राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्या ने संसद में पंचायतीराज व्यवस्था में सुधार की पुरजोर वकालत की। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लॉक प्रमुख के चुनाव को प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से कराने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। पंचायतीराज सुधार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सांसद अमरपाल मौर्या ने अपने संबोधन में कहा कि 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से पंचायतीराज व्यवस्था की शुरुआत हुई थी। इसके बाद कई सुधार हुए, जिनमें अशोक मेहता समिति (1978) और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2005) की सिफारिशें भी शामिल हैं। हालांकि, अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से ही होता आ रहा है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही प्रभावित होती है। प्रत्यक्ष चुनाव से लोकतंत्र होगा मजबूत सांसद ने कहा कि वर्तमान में देश के 787 जिलों और लगभग 6000 ब्लॉकों में पंचायतों का संचालन हो रहा है। जहां लगभग 7000 प्रमुख प्रतिनिधि अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। यदि इन पदों पर जनता सीधे मतदान करे, तो लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ेगी और जनप्रतिनिधि जनता के प्रति अधिक जवाबदेह होंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एक राष्ट्र, एक चुनाव” नीति का जिक्र करते हुए कहा कि यह विचारधारा लोकतंत्र को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा होगा तो राजनीतिक परिवारवाद और धनबल की राजनीति पर रोक लगेगी। इससे नए और योग्य युवाओं को राजनीति में आने का अवसर मिलेगा। प्रत्यक्ष चुनाव से ये होंगे फायदे सरकार से की मांग अमरपाल मौर्या ने राज्यसभा में मांग की कि पंचायतीराज व्यवस्था में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराया जाए, ताकि यह लोकतंत्र को और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बना सके। उन्होंने सरकार से इस विषय पर गंभीरता से विचार करने और आवश्यक संवैधानिक संशोधन लाने की अपील की। राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्या ने संसद में पंचायतीराज व्यवस्था में सुधार की पुरजोर वकालत की। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लॉक प्रमुख के चुनाव को प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से कराने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। पंचायतीराज सुधार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सांसद अमरपाल मौर्या ने अपने संबोधन में कहा कि 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से पंचायतीराज व्यवस्था की शुरुआत हुई थी। इसके बाद कई सुधार हुए, जिनमें अशोक मेहता समिति (1978) और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2005) की सिफारिशें भी शामिल हैं। हालांकि, अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से ही होता आ रहा है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही प्रभावित होती है। प्रत्यक्ष चुनाव से लोकतंत्र होगा मजबूत सांसद ने कहा कि वर्तमान में देश के 787 जिलों और लगभग 6000 ब्लॉकों में पंचायतों का संचालन हो रहा है। जहां लगभग 7000 प्रमुख प्रतिनिधि अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। यदि इन पदों पर जनता सीधे मतदान करे, तो लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ेगी और जनप्रतिनिधि जनता के प्रति अधिक जवाबदेह होंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एक राष्ट्र, एक चुनाव” नीति का जिक्र करते हुए कहा कि यह विचारधारा लोकतंत्र को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा होगा तो राजनीतिक परिवारवाद और धनबल की राजनीति पर रोक लगेगी। इससे नए और योग्य युवाओं को राजनीति में आने का अवसर मिलेगा। प्रत्यक्ष चुनाव से ये होंगे फायदे सरकार से की मांग अमरपाल मौर्या ने राज्यसभा में मांग की कि पंचायतीराज व्यवस्था में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराया जाए, ताकि यह लोकतंत्र को और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बना सके। उन्होंने सरकार से इस विषय पर गंभीरता से विचार करने और आवश्यक संवैधानिक संशोधन लाने की अपील की। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
अमरपाल ने की पंचायती राज व्यवस्था में सुधार की वकालत:जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने की मांग उठाई
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