भाजपा सांसद बोले- पुरुषों के लिए पर्याप्त कानून नहीं:दिनेश शर्मा ने संसद में उठाया AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस

भाजपा सांसद बोले- पुरुषों के लिए पर्याप्त कानून नहीं:दिनेश शर्मा ने संसद में उठाया AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस

भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने सोमवार को राज्यसभा में AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड का मुद्दा उठाया। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई। साथ ही झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठाई। राज्यसभा में शून्यकाल के तहत इस मामले को उठाते हुए भाजपा के दिनेश शर्मा ने घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न से जुड़े कानून को लिंग-निरपेक्ष (जेंडर न्यूट्रल) बनाए जाने की अपील की। दिनेश शर्मा ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत यानी 1,25,000 पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 47,000 थी। वर्ष 2014 से 2021 के बीच पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या के अनुपात में काफी वृद्धि हुई है और इस दौरान 107.5 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं को आत्महत्या का कारण बताया। पुरुष और महिलाओं के लिए संतुलित कानूनी सुरक्षा की जरूरत पर जोर देते हुए शर्मा ने कहा कि कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से बचाने में बहुत प्रगति की है। लेकिन ऐसी ही हिंसा और शोषण से पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव चिंता का विषय है। पुरुषों के लिए पर्याप्त कानून नहीं
अतुल सुभाष की आत्महत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, यह घटना इस बात पर रोशनी डालती है कि झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन नहीं है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के प्रावधानों के दुरुपयोग की समस्या भी गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, मैं अनुरोध करता हूं कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके। अगर सिस्टम की कमी के कारण एक भी व्यक्ति अपनी जान दे देता है तो यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है। झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सच्चाई को बरकरार रखा जा सके। भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता करता है, उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 85 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी। सरल शब्दों में, यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या पति का कोई भी रिश्तेदार, महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है। इसमें महिला को पहुंचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं। 14 दिसंबर 2024 को किया गया था गिरफ्तार
कर्नाटक पुलिस ने 14 दिसंबर 2024 को निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी मां और भाई अनुराग को प्रयागराज से अरेस्ट किया था। इन तीनों पर अतुल सुभाष को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप है। 9 दिसंबर को किया था सुसाइड
अतुल सुभाष ने बेंगलुरु में 9 दिसंबर 2024 को सुसाइड कर लिया था। उन्होंने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया और सुसाइड नोट लिखकर निकिता सिंघानिया और उसके परिजनों पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि निकिता तलाक के लिए 3 करोड़ रुपए देने का दबाव डालने बना रही है। अतुल सुभाष और निकिता की शादी 2019 में हुई थी। दोनों को 2020 में एक बेटा भी हुआ। भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने सोमवार को राज्यसभा में AI इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड का मुद्दा उठाया। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और शोषण से जुड़े कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई। साथ ही झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन की मांग उठाई। राज्यसभा में शून्यकाल के तहत इस मामले को उठाते हुए भाजपा के दिनेश शर्मा ने घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न से जुड़े कानून को लिंग-निरपेक्ष (जेंडर न्यूट्रल) बनाए जाने की अपील की। दिनेश शर्मा ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत यानी 1,25,000 पुरुष थे जबकि महिलाओं की संख्या लगभग 47,000 थी। वर्ष 2014 से 2021 के बीच पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या के अनुपात में काफी वृद्धि हुई है और इस दौरान 107.5 प्रतिशत अधिक पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं को आत्महत्या का कारण बताया। पुरुष और महिलाओं के लिए संतुलित कानूनी सुरक्षा की जरूरत पर जोर देते हुए शर्मा ने कहा कि कानून ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से बचाने में बहुत प्रगति की है। लेकिन ऐसी ही हिंसा और शोषण से पुरुषों के लिए सुरक्षा का अभाव चिंता का विषय है। पुरुषों के लिए पर्याप्त कानून नहीं
अतुल सुभाष की आत्महत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, यह घटना इस बात पर रोशनी डालती है कि झूठे आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों के लिए पर्याप्त कानूनी और भावात्मक समर्थन नहीं है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के प्रावधानों के दुरुपयोग की समस्या भी गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, मैं अनुरोध करता हूं कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न से जुड़े कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए ताकि सभी के साथ न्याय हो सके। अगर सिस्टम की कमी के कारण एक भी व्यक्ति अपनी जान दे देता है तो यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है। झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सच्चाई को बरकरार रखा जा सके। भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता करता है, उस व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 85 के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी। सरल शब्दों में, यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या पति का कोई भी रिश्तेदार, महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है। इसमें महिला को पहुंचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान दोनों शामिल हैं। 14 दिसंबर 2024 को किया गया था गिरफ्तार
कर्नाटक पुलिस ने 14 दिसंबर 2024 को निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी मां और भाई अनुराग को प्रयागराज से अरेस्ट किया था। इन तीनों पर अतुल सुभाष को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप है। 9 दिसंबर को किया था सुसाइड
अतुल सुभाष ने बेंगलुरु में 9 दिसंबर 2024 को सुसाइड कर लिया था। उन्होंने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया और सुसाइड नोट लिखकर निकिता सिंघानिया और उसके परिजनों पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि निकिता तलाक के लिए 3 करोड़ रुपए देने का दबाव डालने बना रही है। अतुल सुभाष और निकिता की शादी 2019 में हुई थी। दोनों को 2020 में एक बेटा भी हुआ।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर