पर्ल ग्रुप के 45,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज हो गई है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने पर्ल सिटी मोहाली और पर्ल्स सिटी/पर्ल्स टाउनशिप विलेज बोखारा और गिलपट्टी, बठिंडा के सभी आवंटियों को अपने दस्तावेज जमा कराने का आखिरी मौका दिया है। उन्हें 10 फरवरी तक अपने दस्तावेज जमा कराने होंगे। आवंटियों को अपने दस्तावेज जैसे सेल एग्रीमेंट, सेल डीड, पेमेंट प्रूफ और बैंक स्टेटमेंट आदि सत्यापन के लिए भेजने होंगे। इस मामले की जांच के लिए एक फर्म नियुक्त की गई है, लोग इन दस्तावेजों को ईमेल या पोस्ट के जरिए 505-ए, 5वीं मंजिल, आयत-1, डिस्ट्रिक्ट सेंटर, साकेत, नई दिल्ली पर शाम 5 बजे तक भेज सकेंगे। 2016 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला यह मामला वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में पर्ल सिटी के अलॉटियों ने अक्टूबर 2024 में अर्जी लगाई थी कि हमारे अधिकारों की रक्षा की जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से ऑडिट के आदेश दिए थे। अब ऑडिट रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी गई है। पर्ल सिटी मोहाली रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव जसपाल सिंह ने बताया कि प्लॉट मालिक का मामला वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अब 788 अलॉटियों का रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिया गया है। पांच महीने पहले निर्मल सिंह भंगू की मौत हुई थी पर्ल ग्रुप के मालिक और इस घोटाले के मास्टरमाइंड निर्मल सिंह भंगू को जनवरी 2016 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था। तब से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था। पांच महीने पहले 5 अगस्त 2024 को उसकी मौत हो गई। वह लंबे समय से बीमार था। उस समय उसकी बेटी बरिंदर कौर भंगू ने कहा था कि पीएसीएल लिमिटेड और पीजीएफ लिमिटेड के हर निवेशक को मेरा आश्वासन है कि मैं आपके अधिकारों की रक्षा करने का कोई मौका नहीं छोड़ूंगी और जब तक आप सभी को भुगतान नहीं मिल जाता, मैं हमेशा आपके हितों की रक्षा करूंगी। 1980 में खोली अपनी कंपनी 70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने कुछ साल मशहूर निवेश कंपनी पर्ल्स में काम किया। इसके बाद वे हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगे, जिसने निवेशकों से करोड़ों रुपए ठगे। इस कंपनी के बंद होने के बाद वे बेरोजगार हो गए। इस कंपनी में काम करने के ख्याल से उन्होंने 1980 में पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (PGF) नाम से कंपनी बनाई। गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर इस कंपनी ने भी लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के बागानों में निवेश करवाया और कुछ समय बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा किया। 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। आयकर और दूसरी जांचों के चलते कंपनी बंद हो गई। विदेश में बनाया अपना साम्राज्य इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। पर्ल ग्रुप के 45,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज हो गई है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने पर्ल सिटी मोहाली और पर्ल्स सिटी/पर्ल्स टाउनशिप विलेज बोखारा और गिलपट्टी, बठिंडा के सभी आवंटियों को अपने दस्तावेज जमा कराने का आखिरी मौका दिया है। उन्हें 10 फरवरी तक अपने दस्तावेज जमा कराने होंगे। आवंटियों को अपने दस्तावेज जैसे सेल एग्रीमेंट, सेल डीड, पेमेंट प्रूफ और बैंक स्टेटमेंट आदि सत्यापन के लिए भेजने होंगे। इस मामले की जांच के लिए एक फर्म नियुक्त की गई है, लोग इन दस्तावेजों को ईमेल या पोस्ट के जरिए 505-ए, 5वीं मंजिल, आयत-1, डिस्ट्रिक्ट सेंटर, साकेत, नई दिल्ली पर शाम 5 बजे तक भेज सकेंगे। 2016 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला यह मामला वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में पर्ल सिटी के अलॉटियों ने अक्टूबर 2024 में अर्जी लगाई थी कि हमारे अधिकारों की रक्षा की जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से ऑडिट के आदेश दिए थे। अब ऑडिट रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी गई है। पर्ल सिटी मोहाली रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव जसपाल सिंह ने बताया कि प्लॉट मालिक का मामला वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अब 788 अलॉटियों का रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिया गया है। पांच महीने पहले निर्मल सिंह भंगू की मौत हुई थी पर्ल ग्रुप के मालिक और इस घोटाले के मास्टरमाइंड निर्मल सिंह भंगू को जनवरी 2016 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था। तब से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था। पांच महीने पहले 5 अगस्त 2024 को उसकी मौत हो गई। वह लंबे समय से बीमार था। उस समय उसकी बेटी बरिंदर कौर भंगू ने कहा था कि पीएसीएल लिमिटेड और पीजीएफ लिमिटेड के हर निवेशक को मेरा आश्वासन है कि मैं आपके अधिकारों की रक्षा करने का कोई मौका नहीं छोड़ूंगी और जब तक आप सभी को भुगतान नहीं मिल जाता, मैं हमेशा आपके हितों की रक्षा करूंगी। 1980 में खोली अपनी कंपनी 70 के दशक में भंगू नौकरी की तलाश में कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने कुछ साल मशहूर निवेश कंपनी पर्ल्स में काम किया। इसके बाद वे हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने लगे, जिसने निवेशकों से करोड़ों रुपए ठगे। इस कंपनी के बंद होने के बाद वे बेरोजगार हो गए। इस कंपनी में काम करने के ख्याल से उन्होंने 1980 में पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (PGF) नाम से कंपनी बनाई। गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर इस कंपनी ने भी लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के बागानों में निवेश करवाया और कुछ समय बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा किया। 1996 तक कंपनी ने करोड़ों रुपए जुटा लिए। आयकर और दूसरी जांचों के चलते कंपनी बंद हो गई। विदेश में बनाया अपना साम्राज्य इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से एक नई कंपनी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PACL) की शुरुआत की। ये एक चेन सिस्टम स्कीम्स थी। कंपनी के दिए बड़े मुनाफे के दावों और वादों के लालच में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। पंजाब | दैनिक भास्कर
![पर्ल ग्रुप घोटाला:10 फरवरी तक दस्तावेज सबमिट करने होंगे:788 आवंटियों का रिकॉर्ड SC में, जांच के लिए विशेष फर्म नियुक्त; 45 हजार करोड़ का हेरफेर](https://images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2025/02/07/untitled_1738904133.jpg)