हरियाणा में गुटबाजी रोकने को कांग्रेस का मास्टर प्लान:हुड्‌डा गुट के 14, सैलजा ग्रुप के 8 नेताओं को पद; मठाधीश लगाए किनारे

हरियाणा में गुटबाजी रोकने को कांग्रेस का मास्टर प्लान:हुड्‌डा गुट के 14, सैलजा ग्रुप के 8 नेताओं को पद; मठाधीश लगाए किनारे

तारीख: 30 सितंबर 2024
जगह: नारायणगढ़, अंबाला
कार्यक्रम: राहुल गांधी की विजय संकल्प यात्रा हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर था। 4 दिन बाद 90 सीटों पर वोटिंग होनी थी। राहुल गांधी ने मंच पर भूपेंद्र हुड्‌डा और सांसद कुमारी सैलजा के हाथ मिलवा दिए। यूं तो यह संकेत था कि कांग्रेस एकजुट है, लेकिन अंदरखाते राहुल जानते थे कि पार्टी में यहां गुटबाजी है। ये नहीं थमी तो चुनाव हाथ से निकल जाएगा। 8 अक्टूबर को मतगणना हुई तो हुआ भी ऐसा ही। 4 महीने बाद अब जाकर कांग्रेस हाईकमान एक्टिव हुआ। राहुल गांधी की हरियाणा कांग्रेस को जोड़ने की मंशा के लिए प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने मास्टर प्लान बनाया है, जिसका संकेत निकाय चुनाव के बहाने जारी की संगठन से जुड़ी 3 लिस्ट से मिल रहा है। इसमें हुड्डा और सैलजा गुट की पसंद का ख्याल कर दोनों के नेताओं को जगह दी गई है। मंगलवार को जारी इस लिस्ट में 261 नेताओं के नाम हैं। ग्राउंड लेवल पर वर्किंग से नजर आता है कि अभी तक हुड्‌डा या सैलजा गुट से इसे लेकर कोई बड़ा रिएक्शन नहीं है। वहीं, कांग्रेस हाईकमान अब पार्टी के मठाधीशों काे भी किनारे लगा रहा है, जिनमें पूर्व विधायक-मंत्री तक शामिल हैं। हालांकि, अंबाला से सांसद वरूण चौधरी ने जरूर कहा कि इतनी लिस्ट के बजाय पार्टी को संगठन बनाना चाहिए। सैलजा गुट के ये 8 प्रभारी बनाए
कांग्रेस हाईकमान की लिस्ट में जिला प्रभारी बनाए 8 नेता ऐसे हैं, जिन्हें सैलजा का करीबी माना जाता है। इनमें कैथल से अतर सिंह सैनी, पलवल से सतविंद्र सिंह टिम्मी, पंचकूला से अकरम खान, अंबाला से राजरानी पूनम, दादरी से बलवान सिंह दौलतपुरिया, सिरसा से परमवीर सिंह, हिसार से शीशपाल केहरवाला और यमुनानगर से प्रदीप चौधरी शामिल हैं। हुड्‌डा गुट के 14 प्रभारी बनाए
प्रदेश की राजनीति में हुड्‌डा के असर को हाईकमान ने दरकिनार नहीं किया है। इसी वजह से उनसे जुड़े 14 नेताओं को जिला प्रभारी लगाया गया है। इनमें भिवानी से राव दान सिंह, फरीदाबाद से आफताब अहमद, फतेहाबाद से अमित सिहाग, गुरुग्राम से करण सिंह दलाल, झज्जर से लखन सिंगला, जींद से आनंद सिंह दांगी, करनाल से अशोक अरोड़ा, कुरूक्षेत्र से निर्मल सिंह, महेंद्रगढ़ से नरेश सेलवान, नूंह से मुहम्मद इजराइल, पानीपत से भीम सेन मेहता, रोहतक से जयवीर सिंह वाल्मीकि, रेवाड़ी से नीरज शर्मा और सोनीपत से रघुवीर सिंह तेवतिया शामिल हैं। खास बात है कि अधिकतर प्रभारी दोनों गुटों से ही संबंध रखने वाले हैं। निकाय चुनाव में हुड्‌डा-सैलजा गुट साथ दिखाने की कोशिश
