UP में गंगा समेत 11 नदियों में चलेंगे क्रूज-कार्गो:ट्रेन से भी 30 पैसे सस्ती होगी माल ढुलाई, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

UP में गंगा समेत 11 नदियों में चलेंगे क्रूज-कार्गो:ट्रेन से भी 30 पैसे सस्ती होगी माल ढुलाई, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

गंगा के बाद अब प्रदेश की राजधानी के बीच से निकली गोमती, यमुना, घाघरा (सरयू), बेतवा, चंबल सहित 10 और नदियों में क्रूज और माल वाहक जहाज दिखें तो आश्चर्य नहीं होगा। प्रदेश में हाईवे और एक्सप्रेस-वे के नेटवर्क के बाद सरकार नदियों को जल परिवहन के रूप में विकसित करने की तैयारी में है। इससे पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, सड़क मार्ग की तुलना में 1.20 रुपए और ट्रेन की तुलना में 30 पैसे प्रति टन, प्रति किलोमीटर माल ढुलाई सस्ती पड़ेगी। पिछले दिनों प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने 23 जनवरी, 2025 को वाराणसी में अपने मौजूदा उप-कार्यालय को पूर्ण क्षेत्रीय कार्यालय बनाने की मंजूरी दी है। इसी क्षेत्रीय कार्यालय के तहत प्रदेश की सभी नदियों के जलमार्ग आएंगे। देश के पहले जलमार्ग गंगा का प्रोजेक्ट कितना सफल हुआ? सड़क व ट्रेन की तुलना में नदियों के रास्ते माल ढुलाई कितना सस्ता पड़ेगा? प्राधिकरण बनाने से क्या फर्क पड़ेगा? पढ़िए ये रिपोर्ट… क्रूज पर्यटन के साथ माल ढुलाई का खुलेगा नया विकल्प यूपी सरकार ने पहले चरण में गंगा के बाद 10 और नदियों को जलमार्ग के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में ऐसी 30 नदियां हैं, जिन्हें जल मार्ग के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इस बजट में जलमार्गों के विकास और प्राधिकरण के लिए अलग से बजट की घोषणा हो सकती है। जलमार्गों के विकास के लिए विश्व बैंक भी सहयोग दे रहा है। इसके अलावा नदियों के माध्यम से माल ढुलाई करने पर केंद्र सरकार ने भी 35 प्रतिशत की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। यूपी के कई प्रमुख शहर और धार्मिक स्थल नदियों के तट पर हैं। जलमार्ग का विकास होने पर इन नदियों में क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर तलाशे जाएंगे। इसके अलावा एक शहर से दूसरे शहर में माल की सस्ती ढुलाई की जा सकेगी। यही कारण है कि प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी। इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण में कौन होगा? प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वित्त, लोक निर्माण, परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव पदेन सदस्य होंगे। एक अन्य सदस्य भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) का प्रतिनिधि होगा, जिसे IWAI का अध्यक्ष नामित किया जाएगा। परिवहन आयुक्त, यूपी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। अध्यक्ष मुख्यमंत्री या परिवहन मंत्री को नामित किया जाएगा। अंतर्देशीय जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेवीगेशन, पोर्टस, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाला कोई व्यक्ति भी इसका अध्यक्ष बन सकता है। जबकि उपाध्यक्ष राज्य सरकार की ओर से नामित