<p style=”text-align: justify;”><strong>Baba Vishwanath:</strong> शास्त्रों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि भगवान शंकर और माता पार्वती के लिए काशी नगरी सबसे प्रिय रही है. यही वजह है कि आज भी काशी वाले भगवान शंकर और माता पार्वती के जीवन से जुड़े अनेक पौराणिक विषयों को जीवंत किए हुए हैं. बसंत पंचमी के दिन से भगवान काशी विश्वनाथ के वैवाहिक उत्सव शुरू होने की काशी में प्राचीन परंपरा रही है और इस परंपरा को मंदिर के पूर्व महंत परिवार की तरफ से निभाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बसंत पंचमी के दिन पूर्व महंत के टेढ़ी नीम स्थित आवास पर भगवान काशी विश्वनाथ के पंचबदन स्वरूप मूर्ति का तिलक उत्सव आयोजन पूर्ण किया गया. पूर्व महंत परिवार की तरफ से एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले <a title=”महाकुंभ” href=”https://www.abplive.com/mahakumbh-mela” data-type=”interlinkingkeywords”>महाकुंभ</a> से आए जल से बाबा के पंचबदन मूर्ति का अभिषेक किया गया. उसके ठीक बाद तिलक का विधान शुरू किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/awadhesh-prasad-started-crying-again-while-attacking-cm-yogi-adityanath-said-they-call-us-dogs-2876828″>’हमें कुत्ता बनाया, कहते हैं बदला लेंगे’, सीएम योगी पर पलटवार कर फिर रोने लगे सपा सांसद अवधेश प्रसाद</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निभाई गई प्राचीन परंपरा</strong><br />बाबा के पंचबदन मूर्ति का भव्य श्रृंगार और सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई. ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती के बाद से शुरू हुआ तिलक उत्सव आयोजन रात्रि तक मंगल गीतों के गायन तक चलता रहा. इसी बीच पूर्व महंत परिवार में बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव के अवसर पर डमरू और शहनाई की भी धुन गूंजती रही. काशी वालों का अपने आराध्य भगवान विश्वनाथ के प्रति आस्था और समर्पण भाव सबसे अलग माना जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भगवान विश्वनाथ के तिलकोत्सव में रखे थाल में वर के लिए वस्त्र, सोने की चैन, सोने की गिन्नी, घड़ी, कलम और चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे. इस दौरान एक मांगलिक यात्रा भी आवास से निकाली गई जिसकी अगवानी भी खुद कन्या पक्ष के तौर पर महंत परिवार की तरफ से की गई. विधि विधान से पूजन को संजीवरत्न मिश्र और वाचस्पति तिवारी की तरफ से संपन्न किया गया.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Baba Vishwanath:</strong> शास्त्रों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि भगवान शंकर और माता पार्वती के लिए काशी नगरी सबसे प्रिय रही है. यही वजह है कि आज भी काशी वाले भगवान शंकर और माता पार्वती के जीवन से जुड़े अनेक पौराणिक विषयों को जीवंत किए हुए हैं. बसंत पंचमी के दिन से भगवान काशी विश्वनाथ के वैवाहिक उत्सव शुरू होने की काशी में प्राचीन परंपरा रही है और इस परंपरा को मंदिर के पूर्व महंत परिवार की तरफ से निभाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बसंत पंचमी के दिन पूर्व महंत के टेढ़ी नीम स्थित आवास पर भगवान काशी विश्वनाथ के पंचबदन स्वरूप मूर्ति का तिलक उत्सव आयोजन पूर्ण किया गया. पूर्व महंत परिवार की तरफ से एबीपी लाइव को मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले <a title=”महाकुंभ” href=”https://www.abplive.com/mahakumbh-mela” data-type=”interlinkingkeywords”>महाकुंभ</a> से आए जल से बाबा के पंचबदन मूर्ति का अभिषेक किया गया. उसके ठीक बाद तिलक का विधान शुरू किया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/awadhesh-prasad-started-crying-again-while-attacking-cm-yogi-adityanath-said-they-call-us-dogs-2876828″>’हमें कुत्ता बनाया, कहते हैं बदला लेंगे’, सीएम योगी पर पलटवार कर फिर रोने लगे सपा सांसद अवधेश प्रसाद</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>निभाई गई प्राचीन परंपरा</strong><br />बाबा के पंचबदन मूर्ति का भव्य श्रृंगार और सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई. ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती के बाद से शुरू हुआ तिलक उत्सव आयोजन रात्रि तक मंगल गीतों के गायन तक चलता रहा. इसी बीच पूर्व महंत परिवार में बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव के अवसर पर डमरू और शहनाई की भी धुन गूंजती रही. काशी वालों का अपने आराध्य भगवान विश्वनाथ के प्रति आस्था और समर्पण भाव सबसे अलग माना जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भगवान विश्वनाथ के तिलकोत्सव में रखे थाल में वर के लिए वस्त्र, सोने की चैन, सोने की गिन्नी, घड़ी, कलम और चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे. इस दौरान एक मांगलिक यात्रा भी आवास से निकाली गई जिसकी अगवानी भी खुद कन्या पक्ष के तौर पर महंत परिवार की तरफ से की गई. विधि विधान से पूजन को संजीवरत्न मिश्र और वाचस्पति तिवारी की तरफ से संपन्न किया गया.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड अलीगढ़: गला काटकर हत्या का सनसनीखेज खुलासा, 5 घंटे में पुलिस ने पकड़ा आरोपी, सामने आई ये वजह