पांच महीने में मछलियों का बढ़ जाता है 1.5 किलो वजन, नालंदा में जीविका दीदियां ऐसे बन रही आत्मनिर्भर

पांच महीने में मछलियों का बढ़ जाता है 1.5 किलो वजन, नालंदा में जीविका दीदियां ऐसे बन रही आत्मनिर्भर

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jeevika Didis In Nalanda:</strong> बिहार के नालंदा में महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें जीविका की अहम भूमिका है. मछली पालन के जरिए जीविका से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है. पहले यह व्यवसाय पुरुष करते थे, लेकिन अब जीविका दीदियों ने इसे भी चुनौती देते हुए मत्स्य पालन में मजबूती से कम कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>10 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जिले के 8 तालाबों में 55 स्वयं सहायता समूह SHG की जीविका दीदियां मत्स्य पालन कर रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. जीविका के पशुधन प्रबंधक राजीव कुमार ने बताया है कि पिछले दो वर्षों में जीविका दीदियों ने कुल 15 लाख रुपये की मछली बेची जिससे 10 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है. मत्स्य पालन के इस सफल मॉडल को देखते हुए अगले वित्तीय वर्ष में 5 नए तालाबों के आवंटन के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अगर इन तालाबों का आवंटन हो जाता है तो इससे 25-30 और जीविका दीदियों को रोजगार का अवसर मिलेगा, जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिला प्रशासन के जरिए अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत 54 तालाबों को चिह्नित किया गया था, इनमें से कई तालाबों पर अतिक्रमण किया गया था, जिसे हटाने की कार्रवाई की जा रही है. गिरियक प्रखंड में जीविका के ग्राम संगठनों को तीन तालाब आवंटित किए गए थे, लेकिन उनमें से दो तालाब ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन जल्द ही इन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर जीविका समूह को सौंपने की योजना बना रही है, ताकि महिलाएं मत्स्य पालन कर आर्थिक लाभ कमा सकें. जीविका दीदियों की मेहनत का नतीजा यह है कि सिर्फ 5 महीने में मछलियों का वजन 1.5 किलो से ज्यादा हो गया है. 150 से लेकर 200 रुपये प्रति किलो की दर से मछलियों की बिक्री कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जीविका दीदियों ने बताया कि मछली पालन से जुड़ने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है, पहले उन्हें पैसों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब वे खुद आत्मनिर्भर हो गई हैं. जीविका के डीपीएम संजय पासवान ने बताया कि महिलाएं मछली पालन में शानदार काम कर रही हैं. अब उन्हें तालाब में बत्तख पालन का भी अवसर दिया जाएगा. इसके लिए योजना बनाई जा रही है, जिससे उनकी आमदनी और बढ़ेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/cm-nititsh-kumar-pragati-yatra-foundation-stone-of-bridge-laid-after-77-years-in-nawada-ann-2881415″>महागठबंधन के गढ़ में 77 साल बाद पुल का शिलान्यास, नवादा में CM ने की विकास कार्यों की बौछार</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jeevika Didis In Nalanda:</strong> बिहार के नालंदा में महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें जीविका की अहम भूमिका है. मछली पालन के जरिए जीविका से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है. पहले यह व्यवसाय पुरुष करते थे, लेकिन अब जीविका दीदियों ने इसे भी चुनौती देते हुए मत्स्य पालन में मजबूती से कम कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>10 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जिले के 8 तालाबों में 55 स्वयं सहायता समूह SHG की जीविका दीदियां मत्स्य पालन कर रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. जीविका के पशुधन प्रबंधक राजीव कुमार ने बताया है कि पिछले दो वर्षों में जीविका दीदियों ने कुल 15 लाख रुपये की मछली बेची जिससे 10 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है. मत्स्य पालन के इस सफल मॉडल को देखते हुए अगले वित्तीय वर्ष में 5 नए तालाबों के आवंटन के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अगर इन तालाबों का आवंटन हो जाता है तो इससे 25-30 और जीविका दीदियों को रोजगार का अवसर मिलेगा, जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिला प्रशासन के जरिए अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत 54 तालाबों को चिह्नित किया गया था, इनमें से कई तालाबों पर अतिक्रमण किया गया था, जिसे हटाने की कार्रवाई की जा रही है. गिरियक प्रखंड में जीविका के ग्राम संगठनों को तीन तालाब आवंटित किए गए थे, लेकिन उनमें से दो तालाब ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन जल्द ही इन तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर जीविका समूह को सौंपने की योजना बना रही है, ताकि महिलाएं मत्स्य पालन कर आर्थिक लाभ कमा सकें. जीविका दीदियों की मेहनत का नतीजा यह है कि सिर्फ 5 महीने में मछलियों का वजन 1.5 किलो से ज्यादा हो गया है. 150 से लेकर 200 रुपये प्रति किलो की दर से मछलियों की बिक्री कर रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जीविका दीदियों ने बताया कि मछली पालन से जुड़ने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है, पहले उन्हें पैसों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब वे खुद आत्मनिर्भर हो गई हैं. जीविका के डीपीएम संजय पासवान ने बताया कि महिलाएं मछली पालन में शानदार काम कर रही हैं. अब उन्हें तालाब में बत्तख पालन का भी अवसर दिया जाएगा. इसके लिए योजना बनाई जा रही है, जिससे उनकी आमदनी और बढ़ेगी.</p>
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