हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह की कैबिनेट में कुल विधायकों के 15% मंत्रियों को जगह दिए जाने के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता समय की कमी के कारण अपनी दलीलें पूरी नहीं कर सका, इसलिए कोर्ट ने मामले को शेष दलीलों के लिए 4 फरवरी तक स्थगित कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही राज्य सरकार व केंद्र को नोटिस भेजकर जवाब तलब कर चुका है। याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 प्रतिशत हो सकते हैं, मगर हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान संशोधन का उल्लंघन है। संविधान संशोधन के उल्लंघन का आरोप इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है। याचिका में सीएम सहित सभी प्रतिवादी याचिका में याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल, डॉ. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई है, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है। मंत्रियों को हटाने की याचिका में मांग याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। इसके साथ ही याचिका लंबित रहते मंत्रियों को मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाईकोर्ट से मांग की गई हैं। जब मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था और सैनी ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था उसको लेकर भी भट्टी ने याचिका दायर की थी जो अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह की कैबिनेट में कुल विधायकों के 15% मंत्रियों को जगह दिए जाने के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता समय की कमी के कारण अपनी दलीलें पूरी नहीं कर सका, इसलिए कोर्ट ने मामले को शेष दलीलों के लिए 4 फरवरी तक स्थगित कर दिया। इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही राज्य सरकार व केंद्र को नोटिस भेजकर जवाब तलब कर चुका है। याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 प्रतिशत हो सकते हैं, मगर हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान संशोधन का उल्लंघन है। संविधान संशोधन के उल्लंघन का आरोप इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है। याचिका में सीएम सहित सभी प्रतिवादी याचिका में याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल, डॉ. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई है, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है। मंत्रियों को हटाने की याचिका में मांग याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। इसके साथ ही याचिका लंबित रहते मंत्रियों को मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाईकोर्ट से मांग की गई हैं। जब मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था और सैनी ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था उसको लेकर भी भट्टी ने याचिका दायर की थी जो अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा CM संग 10 मंत्रियों की शपथ संभव:2 से 3 महिला संभव, स्पीकर के लिए 3 नाम दौड़ में, RSS बैकग्राउंड प्लस पॉइंट
हरियाणा CM संग 10 मंत्रियों की शपथ संभव:2 से 3 महिला संभव, स्पीकर के लिए 3 नाम दौड़ में, RSS बैकग्राउंड प्लस पॉइंट हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद सरकार बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। शपथग्रहण समारोह का समय और जगह तय होने के बाद अब मंत्रिमंडल की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। 17 अक्टूबर को शपथग्रहण समारोह होगा। सूत्रों से के मुताबिक मुख्यमंत्री के साथ 10 मंत्री शपथ ले सकते हैं। इसके अलावा अबकी बार कैबिनेट में महिलाओं की संख्या 2 से 3 हो सकती है। मंत्रिमंडल में महिलाओं के साथ जातीय और क्षेत्रीय समीकरण पर फोकस रहेगा। इसके अलावा 2 से 3 मंत्री पद ओपन रखे जाएंगे, जिन्हें बाद में भरा जाएगा। चुनावी प्रचार के दौरान पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। इस फॉर्मूले पर बनाया जाएगा मंत्रिमंडल RSS बैकग्राउंड से होगा स्पीकर
भाजपा स्पीकर का पद किसी विश्वासपात्र और अनुभवी व्यक्ति को देना चाहती है। इसके लिए RSS बैकग्राउंड देखा जाएगा। इसके लिए सबसे आगे हरविंद्र कल्याण, अनिल विज और कृष्ण बेदी का नाम है। स्पीकर पद के लिए SC विधायक पर दांव खेला जा सकता है। सबसे अहम बात है कि पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर इस बार डिप्टी सीएम का पद खाली रखा जाएगा। जरूरत के हिसाब से ही इस पद पर कोई फैसला होगा। संभावित 10 चेहरों के बारे में जानिए…. 1. रणबीर गंगवा : हरियाणा में बड़ा OBC चेहरा हैं। कुम्हार समाज से आते हैं। इन्होंने ओबीसी वर्ग को साधने के लिए जगह-जगह सम्मेलन व कार्यक्रम किए। बरवाला से पहली बार कमल खिलाया। मनोहर और नायब सरकार में डिप्टी स्पीकर के पद पर रहे। 2. कृष्णपाल पंवार: दलित समाज से आने वाले दूसरे बड़े नेता हैं। पानीपत की इसराना विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा और जीते। इनको मंत्री बनाकर दलितों को साधने का प्रयास किया जाएगा। 3. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। जाट समाज से आते हैं। पिछली टर्म में पंचायत मंत्री रहे। इस बार भी इनकी दावेदारी इसलिए मजबूत है क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी भी हैं और उनके संसदीय क्षेत्र से आते हैं। 4. सुनील सांगवान: चरखी दादरी में कमल खिलाने वाले सुनील सांगवान पुराने राजनीतिक परिवार से हैं। पिता सतपाल सांगवान पूर्व मंत्री रह चुके हैं। राम रहीम को 6 बार पैरोल देने के मामले में चर्चा में आए। ये जाट बिरादरी से आते हैं। 5. विपुल गोयल: फरीदाबाद से विधायक चुने गए हैं। मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में उद्योग मंत्री रहे। कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करने का अच्छा अनुभव है। गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के करीबी नेताओं में से एक हैं। 6. अरविंद शर्मा: 2019 में रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा को हराकर सांसद बने थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार मिली, लेकिन पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में गोहाना से टिकट दी और जीत हासिल की। ब्राह्मण समाज से हैं। इसके साथ अमित शाह के नजदीकी रहे हैं। सोनीपत जिले से मंत्री बनाए जा सकते हैं। 7. कृष्ण बेदी: वाल्मीकि समाज से आते हैं। 2014 में शाहबाद से विधायक चुनने के बाद मनोहर सरकार के पहले टर्म में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री बने। नायब सैनी और मनोहर लाल दोनों के करीबी हैं। सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। 8. लक्ष्मण यादव: रेवाड़ी से विधायक बने हैं। कांग्रेस नेता चिरंजीव राव को हराया। इससे पहले कोसली से विधायक बने थे। राव इंद्रजीत और मनोहर लाल दोनों के करीबी माने जाते हैं। अहीरवाल के अहम जिले रेवाड़ी से इनको प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। 9. बिमला चौधरी: राव इंद्रजीत के नजदीकी होने व महिला होने का फायदा बिमला चौधरी को मिल सकता है। वह रिजर्व सीट से विधायक चुनी गई हैं। ऐसे में तीनों चीजें इनके लिए प्लस पॉइंट रह सकती हैं। इंद्रजीत के कोटे से हर बार एससी विधायक मंत्री बनता है। पिछली बार बनवारी लाल इंद्रजीत के कोटे से मंत्री बने थे। 10 श्याम सिंह राणा: यमुनानगर की रादौर विधानसभा से जीते हैं। राजपूत जाति के कोट से मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। नायब सैनी के करीबियों में उनकी गिनती होती है।
सोनीपत में 2 फैक्ट्रियों में भीषण आग:एक में प्लास्टिक सामान, दूसरी में बनते हैं लोहे के बर्नर; वर्करों ने भाग कर बचाई जान
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