फतेहगढ़ साहिब में कार की गाड़ी से टक्कर हो गई, जिसके बाद कार बेकाबू होकर पेड़ से जा टकराई। इस हादसे में पंजाब पुलिस के एसएचओ के गनमैन की मौत हो गई। गांव खानपुर के पास हुए हादसे में एक पुलिसकर्मी और एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक की पहचान दिड़बा निवासी 28 वर्षीय गुरमेल सिंह के रूप में हुई है, जो एसएचओ घनौर के गनमैन के रूप में तैनात थे। घायलों में हवलदार मनदीप सिंह, जो मलेरकोटला में तैनात हैं, और एक निजी स्कूल के शिक्षक इंद्रप्रीत सिंह शामिल हैं। दोनों घायलों का इलाज सिविल अस्पताल में चल रहा है। हादसा उस समय हुआ जब तीनों दोस्त फतेहगढ़ साहिब के चुन्नी क्षेत्र में एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद मलेरकोटला लौट रहे थे। खानपुर गांव में रेलवे फाटक पार करने के तुरंत बाद उनकी कार की टक्कर एक वाहन से हुई, जिसके बाद कार बेकाबू होकर पेड़ से जा टकराई। कार चला रहे गुरमेल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक के पिता गुरजंट सिंह की शिकायत पर पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। गुरजंट सिंह ने बताया कि वह भी अपने भतीजे के साथ पीछे आ रहे थे और उनके सामने ही यह हादसा हुआ। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। फतेहगढ़ साहिब में कार की गाड़ी से टक्कर हो गई, जिसके बाद कार बेकाबू होकर पेड़ से जा टकराई। इस हादसे में पंजाब पुलिस के एसएचओ के गनमैन की मौत हो गई। गांव खानपुर के पास हुए हादसे में एक पुलिसकर्मी और एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक की पहचान दिड़बा निवासी 28 वर्षीय गुरमेल सिंह के रूप में हुई है, जो एसएचओ घनौर के गनमैन के रूप में तैनात थे। घायलों में हवलदार मनदीप सिंह, जो मलेरकोटला में तैनात हैं, और एक निजी स्कूल के शिक्षक इंद्रप्रीत सिंह शामिल हैं। दोनों घायलों का इलाज सिविल अस्पताल में चल रहा है। हादसा उस समय हुआ जब तीनों दोस्त फतेहगढ़ साहिब के चुन्नी क्षेत्र में एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद मलेरकोटला लौट रहे थे। खानपुर गांव में रेलवे फाटक पार करने के तुरंत बाद उनकी कार की टक्कर एक वाहन से हुई, जिसके बाद कार बेकाबू होकर पेड़ से जा टकराई। कार चला रहे गुरमेल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक के पिता गुरजंट सिंह की शिकायत पर पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। गुरजंट सिंह ने बताया कि वह भी अपने भतीजे के साथ पीछे आ रहे थे और उनके सामने ही यह हादसा हुआ। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के 2 क्रिकेटर चेन्नई ने खरीदे:अंशुल को 11 गुना कीमत; एक ओवर में 6 छक्के मारने वाला प्रियांश पंजाब में
हरियाणा के 2 क्रिकेटर चेन्नई ने खरीदे:अंशुल को 11 गुना कीमत; एक ओवर में 6 छक्के मारने वाला प्रियांश पंजाब में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 के मेगा ऑक्शन के दूसरे दिन (25 नवंबर) हरियाणा के 2 क्रिकेटर छाए। चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने रोहतक के ऑलराउंडर दीपक हुड्डा को 1 करोड़ 70 लाख रुपए और करनाल के रहने वाले बॉलर अंशुल कंबोज को 3.40 करोड़ रुपए में खरीदा। कंबोज को बेस प्राइस से 11 गुना ज्यादा कीमत में खरीदा। उनका बेस प्राइस 30 लाख रुपए था। पिछले साल वे मुंबई से खेले थे। अंशुल को लेकर मुंबई और चेन्नई के बीच बोली में लड़ाई चली। अंशुल कंबोज हरियाणा के लिए रणजी खेलते हैं। केरल के खिलाफ मैच में एक ही पारी में 10 विकेट लेकर वह चर्चा में आए थे। वहीं हुड्डा इंडिया टीम में खेल चुके हैं। उन्होंने 10 वनडे में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और 153 रन बनाए। 21 टी20 इंटरनेशनल मैचों में उन्होंने एक शतक के साथ 368 रन बनाए हैं। उधर, पंजाब किंग्स की टीम ने ऑलराउंडर सैम करन को रिटेन नहीं किया। चेन्नई ने उन्हें 2.40 करोड़ में खरीद लिया। पंजाब की टीम ने प्रवीण दुबे को 30 लाख, पायला अविनाश को 30 लाख, जैवियर बार्टलेट को 80 लाख, एक ओवर में 6 छक्के मारने वाले प्रियांश आर्या को 3.80 करोड़, सूर्यांश शेगडे को 30 लाख, मुशीर खान को 30 लाख, कुलदीप सेन को 80 लाख, अफगानिस्तान के खिलाड़ी अजमतउल्लाह उमरजई को 2.40 करोड़, हरनूर पन्नू को 30 लाख, साउथ न्यूजीलैंड के बॉलर लॉकी फर्ग्यूसन को 2 करोड़, साउथ अफ्रिका के मार्को यानसन को 7 करोड़ और ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर जोश इंग्लिश को 2.60 करोड़ में खरीदा। एक दिन पहले मोहाली के बॉलर अर्शदीप सिंह और जींद के स्पिनर युजवेंद्र चहल को पंजाब किंग्स ने 18-18 करोड़ रुपए में खरीदा था। युजवेंद्र चहल IPL इतिहास के सबसे महंगे भारतीय स्पिनर बने। वहीं पंजाब की टीम ने श्रेयस अय्यर को 26.75 करोड़ में खरीदा। पंजाब किंग्स ने अब तक ये खिलाड़ी खरीदे
पंजाब किंग्स टीम ने श्रेयस अय्यर को 26.75 करोड़ रुपए में खरीदा। वह टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। युजवेंद्र चहल 18 करोड़, अर्शदीप सिंह 18 करोड़, मार्कस स्टोयनिस 11 करोड़, मार्को यानसन 7 करोड़, ग्लेन मैक्सवेल 4.20 करोड, नेहल वाधेरा 4.20 करोड़, प्रियांश आर्या को 3.80 करोड़, जोश इंग्लिश 2.60 करोड़, अजमतउल्लाह उमरजई 2.40 करोड़, लॉकी फर्ग्यूसन 2 करोड़, विजयकुमार व्यशक 1.80 करोड़, यश ठाकुर 1.60 करोड़, हरप्रीत ब्रार 1.50 करोड़, आरोन हार्डी को 1.25 करोड़, विष्णु विनोद को 95 लाख, जैवियर बार्टलेट व कुलदीप सेन 80-80 लाख, सूर्यांश शेगडे, मुशीर खान, पायला अविनाश और हरनूर पन्नू को 30-30 लाख रुपए में खरीदा। अंशुल कंबोज के क्रिकेटर बनने की कहानी…
अंशुल कंबोज का जन्म हरियाणा के करनाल में 6 दिसंबर 2000 को हुआ। 14 साल की उम्र तक उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन पिछले एक दशक से भी कम समय में कंबोज ने न सिर्फ अपनी राज्य टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया बल्कि आईपीएल में भी जगह बनाई। कंबोज ने 17 फरवरी 2022 को हरियाणा के लिए 2021-22 रणजी ट्रॉफी में प्रथम श्रेणी में डेब्यू किया। सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में 2022-23 में टी-20 में डेब्यू किया। 2022-23 विजय हजारे ट्रॉफी में लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत की। 2024 एसीसी इमर्जिंग टीम एशिया कप के लिए भारत ए टीम का हिस्सा रहें। अंशुल कंबोज को IPL 2024 में मुंबई इंडियंस ने चुना था। उन्होंने 2023-24 में विजय हजारे ट्रॉफी जीतने में हरियाणा के लिए अहम भूमिका निभाई थी और 10 मैचों में 17 विकेट लिए थे। उनके नाम 47 प्रथम श्रेणी विकेट, 23 लिस्ट-ए विकेट और 17 टी-20 विकेट हैं। ग्लेन मैक्ग्रा के वीडियो देखना पसंद
कुछ समय पहले अंशुल कंबोज ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें ग्लेन मैक्ग्रा की गेंदबाजी के वीडियो देखना बहुत पसंद हैं। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज मैक्ग्रा गेंद की सीम का बहुत बढ़िया तरीके से इस्तेमाल करते थे। अर्शदीप सिंह के क्रिकेटर बनने की कहानी… परिवार ने कनाडा भेजने की कर ली थी तैयारी
अर्शदीप सिंह का पंजाब टीम में चयन नहीं हो रहा था। परिवार के लोग भी चिंतित थे। ऐसे में माता-पिता ने उन्हें कनाडा उनके भाई के पास भेजने का फैसला किया। उन्होंने इस बारे में उसके कोच से बात की। कोच ने जब अर्शदीप से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि वह खेलना चाहते हैं। कोच की सलाह पर अर्शदीप ने यह बात अपने परिवार को बताई। परिवार के लोगों ने उन्हें एक साल का समय दिया। इसके बाद अर्शदीप ने ग्राउंड पर जमकर मेहनत की। फिर उनका चयन पंजाब की अंडर-19 टीम में चयन हो गया। इसके बाद उन्होंने अंडर-19 विश्व कप खेला। फिर यह सफर लगातार चलता रहा। पिता ने पहचाना हुनर, मां ने लगाई ताकत
अर्शदीप सिंह का परिवार मोहाली के खरड़ में रह रहा है। उनके पिता दर्शन सिंह एक निजी कंपनी में काम करते हैं। अर्शदीप का जन्म तब हुआ, जब उनके पिता की पोस्टिंग मध्य प्रदेश में थी। वह भी गेंदबाज हैं। उनके पिता ने क्रिकेट के प्रति उनके जुनून को पहचाना। उन्होंने उन्हें पार्क में बॉलिंग करते देखा। फिर वह उन्हें 13 साल की उम्र में चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित गुरु नानक देव स्कूल की क्रिकेट एकेडमी में ले गए, जहां से उनकी कोचिंग शुरू हुई। अर्शदीप के पिता बाहर पोस्टेड थे। ऐसे में सुबह 6 बजे खरड़ से चंडीगढ़ ग्राउंड पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि यह 15 किलोमीटर का सफर था। ऐसे में अर्शदीप सिंह की मां बलजीत कौर उन्हें सुबह साइकिल पर लेकर आती थीं। फिर वहीं रुकती थीं। स्कूल के बाद उन्हें पार्क में बैठाती थीं और खाना आदि खिलाती थीं। इसके बाद फिर से एकेडमी भेजती थीं। शाम को घर भी ले जाती थीं। शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। 2019 में IPL में डेब्यू किया
अर्शदीप सिंह को 19 सितंबर 2018 को 2018-19 विजय हजारे ट्रॉफी में पंजाब के लिए खेलने के लिए चुना गया था। फिर उन्हें 2018 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिली। दिसंबर 2018 में, उन्हें 2019 IPL के लिए किंग्स इलेवन पंजाब द्वारा चुना गया। वह टीम के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए उनकी प्रशंसा की गई। नवंबर 2019 में उन्हें बांग्लादेश में 2019 ACC इमर्जिंग टीम एशिया कप के लिए भारत की टीम में चुना गया।
कपूरथला में सड़क किनारे मिला युवक का शव:दोस्त को घर छोड़कर गया था मृतक, अज्ञात वाहन से टक्कर होने का अंदेशा
कपूरथला में सड़क किनारे मिला युवक का शव:दोस्त को घर छोड़कर गया था मृतक, अज्ञात वाहन से टक्कर होने का अंदेशा कपूरथला के गोइंदवाल रोड पर आज सुबह एक पेट्रोल पंप के नजदीक एक युवक का शव मिला है। शव के पास एक बाइक भी मिली है। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया है और जांच शुरू कर दी है। मृतक युवक की पहचान 24 वर्षीय जतिंदर सिंह पुत्र विजय सिंह निवासी गांव नवें पिंड भट्ठे के रूप में हुई है। घटना स्थल पर मौजूद मृतक युवक की माँ मीना देवी ने बताया कि उन्हें उनके किसी परिचित ऑटो चालक हीरा सिंह ने सुबह सूचित किया कि उनके बेटे जतिंदर सिंह का शव सड़क किनारे पड़ा हुआ है। युवक के सिर पर गंभीर चोटे भी है। वहीं, मौजूद मृतक के दोस्त अमरप्रीत निवासी गांव नवा पिंड ने बताया कि जतिंदर सिंह बीती रात उसके साथ था, लेकिन रात वह उसे घर पर छोड़कर वापस अपने घर चला गया। इस घटना के बारे में सुबह उसे पता चला तो वह मौके पर पहुंच गया। पुलिस को मिली एक्सीडेंट की सूचना घटनास्थल पर पहुंचे SSF टीम के एएसआई ने बताया कि उन्हें कंट्रोल रूम से सुबह फोन आया था कि गोइंदवाल साहिब रोड पर कोई एक्सीडेंट हो गया है। उनकी टीम ने मौके पर पहुंच शव कब्जे में लेकर एंबुलेंस को सूचना दी है। DSP सब डिवीजन हरप्रीत सिंह ने बताया कि बाइक सवार युवक की देर रात किसी अज्ञात वाहन से टक्कर होने का अनुमान है। शव को कब्जे लेकर सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवा दिया है। मामले की जांच की जा रही है।
मनमोहन सिंह ने टीचर्स के कहने पर इकोनॉमिक्स चुनी:अमृतसर हिंदू कॉलेज लेता था आधी फीस, क्लासमेट बोले-कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे
मनमोहन सिंह ने टीचर्स के कहने पर इकोनॉमिक्स चुनी:अमृतसर हिंदू कॉलेज लेता था आधी फीस, क्लासमेट बोले-कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। गुरुवार रात को उन्होंने दिल्ली AIIMS में अंतिम सांस ली। वे अविभाजित भारत में पंजाब के गाह गांव में पैदा हुए थे। उनका परिवार बंटवारे के समय पंजाब के अमृतसर में बस गया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने 10वीं के बाद प्री कॉलेज करने के लिए हिंदू कॉलेज को चुना था। सितंबर 1948 में उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और पहला स्थान पाया। तत्कालीन प्रिंसिपल संत राम ने उन्हें रोल कॉल ऑफ ऑनर के साथ सम्मानित किया। वह पहले स्टूडेंट थे, जिन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह किस्सा खुद डॉ. मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज में 2018 में आयोजित एलुमनी मीट और कनवोकेशन के दौरान सुनाया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि शिक्षक ही विद्यार्थी की विलक्षण शक्ति को पहचान सकते हैं। उन्होंने बताया था कि टीचर्स के कहने के बाद उन्होंने बीए ऑनर्स इन इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था। 1952 में एक बार फिर टॉपर बने। डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने पूर्व प्रिंसिपल संत राम, प्रो. मस्त राम, प्रो. एसआर कालिया, डॉ. जुगल किशोर त्रिखा और डॉ. सुदर्शन कपूर को अपना हीरो बताया था। दोस्तों ने साझा की थीं डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी बातें… कॉलेज पूरा होने के 65 साल के बाद साल 2018 में डॉ. मनमोहन सिंह हिंदू कॉलेज में पहुंचे थे। इस कॉलेज में उन्होंने तकरीबन 4 साल 1948 से 1952 तक शिक्षकों के लेक्चर सुन ज्ञान हासिल किया था। इस दौरान उनके कई क्लासमेट भी कॉलेज पहुंचे थे, जिन्होंने 2018 में प्रिंसिपल रहे डॉ. पीके शर्मा को कई किस्से सुनाए। कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे मनमोहन
डॉ. मनमोहन सिंह के बैचमेट रहे डीएवी लोकल मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट सुदर्शन कपूर ने बताया था कि वह 3 साल तक कॉलेज की डिबेट टीम का हिस्सा रहे थे। डॉ. मनमोहन के पास बोलने व दूसरों को प्रभावित करने की शैली शुरू से ही थी। डिबेट में वह बहुत ही कम शब्दों में व शांति के साथ अपनी बात बोल जाते थे। वह बात इतनी प्रभावशाली होती थी कि कोई उन्हें पहला इनाम देने से खुद को रोक नहीं पाता था। डॉ. मनमोहन का अधिक समय लाइब्रेरी में ही बीतता थे। जब भी वह इकट्ठे बैठते तो फिल्मों व एक्ट्रेस की बातें भी चल पड़ती थीं, लेकिन यह बातें सुन वह शरमा जाते। कपूर बोले- उन्हें मनमोहन कहना आसान नहीं था
