अमेरिका से डिपोर्ट हुए गुरदासपुर के 2 चचेरे भाई:45-45 लाख खर्च कर गए थे, जमीन-जायदाद बेची, एजेंट ने नकली आईडी बनाई

अमेरिका से डिपोर्ट हुए गुरदासपुर के 2 चचेरे भाई:45-45 लाख खर्च कर गए थे, जमीन-जायदाद बेची, एजेंट ने नकली आईडी बनाई

अमेरिका से भेजे गए दूसरे विमान में 119 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जिनमें पंजाब के 67 लोग शामिल हैं। इनमें से गुरदासपुर के गांव खानोवाल के दो चचेरे भाई हरजोत सिंह और हरजीत सिंह है। दोनों भाइयों ने अपना घर और दो एकड़ जमीन बेचकर, प्रति व्यक्ति 45 लाख रुपए खर्च किए और अवैध तरीके से (डंकी लगाकर) अमेरिका पहुंचे। अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए हरजीत सिंह ने बताया कि पनामा के जंगलों में उनके साथ काफी मारपीट हुई और डंकर उन्हें पिस्तौल दिखाकर धमकाते थे कि अगर वह नहीं चले तो उन्हें मार दिया जाएगा। जहाज में भी उन्हें बेड़ियों से बांधकर लाया गया और अमेरिकन आर्मी वाले धमकाते थे कि अगर किसी ने कोई आवाज निकाली तो उन्हें एक बक्से में 4 घंटे के लिए बंद कर दिया जाएगा। हरजीत सिंह ने बताया कि उसका चचेरा हरजोत सिंह को काफी कुछ सहना पड़ा है। उसने बताया कि उन्हें कोलंबिया से अमेरिका नेपाल की नकली आईडी बना कर पनामा जंगलों से भेजा जा रहा था। हरजोत सिंह की उम्र 21 वर्ष थी, लेकिन एजेंट ने उसकी आईडी में उसकी उम्र 35 साल कर दी थी। उन्होंने इसका विरोध भी किया था, लेकिन एजेंट नहीं माना। जब वह जा रहे थे तो हरजोत सिंह रास्ते में पकड़ा गया, लेकिन वह वहां से निकल गया था। हरजोत सिंह को वहां पर गिरफ्तार कर लिया गया और हथकड़ी लगाकर उसे कैंप में लेकर जा रहे थे तो हरजोत सिंह आर्मी को चकमा देकर वहां से फरार हो गया। डिप्रेशन में गया हरजोत सिंह
पनामा के जंगलों दो दिन घूमता रहा तब उसके साथ काफी हादसे हुए उसे काफी चोटें भी लग गई थी, लेकिन बाद में वह फिर पकड़ा गया। जिसे फिर कैंप में भेज दिया गया और हम दोनों को वहां से डिपोर्ट कर दिया गया था। इस बात का उसके दिमाग पर गहरा सदमा लगा और उसकी आज यह हालत हुई है कि वह डिप्रेशन में है और किसी से कोई बातचीत नहीं कर रहा। वही हरजीत सिंह की माता गुरप्रीत कौर ने बताया कि दोनों परिवारों में 45- 45 लाख रुपए खर्च दोनों बेटों को अमेरिका भेजा था। तब एजेंट से बात हुई थी कि एक नंबर में इन्हें भेजा जाएगा, लेकिन एजेंट धोखा कर गया और बच्चों को दो नंबर में पनामा जंगलों के जरिए डंकी लगाकर भेजा जा रहा था। जब वह अमेरिका बॉर्डर पर पहुंचे तो वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और आज उन्हें वापस घर भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि सब कुछ बेच कर पैसे इकट्ठे कर उन्होंने भेजा था। अब उनके पास कुछ नहीं बचा। वह सारी जिंदगी इस सदमे से उभर नहीं पाएंगे। उन्होंने मांग किया कि पंजाब और केंद्र सरकार इन एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और इन एजेंटों से उन्हें