इंटरनेशनल जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेविगेशन, पोर्ट्स, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित विशेषज्ञों में से कोई एक होगा। प्राधिकरण ही जलमार्ग के विकास से लेकर व्यापारिक गतिविधियों, बैठकें, प्राधिकरण के कोरम, लेखापरीक्षा से संबंधित मामले, प्राधिकरण की वार्षिक लेखा रिपोर्ट, प्राधिकरण के स्वामित्व और भूमि संपत्ति संबंधित सब कुछ उसके अधिकार क्षेत्र में होगा। नदियों को जलमार्ग के तौर पर विकसित करने के फायदे सवाल… नदियों में कितना पानी हो कि कार्गो चलाया जा सके इसे वाराणसी से हल्दिया के बीच विकसित किए गए राष्ट्रीय जलमार्ग–1 के उदाहरण से समझा जा सकता है। किसी भी नदी में 300 मीट्रिक टन की क्षमता वाले कार्गो के लिए नदी की गहराई कम से कम 1.20 मीटर से अधिक होनी चाहिए। प्रयागराज से हल्दिया वाले गंगा राष्ट्रीय जलमार्ग के अलग–अलग हिस्सों में अलग–अलग गहराई है। बारिश के दिनों में गंगा में 16 से 25 मीटर तक की गहराई रहती है। अभी गंगा को 1500 से 2000 मीट्रिक टन क्षमता वाले जहाजों को चलाने के लिए विकसित किया गया है। तब 3000 मीट्रिक टन तक सामान से लदे जहाज आसानी से चल सकते है। ऐसे में माल ढुलाई और सस्ती पड़ेगी। गर्मियों के सीजन में जब गंगा का जलस्तर घट जाता है। तब भी प्रयागराज से चुनार के बीच (370 किमी) 1.20 से 1.50 मीटर न्यूनतम गहराई रहती है। बाढ़ से गाजीपुर के बीच (290 किमी) के बीच 2 मीटर, बाढ़ से फरक्का के बीच (400 किमी) और फरक्का से हल्दिया के बीच (560 किमी) 3 मीटर की गहराई रहती है। प्रदेश में पहले चरण के लिए चुनी गई 10 नदियों बेतवा, चंबल, गोमती, टोंस, वरुणा और गंडक, घाघरा, कर्मनाशा और यमुना में दो मीटर से अधिक गहराई में पानी रहता है। प्रदेश की 20 और नदियों में भी इसी तरह की गहराई है। उसे अगले चरण में जलमार्ग के तौर पर विकसित करने की कवायद होगी। प्रदेश की नदियों में एक बड़ी समस्या गर्मियों में आती है, जब जलस्तर घटने लगता है। तब कई जगह नदी के बीच में टीले आ जाते हैं। नदी में क्रूज या कार्गों को चलाने के लिए कम से कम 50 मीटर की चौड़ाई में एक मीटर से अधिक पानी रहना चाहिए। गंगा चैनल को तैयार करने के लिए 2024 में हैदराबाद की धरती ड्रेजिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को ठेका दिया गया था। इस कंपनी को रेत निकाल कर ढाई मीटर गहरा और 50 मीटर चौड़ा करने का काम सौंपा गया था। गंगा चैनल में माल ढुलाई 22 प्रतिशत की दर से बढ़ रही कोलकाता के हल्दिया से पेप्सिको 300 टन चिप्स 16 कंटेनर के साथ मालवाहक जहाज वाराणसी आ चुका है। वापसी में इस जहाज से इलाहाबाद से इफको का उर्वरक भेजा गया था। कार्गों से 40 टन धान की भूसी भी इलाहाबाद से कोलकाता भेजी जा चुकी है। इसके अलावा कोयला, जिप्सम, सीमेंट, रेत आदि की ढुलाई हो चुकी है। बिजली कंपनियों की मशीनरी भी कोलकाता से यहां तक लाई गई है। हल्दिया से वाराणसी के बीच ये जहाज 7 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की रफ्तार से 1420 किमी की दूरी 8 दिन में तय कर लेते हैं। गंगा चैनल के माध्यम से अप्रैल से नवंबर 2023 के बीच 82 लाख 21 हजार 960 मीट्रिक टन माल की ढुलाई हुई थी। अप्रैल से नवंबर 2024 में ये आंकड़ा बढ़कर 1 करोड़, 53 हजार 605 मीट्रिक टन पहुंच गया। मतलब सीधे तौर पर 22 प्रतिशत माल ढुलाई बढ़ गई। गंगा चैनल में क्रूज पर्यटन और जलमार्ग से माल ढुलाई आसान बनाने के लिए 3 मल्टी-मॉडल टर्मिनल वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में बनाए गए हैं। इसके अलावा कालूघाट में एक इंटर-मॉडल टर्मिनल और पश्चिम बंगाल के फरक्का में एक नया नौवहन लॉक बनाया गया है। स्थानीय यात्रियों, छोटे और सीमांत किसानों, कारीगरों और मछुआरा समुदायों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के चार राज्यों में 60 सामुदायिक जेट्‌टी (जहां से जहाज में माल लोड–अपलोड किया जाता है) बनाए जा रहे हैं। वाराणसी के रामनगर में मल्टी मॉडल टर्मिनल को ट्रेन से जोड़ने की तैयारी वाराणसी के रामनगर में 220 मीटर लंबे मल्टी मॉडल टर्मिनल का निर्माण किया गया है। इसमें चार मालवाहक जहाज एक साथ खड़े होकर माल का लदान और उतार कर सकते हैं। यहां जर्मनी की कंपनी के दो क्रेन लगे हैं। 150 फीट ऊंची ये क्रेन इतनी ताकतवर हैं कि टर्मिनल से खड़े–खड़े गंगा नदी के भीतर 34 मीटर की दूरी से 70 टन सामान उठा सकते हैं। एक क्रेन कंटेनर उठाने व रखने के लिए, जबकि दूसरा खुला सामान जैसे कोयला, रेत की ढुलाई या लदान करता है। इस टर्मिनल को ट्रेन से जोड़ने की तैयारी है। इसके लिए जिवननाथपुर रेलवे स्टेशन से रामनगर मल्टी टर्मिनल तक 10 किमी की रेलवे लाइन बिछाने की तैयारी है। इसका खाका पिछले दिनों जल परिवहन और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों की बैठक में खींचा गया है। इससे माल की ढुलाई का और सशक्त नेटवर्क तैयार हाे जाएगा। पर्यटन के लिए अभी रिवर क्रूज चलाया जा रहा है वाराणसी से हल्दिया के बीच जय गंगा विलास सहित कई पर्यटन क्रूज चलते रहते हैं। इसके अलावा वाराणसी में असि से नमोघाट तक रोज शाम को गंगा आरती के समय क्रूज का संचालन किया जाता है। अलखनंदा क्रूज 80 सीटर है। जबकि विवेकानंद क्रूज की क्षमता 100 सीटर है। इसका किराया 900 से 1000 रुपए के बीच का है। इसके अलावा वाराणसी से चुनार के बीच भी पर्यटकों की मांग पर क्रूज का संचालन किया जाता है। इसका किराया 1800 से 2000 रुपए का है। जबकि हल्दिया से वाराणसी के बीच पर्यटन क्रूज का संचालन बुकिंग के आधार पर होता है। इसका पैकेज 15 से 31 दिनों का है। किराया 4 से 6 लाख के बीच है। प्रदेश में गंगा के अलावा अन्य 10 नदियों में भी पर्यटकों की बुकिंग के अनुसार क्रूज का संचालन यूपी टूरिज्म विभाग के सहयोग से किया जाएगा। —————– ये खबर भी पढ़ें… 7 एक्सपर्ट ने बताया कैसा हो यूपी का बजट:कृषि-कारोबार पर फोकस, घरेलू महिलाओं को ट्रेनिंग; किसानों को मिले फ्री बिजली 20 फरवरी को प्रदेश का बजट पेश होगा। इस बार बजट का आकार करीब 8.50 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। बजट किसी भी सरकार की आर्थिक नीति का विश्लेषण है कि वह कितना जल्द डेवलपमेंट स्टेट बनना चाहता है। बजट इसका एक रोडमैप है। विशेषज्ञों की राय में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को आगे बढ़ना है तो बजट में 3 सेक्टर कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और कैपिटल स्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहिए। तभी हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले दो साल में 1 ट्रिलियन डालर तक ले जा पाएंगे। पढ़ें पूरी खबर… गंगा के बाद अब प्रदेश की राजधानी के बीच से निकली गोमती, यमुना, घाघरा (सरयू), बेतवा, चंबल सहित 10 और नदियों में क्रूज और माल वाहक जहाज दिखें तो आश्चर्य नहीं होगा। प्रदेश में हाईवे और एक्सप्रेस-वे के नेटवर्क के बाद सरकार नदियों को जल परिवहन के रूप में विकसित करने की तैयारी में है। इससे पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, सड़क मार्ग की तुलना में 1.20 रुपए और ट्रेन की तुलना में 30 पैसे प्रति टन, प्रति किलोमीटर माल ढुलाई सस्ती पड़ेगी। पिछले दिनों प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने 23 जनवरी, 2025 को वाराणसी में अपने मौजूदा उप-कार्यालय को पूर्ण क्षेत्रीय कार्यालय बनाने की मंजूरी दी है। इसी क्षेत्रीय कार्यालय के तहत प्रदेश की सभी नदियों के जलमार्ग आएंगे। देश के पहले जलमार्ग गंगा का प्रोजेक्ट कितना सफल हुआ? सड़क व ट्रेन की तुलना में नदियों के रास्ते माल ढुलाई कितना सस्ता पड़ेगा? प्राधिकरण बनाने से क्या फर्क पड़ेगा? पढ़िए ये रिपोर्ट… क्रूज पर्यटन के साथ माल ढुलाई का खुलेगा नया विकल्प यूपी सरकार ने पहले चरण में गंगा के बाद 10 और नदियों को जलमार्ग के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में ऐसी 30 नदियां हैं, जिन्हें जल मार्ग के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इस बजट में जलमार्गों के विकास और प्राधिकरण के लिए अलग से बजट की घोषणा हो सकती है। जलमार्गों के विकास के लिए विश्व बैंक भी सहयोग दे रहा है। इसके अलावा नदियों के माध्यम से माल ढुलाई करने पर केंद्र सरकार ने भी 35 प्रतिशत की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। यूपी के कई प्रमुख शहर और धार्मिक स्थल नदियों के तट पर हैं। जलमार्ग का विकास होने पर इन नदियों में क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर तलाशे जाएंगे। इसके अलावा एक शहर से दूसरे शहर में माल की सस्ती ढुलाई की जा सकेगी। यही कारण है कि प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी। इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण में कौन होगा? प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वित्त, लोक निर्माण, परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव पदेन सदस्य होंगे। एक अन्य सदस्य भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) का प्रतिनिधि होगा, जिसे IWAI का अध्यक्ष नामित किया जाएगा। परिवहन आयुक्त, यूपी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। अध्यक्ष मुख्यमंत्री या परिवहन मंत्री को नामित किया जाएगा। अंतर्देशीय जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेवीगेशन, पोर्टस, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाला कोई व्यक्ति भी इसका अध्यक्ष बन सकता है। जबकि उपाध्यक्ष राज्य सरकार की ओर से नामित इंटरनेशनल जलमार्ग, प्लेस्टेशन एवं नेविगेशन, पोर्ट्स, मैरीटाइम अफेयर्स से संबंधित विशेषज्ञों में से कोई एक होगा। प्राधिकरण ही जलमार्ग के विकास