हरियाणा के करनाल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बैंक धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में 50 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क कर दी है। मामला श्री हरिहर ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जिसने फर्जीवाड़ा कर पंजाब नेशनल बैंक को 121.75 करोड़ रुपए की चपत लगाई थी। ईडी ने राजेश कुमार, चिराग गुप्ता, गौतम गुप्ता, अशोक कुमार और अमित कुमार गुप्ता की चल-अचल संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत अटैच कर लिया है। इसमें करनाल और गुरुग्राम में घर, फैक्ट्री, जमीन, मशीनरी और बैंक में जमा रकम भी शामिल है। कैसे हुआ 121.75 करोड़ का घोटाला? ईडी ने इस मामले की जांच सीबीआई नई दिल्ली द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में सामने आया कि श्री हरिहर ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (SHHOPL) के निदेशकों ने 2013 से 2019 के बीच फर्जी तरीके से बैंक से लोन लिया और इसे गबन कर लिया। इसके लिए कंपनी ने जाली बैलेंस शीट और वित्तीय दस्तावेज तैयार किए। लोन के बदले गिरवी रखी गई मशीनरी और स्टॉक को गुपचुप तरीके से बेच दिया, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ। बैंक से लोन लिया, पैसा इधर-उधर घुमाया और संपत्ति अपने नाम कर ली ईडी की जांच में पता चला कि कंपनी के डायरेक्टर राजेश कुमार ने इस पूरी साजिश को अंजाम दिया। उसने लोन के पैसों को सतीवा ग्लोबल एक्सपोर्ट्स और सुपीरियर सॉयल प्रोडक्ट्स नाम की कंपनियों के खातों में घुमाया, जो खुद राजेश कुमार के कंट्रोल में थीं। इस पूरे खेल में राजेश कुमार ने अपने परिवार वालों और कई अन्य लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया, ताकि पैसों का सही सोर्स छिपाया जा सके। बैंक से धोखाधड़ी करने के बाद राजेश कुमार ने एक और चाल चली। उसने बैंक की ई-नीलामी में उन्हीं गिरवी रखी गई संपत्तियों को खरीद लिया, जिन पर पहले से बैंक का लोन था। इस तरह, उसने न केवल बैंक को करोड़ों का चूना लगाया, बल्कि लोन की रकम से अपनी कंपनियों के नाम पर प्रॉपर्टी भी बना ली। बेटों के नाम फ्लैट, एफडी में भी निवेश किया इंवेस्टिगेशन में यह भी सामने आया कि राजेश कुमार के बेटों, चिराग गुप्ता और गौतम गुप्ता ने भी इस घोटाले से फायदा उठाया। इन दोनों ने गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट खरीदा, जबकि चिराग गुप्ता ने इस पैसे से एक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भी बनाई, जिसे ईडी ने अटैच कर लिया है। ईडी ने जिन संपत्तियों को कुर्क किया है, उनमें करनाल में दो घर, गुरुग्राम में दो फ्लैट, करनाल के निस्सिंग में फैक्ट्री, मशीनरी और जमीन, 10 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट 17.40 लाख रुपए की नकदी शामिल है। हरियाणा के करनाल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बैंक धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में 50 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क कर दी है। मामला श्री हरिहर ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जिसने फर्जीवाड़ा कर पंजाब नेशनल बैंक को 121.75 करोड़ रुपए की चपत लगाई थी। ईडी ने राजेश कुमार, चिराग गुप्ता, गौतम गुप्ता, अशोक कुमार और अमित कुमार गुप्ता की चल-अचल संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत अटैच कर लिया है। इसमें करनाल और गुरुग्राम में घर, फैक्ट्री, जमीन, मशीनरी और बैंक में जमा रकम भी शामिल है। कैसे हुआ 121.75 करोड़ का घोटाला? ईडी ने इस मामले की जांच सीबीआई नई दिल्ली द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में सामने आया कि श्री हरिहर ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (SHHOPL) के निदेशकों ने 2013 से 2019 के बीच फर्जी तरीके से बैंक से लोन लिया