पंजाब राज्य सूचना आयोग को आज दो नए सूचना आयुक्त मिले हैं। पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें शपथ दिलाई। इनमें एडवोकेट हरप्रीत संधू और पूजा गुप्ता शामिल है। शपथ ग्रहण समारोह का संचालन पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने किया। 27 जनवरी को जारी किए थे आदेश पंजाब सरकार द्वारा 27 जनवरी, 2025 को एडवोकेट हरप्रीत संधू और पूजा गुप्ता की नियुक्ति को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया था। इन नियुक्तियों से राज्य सूचना आयोग के कार्य में अधिक पारदर्शिता आएगी और इसे और अधिक सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी। इससे आयोग के कामों में तेजी आएगी। साथ ही लोगों के काम पहल के आधार पर होंगे। संधू वकील तो पूजा गुप्ता है समाजसेविका बता दें कि, एडवोकेट हरप्रीत संधू एक प्रतिष्ठित वकील हैं। इससे पहले वे पंजाब के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल के रूप में सेवा दे चुके हैं। वे पंजाब इन्फोटेक के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं और उन्होंने विधि अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जबकि पूजा गुप्ता एक समाजसेविका और शिक्षा शास्त्री हैं। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक कल्याण के प्रति समर्पण के कारण उन्होंने पूरे क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है। पंजाब राज्य सूचना आयोग को आज दो नए सूचना आयुक्त मिले हैं। पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने उन्हें शपथ दिलाई। इनमें एडवोकेट हरप्रीत संधू और पूजा गुप्ता शामिल है। शपथ ग्रहण समारोह का संचालन पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने किया। 27 जनवरी को जारी किए थे आदेश पंजाब सरकार द्वारा 27 जनवरी, 2025 को एडवोकेट हरप्रीत संधू और पूजा गुप्ता की नियुक्ति को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया था। इन नियुक्तियों से राज्य सूचना आयोग के कार्य में अधिक पारदर्शिता आएगी और इसे और अधिक सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी। इससे आयोग के कामों में तेजी आएगी। साथ ही लोगों के काम पहल के आधार पर होंगे। संधू वकील तो पूजा गुप्ता है समाजसेविका बता दें कि, एडवोकेट हरप्रीत संधू एक प्रतिष्ठित वकील हैं। इससे पहले वे पंजाब के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल के रूप में सेवा दे चुके हैं। वे पंजाब इन्फोटेक के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं और उन्होंने विधि अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जबकि पूजा गुप्ता एक समाजसेविका और शिक्षा शास्त्री हैं। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक कल्याण के प्रति समर्पण के कारण उन्होंने पूरे क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
पटियाला में 2 युवकों की डूबने से मौत:मौसेरे भाई को बचाने के लिए दूसरे ने लगाई छलांग, भाखड़ा में उतारने वाले 3 दोस्त अरेस्ट
पटियाला में 2 युवकों की डूबने से मौत:मौसेरे भाई को बचाने के लिए दूसरे ने लगाई छलांग, भाखड़ा में उतारने वाले 3 दोस्त अरेस्ट पटियाला में तैरना न जानने के बावजूद एक युवक को उसके दोस्तों ने भाखड़ा नहर में नहाने के लिए उतार दिया। नहर में उतरने वाले 19 साल के गुरदास को बचाने के लिए उसका मौसेरा भाई अर्शदीप सिंह भी नहर में उतर गया। भाई को बचाने की कोशिश में अर्शदीप सिंह भी डूब गया, इन दोनों की डेड बॉडी नहर से बाहर निकालने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपी दोस्तों के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर कर ली। पुलिस ने मृतक गुरदास सिंह के पिता जसविंदर सिंह के स्टेटमेंट पर निर्मल सिंह, हरदीप सिंह और मनवीर सिंह वासी संगरूर को अरेस्ट कर लिया है। आरोपी बोले समझा कि दोस्त मजाक कर रहा एफआईआर के अनुसार आईटीआई की पढ़ाई करने वाला गुरदास सिंह 26 जून को पेपर देने गया था, जिसके साथ उसकी मौसी का बेटा अर्शदीप सिंह भी था। गुरदास ने अपने पिता को फोन करके बताया कि सुबह के सेशन का एग्जाम हो गया और अब शाम को पेपर देना है। इस दौरान दोनों भाई अपने तीनों दोस्तों के साथ भाखड़ा नहर पहुंचे, जहां पर बाकी नहाने लगे तो गुरदास ने कहा कि वह तैरना नहीं जानता है। इसके बाद भी आरोपियों ने उसे जबरन नहर में उतार दिया, जहां पर उसे डूबते देख अर्शदीप सिंह ने बचाने की कोशिश की थी लेकिन वह भी डूब गया। अरेस्ट किए आरोपियों ने कहा कि उन्होंने समझा कि गुरदास मजाक कर रहा है। थाना घग्गा के एसएचओ दर्शन सिंह ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लेंगे ताकि घटना की सच्चाई पता चल सके।
मनमोहन सिंह के स्मारक का विवाद गरमाया:सिद्धू बोले- केंद्र ने परंपरा तोड़ी, राष्ट्रपति को लिखा पत्र, राजघाट पर स्थापित करने की मांग