कांग्रेस हाईकमान की कोशिश है कि भले ही प्रदेश की सत्ता हाथ से निकल गई हो, लेकिन निकाय चुनाव में वापसी करे। खासकर, गुटबाजी और खींचतान न होने दे। यही वजह है कि नेताओं को खुश करने के लिए 3 लिस्ट जारी करनी पड़ीं, जिसमें जिला प्रभारियों के अलावा कनवीनर और जोन प्रभारी शामिल हैं। इसमें उन्हीं नेताओं को लिया गया है, जो विवादों से दूर हैं और सैलजा व हुड्‌डा, दोनों के साथ नजर आते हैं। राज्य में महज 0.85% वोट कम मिले, लेकिन सीटें BJP से 11 कम
गुटबाजी ने कांग्रेस की लुटिया कैसे डुबोई, इसका पता इस बात से चलता है कि विधानसभा में कांग्रेस और BJP के वोटों का अंतर महज 0.85% था। भाजपा को 39.94% तो कांग्रेस को 39.09% वोट मिले। हालांकि, सीटों के लिहाज से भाजपा के 48 के मुकाबले कांग्रेस 37 सीटों पर रह गई। इस पर मंथन हुआ तो यही पता चला कि आपसी खींचतान से सारा खेल बिगड़ा। 2019 के मुकाबले भाजपा के पक्ष में 3.45% वोट स्विंग हुआ तो कांग्रेस की तरफ यह 11.01% था। पुराने मठाधीश दरकिनार करेगी कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेश में पार्टी के पुराने मठाधीशों को भी दरकिनार करेगी। असल में ये ऐसे नेता हैं, जो पहले पार्टी में सक्रिय रहे। पार्टी ने उन्हें पद भी दिए। हालांकि अब वह पार्टी के फैसलों के उलट चल रहे हैं। वह न तो पार्टी छोड़ रहे और न ही काम कर रहे। ऐसे कई नेताओं को कांग्रेस टिकट भी नहीं दे रही लेकिन पार्टी में रहकर वह उम्मीदवारों का विरोध करते हैं। ऐसे नेताओं को अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। तारीख: 30 सितंबर 2024
जगह: नारायणगढ़, अंबाला
कार्यक्रम: राहुल गांधी की विजय संकल्प यात्रा हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर था। 4 दिन बाद 90 सीटों पर वोटिंग होनी थी। राहुल गांधी ने मंच पर भूपेंद्र हुड्‌डा और सांसद कुमारी सैलजा के हाथ मिलवा दिए। यूं तो यह संकेत था कि कांग्रेस एकजुट है, लेकिन अंदरखाते राहुल जानते थे कि पार्टी में यहां गुटबाजी है। ये नहीं थमी तो चुनाव हाथ से निकल जाएगा। 8 अक्टूबर को मतगणना हुई तो हुआ भी ऐसा ही। 4 महीने बाद अब जाकर कांग्रेस हाईकमान एक्टिव हुआ। राहुल गांधी की हरियाणा कांग्रेस को जोड़ने की मंशा के लिए प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने मास्टर प्लान बनाया है, जिसका संकेत निकाय चुनाव के बहाने जारी की संगठन से जुड़ी 3 लिस्ट से मिल रहा है। इसमें हुड्डा और सैलजा गुट की पसंद का ख्याल कर दोनों के नेताओं को जगह दी गई है। मंगलवार को जारी इस लिस्ट में 261 नेताओं के नाम हैं। ग्राउंड लेवल पर वर्किंग से नजर आता है कि अभी तक हुड्‌डा या सैलजा गुट से इसे लेकर कोई बड़ा रिएक्शन नहीं है। वहीं, कांग्रेस हाईकमान अब पार्टी के मठाधीशों काे भी किनारे लगा रहा है, जिनमें पूर्व विधायक-मंत्री तक शामिल हैं। हालांकि, अंबाला से सांसद वरूण चौधरी ने जरूर कहा कि इतनी लिस्ट के बजाय पार्टी को संगठन बनाना चाहिए। सैलजा गुट के ये 8 प्रभारी बनाए
