<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना की जा रही है. अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था, लेकिन इस बार रामनगर वन प्रभाग के जंगलों में भी आधुनिक तकनीक का उपयोग कर बाघों की सही संख्या का आकलन किया जा रहा है. इसके लिए 350 कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिनमें से हर एक में बाघों की चहलकदमी दर्ज हुई है. इससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या संतोषजनक है और संभवतः बढ़ भी रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि फेज 4 विधि के तहत गणना का काम दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था. पहले चरण में रामनगर वन प्रभाग की तीन प्रमुख रेंज- कोसी, कोटा और देचौरी- में 110 प्वाइंट चिन्हित किए गए थे, जहां 220 कैमरा ट्रैप लगाए गए. इन सभी कैमरा ट्रैप में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिससे वन विभाग काफी उत्साहित है. डीएफओ नायक के अनुसार, इस पहल का मुख्य उद्देश्य बाघों की सही संख्या जानने के साथ-साथ उनकी गतिविधियों और संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों को तय करना है. इससे पहले, रामनगर वन प्रभाग को बाघों की गणना के लिए हर चार साल में एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) द्वारा कराई जाने वाली ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट किए गए चिन्हित</strong><br />पहले चरण की सफलता के बाद अब वन विभाग दूसरे चरण की तैयारियों में जुट गया है. दूसरे चरण में रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. यहां 1 फरवरी से 130 और कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, जिससे जंगल के इन हिस्सों में बाघों की उपस्थिति का पता लगाया जा सके. वन विभाग का मानना है कि इस गणना से पहले के मुकाबले अधिक बाघों की मौजूदगी सामने आ सकती है. पिछली बार 2022 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के तहत हुई गणना में रामनगर वन प्रभाग में 67 बाघों की मौजूदगी पाई गई थी. अब जबकि फेज 4 विधि से हर साल गणना होगी, तो इससे बाघों की सही संख्या का पता लग सकेगा और उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फेज 4 विधि एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसका उपयोग हर साल टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के लिए किया जाता है. इसके तहत जंगल के अलग-अलग हिस्सों में हाई-रिजॉल्यूशन कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं, जो जंगल में घूमने वाले बाघों की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करते हैं. इन कैमरों को विशेष तकनीक से इस तरह सेट किया जाता है कि जब भी कोई बाघ उनके सामने से गुजरता है, तो उसकी तस्वीर खींची जाती है. इन तस्वीरों का विश्लेषण कर बाघों की संख्या और उनकी पहचान की जाती है. यह विधि अधिक सटीक मानी जाती है, क्योंकि इससे दोबारा गिनती की संभावना कम रहती है और बाघों की स्पष्ट पहचान हो सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई तकनीक से वन विभाग को है काफी उम्मीदें</strong><br />बाघों की गणना के लिए अपनाई गई इस नई तकनीक से वन विभाग को काफी उम्मीदें हैं. डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि शुरुआती आंकड़े उत्साहजनक हैं और संकेत दे रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या बढ़ रही है. वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा रामनगर वन प्रभाग भी बाघों के लिए उपयुक्त पर्यावास बन चुका है. यहां घने जंगल, पानी के स्रोत और पर्याप्त शिकार उपलब्ध होने के कारण बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, वन विभाग इस इलाके में बाघों और इंसानों के टकराव को रोकने के लिए विशेष कदम उठा रहा है, ताकि जंगल से लगे गांवों में सुरक्षा बनी रहे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग के मुताबिक, यह गणना मार्च 2025 के अंत तक पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा और फिर नियमानुसार नतीजों की घोषणा होगी. यदि इस गणना में बाघों की संख्या बढ़ी हुई पाई जाती है, तो यह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी. इस पहल से वन विभाग को न केवल बाघों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि यह भी समझने में मदद मिलेगी कि किन क्षेत्रों में बाघ अधिक सक्रिय हैं और कहां पर विशेष संरक्षण की जरूरत है. यह पहली बार है जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर किसी अन्य वन क्षेत्र में इस विधि से गणना हो रही है, जिससे यह प्रक्रिया ऐतिहासिक बन गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी सबकी निगाहें</strong><br />रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना होना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पहल भविष्य में बाघों के संरक्षण की रणनीतियों को तय करने में मदद करेगी. प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, रामनगर वन प्रभाग में बाघों की मौजूदगी संतोषजनक है, और यह संभावना जताई जा रही है कि इनकी संख्या बढ़ी हुई मिलेगी. अब सभी की नजरें मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी हैं, जिससे यह साफ होगा कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की वास्तविक स्थिति क्या है. यदि यह गणना सफल होती है, तो भविष्य में अन्य वन क्षेत्रों में भी इसी तरह की तकनीक अपनाई जा सकती है, जिससे बाघों के संरक्षण को और मजबूती मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें : <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-stampede-case-cbi-may-inquire-case-the-matter-reached-the-court-2874321″><strong>महाकुंभ भगदड़ मामले में होगी सीबीआई की एंट्री? कोर्ट पहुंचा मामला, जल्द हो सकती है सुनवाई</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना की जा रही है. अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था, लेकिन इस बार रामनगर वन प्रभाग के जंगलों में भी आधुनिक तकनीक का उपयोग कर बाघों की सही संख्या का आकलन किया जा रहा है. इसके लिए 350 कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जिनमें से हर एक में बाघों की चहलकदमी दर्ज हुई है. इससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या संतोषजनक है और संभवतः बढ़ भी रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि फेज 4 विधि के तहत गणना का काम दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था. पहले चरण में रामनगर वन प्रभाग की तीन प्रमुख रेंज- कोसी, कोटा और देचौरी- में 110 प्वाइंट चिन्हित किए गए थे, जहां 220 कैमरा ट्रैप लगाए गए. इन सभी कैमरा ट्रैप में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिससे वन विभाग काफी उत्साहित है. डीएफओ नायक के अनुसार, इस पहल का मुख्य उद्देश्य बाघों की सही संख्या जानने के साथ-साथ उनकी गतिविधियों और संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों को तय करना है. इससे पहले, रामनगर वन प्रभाग को बाघों की गणना के लिए हर चार साल में एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) द्वारा कराई जाने वाली ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट किए गए चिन्हित</strong><br />पहले चरण की सफलता के बाद अब वन विभाग दूसरे चरण की तैयारियों में जुट गया है. दूसरे चरण में रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी और फतेहपुर रेंज में 65 प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं. यहां 1 फरवरी से 130 और कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, जिससे जंगल के इन हिस्सों में बाघों की उपस्थिति का पता लगाया जा सके. वन विभाग का मानना है कि इस गणना से पहले के मुकाबले अधिक बाघों की मौजूदगी सामने आ सकती है. पिछली बार 2022 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के तहत हुई गणना में रामनगर वन प्रभाग में 67 बाघों की मौजूदगी पाई गई थी. अब जबकि फेज 4 विधि से हर साल गणना होगी, तो इससे बाघों की सही संख्या का पता लग सकेगा और उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फेज 4 विधि एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसका उपयोग हर साल टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के लिए किया जाता है. इसके तहत जंगल के अलग-अलग हिस्सों में हाई-रिजॉल्यूशन कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं, जो जंगल में घूमने वाले बाघों की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करते हैं. इन कैमरों को विशेष तकनीक से इस तरह सेट किया जाता है कि जब भी कोई बाघ उनके सामने से गुजरता है, तो उसकी तस्वीर खींची जाती है. इन तस्वीरों का विश्लेषण कर बाघों की संख्या और उनकी पहचान की जाती है. यह विधि अधिक सटीक मानी जाती है, क्योंकि इससे दोबारा गिनती की संभावना कम रहती है और बाघों की स्पष्ट पहचान हो सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई तकनीक से वन विभाग को है काफी उम्मीदें</strong><br />बाघों की गणना के लिए अपनाई गई इस नई तकनीक से वन विभाग को काफी उम्मीदें हैं. डीएफओ दिगंत नायक ने बताया कि शुरुआती आंकड़े उत्साहजनक हैं और संकेत दे रहे हैं कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या बढ़ रही है. वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा रामनगर वन प्रभाग भी बाघों के लिए उपयुक्त पर्यावास बन चुका है. यहां घने जंगल, पानी के स्रोत और पर्याप्त शिकार उपलब्ध होने के कारण बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, वन विभाग इस इलाके में बाघों और इंसानों के टकराव को रोकने के लिए विशेष कदम उठा रहा है, ताकि जंगल से लगे गांवों में सुरक्षा बनी रहे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वन विभाग के मुताबिक, यह गणना मार्च 2025 के अंत तक पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा और फिर नियमानुसार नतीजों की घोषणा होगी. यदि इस गणना में बाघों की संख्या बढ़ी हुई पाई जाती है, तो यह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी. इस पहल से वन विभाग को न केवल बाघों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि यह भी समझने में मदद मिलेगी कि किन क्षेत्रों में बाघ अधिक सक्रिय हैं और कहां पर विशेष संरक्षण की जरूरत है. यह पहली बार है जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाहर किसी अन्य वन क्षेत्र में इस विधि से गणना हो रही है, जिससे यह प्रक्रिया ऐतिहासिक बन गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी सबकी निगाहें</strong><br />रामनगर वन प्रभाग में पहली बार फेज 4 विधि से बाघों की गणना होना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पहल भविष्य में बाघों के संरक्षण की रणनीतियों को तय करने में मदद करेगी. प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, रामनगर वन प्रभाग में बाघों की मौजूदगी संतोषजनक है, और यह संभावना जताई जा रही है कि इनकी संख्या बढ़ी हुई मिलेगी. अब सभी की नजरें मार्च में आने वाले नतीजों पर टिकी हैं, जिससे यह साफ होगा कि रामनगर वन प्रभाग में बाघों की वास्तविक स्थिति क्या है. यदि यह गणना सफल होती है, तो भविष्य में अन्य वन क्षेत्रों में भी इसी तरह की तकनीक अपनाई जा सकती है, जिससे बाघों के संरक्षण को और मजबूती मिलेगी.</p>
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