<p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News:</strong> सरकार एक ओर बेहतर शिक्षा घर-घर तक पहुंचने के लिए सब पढ़ें सब बढ़ें का नारा दे रही है, लेकिन इस नारे से हटकर शिक्षा की एक अनोखी अलख कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर आनंदेश्वर धाम के प्रांगण में गंगा के घाट पर जलाई जा रही है. सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में शिक्षित करने वाले शहर के कुछ ऐसे लोग जो कभी सरकारी अफसर हुआ करते थे या अभी किसी सरकारी संस्थान में कार्यरत हैं. बेसहारा बच्चों के लिए नई राह की पाठशाला लगा रहे हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे गंगा की धारा को पार कर गंगा के कटरी क्षेत्र से आते हैं. गंगा के घाट पर पढ़ाई करते हैं न पैसों की समस्या न कॉपी किताबों की दिक्कत यहां इन बच्चों को शिक्षा के साथ मिलती है हर मुमकिन सहायता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक नई राह नाम की संस्था कानपुर में गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और शिक्षित करने की कवायत कर रहा है. सैकड़ों की संख्या में बच्चे गंगा नदी के पार से नांव पर सवार होकर शहर की ओर आते हैं. दअरसल, सरकारी स्कूलों में दी जाना वाली शिक्षा के स्तर में और भी ज्यादा इजाफा करने और बच्चों को कल का भविष्य बनाने के लिए एक गरीब लड़के नितिन ने इसकी शुरुआत की थी. तकरीबन दस साल पहले नितिन की आर्थिक स्थित खराब थी. मां दूसरों के घरों में चौका बर्तन किया करती थी जिसके चलते नितिन ने अपनी शिक्षा कई अभावों में पूरी की. उसी दिन से संकल्प लिया कि वो गरीब और बेसहारा बच्चों को शिक्षित करेगा. तभी से इस नई और अनोखी अलख जगी, आज गंगा के घाट और सैकड़ों बच्चों की पाठशाला लगने लगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-yogi-adityanath-cabinet-approved-new-excise-policy-2025-26-desi-bear-2878239″>यूपी में शराब के शौकीनों के लिए बड़ी खबर, अब एक जगह मिलेगी देसी, विदेशी और बियर! योगी सरकार का बड़ा फैसला</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं बच्चे</strong><br />कानून की पढ़ाई कराने वाली विधि विद्यालय की रिटायर प्रिंसिपल, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर, निजी स्कूलों में पढ़ने शिक्षक और इसी पाठशाला में अपनी पढ़ाई कर ग्रेजुएट हो चुकी है. बच्चियां अब बड़ी और शिक्षित होकर तमाम नन्हे मुन्नों को आज पढ़ा रही है. कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के बच्चों को शिक्षित किया जाता है, यहां तक कि बच्चों की पढ़ाई का पूरा बीड़ा यहां पढ़ने और पढ़ाने वाले सभी लोग लिए हुए हैं. पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं. किसी-किसी के घर में दो वक्त की रोटी भी उपलब्ध नहीं होती तो किसी के पास सर छिपाने के लिए छत भी नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>किसी के मां बाप दूसरों से मांगकर अपना पेट भरते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों में कुछ करने और भविष्य में कुछ बनने का जस्बा है. कोई आईएएस बनाना चाहता है तो कोई शिक्षक. ख्वाहिशें तमाम है और उसे पूरा करने की कोशिशें भी तमाम. फिलहाल गंगा के घाट पर आयोजित इस पाठशाला से अब तमाम लोग जुड़ रहे हैं. अपना हाथ बढ़ा रहे हैं और इन बच्चों के भविष्य को बनाने के लिए एक कदम बढ़ा रहे हैं. जल्द ही इन बच्चों में कोई भविष्य का नेता होगा, कोई अधिकारी होगा, कोई शिक्षक होगा और ऐसी अनोखी अलख सरकार के प्रयासों को और मजबूत करती है. साथ ही इन बच्चों को पढ़ाने वालो की कोशिशें बच्चों के बेहतर भविष्य का खाका तैयार कर रहे हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News:</strong> सरकार एक ओर बेहतर शिक्षा घर-घर तक पहुंचने के लिए सब पढ़ें सब बढ़ें का नारा दे रही है, लेकिन इस नारे से हटकर शिक्षा की एक अनोखी अलख कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर आनंदेश्वर धाम के प्रांगण में गंगा के घाट पर जलाई जा रही है. सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में शिक्षित करने वाले शहर के कुछ ऐसे लोग जो कभी सरकारी अफसर हुआ करते थे या अभी किसी सरकारी संस्थान में कार्यरत हैं. बेसहारा बच्चों के लिए नई राह की पाठशाला लगा रहे हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे गंगा की धारा को पार कर गंगा के कटरी क्षेत्र से आते हैं. गंगा के घाट पर पढ़ाई करते हैं न पैसों की समस्या न कॉपी किताबों की दिक्कत यहां इन बच्चों को शिक्षा के साथ मिलती है हर मुमकिन सहायता.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक नई राह नाम की संस्था कानपुर में गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और शिक्षित करने की कवायत कर रहा है. सैकड़ों की संख्या में बच्चे गंगा नदी के पार से नांव पर सवार होकर शहर की ओर आते हैं. दअरसल, सरकारी स्कूलों में दी जाना वाली शिक्षा के स्तर में और भी ज्यादा इजाफा करने और बच्चों को कल का भविष्य बनाने के लिए एक गरीब लड़के नितिन ने इसकी शुरुआत की थी. तकरीबन दस साल पहले नितिन की आर्थिक स्थित खराब थी. मां दूसरों के घरों में चौका बर्तन किया करती थी जिसके चलते नितिन ने अपनी शिक्षा कई अभावों में पूरी की. उसी दिन से संकल्प लिया कि वो गरीब और बेसहारा बच्चों को शिक्षित करेगा. तभी से इस नई और अनोखी अलख जगी, आज गंगा के घाट और सैकड़ों बच्चों की पाठशाला लगने लगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-yogi-adityanath-cabinet-approved-new-excise-policy-2025-26-desi-bear-2878239″>यूपी में शराब के शौकीनों के लिए बड़ी खबर, अब एक जगह मिलेगी देसी, विदेशी और बियर! योगी सरकार का बड़ा फैसला</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं बच्चे</strong><br />कानून की पढ़ाई कराने वाली विधि विद्यालय की रिटायर प्रिंसिपल, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर, निजी स्कूलों में पढ़ने शिक्षक और इसी पाठशाला में अपनी पढ़ाई कर ग्रेजुएट हो चुकी है. बच्चियां अब बड़ी और शिक्षित होकर तमाम नन्हे मुन्नों को आज पढ़ा रही है. कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के बच्चों को शिक्षित किया जाता है, यहां तक कि बच्चों की पढ़ाई का पूरा बीड़ा यहां पढ़ने और पढ़ाने वाले सभी लोग लिए हुए हैं. पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं. किसी-किसी के घर में दो वक्त की रोटी भी उपलब्ध नहीं होती तो किसी के पास सर छिपाने के लिए छत भी नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>किसी के मां बाप दूसरों से मांगकर अपना पेट भरते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों में कुछ करने और भविष्य में कुछ बनने का जस्बा है. कोई आईएएस बनाना चाहता है तो कोई शिक्षक. ख्वाहिशें तमाम है और उसे पूरा करने की कोशिशें भी तमाम. फिलहाल गंगा के घाट पर आयोजित इस पाठशाला से अब तमाम लोग जुड़ रहे हैं. अपना हाथ बढ़ा रहे हैं और इन बच्चों के भविष्य को बनाने के लिए एक कदम बढ़ा रहे हैं. जल्द ही इन बच्चों में कोई भविष्य का नेता होगा, कोई अधिकारी होगा, कोई शिक्षक होगा और ऐसी अनोखी अलख सरकार के प्रयासों को और मजबूत करती है. साथ ही इन बच्चों को पढ़ाने वालो की कोशिशें बच्चों के बेहतर भविष्य का खाका तैयार कर रहे हैं.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड बिहार के स्कूलों में मिड-डे मील को लेकर ACS सिद्धार्थ ने शिक्षकों को दी अहम जिम्मेदारी, जानें पूरी डिटेल
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