महाकुंभ भगदड़ में दादी की मौत, पोते ने बताई आंखोंदेखी:बोला-40 मिनट तक ऊपर से गुजरते रहे लोग, हम बेहोश हुए; जींद में संस्कार

महाकुंभ भगदड़ में दादी की मौत, पोते ने बताई आंखोंदेखी:बोला-40 मिनट तक ऊपर से गुजरते रहे लोग, हम बेहोश हुए; जींद में संस्कार

प्रयागराज महाकुंभ में संगम घाट पर मची भगदड़ में जींद के राजपुरा गांव की रामपति की मौत हो गई। रामपति संगम घाट पर पहुंच चुकी थी। लेकिन स्नान नहीं कर पाई। वीरवार को रामपति का गांव राजपुरा में अंतिम संस्कार किया गया। रामपति के पोते नरेंद्र ने आंखोंदेखा हाल बताते हुए कहा कि वह अपनी दादी और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ संगम घाट पर पहुंच चुके थे। रात को करीब एक बजे का समय था। भीड़ बहुत ज्यादा होने के कारण सीढ़ियों से 50 मीटर पहले उसने अपनी दादी को कहा कि दादी भीड़ बहुत ज्यादा है। वापस लौट चलते हैं। दादी मान गई और हम वापस लौटने लगे। 200 फीट ही चले थे कि धक्का मुक्की शुरू हो गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। हम तेजी से सुरक्षित स्थान की तरफ चलने लगे, तो पीछे से लोगों के धक्के से हम नीचे गिर गए। 40 मिनट तक ऊपर से गुजरते रहे लोग नरेंद्र ने कहा कि लोग उनके ऊपर पांव रख कर दौड़ते रहे। करीब 40 मिनट तक लोग ऊपर से गुजरते रहे। हम नीचे गिर कर बेहोश हो गए। जब आंख खुली तो चारों तरफ चीख-पुकार और एम्बुलेंस के सायरन बज रहे थे। चारों तरफ बेसुध पड़े थे लोग नरेंद्र ने कहा कि दादी रामपति की सांसें थम चुकी थी और बाकी लोगों को हल्की फुल्की चोटें आई थी। हमारे चारों तरफ 70 से ज्यादा लोग बेसुध पड़े हुए थे। जिंदगी में पहली बार ऐसा हादसा देख बेचैनी बढ़ गई थी। करीब सवा दो बजे एम्बुलेंस आई और हमें नजदीक ही सेक्टर-2 के अस्पताल में ले जाया गया। यहां रामपति को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बाकी को पट्टी कर के दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद परिवार वालों को सूचित किया गया। राजपुरा भैण गांव निवासी नरेंद्र ने बताया कि 26 जनवरी को वह परिवार समेत कुंभ स्नान के लिए निकले थे। 28 जनवरी को वहां पहुंच गए थे। उस दिन वहीं रुके और 29 जनवरी को आगे चल दिए। रात को एक बजे के करीब संगम घाट पर पहुंचे। उनकी दादी रामपति चाहती थी कि स्नान करे लेकिन भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। अचानक भीड़ बढ़ते ही टूटी बेरिकेडिंग नरेंद्र ने कहा कि पुलिस कहीं पर नाके लगा रही थी, तो कहीं पर बेरिकेडिंग खोल रही थी। इससे अचानक से भीड़ बढ़ रही थी। घाट किनारे सो रहे लोगों को पुलिस उठा रही थी और कुछ लोग बेरिकेडिंग में भी फंसे हुए थे। अचानक भीड़ का प्रेशर बढ़ता गया और बेरिकेडिंग टूट गई, तथा लोग नीचे गिरने लगे, वहीं लोग पीछे से आगे बढ़ने लगे। पुलिस के कंट्रोल से स्थिति बाहर हो गई और भगदड़ सी मच गई। इसमें उन्हें हल्की चोटें आई हैं। रामपति के भतीजे जयपाल ने बताया कि सुबह 5 बजे के करीब उनके पास फोन आया और भगदड़ की सूचना मिली। इसके बाद गांव से 4 लोग पहुंचे और उसकी चाची के शव को लेकर आए। उत्तर प्रदेश एम्बुलेंस उन्हें गांव तक छोड़ के गई। जयपाल ने कहा कि वीआईपी ट्रीटमेंट के लिए आम जनता के रास्ते बंद किए गए थे। बेरिकेडिंग की गई थी। पब्लिक का दबाव ज्यादा हो गया, तो प्रेशर से बेरिकेडिंग टूट गई। कुंभ का प्रचार इतना बढ़ा चढ़ाकर किया गया कि सभी की इच्छा थी कि कुंभ में स्नान करें। इसलिए उसकी चाची भी चली गई। गांव में किया अंतिम संस्कार राजपुरा गांव में 60 वर्षीय महिला रामपति वीरवार सुबह अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। नरेंद्र व उसकी पत्नी को भी चोटें आई हैं। लेकिन वह खतरे से बाहर हैं। मृतक महिला रामपति पत्नी बारूराम राजपुरा की रहने वाली थी। घटना का जैसे ही ग्रामीणों को पता चला तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रामपति ने एक लड़का गोद लिया हुआ है और उनकी तीन लड़कियां हैं। जो शादीशुदा हैं। गांव के सरपंच जयवीर ने बताया कि रामपति गांव के ही नरेंद्र के परिवार के साथ महाकुंभ में गई थी। प्रयागराज महाकुंभ में संगम घाट पर मची भगदड़ में जींद के राजपुरा गांव की रामपति की मौत हो गई। रामपति संगम घाट पर पहुंच चुकी थी। लेकिन स्नान नहीं कर पाई। वीरवार को रामपति का गांव राजपुरा में अंतिम संस्कार किया गया। रामपति के पोते नरेंद्र ने आंखोंदेखा हाल बताते हुए कहा कि वह अपनी दादी और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ संगम घाट पर पहुंच चुके थे। रात को करीब एक बजे का समय था। भीड़ बहुत ज्यादा होने के कारण सीढ़ियों से 50 मीटर पहले उसने अपनी दादी को कहा कि दादी भीड़ बहुत ज्यादा है। वापस लौट चलते हैं। दादी मान गई और हम वापस लौटने लगे। 200 फीट ही चले थे कि धक्का मुक्की शुरू हो गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। हम तेजी से सुरक्षित स्थान की तरफ चलने लगे, तो पीछे से लोगों के धक्के से हम नीचे गिर गए। 40 मिनट तक ऊपर से गुजरते रहे लोग नरेंद्र ने कहा कि लोग उनके ऊपर पांव रख कर दौड़ते रहे। करीब 40 मिनट तक लोग ऊपर से गुजरते रहे। हम नीचे गिर कर बेहोश हो गए। जब आंख खुली तो चारों तरफ चीख-पुकार और एम्बुलेंस के सायरन बज रहे थे। चारों तरफ बेसुध पड़े थे लोग नरेंद्र ने कहा कि दादी रामपति की सांसें थम चुकी थी और बाकी लोगों को हल्की फुल्की चोटें आई थी। हमारे चारों तरफ 70 से ज्यादा लोग बेसुध पड़े हुए थे। जिंदगी में पहली बार ऐसा हादसा देख बेचैनी बढ़ गई थी। करीब सवा दो बजे एम्बुलेंस आई और हमें नजदीक ही सेक्टर-2 के अस्पताल में ले जाया गया। यहां रामपति को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बाकी को पट्टी कर के दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद परिवार वालों को सूचित किया गया। राजपुरा भैण गांव निवासी नरेंद्र ने बताया कि 26 जनवरी को वह परिवार समेत कुंभ स्नान के लिए निकले थे। 28 जनवरी को वहां पहुंच गए थे। उस दिन वहीं रुके और 29 जनवरी को आगे चल दिए। रात को एक बजे के करीब संगम घाट पर पहुंचे। उनकी दादी रामपति चाहती थी कि स्नान करे लेकिन भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। अचानक भीड़ बढ़ते ही टूटी बेरिकेडिंग नरेंद्र ने कहा कि पुलिस कहीं पर नाके लगा रही थी, तो कहीं पर बेरिकेडिंग खोल रही थी। इससे अचानक से भीड़ बढ़ रही थी। घाट किनारे सो रहे लोगों को पुलिस उठा रही थी और कुछ लोग बेरिकेडिंग में भी फंसे हुए थे। अचानक भीड़ का प्रेशर बढ़ता गया और बेरिकेडिंग टूट गई, तथा लोग नीचे गिरने लगे, वहीं लोग पीछे से आगे बढ़ने लगे। पुलिस के कंट्रोल से स्थिति बाहर हो गई और भगदड़ सी मच गई। इसमें उन्हें हल्की चोटें आई हैं। रामपति के भतीजे जयपाल ने बताया कि सुबह 5 बजे के करीब उनके पास फोन आया और भगदड़ की सूचना मिली। इसके बाद गांव से 4 लोग पहुंचे और उसकी चाची के शव को लेकर आए। उत्तर प्रदेश एम्बुलेंस उन्हें गांव तक छोड़ के गई। जयपाल ने कहा कि वीआईपी ट्रीटमेंट के लिए आम जनता के रास्ते बंद किए गए थे। बेरिकेडिंग की गई थी। पब्लिक का दबाव ज्यादा हो गया, तो प्रेशर से बेरिकेडिंग टूट गई। कुंभ का प्रचार इतना बढ़ा चढ़ाकर किया गया कि सभी की इच्छा थी कि कुंभ में स्नान करें। इसलिए उसकी चाची भी चली गई। गांव में किया अंतिम संस्कार राजपुरा गांव में 60 वर्षीय महिला रामपति वीरवार सुबह अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। नरेंद्र व उसकी पत्नी को भी चोटें आई हैं। लेकिन वह खतरे से बाहर हैं। मृतक महिला रामपति पत्नी बारूराम राजपुरा की रहने वाली थी। घटना का जैसे ही ग्रामीणों को पता चला तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रामपति ने एक लड़का गोद लिया हुआ है और उनकी तीन लड़कियां हैं। जो शादीशुदा हैं। गांव के सरपंच जयवीर ने बताया कि रामपति गांव के ही नरेंद्र के परिवार के साथ महाकुंभ में गई थी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर