‘आस्था अडिग होती है। लोग कठिनाइयों और खतरों के बावजूद महाकुंभ में आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आत्मा अमर है।’ यह बात महाकुंभ में मची भगदड़ में हुई मौतों पर पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने दैनिक भास्कर से खास इंटरव्यू में कही। उन्होंने धर्मांतरण पर किए गए सवाल पर कहा कि क्रिश्चियन बनने के बाद भी कुछ लोगों को दलित क्रिश्चियन कहा जाता है। इससे सिद्ध होता है कि धर्म परिवर्तन से भी वास्तविक सम्मान नहीं मिलता। पढ़िए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के इंटरव्यू के प्रमुख अंश… सवाल: सनातन धर्म की परिभाषा क्या है? जवाब: सनातन का अर्थ है वह धर्म जो हर देश, काल और परिस्थिति में उपयोगी हो। ‘सनातन’ का अर्थ है सतत रहने वाला, मतलब जो कभी समाप्त नहीं होता। सवाल: आज के समय में धर्म और विज्ञान के बीच तालमेल कैसे बनाया जा सकता है? जवाब: दर्शन, विज्ञान और व्यवहार के तालमेल का नाम धर्म है। विज्ञान कभी यह दावा नहीं करता कि वह पूर्ण हो गया, बल्कि वह लगातार विकसित होता रहता है। वहीं, धर्म शाश्वत और सनातन होता है। सवाल: गरीबी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के समाधान में धर्म की क्या भूमिका हो सकती है? जवाब: धर्म का उद्देश्य नैतिकता और सदाचार की स्थापना करना है। जैसा व्यवहार हम दूसरों से चाहते हैं, वैसा ही हमें भी करना चाहिए। अगर सभी लोग इस सिद्धांत का पालन करें, तो समाज में नैतिकता और न्याय की स्थापना होगी। इससे गरीबी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है। सवाल: महिलाओं के सशक्तीकरण और सम्मान में धर्म की क्या भूमिका होनी चाहिए? जवाब: भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति को अत्यंत सम्मान दिया गया है। देवी दुर्गा का प्रादुर्भाव देवताओं के संपूर्ण तेज से हुआ था, जो मातृ-शक्ति की महिमा को दर्शाता है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना धर्म का कर्तव्य है। सवाल: धर्मांतरण को लेकर आपका क्या मत है? जवाब: धर्मांतरण का अर्थ धर्म से स्खलन है। व्यक्ति लोभ, भय या स्वार्थ के कारण अपना धर्म त्यागता है। धर्मांतरण के बाद भी, कई लोग सामाजिक भेदभाव से मुक्त नहीं हो पाते। उदाहरण के लिए, क्रिश्चियन बनने के बाद भी कुछ लोगों को ‘दलित क्रिश्चियन’ कहा जाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि धर्म परिवर्तन से भी वास्तविक सम्मान नहीं मिलता। सवाल: भारत में कई लोग खुद को शंकराचार्य घोषित कर देते हैं, इस पर क्या विचार है? जवाब: अगर कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर नहीं है, लेकिन अपने आपको प्रधानमंत्री कहता है, तो वह या तो अराजक है या मानसिक रूप से विक्षिप्त। इसी तरह, जो लोग अपने आपको बिना मान्यता के शंकराचार्य बताते हैं, वे या तो अराजकता फैला रहे हैं या फिर भ्रमित हैं। मर्यादा का अतिक्रमण करने से समाज में अस्थिरता पैदा होती है। सवाल: क्या धार्मिक नेताओं का राजनीति में प्रवेश उचित है? जवाब: धर्म और राजनीति का संबंध महाभारत के राजधर्म से जुड़ा है। राजनीति का अर्थ होता है राजधर्म, दंडनीति, अर्थनीति और क्षत्रिय धर्म का पालन करना। लेकिन धार्मिक नेताओं को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा नहीं रखनी चाहिए। राजनीतिक नेताओं को नैतिक मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे दिशाहीन न हों। सवाल: धर्म के नाम पर हो रही हिंसा को आप कैसे देखते हैं? जवाब: धर्म के नाम पर हिंसा वास्तव में धर्म की मर्यादा का उल्लंघन है। क्षत्रिय धर्म में देश और समाज की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर युद्ध करना धर्म का हिस्सा है। लेकिन, धर्म के नाम पर अनावश्यक हिंसा और उग्रता उचित नहीं है। सवाल: भारत में धर्मनिरपेक्षता को आप कैसे देखते हैं? जवाब: धर्मनिरपेक्षता केवल एक शब्द है, कोई वास्तविक वस्तु नहीं। अगर कोई व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष होता है, तो वह बिना आंख, कान, नाक और शरीर के अंगों के हो जाएगा। सृष्टि में भेद आवश्यक है, नहीं तो संसार का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। जैसे पुरुषों में गर्भधारण की क्षमता नहीं होती और स्त्रियों में होती है, यह भेद प्रकृति द्वारा निर्धारित है। इसी प्रकार, धर्मनिरपेक्षता का विचार अप्राकृतिक और अव्यवहारिक है। सवाल: पर्यावरण संरक्षण में धर्म की क्या भूमिका है? जवाब: पर्यावरण में पृथ्वी, जल, प्रकाश, वायु और अन्य प्राकृतिक तत्व शामिल हैं। सनातन धर्म में प्रकृति की पूजा की परंपरा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होता है। आज के तथाकथित विकास ने शुद्ध जल, वायु और भोजन को दूषित कर दिया है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करना चाहिए। सवाल: महाकुंभ में हाल ही में हुई भगदड़ और हादसों पर आपका क्या कहना है? जवाब: आस्था अडिग होती है। लोग कठिनाइयों और खतरों के बावजूद महाकुंभ में आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आत्मा अमर है। प्रशासन को सुरक्षा और सुविधा प्रबंधन में सुधार करना चाहिए, लेकिन श्रद्धालुओं को रोकना संभव नहीं। सवाल: हादसों में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर आपका क्या मत है? जवाब: प्रशासन का गणित अलग होता है। आमतौर पर, अगर 100 लोग मरते हैं, तो आधिकारिक संख्या केवल 10 बताई जाती है। यह सरकारी प्रणाली का एक हिस्सा है। —————- ये खबर भी पढ़ें… बीयर बार मालिक से लेकर रेप के आरोपी बने महामंडलेश्वर, अखाड़ों में पावरफुल पद; प्रोटोकॉल तक मिलता है, इसलिए क्रेज प्रयागराज महाकुंभ के बीच किन्नर अखाड़ा विवादों में है। पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के फैसले का विरोध हो रहा है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने सवाल उठाया- जिस पर देशद्रोह का आरोप हो, उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है। पढ़ें पूरी खबर… ‘आस्था अडिग होती है। लोग कठिनाइयों और खतरों के बावजूद महाकुंभ में आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आत्मा अमर है।’ यह बात महाकुंभ में मची भगदड़ में हुई मौतों पर पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने दैनिक भास्कर से खास इंटरव्यू में कही। उन्होंने धर्मांतरण पर किए गए सवाल पर कहा कि क्रिश्चियन बनने के बाद भी कुछ लोगों को दलित क्रिश्चियन कहा जाता है। इससे सिद्ध होता है कि धर्म परिवर्तन से भी वास्तविक सम्मान नहीं मिलता। पढ़िए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के इंटरव्यू के प्रमुख अंश… सवाल: सनातन धर्म की परिभाषा क्या है? जवाब: सनातन का अर्थ है वह धर्म जो हर देश, काल और परिस्थिति में उपयोगी हो। ‘सनातन’ का अर्थ है सतत रहने वाला, मतलब जो कभी समाप्त नहीं होता। सवाल: आज के समय में धर्म और विज्ञान के बीच तालमेल कैसे बनाया जा सकता है? जवाब: दर्शन, विज्ञान और व्यवहार के तालमेल का नाम धर्म है। विज्ञान कभी यह दावा नहीं करता कि वह पूर्ण हो गया, बल्कि वह लगातार विकसित होता रहता है। वहीं, धर्म शाश्वत और सनातन होता है। सवाल: गरीबी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के समाधान में धर्म की क्या भूमिका हो सकती है? जवाब: धर्म का उद्देश्य नैतिकता और सदाचार की स्थापना करना है। जैसा व्यवहार हम दूसरों से चाहते हैं, वैसा ही हमें भी करना चाहिए। अगर सभी लोग इस सिद्धांत का पालन करें, तो समाज में नैतिकता और न्याय की स्थापना होगी। इससे गरीबी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है। सवाल: महिलाओं के सशक्तीकरण और सम्मान में धर्म की क्या भूमिका होनी चाहिए? जवाब: भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति को अत्यंत सम्मान दिया गया है। देवी दुर्गा का प्रादुर्भाव देवताओं के संपूर्ण तेज से हुआ था, जो मातृ-शक्ति की महिमा को दर्शाता है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना धर्म का कर्तव्य है। सवाल: धर्मांतरण को लेकर आपका क्या मत है? जवाब: धर्मांतरण का अर्थ धर्म से स्खलन है। व्यक्ति लोभ, भय या स्वार्थ के कारण अपना धर्म त्यागता है। धर्मांतरण के बाद भी, कई लोग सामाजिक भेदभाव से मुक्त नहीं हो पाते। उदाहरण के लिए, क्रिश्चियन बनने के बाद भी कुछ लोगों को ‘दलित क्रिश्चियन’ कहा जाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि धर्म परिवर्तन से भी वास्तविक सम्मान नहीं मिलता। सवाल: भारत में कई लोग खुद को शंकराचार्य घोषित कर देते हैं, इस पर क्या विचार है? जवाब: अगर कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर नहीं है, लेकिन अपने आपको प्रधानमंत्री कहता है, तो वह या तो अराजक है या मानसिक रूप से विक्षिप्त। इसी तरह, जो लोग अपने आपको बिना मान्यता के शंकराचार्य बताते हैं, वे या तो अराजकता फैला रहे हैं या फिर भ्रमित हैं। मर्यादा का अतिक्रमण करने से समाज में अस्थिरता पैदा होती है। सवाल: क्या धार्मिक नेताओं का राजनीति में प्रवेश उचित है? जवाब: धर्म और राजनीति का संबंध महाभारत के राजधर्म से जुड़ा है। राजनीति का अर्थ होता है राजधर्म, दंडनीति, अर्थनीति और क्षत्रिय धर्म का पालन करना। लेकिन धार्मिक नेताओं को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा नहीं रखनी चाहिए। राजनीतिक नेताओं को नैतिक मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे दिशाहीन न हों। सवाल: धर्म के नाम पर हो रही हिंसा को आप कैसे देखते हैं? जवाब: धर्म के नाम पर हिंसा वास्तव में धर्म की मर्यादा का उल्लंघन है। क्षत्रिय धर्म में देश और समाज की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर युद्ध करना धर्म का हिस्सा है। लेकिन, धर्म के नाम पर अनावश्यक हिंसा और उग्रता उचित नहीं है। सवाल: भारत में धर्मनिरपेक्षता को आप कैसे देखते हैं? जवाब: धर्मनिरपेक्षता केवल एक शब्द है, कोई वास्तविक वस्तु नहीं। अगर कोई व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष होता है, तो वह बिना आंख, कान, नाक और शरीर के अंगों के हो जाएगा। सृष्टि में भेद आवश्यक है, नहीं तो संसार का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। जैसे पुरुषों में गर्भधारण की क्षमता नहीं होती और स्त्रियों में होती है, यह भेद प्रकृति द्वारा निर्धारित है। इसी प्रकार, धर्मनिरपेक्षता का विचार अप्राकृतिक और अव्यवहारिक है। सवाल: पर्यावरण संरक्षण में धर्म की क्या भूमिका है? जवाब: पर्यावरण में पृथ्वी, जल, प्रकाश, वायु और अन्य प्राकृतिक तत्व शामिल हैं। सनातन धर्म में प्रकृति की पूजा की परंपरा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होता है। आज के तथाकथित विकास ने शुद्ध जल, वायु और भोजन को दूषित कर दिया है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करना चाहिए। सवाल: महाकुंभ में हाल ही में हुई भगदड़ और हादसों पर आपका क्या कहना है? जवाब: आस्था अडिग होती है। लोग कठिनाइयों और खतरों के बावजूद महाकुंभ में आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आत्मा अमर है। प्रशासन को सुरक्षा और सुविधा प्रबंधन में सुधार करना चाहिए, लेकिन श्रद्धालुओं को रोकना संभव नहीं। सवाल: हादसों में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर आपका क्या मत है? जवाब: प्रशासन का गणित अलग होता है। आमतौर पर, अगर 100 लोग मरते हैं, तो आधिकारिक संख्या केवल 10 बताई जाती है। यह सरकारी प्रणाली का एक हिस्सा है। —————- ये खबर भी पढ़ें… बीयर बार मालिक से लेकर रेप के आरोपी बने महामंडलेश्वर, अखाड़ों में पावरफुल पद; प्रोटोकॉल तक मिलता है, इसलिए क्रेज प्रयागराज महाकुंभ के बीच किन्नर अखाड़ा विवादों में है। पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के फैसले का विरोध हो रहा है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने सवाल उठाया- जिस पर देशद्रोह का आरोप हो, उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
पुरी के शंकराचार्य ने बताया- क्यों सनातन विज्ञान से आगे:बोले- खतरों के बावजूद लोग महाकुंभ आते हैं; जानते हैं, आत्मा अमर है
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