल से की। 2011 में अपनी पार्टी बनाई और 2012 के बाद कांग्रेस में चले गए। वह अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस सरकार में सूबे के वित्त मंत्री रहे। जनवरी 2023 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर BJP जॉइन कर ली। वह पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के चचेरे भाई हैं। मनप्रीत ही वो शख्स हैं जो पंजाब के मौजूदा सीएम भगवंत मान को सियासत में लाए। बरनाला सीट से भाजपा के उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद, 4 जून 2022 को कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए। ढिल्लों कांग्रेस के टिकट पर 2 बार, 2007 व 2012 में बरनाला से MLA रह चुके हैं। 2017 में वह AAP के मीत हेयर से हार गए। केवल ढिल्लों पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी नेताओं में हैं। भाजपा ने डेरा बाबा नानक सीट से रविकरण काहलों को मौका दिया है। उनके पिता निर्मल सिंह काहलों 2007 से 2012 तक अकाली-भाजपा सरकार के दौरान विधानसभा स्पीकर रहे। वह 1997 से 2002 तक पंजाब में मंत्री भी रहे। रविकरण काहलों ने 2022 में अकाली दल के टिकट पर डेरा बाबा नानक से चुनाव लड़ा और सिर्फ 466 वोट से हार गए। लोकसभा चुनाव से पहले वह BJP में शामिल हो गए। अकाली दल : 32 साल में पहली बार चुनाव से दूर
पंजाब में पिछले 32 बरसों के दौरान यह पहला मौका है जब प्रदेश की प्रमुख रीजनल पार्टी, शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने चुनाव मैदान में नहीं उतरने का फैसला किया है। इससे पहले अकाली दल ने 1992 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था। इस बार अकाली दल के चुनाव में न उतरने की दो प्रमुख वजहें हैं। पहली वजह- अकाल तख्त साहिब, जो सिख कौम की सर्वोच्च संस्था है- अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल को 2007 से 2017 के बीच अकाली–भाजपा सरकार के दौरान हुई गलतियों को लेकर तनखैया घोषित कर चुका है। फिलहाल सुखबीर को सजा नहीं सुनाई गई। उनकी सजा पर अकाल तख्त दिवाली के बाद फैसला सुनाएगा। तनखैया घोषित हो चुके सुखबीर अगर प्रचार में उतरते तो विरोधी दल इसे नैतिकता का मुद्दा बना सकते थे। दूसरी वजह- पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर अकाली नेताओं के बीच जबरदस्त आपसी खींचतान चल रही है। सुखबीर बादल को पार्टी के प्रधान पद से हटाने के लिए कई नेता अकाल तख्त पर गुहार लगा चुके हैं। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार चुके अकाली दल की स्थिति चारों सीटों पर अच्छी नहीं है। ऐसे में उपचुनाव हारते तो सुखबीर के विरोधियों को उन पर हमलावर होने का एक और मौका मिल जाएगा। पार्टी ये नहीं चाहती। खालिस्तान समर्थक के सांसद बनने के बाद रूरल एरिया में पहला उपचुनाव
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब की 13 में से 7 सीटें जीती वहीं AAP को 3 सीटें मिली। खडूर साहिब से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सांसद चुने गए। फरीदकोट लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा निर्दलीय चुनाव जीते क्योंकि लोगों में 1984 के दंगों के चलते कांग्रेस के प्रति नाराजगी और बेअंत सिंह के परिवार के प्रति सहानुभूति थी। बठिंडा सीट पर शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल विजयी रहीं। पंजाब में 1996 के बाद यह पहला मौका रहा जब चुनाव राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का माना जा रहा है। हालांकि जो नेता चुनावी मैदान में उतारे गए हैं। वह काफी समय से अपने इलाकों में एक्टिव हैं।
नॉर्दर्न जोन में मान्यता प्राप्त यूनियन बनीं एनआरएमयू- यूआरएमयू , बाकी 3 बाहर
नॉर्दर्न जोन में मान्यता प्राप्त यूनियन बनीं एनआरएमयू- यूआरएमयू , बाकी 3 बाहर भास्कर न्यूज।अमृतसर नॉर्दन जोन में रेलवे मान्यता प्राप्त यूनियन का दर्जा एनआरएमयू-यूआरएमयू को मिल पाया है। बाकी 3 यूनियनें 35 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिलने के कारण बाहर रही हैं। बता दें कि नॉर्दर्न रेलवे जोन में कुल 124162 वोट थे इनमें 106242 पड़े। 689 रिजेक्ट (इनवैलीड) हो गए थे। नॉर्दन रेलवे मेंन्स यूनियन (एनआरएमयू) को नॉर्दर्न रेलवे जोन में 46.11 फीसदी वोट के साथ सबसे बड़ी यूनियन रही है। जबकि 38.69 फीसदी के साथ उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) दूसरे नंबर पर रही है।, एसआरबीकेयू को सबसे कम 0.55 फीसदी वोट मिले। जबकि सबसे कम स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन (एसआरबीकेयू) को 0.55 तो उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन (यूआरकेयू) को 7.07 और इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन (एनआरईयू) को 7.58 फीसदी वोट हासिल हुए। वहीं फिरोजपुर डिवीजन की बात करें तो कुल 17647 वोट थे। इनमें 95 रिजेक्ट हो गए थे। एनआरएमयू को सबसे अधिक 7705 तो यूआरएमयू को 5581 वोट मिले। जबकि एनईआरयू को 1129, यूआरकेयू को 630 और एसआरबीकेयू को सिर्फ 32 वोट मिले। वहीं रेलवे वर्कशॉप में एनआरएमये को 492 तो यूआरएमयू को 534 वोट हासिल हुए।