से लेकर व्यापारिक गतिविधियों, बैठकें, प्राधिकरण के कोरम, लेखापरीक्षा से संबंधित मामले, प्राधिकरण की वार्षिक लेखा रिपोर्ट, प्राधिकरण के स्वामित्व और भूमि संपत्ति संबंधित सब कुछ उसके अधिकार क्षेत्र में होगा। नदियों को जलमार्ग के तौर पर विकसित करने के फायदे सवाल… नदियों में कितना पानी हो कि कार्गो चलाया जा सके इसे वाराणसी से हल्दिया के बीच विकसित किए गए राष्ट्रीय जलमार्ग–1 के उदाहरण से समझा जा सकता है। किसी भी नदी में 300 मीट्रिक टन की क्षमता वाले कार्गो के लिए नदी की गहराई कम से कम 1.20 मीटर से अधिक होनी चाहिए। प्रयागराज से हल्दिया वाले गंगा राष्ट्रीय जलमार्ग के अलग–अलग हिस्सों में अलग–अलग गहराई है। बारिश के दिनों में गंगा में 16 से 25 मीटर तक की गहराई रहती है। अभी गंगा को 1500 से 2000 मीट्रिक टन क्षमता वाले जहाजों को चलाने के लिए विकसित किया गया है। तब 3000 मीट्रिक टन तक सामान से लदे जहाज आसानी से चल सकते है। ऐसे में माल ढुलाई और सस्ती पड़ेगी। गर्मियों के सीजन में जब गंगा का जलस्तर घट जाता है। तब भी प्रयागराज से चुनार के बीच (370 किमी) 1.20 से 1.50 मीटर न्यूनतम गहराई रहती है। बाढ़ से गाजीपुर के बीच (290 किमी) के बीच 2 मीटर, बाढ़ से फरक्का के बीच (400 किमी) और फरक्का से हल्दिया के बीच (560 किमी) 3 मीटर की गहराई रहती है। प्रदेश में पहले चरण के लिए चुनी गई 10 नदियों बेतवा, चंबल, गोमती, टोंस, वरुणा और गंडक, घाघरा, कर्मनाशा और यमुना में दो मीटर से अधिक गहराई में पानी रहता है। प्रदेश की 20 और नदियों में भी इसी तरह की गहराई है। उसे अगले चरण में जलमार्ग के तौर पर विकसित करने की कवायद होगी। प्रदेश की नदियों में एक बड़ी समस्या गर्मियों में आती है, जब जलस्तर घटने लगता है। तब कई जगह नदी के बीच में टीले आ जाते हैं। नदी में क्रूज या कार्गों को चलाने के लिए कम से कम 50 मीटर की चौड़ाई में एक मीटर से अधिक पानी रहना चाहिए। गंगा चैनल को तैयार करने के लिए 2024 में हैदराबाद की धरती ड्रेजिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को ठेका दिया गया था। इस कंपनी को रेत निकाल कर ढाई मीटर गहरा और 50 मीटर चौड़ा करने का काम सौंपा गया था। गंगा चैनल में माल ढुलाई 22 प्रतिशत की दर से बढ़ रही कोलकाता के हल्दिया से पेप्सिको 300 टन चिप्स 16 कंटेनर के साथ मालवाहक जहाज वाराणसी आ चुका है। वापसी में इस जहाज से इलाहाबाद से इफको का उर्वरक भेजा गया था। कार्गों से 40 टन धान की भूसी भी इलाहाबाद से कोलकाता भेजी जा चुकी है। इसके अलावा कोयला, जिप्सम, सीमेंट, रेत आदि की ढुलाई हो चुकी है। बिजली कंपनियों की मशीनरी भी कोलकाता से यहां तक लाई गई है। हल्दिया से वाराणसी के बीच ये जहाज 7 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की रफ्तार से 1420 किमी की दूरी 8 दिन में तय कर लेते हैं। गंगा चैनल के माध्यम से अप्रैल से नवंबर 2023 के बीच 82 लाख 21 हजार 960 मीट्रिक टन माल की ढुलाई हुई थी। अप्रैल से नवंबर 2024 में ये आंकड़ा बढ़कर 1 करोड़, 53 हजार 605 मीट्रिक टन पहुंच गया। मतलब सीधे तौर पर 22 प्रतिशत माल ढुलाई बढ़ गई। गंगा चैनल में क्रूज पर्यटन और जलमार्ग से माल ढुलाई आसान बनाने के लिए 3 मल्टी-मॉडल टर्मिनल वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में बनाए गए हैं। इसके अलावा कालूघाट में एक इंटर-मॉडल टर्मिनल और पश्चिम बंगाल के फरक्का में एक नया नौवहन लॉक बनाया गया है। स्थानीय यात्रियों, छोटे और सीमांत किसानों, कारीगरों और मछुआरा समुदायों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के चार राज्यों में 60 सामुदायिक जेट्‌टी (जहां से जहाज में माल लोड–अपलोड किया जाता है) बनाए जा रहे हैं। वाराणसी के रामनगर में मल्टी मॉडल टर्मिनल को ट्रेन से जोड़ने की तैयारी वाराणसी के रामनगर में 220 मीटर लंबे मल्टी मॉडल टर्मिनल का निर्माण किया गया है। इसमें चार मालवाहक जहाज एक साथ खड़े होकर माल का लदान और उतार कर सकते हैं। यहां जर्मनी की कंपनी के दो क्रेन लगे हैं। 150 फीट ऊंची ये क्रेन इतनी ताकतवर हैं कि टर्मिनल से खड़े–खड़े गंगा नदी के भीतर 34 मीटर की दूरी से 70 टन सामान उठा सकते हैं। एक क्रेन कंटेनर उठाने व रखने के लिए, जबकि दूसरा खुला सामान जैसे कोयला, रेत की ढुलाई या लदान करता है। इस टर्मिनल को ट्रेन से जोड़ने की तैयारी है। इसके लिए जिवननाथपुर रेलवे स्टेशन से रामनगर मल्टी टर्मिनल तक 10 किमी की रेलवे लाइन बिछाने की तैयारी है। इसका खाका पिछले दिनों जल परिवहन और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों की बैठक में खींचा गया है। इससे माल की ढुलाई का और सशक्त नेटवर्क तैयार हाे जाएगा। पर्यटन के लिए अभी रिवर क्रूज चलाया जा रहा है वाराणसी से हल्दिया के बीच जय गंगा विलास सहित कई पर्यटन क्रूज चलते रहते हैं। इसके अलावा वाराणसी में असि से नमोघाट तक रोज शाम को गंगा आरती के समय क्रूज का संचालन किया जाता है। अलखनंदा क्रूज 80 सीटर है। जबकि विवेकानंद क्रूज की क्षमता 100 सीटर है। इसका किराया 900 से 1000 रुपए के बीच का है। इसके अलावा वाराणसी से चुनार के बीच भी पर्यटकों की मांग पर क्रूज का संचालन किया जाता है। इसका किराया 1800 से 2000 रुपए का है। जबकि हल्दिया से वाराणसी के बीच पर्यटन क्रूज का संचालन बुकिंग के आधार पर होता है। इसका पैकेज 15 से 31 दिनों का है। किराया 4 से 6 लाख के बीच है। प्रदेश में गंगा के अलावा अन्य 10 नदियों में भी पर्यटकों की बुकिंग के अनुसार क्रूज का संचालन यूपी टूरिज्म विभाग के सहयोग से किया जाएगा। —————– ये खबर भी पढ़ें… 7 एक्सपर्ट ने बताया कैसा हो यूपी का बजट:कृषि-कारोबार पर फोकस, घरेलू महिलाओं को ट्रेनिंग; किसानों को मिले फ्री बिजली 20 फरवरी को प्रदेश का बजट पेश होगा। इस बार बजट का आकार करीब 8.50 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। बजट किसी भी सरकार की आर्थिक नीति का विश्लेषण है कि वह कितना जल्द डेवलपमेंट स्टेट बनना चाहता है। बजट इसका एक रोडमैप है। विशेषज्ञों की राय में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को आगे बढ़ना है तो बजट में 3 सेक्टर कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और कैपिटल स्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहिए। तभी हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को अगले दो साल में 1 ट्रिलियन डालर तक ले जा पाएंगे। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर