अमेरिका से डिपोर्ट हुए 104 भारतीय में से एक युवक गुरदासपुर का भी है, जिसकी पहचान गांव हरदोरवाल का रहने वाले जसपाल सिंह भी है। जसपाल बुधवार रात लगभग 9 बजे अपने गांव पहुंचे। वो बताते हैं कि प्लेन में उनके हाथों में हथकड़ियां थी, पैरों में चेन बंधे थे। प्लेन में जब उन लोगों बिठाया जा रहा था तो उन्हें नहीं बताया गया कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। किसी से भी बात नहीं करने दी गई। उनको खाने के लिए फल, पानी और चिप्स दिए। हथकड़ियां लगाकर ही खाना खाने दिया। जब वे लोग बाथरूम जाते थे तो अमेरिकी सैनिक उनके साथ जाते थे और वहीं खड़े रहते थे। जब उन्होंने अमेरिकी सैनिकों से सवाल किया तो बस उन्होंने ये ही बोला कि बाहर तक ले जा रहे हैं बस। 45 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया
जसपाल सिंह 45 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया था। उसने बताया कि अगस्त 2022 में वह पहले विजिटर वीजा पर इंग्लैंड गया, जहां दो साल मजदूरी की। फिर 2024 में स्पेन चला गया, जहां एक एजेंट ने उसे अमेरिका पहुंचाने का वादा किया। जसपाल ने बताया कि वह यूरोप से ब्राजील पहुंच गया, जहां एजेंट ने उसे अमेरिका भेजने के लिए पनामा के जंगलों में डंकियों के पास भेज दिया। 6 महीने वह पनामा जंगलों के रास्ते अलग-अलग बॉर्डर क्रॉस करता रहा। उसने बताया कि पनामा के जंगलों में उसने बहुत मुश्किल समय गुजारा है क्योंकि डंकी करवाने वाले आप्रवासियों के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार करते हैं। उन्होंने हमारे साथ बुरी तरह से मारपीट की। उसके ग्रुप में लोग थे, जिनमें महिलाएं भी शामिल थी, उनके साथ भी बहुत बुरा व्यवहार किया। उसने कई लोगों के शव रास्ते में पड़े देखे है। कई लोगों के कंकाल अभी भी वहां जंगलों में पड़े हुए थे और उनके परिवार अभी भी उनकी ठीक में बगल में बैठे थे। रास्ते में शव पड़े थे, हाथ में कड़ा
जसपाल सिंह ने बताया कि उसने रास्ते में दो शव ऐसे देखे थे, जिनके हाथों में कड़ा पहना हुआ था, जिससे लगता था कि वह पंजाब के रहने वाले हैं और तीन महिलाओं के शव भी देखे। उसने बताया कि रास्ते में एक बार वह भी पानी में डूब चला था, लेकिन पानी के बहाव के कारण में एक पत्थर के जरिए फिर से पानी से निकल आया, जिसके चलते उसके बांए हाथ में चोट लग गई थी। 20 जनवरी को वह अमेरिका बॉर्डर पर पहुंच गया था, जहां से उसे अमेरिका की बॉर्डर फोर्स ने पकड़ लिया और 11 दिन उसे अमेरिका के आर्मी कैंप में रखा गया। जहां उनसे पूछताछ की गई और बाद में 3 फरवरी को उन्हें वापस भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। उसने बताया कि उन्हें अमेरिका आर्मी के विमान में हथकड़ियां लगाकर मुंह पर मास्क लगाकर विमान बिठा दिया गया था। तब उन्हें ऐसा लग रहा था कि उसे किसी दूसरे कैंप में शिफ्ट किया जा रहा है। 4 फरवरी की शाम को उन्होंने एक आर्मी ऑफिसर से पूछा कि उन्हें कहां लेकर जाया जा रहा तो उसने बताया कि उन्हें भारत भेजा जा रहा है। 10 साल पहले हुई थी शादी
रास्ते में विमान में उन्हें खाने के लिए फल, पानी और चिप्स दिए जाते थे। जब वह 5 फरवरी को अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनकी हथकड़ियां खोली गई। अमृतसर एयरपोर्ट पर अलग-अलग एजेंसियों ने उन्हें घेर लिया और 5 से 6 घंटे तक उनसे पूछताछ की गई। देर रात 9 बजे पंजाब पुलिस ने उन्हें घर पर छोड़ गई, जिसके बाद वह अपने परिवार से मिला है। जसपाल सिंह, जो अब फतेहगढ़ चूड़ियां में रहता है, की शादी गुरप्रीत कौर से 10 साल पहले हुई थी और उसके दो बच्चे हैं। अमेरिका से डिपोर्ट हुए 104 भारतीय में से एक युवक गुरदासपुर का भी है, जिसकी पहचान गांव हरदोरवाल का रहने वाले जसपाल सिंह भी है। जसपाल बुधवार रात लगभग 9 बजे अपने गांव पहुंचे। वो बताते हैं कि प्लेन में उनके हाथों में हथकड़ियां थी, पैरों में चेन बंधे थे। प्लेन में जब उन लोगों बिठाया जा रहा था तो उन्हें नहीं बताया गया कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। किसी से भी बात नहीं करने दी गई। उनको खाने के लिए फल, पानी और चिप्स दिए। हथकड़ियां लगाकर ही खाना खाने दिया। जब वे लोग बाथरूम जाते थे तो अमेरिकी सैनिक उनके साथ जाते थे और वहीं खड़े रहते थे। जब उन्होंने अमेरिकी सैनिकों से सवाल किया तो बस उन्होंने ये ही बोला कि बाहर तक ले जा रहे हैं बस। 45 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया
जसपाल सिंह 45 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया था। उसने बताया कि अगस्त 2022 में वह पहले विजिटर वीजा पर इंग्लैंड गया, जहां दो साल मजदूरी की। फिर 2024 में स्पेन चला गया, जहां एक एजेंट ने उसे अमेरिका पहुंचाने का वादा किया। जसपाल ने बताया कि वह यूरोप से ब्राजील पहुंच गया, जहां एजेंट ने उसे अमेरिका भेजने के लिए पनामा के जंगलों में डंकियों के पास भेज दिया। 6 महीने वह पनामा जंगलों के रास्ते अलग-अलग बॉर्डर क्रॉस करता रहा। उसने बताया कि पनामा के जंगलों में उसने बहुत मुश्किल समय गुजारा है क्योंकि डंकी करवाने वाले आप्रवासियों के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार करते हैं। उन्होंने हमारे साथ बुरी तरह से मारपीट की। उसके ग्रुप में लोग थे, जिनमें महिलाएं भी शामिल थी, उनके साथ भी बहुत बुरा व्यवहार किया। उसने कई लोगों के शव रास्ते में पड़े देखे है। कई लोगों के कंकाल अभी भी वहां जंगलों में पड़े हुए थे और उनके परिवार अभी भी उनकी ठीक में बगल में बैठे थे। रास्ते में शव पड़े थे, हाथ में कड़ा
जसपाल सिंह ने बताया कि उसने रास्ते में दो शव ऐसे देखे थे, जिनके हाथों में कड़ा पहना हुआ था, जिससे लगता था कि वह पंजाब के रहने वाले हैं और तीन महिलाओं के शव भी देखे। उसने बताया कि रास्ते में एक बार वह भी पानी में डूब चला था, लेकिन पानी के बहाव के कारण में एक पत्थर के जरिए फिर से पानी से निकल आया, जिसके चलते उसके बांए हाथ में चोट लग गई थी। 20 जनवरी को वह अमेरिका बॉर्डर पर पहुंच गया था, जहां से उसे अमेरिका की बॉर्डर फोर्स ने पकड़ लिया और 11 दिन उसे अमेरिका के आर्मी कैंप में रखा गया। जहां उनसे पूछताछ की गई और बाद में 3 फरवरी को उन्हें वापस भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। उसने बताया कि उन्हें अमेरिका आर्मी के विमान में हथकड़ियां लगाकर मुंह पर मास्क लगाकर विमान बिठा दिया गया था। तब उन्हें ऐसा लग रहा था कि उसे किसी दूसरे कैंप में शिफ्ट किया जा रहा है। 4 फरवरी की शाम को उन्होंने एक आर्मी ऑफिसर से पूछा कि उन्हें कहां लेकर जाया जा रहा तो उसने बताया कि उन्हें भारत भेजा जा रहा है। 10 साल पहले हुई थी शादी
रास्ते में विमान में उन्हें खाने के लिए फल, पानी और चिप्स दिए जाते थे। जब वह 5 फरवरी को अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनकी हथकड़ियां खोली गई। अमृतसर एयरपोर्ट पर अलग-अलग एजेंसियों ने उन्हें घेर लिया और 5 से 6 घंटे तक उनसे पूछताछ की गई। देर रात 9 बजे पंजाब पुलिस ने उन्हें घर पर छोड़ गई, जिसके बाद वह अपने परिवार से मिला है। जसपाल सिंह, जो अब फतेहगढ़ चूड़ियां में रहता है, की शादी गुरप्रीत कौर से 10 साल पहले हुई थी और उसके दो बच्चे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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