डॉ. सुदर्शन कपूर ने बताया कि डॉ. मनमोहन ने उन्हें दिल्ली अपने निवास पर बुलाया था। वह उन्हें डॉक्टर साहिब कह कर बुलाते थे, जिस पर उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने उन्हें टोका था। उनका कहना था कि आप दोस्त हैं। इन्हें मनमोहन कह क्यों नहीं बुलाते? हर बार इन्हें डॉक्टर साहिब कहते हैं। इस पर उन्होंने कहा था कि जिस शख्सियत के सामने अब वह बैठे हैं, उनके आगे बैठ अब मनमोहन बोलना आसान नहीं। मुंह से खुद ही डॉक्टर साहिब निकलता है। इस बैठक में उन्होंने सभी दोस्तों और प्रो. जैन, प्रो. त्रिखा और प्रो. जय गोपाल को भी याद किया था। पढ़ाई में शुरू से तेज, आधी फीस लेता था कॉलेज
कॉलेज रिकॉर्ड के अनुसार डॉ. मनमोहन का रोल नंबर 19 और सीरियल नंबर 1420 था। वह पढ़ाई में इतने तेज थे कि उनकी आधी फीस माफ थी। ग्रेजुएशन में उनके सब्जेक्ट इकोनॉमिक्स, पॉलिटिकल साइंस और पंजाबी थे। वह बाद में विश्व विख्यात इकोनॉमिस्ट और देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। सिग्नेचर में 3 ट्रायंगल डालते थे
उनके क्लासमेट रहे राम प्रकाश सरोज ने तत्कालीन प्रिंसिपल को बताया था कि डॉ. मनमोहन सिंह के सिग्नेचर यूनीक थे। वह 3 जगह ट्रायंगल बनाते थे। पहला मनमोहन का M डालते हुए, दूसरा S लिखते हुए और तीसरा सिंह का G लिखते हुए। प्रो. कालिया दिल्ली पहुंचे, पता चला तो खुद भागते हुए आए
क्लासमेट और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन से सीनियर लेक्चरर पद से रिटायर्ड सुदर्शन भास्कर ने प्रिंसिपल डॉ. पीके शर्मा से एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि डॉ. मनमोहन फाइनेंस डिपार्टमेंट में इकोनॉमिक सेक्रेटरी थे। कॉलेज के प्रो. कालिया उनसे मिलने दिल्ली पहुंच गए। जैसे ही डॉ. सिंह को उनके आने का पता चला, वह सारा काम छोड़ रिसेप्शन की तरफ भागे और खुद डॉ. कालिया का स्वागत किया। अपने दो सहपाठियों को याद कर भावुक हुए थे
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी स्पीच में कहा था कि जिस समय वह हिंदू कॉलेज में पढ़ रहे थे, उस समय डी. बचिंद्रा गोस्वामी और राज कुमार पठारिया भी यहां थे। इन्होंने भी भारत का नाम विश्व में ऊंचा किया। इसके अलावा हिंदू कॉलेज के अन्य एलुमनी सतिंदर लूंबा का नाम लिया। उन्होंने कहा कि जिस समय वह प्रधानमंत्री थे, सतिंदर लूंबा उनके सलाहकार थे। उन्हें यह जानकार खुशी हुई थी कि सतिंदर लूंबा भी हिंदू कॉलेज का ही हिस्सा रहे। अमृतसर दौरे से जुड़े डॉ. मनमोहन सिंह के PHOTOS… ——————- मनमोहन सिंह से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…. बंटवारे में पाकिस्तान छोड़ पंजाब आए मनमोहन सिंह, पौने 16 करोड़ की प्रॉपर्टी; PU में प्रोफेसर रहे डॉ. मनमोहन सिंह का पंजाब और चंडीगढ़ से गहरा नाता रहा। मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अमृतसर में ही। बाद में उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दीं। पंजाब ने जब चंडीगढ़ के पास मुल्लांपुर में न्यू चंडीगढ़ बसाना शुरू किया तो मनमोहन सिंह ने ही वहां की मेडिसिटी में होमी भाभा कैंसर अस्पताल का नींव पत्थर रखा था। पूरी खबर पढ़ें…