पैसा दिलाया जाए ताकि वह आगे की अपनी जिंदगी गुजार सकें। परिवार ने बताया कि दोनों भाई देर रात घर पहुंचे थे। अमेरिका से भेजे गए दूसरे विमान में 119 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जिनमें पंजाब के 67 लोग शामिल हैं। इनमें से गुरदासपुर के गांव खानोवाल के दो चचेरे भाई हरजोत सिंह और हरजीत सिंह है। दोनों भाइयों ने अपना घर और दो एकड़ जमीन बेचकर, प्रति व्यक्ति 45 लाख रुपए खर्च किए और अवैध तरीके से (डंकी लगाकर) अमेरिका पहुंचे। अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए हरजीत सिंह ने बताया कि पनामा के जंगलों में उनके साथ काफी मारपीट हुई और डंकर उन्हें पिस्तौल दिखाकर धमकाते थे कि अगर वह नहीं चले तो उन्हें मार दिया जाएगा। जहाज में भी उन्हें बेड़ियों से बांधकर लाया गया और अमेरिकन आर्मी वाले धमकाते थे कि अगर किसी ने कोई आवाज निकाली तो उन्हें एक बक्से में 4 घंटे के लिए बंद कर दिया जाएगा। हरजीत सिंह ने बताया कि उसका चचेरा हरजोत सिंह को काफी कुछ सहना पड़ा है। उसने बताया कि उन्हें कोलंबिया से अमेरिका नेपाल की नकली आईडी बना कर पनामा जंगलों से भेजा जा रहा था। हरजोत सिंह की उम्र 21 वर्ष थी, लेकिन एजेंट ने उसकी आईडी में उसकी उम्र 35 साल कर दी थी। उन्होंने इसका विरोध भी किया था, लेकिन एजेंट नहीं माना। जब वह जा रहे थे तो हरजोत सिंह रास्ते में पकड़ा गया, लेकिन वह वहां से निकल गया था। हरजोत सिंह को वहां पर गिरफ्तार कर लिया गया और हथकड़ी लगाकर उसे कैंप में लेकर जा रहे थे तो हरजोत सिंह आर्मी को चकमा देकर वहां से फरार हो गया। डिप्रेशन में गया हरजोत सिंह
पनामा के जंगलों दो दिन घूमता रहा तब उसके साथ काफी हादसे हुए उसे काफी चोटें भी लग गई थी, लेकिन बाद में वह फिर पकड़ा गया। जिसे फिर कैंप में भेज दिया गया और हम दोनों को वहां से डिपोर्ट कर दिया गया था। इस बात का उसके दिमाग पर गहरा सदमा लगा और उसकी आज यह हालत हुई है कि वह डिप्रेशन में है और किसी से कोई बातचीत नहीं कर रहा। वही हरजीत सिंह की माता गुरप्रीत कौर ने बताया कि दोनों परिवारों में 45- 45 लाख रुपए खर्च दोनों बेटों को अमेरिका भेजा था। तब एजेंट से बात हुई थी कि एक नंबर में इन्हें भेजा जाएगा, लेकिन एजेंट धोखा कर गया और बच्चों को दो नंबर में पनामा जंगलों के जरिए डंकी लगाकर भेजा जा रहा था। जब वह अमेरिका बॉर्डर पर पहुंचे तो वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और आज उन्हें वापस घर भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि सब कुछ बेच कर पैसे इकट्ठे कर उन्होंने भेजा था। अब उनके पास कुछ नहीं बचा। वह सारी जिंदगी इस सदमे से उभर नहीं पाएंगे। उन्होंने मांग किया कि पंजाब और केंद्र सरकार इन एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और इन एजेंटों से उन्हें पैसा दिलाया जाए ताकि वह आगे की अपनी जिंदगी गुजार सकें। परिवार ने बताया कि दोनों भाई देर रात घर पहुंचे थे।   पंजाब | दैनिक भास्कर