मनमोहन सिंह के स्मारक का विवाद गरमाया:सिद्धू बोले- केंद्र ने परंपरा तोड़ी, राष्ट्रपति को लिखा पत्र, राजघाट पर स्थापित करने की मांग पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक राजघाट पर स्थापित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों का स्मारक बनाया गया है। जबकि मनमोहन सिंह के स्मारक को इनकार क्यों किया जा रहा है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि मुझे विश्वास है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए आपकी बुद्धिमत्ता और प्रतिबद्धता आपके कार्यों का मार्गदर्शन करेगी। दो पेज के पत्र में उन्होंने कई चीजों को गंभीरता से उठाया है। नवजोत सिंह सिद्धू ने पत्र में मुख्य रूप से इन प्वाइंट्स को उठाया है – 1. सिद्धू ने पत्र में कहा है कि जैसे कि आप जानते हैं गुलजारी लाल नंदा जैसे कार्य-वाहक प्रधान मंत्रियों सहित सभी पूर्व प्रधान मंत्रियों को उनके योगदान के सम्मान में स्मारक बनाए गए हैं। इनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के लिए शांति वन, लाल बहादुर शास्त्री के लिए विजय घाट, इंदिरा गांधी के लिए शक्ति स्थल, राजीव गांधी के लिए वीर भूमि और अटल बिहारी वाजपेयी के लिए सदा अटल शामिल हैं। राजघाट परिसर इन सभी नेताओं के लिए चुना गया विश्राम स्थल रहा है, जो हमारी लोकतांत्रिक विरासत के भंडार के रूप में इसकी पवित्रता को दर्शाता है। 2. यह परंपरा तब स्पष्ट रूप से टूट गई जब डॉ. मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, एक ऐसा स्थान जहां किसी अन्य प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है, और उनकी उल्लेखनीय विरासत को याद करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। यह देखना चिंताजनक है कि परंपरा से यह विचलन स्पष्ट असुरक्षा और राजनीतिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है। स्मारकों की स्थापना कोई पक्षपातपूर्ण मुद्दा नहीं है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने और इसके भाग्य को आकार देने वालों को सम्मानित करने का कार्य है। एक अर्थशास्त्री, राजनेता और नेता के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता। जिन्होंने एक दशक के परिवर्तनकारी विकास और वैश्विक एकीकरण के माध्यम से मार्गदर्शन किया। 3. यहां यह बताना उचित होगा कि पीवी नरसिम्हा राव जैसे प्रधानमंत्री, जिनका अंतिम संस्कार दिल्ली के बाहर हुआ था, उनका भी हैदराबाद में ज्ञान भूमि जैसे स्मारक से सम्मानित किया गया है। इसलिए डॉ. सिंह के स्मारक के संबंध में निष्क्रियता इस चूक के पीछे के उद्देश्यों पर सवाल उठाती है। 4. नेताओं को स्मारकों से सम्मानित करना भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार का अभिन्न अंग रहा है, जो राजनीतिक मतभेदों से परे है। वीपी सिंह जैसे उल्लेखनीय अपवाद, जिनका कोई स्मारक नहीं है, उनके परिवार से भी आलोचना हुई है। यह उपेक्षा डॉ. मनमोहन सिंह तक नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। जिनकी विरासत इतनी महत्वपूर्ण है कि उसे नजर अंदाज या राजनीतिक नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस और अकाली दल शुरू से उठा रहे हैं सवाल देश के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए राजघाट पर जगह न देने का मामला गरमाया हुआ है। पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस सांसदों ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह केंद्र का सिखों के साथ सौतेला व्यवहार है। अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल ने कहा कि परिवार की मांग को ठुकराकर केंद्र सरकार ने उन्हें चौंका दिया है। यह मांग देश की परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों के अनुरूप थी। केंद्र के इस फैसले के चलते अब डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सामान्य श्मशान घाट (निगम बोध घाट) पर किया गया। हालांकि भाजपा ने कहा था कि स्मारक स्थापित किया जाएगा।
लुधियाना में शिव सेना नेता पर FIR:जरनैल भिंडरावाला की तस्वीर से छेड़छाड़, फेसबुक पर पोस्ट कर किया धार्मिक भावनाओं को आहत
लुधियाना में शिव सेना नेता पर FIR:जरनैल भिंडरावाला की तस्वीर से छेड़छाड़, फेसबुक पर पोस्ट कर किया धार्मिक भावनाओं को आहत पंजाब के लुधियाना में बीते दिन शिव सेना समाजवादी के सदस्य पर पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला दर्ज किया है। पुलिस को जानकारी देते सुरजीत सिंह ने आरोपी राणा रंधावा ने 11 जून को संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाला की तस्वीर गलत तरीके से अपने फेसबुक पर अपलोड करके सिख समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। शरारती लोग सिख धर्म को कर रहे टारगेट सुरजीत सिंह ने कहा कि सिख धर्म को अक्सर कुछ शरारती लोग टारगेट करते हैं ताकि पंजाब का माहौल खराब हो। लेकिन हिन्दू-सिख भाईचारा शरारती लोगों के बहकावे में आने वाला नहीं है। सुरजीत ने कहा कि आने वाले दिनों में यदि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा उसका विरोध किया जाएगा। सुरक्षा कर्मी वापस लेने के चक्कर पर हुई छेड़छाड़ सुरजीत ने कहा कि कुछ लोगों के सुरक्षा कर्मी पुलिस प्रशासन ने वापस लिए है। सुरक्षा कर्मियों की वापसी करवाने के चक्कर में भी कुछ शरारती लोग माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है। कुछ शरारती लोग सिक्योरिटी के चक्कर में लोगों को ब्लेकमेल करते है। आरोपी राणा के खिलाफ पुलिस थाना हैबोवाल के बाहर नारेबाजी भी की गई।