और इसे गबन कर लिया। इसके लिए कंपनी ने जाली बैलेंस शीट और वित्तीय दस्तावेज तैयार किए। लोन के बदले गिरवी रखी गई मशीनरी और स्टॉक को गुपचुप तरीके से बेच दिया, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ। बैंक से लोन लिया, पैसा इधर-उधर घुमाया और संपत्ति अपने नाम कर ली ईडी की जांच में पता चला कि कंपनी के डायरेक्टर राजेश कुमार ने इस पूरी साजिश को अंजाम दिया। उसने लोन के पैसों को सतीवा ग्लोबल एक्सपोर्ट्स और सुपीरियर सॉयल प्रोडक्ट्स नाम की कंपनियों के खातों में घुमाया, जो खुद राजेश कुमार के कंट्रोल में थीं। इस पूरे खेल में राजेश कुमार ने अपने परिवार वालों और कई अन्य लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया, ताकि पैसों का सही सोर्स छिपाया जा सके। बैंक से धोखाधड़ी करने के बाद राजेश कुमार ने एक और चाल चली। उसने बैंक की ई-नीलामी में उन्हीं गिरवी रखी गई संपत्तियों को खरीद लिया, जिन पर पहले से बैंक का लोन था। इस तरह, उसने न केवल बैंक को करोड़ों का चूना लगाया, बल्कि लोन की रकम से अपनी कंपनियों के नाम पर प्रॉपर्टी भी बना ली। बेटों के नाम फ्लैट, एफडी में भी निवेश किया इंवेस्टिगेशन में यह भी सामने आया कि राजेश कुमार के बेटों, चिराग गुप्ता और गौतम गुप्ता ने भी इस घोटाले से फायदा उठाया। इन दोनों ने गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट खरीदा, जबकि चिराग गुप्ता ने इस पैसे से एक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भी बनाई, जिसे ईडी ने अटैच कर लिया है। ईडी ने जिन संपत्तियों को कुर्क किया है, उनमें करनाल में दो घर, गुरुग्राम में दो फ्लैट, करनाल के निस्सिंग में फैक्ट्री, मशीनरी और जमीन, 10 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट 17.40 लाख रुपए की नकदी शामिल है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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गुरुग्राम में जाट वोटर्स ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन:प्रत्याशियों का जोर अपनी जाति के वोटरों पर; वोटर भी तलाश रहे विकल्प
गुरुग्राम में जाट वोटर्स ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन:प्रत्याशियों का जोर अपनी जाति के वोटरों पर; वोटर भी तलाश रहे विकल्प हरियाणा में लोकसभा चुनाव हों या फिर किसान आंदोलन जाट वोटर्स बीजेपी से हमेशा ही दूरी बनाते आया है। वैसे भी कई चुनाव जाट वर्सेज गैर जाट हुए और उसका पूरा फायदा बीजेपी ने उठाया है। गुरुग्राम, बादशाहपुर, पटौदी व सोहना-तावडू विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जाट वोटर्स ने टेंशन बढ़ा रखी है। कांग्रेस प्रत्याशी भी जाट को लुभाने में सफल नहीं हो रहे तो वोटर भी विकल्प पर मंथन करने में जुट गए हैं। गुरुग्राम विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पंजाबी चेहरे मोहित ग्रोवर पर दांव लगाया है। चुनाव के चंद दिन पहले ही पैराशूट के जरिए कांग्रेस में एंट्री करने वाले मोहित अभी तक अपने पंजाबी समाज तक ही सिमटे हुए हैं। वहीं उनकी पैराशूट एंट्री से कांग्रेस में टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया, पंकज डावर, कुलदीप कटारिया, कुलराज कटारिया सहित अन्य नेता के सपनों पर पानी फिर गया। पंकज डावर अब जिला मीडिया कॉडिनेटर की जिम्मेदारी निभाते हुए ग्रोवर के साथ जरूर नजर आ रहे हैं, लेकिन बाकी नेताओं ने दूरी बना रखी है। गुरुग्राम में करीब 40 हजार जाट वोटर हैं और कांग्रेस के जाट नेताओं को अभी तक ग्रोवर अपने साथ नहीं कर पाए हैं। इसी के चलते जाट समाज अब कांग्रेस के विकल्प पर विचार कर रहा है। बादशाहपुर सीट की बात करें तो यहां से कांग्रेस ने यूथ वर्धन यादव को चुनावी रण में उतारा है, तो वह भी यादव वोटर्स को ही साधने में लगे हैं। जबकि बीजेपी की तरफ से पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह मैदान में हैं। यहां यादव वोटर्स बंटना तय है। मेयर की चुनाव की तैयारी कर रहे कुलदीप कटारिया पहले बादशाहपुर में काफी सक्रिय थे, लेकिन अभी तक वर्धन यादव के साथ वह नजर नहीं आए हैं। इसी के चलते यहां के जाट वोट में आप प्रत्याशी बीर सिंह राणा सेंधमारी कर रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी कुमुदनी दौलताबाद भी इसी बिरादरी से आती हैं, लेकिन अभी तक वह कुछ सोसायटी तक ही सीमित हैं। उनका प्रचार सुस्त रफ्तार से चल रहा है लेकिन जाट होने के चलते कुछ वोट वह भी हासिल कर सकती हैं।
सोहना-तावडू में गुर्जर वोट तक सिमटे प्रत्याशी सोहना-तावडू सीट की बात करें तो यह गुर्जर बाहुल्य है और चुनावी रण में कांग्रेस के रोहताश खटाना, बीजेपी के तेजपाल तंवर, इनेलो-बसपा के सुंदर भड़ाना, आप पार्टी से धर्मेंद्र खटाना, जजपा-आसपा से बिनेश गुर्जर हैं। सभी गुर्जर समाज से आते हैं और यह सभी अपने समाज को अपने पाले में करने के अभियान में जुटे हुए हैं। इसके चलते गुर्जर वोट इन सभी के खाते में जाना तय है। मुस्लिम वोटर भी यहां पर निर्णायक है और चुनावी रण में जावेद अहमद और अताउल्ला खान शामिल हैं। जावेद की समाज में मजबूत पकड़ है और इसी के चलते वह इस सीट के बाजीगर भी साबित हो सकते हैं। यहां जाट वोटर सीमित है लेकिन उसकी ओर किसी की नजर नहीं है। राजपूत वोटर्स के जरिए निर्दलीय कल्याण सिंह चौहान ताल ठोंक रहे लेकिन उनको कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। आरक्षित पटौदी सीट पर भी कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट नहीं
पटौदी सीट से कांग्रेस ने पर्ल चौधरी को मैदान में उतारा है, तो बीजेपी ने पूर्व विधायक विमला चौधरी पर दांव लगाया है। कई पोस्टर्स में कांग्रेस प्रत्याशी के साथ ही पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की फोटो गायब है, सोशल मीडिया पर यह तेजी से वायरल हो रही है। इसके चलते यहां पर कांग्रेस गुटबाजी में उलझी नजर आ रही है। इस सीट पर भी जाट वोटर्स को भी तक साधने की कोशिश नहीं की गई। बीजेपी के पूर्व विधायक सत्यप्रकाश जरावता पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर के करीबी हैं लेकिन केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने उनकी टिकट पर कैंची चलाकर इंसाफ मंच की पदाधिकारी व पूर्व विधायक विमला चौधरी को टिकट दिला दी। इसके चलते बीजेपी से 37 साल से जुड़े बड़े दलित चेहरे सुमेर सिंह तंवर ने इंद्रजीत पर तीखे प्रहार करते हुए पार्टी छोड़ दी। वहीं जरावता भी नाराज हैं और यह विमला चौधरी को भारी पड़ सकता है। ग्रोवर बोले- पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया संभाल रहे ऑफिस का काम
गुरुग्राम में एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है इसमें मोहित ग्रोवर मीडिया कर्मी के सवाल का जवाब देते हुए कह रहे हैं कि पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया उनके ऑफिस का काम संभाल रहे हैं। इसके बाद से कटारिया समर्थक खासे नाराज हैं और सभी ने ग्रोवर से दूरी बना ली है। बड़ी संख्या में नाराज लोग अब निर्दलीय प्रत्याशी नवीन गोयल के साथ भी नजर आने लगे हैं।
सिवानी में पुलिस ने बरामद की 1.5 करोड़ की राशि:गाड़ी में ले जा रहा था व्यापारी, पुलिस को मिली गुप्त सूचना
सिवानी में पुलिस ने बरामद की 1.5 करोड़ की राशि:गाड़ी में ले जा रहा था व्यापारी, पुलिस को मिली गुप्त सूचना भिवानी जिले के सिवानी के मुख्य बाजार में पुलिस ने शनिवार को गुप्त सूचना के आधार पर एक कार से करीब डेढ़ करोड़ रूपए बरामद किया। पुलिस को सूचना मिली की भारी मात्रा में एक कार में नगदी राशि ले जाई जा रही है। जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नगदी राशि जब्त कर ली। साथ ही पुलिस ने मौके पर FST टीम को बुलाकर पैसे को थाने भेजवाया। जहां उसकी गिनती हुई तो कुल डेढ़ करोड़ राशि पाई गई। अब पुलिस इस मामले की छानबीन में जुट गई है। जब्त राशि की हुई गिनती जानकारी के अनुसार पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर शहर के मुख्य बाजार में मंडी मोड़ पर एक गाड़ी को रूकवाया। गाड़ी की जांच की तो पाया कि गाड़ी में भारी मात्रा में पैसे है। पैसे दो बैगों में भरे थे। पुलिस ने मौके पर FST की टीम को भी बुला लिया। पैसे जब्त करके जब पुलिस थाने में टीम ने पैसों की गिनती की तो करीब 1.5 करोड़ रुपए मिले। तीन लोगों ने साथ निकाला बैंक से पैसा कार्यवाहक थाना प्रभारी निकेश ने बताया की पुलिस ने सूचना के आधार पर कार की जांच की तो दो बैगों से 1.5 करोड़ रुपए मिला है। पैसा तीन व्यापारियों का बताया जा रहा है। पुलिस जांच में लग गई है। वहीं व्यापारी मांगे राम ने बताया की सिवानी में दो दिन पहले एक व्यापारी से लूट की घटना हुई थी। इसी के डर से तीन व्यापारी इकट्ठा होकर सिवानी के आई सी आई सी बैंक से पैसा निकलवा कर लाए थे। पैसा बैंक से फैक्ट्री ले कर जा रहे थे, लेकिन बैंक से 500 मीटर दूरी पर ही पैसा पकड़ लिया गया। बैंक से लिखवा कर टीम को पत्र दे दिया गया है।
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा ने हार के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि ओवर कांफिडेंट में गलती हुई। कांग्रेस ओवर कांफिडेंस में रही और भाजपा ग्राउंड पर काम करती रही। वहीं भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में सफल रही और कांग्रेस इस ओर ध्यान नहीं दे पाई। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान पर भी सवाल उठाए। सीट बंटवारे पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि ठीक से बंटवारा नहीं हुआ। सीटिंग विधायकों को टिकट देने के निर्णय को भी गलत बताया और कहा कि जहां सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी होती है, तो विधायकों के खिलाफ भी होती है। पूर्व गृह मंत्री एवं कांग्रेसी वरिष्ठ नेता सुभाष बत्तरा से बातचीत प्रश्न : हार का क्या कारण मानते हैं?
सुभाष बत्तरा : पहली बात तो यह कि मैं इस चुनाव को निष्पक्ष चुनाव भी नहीं मानता। साढ़े 9 बजे तक जब तक बैलेट पेपर की काउंटिंग हो रही थी, तो हम 73-74 पर लीड कर रहे थे। जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो पासा एक दम पलट गया। मेरा मानना है कि 20-30 विधानसभा में, जहां जीटी बेल्ट के हल्के जिनमें ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज थी। वहां-वहां एक तरफा बीजेपी की जीत दिखाई। जहां 60-65 प्रतिशत बैटरी थी, वहां कांग्रेस है। दूसरा, सोशल इंजीनियरिंग में भाजपा कामयाब रही है। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में थे, हमने इस पर गौर नहीं किया और वर्किंग नहीं की। ओबीसी व एससी कार्ड को अपने पक्ष में करने में भाजपा कामयाब रही। उन्होंने कुमारी सैलजा के नाम को भी कैच करने की कोशिश की। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में रहे और भाजपा ग्राउंड लेवल पर काम करती रही। यह भाजपा को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी सीटें उनकी आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो जाट मतदाता है, उन्होंने तो कई इलाकों में बहुत कम प्रतिशत वोट पोल की। सोनीपत जाट बहुल्य एरिया है, वहां 6 में से 5 सीट हम हमने हारी है। बहादुरगढ़ की सीट बड़े मार्जन से हारी है। इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं, यह कहने में कोई हानि नहीं कि (राहुल जी ने भी यह कहा कि ऐसा लगता है कि) पार्टी हित से ज्यादा अपने निजी हितों को साधा गया है। कांग्रेस लीडरशिप को इस पर मंथन करना पड़ेगा। प्रश्न : टिकट बंटवारे को लेकर काफी चर्चा थी कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने चहेतों को भी टिकट दिलाई है? सुभाष बत्तरा : मैं एक बात से बिल्कुल स्पष्ट हूं कि अगर 5 साल किसी राज हो तो हम उसे भी एंटी इनकंबेंसी करते हैं। कोई भी सरकार व पार्टी लोगों उम्मीदों पर 100 प्रतिशत काम नहीं कर पाती। इसी तरह से जो एमएलए 2 बार बन गया, उसकी भी एंटी इनकंबेंसी होती है। आपने सर्वेयर किस लिए रखे और सीटिंग गेटिंग (सीटिंग विधायकों को टिकट देना) का मतलब क्या रहा। सर्वे रिपोर्ट को फेंक दें। जो 2-3 बार विधायक बना है और लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है तो उसका सीटिंग का क्या मतलब। यह बहुत गलत निर्णय था। कांग्रेस की टिकट मिलने वाले सीटिंग विधायकों में से आधे से ज्यादा हारे हैं। यह फार्मूला गलत था और पार्टी आलाकमान को मंथन करना पड़ेगा और सोचना पड़ेगा। गलत लोगों को टिकट दी गई, इसके पीछे कारण क्या रहे। प्रश्न : चुनाव के दौरान भाजपा ने कुमारी सैलजा के मुद्दे को उठाया, वह चाहे उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का मामला हो या फिर सीएम बनाने का। इसका कितना असर पड़ा है? सुभाष बत्तरा : भाजपा एससी वोटबैंक को कैच करने में सफल रही। हम उस मुद्दे को डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। सैलजा बहनजी ने तो यह बयान दिया था कि “मेरे पिताजी भी तिरंगे में गए और मैं भी तिरंगे में जाऊंगी”। उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिए। लेकिन देर हो चुकी थी। इसलिए एससी वोटबैंक वह डायवर्सिफाई हो गया था। बीजेपी इस मुद्दे को कैच करने में कामयाब रही। प्रश्न : हरियाणा में पहली दफा ऐसा हुआ है कि कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही और भाजपा की जीत का कारण क्या मानते हैं? सुभाष बत्तरा : इसका कारण पर तो क्या कह सकता हैं। प्रजातंत्र है और लोगों का जनमत है। जो जीता वह सिकंदर। अब हम कुछ भी कहते रहे, लेकिन जो खामिया हैं, उनको ढूंढना पड़ेगा। असली हार तो कार्यकर्ता की हुई है। जो जमीनी व बूथ लेवल पर लड़ता है। यह मंथन का विषय है। प्रश्न : रिजल्ट से पहले हर कोई कह रहा था कि कांग्रेस बहुमत से आ रही है और तैयारियां भी उसी तरह से चल रही थी। क्या कारण रहा कि रिजल्ट में इतना फेरबदल हुआ? सुभाष बत्तरा : भाजपा वाले भी 30 से ऊपर सीट नहीं मान रहे थे। यह तो आश्चर्यचकित नतीजे हैं। कुछ-ना-कुछ इन्होंने 20-30 सीटों पर ईवीएम को सेट व हैक किया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी तैयारी में हैं। मैं भी इस पर विधि वक्ताओं से सलाह कर रहा हूं। प्रश्न : जातिगत बात करें तो सबसे बड़ा वोट बैंक जाटों का माना जाता है, उसको भी साधने में क्यों सफल नहीं रहे? सुभाष बत्तरा : सीटिंग गेटिंग का फार्मूला। कर्ण दलाल 25 हजार से ज्यादा से हार आए, इसका मतलब क्या है। बहादुरगढ़ की सीट पर तीन बार के विधायक राजेंद्र जून 40 हजार से अधिक मार्जन कैसे हो गया। गन्नौर की सीट पर क्या हाल हुआ। उन्होंने राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि किरण चौधरी को निपटाने के लिए पता नहीं क्या-क्या व्यूह रचना की। किरण चौधरी के जाने से भिवानी की सभी सीटों पर क्या हाल हुआ। उस पर मंथन की जरूरत है। हरियाणा एक छोटा राज्य जरूर है, लेकिन इसका असर पूरे देश में हैं। एक माह के बाद महाराष्ट्र के चुनाव हैं, वहां भी इसका असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश साथ लगता राज्य हैं, वहां भी उपचुनाव में इसका असर पड़ेगा। पंजाब राज्य की भी सीमा लगती है। दिल्ली भी बॉर्डर स्टेट है, उसके भी दो माह बाद चुनाव हैं। इसलिए आज पार्टी लीडरशिप आज तिलमिला रही है और गुस्से में है कि पार्टी हित से ज्यादा निजी हितों को तवज्जो दी। यह पहले समझ नहीं आ रही थी। लोकसभा में टिकटों का बंटवारा कैसे किया। खुद कर रहे हैं कि 90 में से 72 सीटें एक सिस्टम के तहत दी, आपको उस समय सोचने का मौका नहीं थी। क्यों विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही है और इस हार से दुखी है। आलाकमान को पहले भी समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। हम भी हताश होकर बैठ गए।