कांग्रेस हाईकमान की लिस्ट में जिला प्रभारी बनाए 8 नेता ऐसे हैं, जिन्हें सैलजा का करीबी माना जाता है। इनमें कैथल से अतर सिंह सैनी, पलवल से सतविंद्र सिंह टिम्मी, पंचकूला से अकरम खान, अंबाला से राजरानी पूनम, दादरी से बलवान सिंह दौलतपुरिया, सिरसा से परमवीर सिंह, हिसार से शीशपाल केहरवाला और यमुनानगर से प्रदीप चौधरी शामिल हैं। हुड्‌डा गुट के 14 प्रभारी बनाए
प्रदेश की राजनीति में हुड्‌डा के असर को हाईकमान ने दरकिनार नहीं किया है। इसी वजह से उनसे जुड़े 14 नेताओं को जिला प्रभारी लगाया गया है। इनमें भिवानी से राव दान सिंह, फरीदाबाद से आफताब अहमद, फतेहाबाद से अमित सिहाग, गुरुग्राम से करण सिंह दलाल, झज्जर से लखन सिंगला, जींद से आनंद सिंह दांगी, करनाल से अशोक अरोड़ा, कुरूक्षेत्र से निर्मल सिंह, महेंद्रगढ़ से नरेश सेलवान, नूंह से मुहम्मद इजराइल, पानीपत से भीम सेन मेहता, रोहतक से जयवीर सिंह वाल्मीकि, रेवाड़ी से नीरज शर्मा और सोनीपत से रघुवीर सिंह तेवतिया शामिल हैं। खास बात है कि अधिकतर प्रभारी दोनों गुटों से ही संबंध रखने वाले हैं। निकाय चुनाव में हुड्‌डा-सैलजा गुट साथ दिखाने की कोशिश
कांग्रेस हाईकमान की कोशिश है कि भले ही प्रदेश की सत्ता हाथ से निकल गई हो, लेकिन निकाय चुनाव में वापसी करे। खासकर, गुटबाजी और खींचतान न होने दे। यही वजह है कि नेताओं को खुश करने के लिए 3 लिस्ट जारी करनी पड़ीं, जिसमें जिला प्रभारियों के अलावा कनवीनर और जोन प्रभारी शामिल हैं। इसमें उन्हीं नेताओं को लिया गया है, जो विवादों से दूर हैं और सैलजा व हुड्‌डा, दोनों के साथ नजर आते हैं। राज्य में महज 0.85% वोट कम मिले, लेकिन सीटें BJP से 11 कम
गुटबाजी ने कांग्रेस की लुटिया कैसे डुबोई, इसका पता इस बात से चलता है कि विधानसभा में कांग्रेस और BJP के वोटों का अंतर महज 0.85% था। भाजपा को 39.94% तो कांग्रेस को 39.09% वोट मिले। हालांकि, सीटों के लिहाज से भाजपा के 48 के मुकाबले कांग्रेस 37 सीटों पर रह गई। इस पर मंथन हुआ तो यही पता चला कि आपसी खींचतान से सारा खेल बिगड़ा। 2019 के मुकाबले भाजपा के पक्ष में 3.45% वोट स्विंग हुआ तो कांग्रेस की तरफ यह 11.01% था। पुराने मठाधीश दरकिनार करेगी कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेश में पार्टी के पुराने मठाधीशों को भी दरकिनार करेगी। असल में ये ऐसे नेता हैं, जो पहले पार्टी में सक्रिय रहे। पार्टी ने उन्हें पद भी दिए। हालांकि अब वह पार्टी के फैसलों के उलट चल रहे हैं। वह न तो पार्टी छोड़ रहे और न ही काम कर रहे। ऐसे कई नेताओं को कांग्रेस टिकट भी नहीं दे रही लेकिन पार्टी में रहकर वह उम्मीदवारों का विरोध करते हैं। ऐसे नेताओं को अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर